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सिविल सेवकों को विनियमित करने वाले नियम: पूजा खेडकर विवाद

Lokesh Pal July 18, 2024 02:17 111 0

संदर्भ

केंद्र ने परिवीक्षाधीन IAS अधिकारी पूजा खेडकर द्वारा सिविल सेवाओं में अपनी उम्मीदवारी सुरक्षित करने के लिए जमा किए गए सभी दस्तावेजों की जाँच करने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training- DoPT) के तहत एक एकल सदस्यीय समिति का गठन किया।

पृष्ठभूमि

  • नियुक्ति पर उठे सवाल: पूजा खेडकर ने वर्ष 2022 UPSC सिविल सेवा परीक्षा में 821 वाँ स्थान प्राप्त किया था और उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes- OBC) तथा शारीरिक रूप से दिव्यांग (Physically Handicapped- PH) श्रेणी के तहत भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service- IAS) आवंटित किया गया।
    • इन श्रेणियों के अंतर्गत उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए गए हैं।
  • एक प्रोबेशनर के रूप में कदाचार के आरोप: खेडकर पर कदाचार के कई आरोप हैं, जिसमें एक प्रोबेशनर के रूप में अनावश्यक विशेषाधिकारों की माँग करना और जिला कलेक्टर के कार्यालय के पूर्व कक्ष पर अनुचित तरीके से अधिकार जताना शामिल है। 
  • इसके अतिरिक्त, उसने अपनी निजी लक्जरी ऑडी सेडान पर एक अनधिकृत लाल-नीली बत्ती का इस्तेमाल किया, जिसके बारे में उसका दावा है कि उन्हें यह ‘उपहार’ के रूप में मिली है।
  • एक सदस्यीय समिति का गठन: केंद्र द्वारा उसके सभी दस्तावेजों की जाँच के लिए एक समिति गठित की गई है।

सिविल सेवक के कार्यों को नियंत्रित करने वाले नियम

  • एक सिविल सेवक के कार्य मुख्यतः दो नियमों द्वारा नियंत्रित होते हैं
    • अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 
    • भारतीय प्रशासनिक सेवा (परिवीक्षा) नियम, 1954

अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968

  • शासकीय नियम: सभी IAS, IPS, और भारतीय वन सेवा अधिकारी अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमों द्वारा शासित होते हैं।
  • नियमों का अनुप्रयोग: नियम उस समय से लागू होते हैं, जब अधिकारियों को उनकी सेवा आवंटित की जाती है और प्रशिक्षण शुरू किया जाता है।
  • अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमों में सत्यनिष्ठा के लिए शासनादेश प्रदान किया गया।
    • AIS (आचरण) नियम 3(1) में कहा गया है: ‘सेवा का प्रत्येक सदस्य हर समय पूर्ण सत्यनिष्ठा और कर्तव्य के प्रति समर्पण बनाए रखेगा और ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जो सेवा के सदस्य के लिए अशोभनीय हो।’
    • नियम 4(1) इस बारे में अधिक विशिष्ट है कि ‘अशोभनीय’ क्या है। इसमें कहा गया है कि अधिकारियों को अपने ‘पद या प्रभाव’ का उपयोग ‘किसी निजी उपक्रम अथवा NGO में अपने परिवार के किसी भी सदस्य के लिए रोजगार सुरक्षित करने’ के लिए नहीं करना चाहिए।
  • उपहार स्वीकार करने का नियम
    • अनुमेय उपहार: अधिकारी विवाह, वर्षगाँठ और धार्मिक कार्यों जैसे अवसरों पर निकट रिश्तेदारों या निजी मित्रों से उपहार स्वीकार कर सकते हैं, जिनके साथ उनका कोई आधिकारिक व्यवहार नहीं है।
    • रिपोर्टिंग की आवश्यकता: 25,000 रुपये से अधिक मूल्य के उपहारों की सूचना सरकार को दी जानी चाहिए। यह सीमा अंतिम बार वर्ष 2015 में अपडेट की गई थी।

वर्ष 2014 में AIS (आचरण) नियमों में परिवर्द्धन

  • नैतिक मानक तथा राजनीतिक तटस्थता: अधिकारियों को उच्च नैतिक मानक, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी बनाए रखनी चाहिए तथा उन्हें राजनीतिक रूप से तटस्थ रहना चाहिए।
  • जवाबदेही तथा पारदर्शिता: अधिकारियों को अपने कर्तव्यों के प्रति जवाबदेह और पारदर्शी होना चाहिए। उन्हें जनता के प्रति, विशेष तौर पर कमजोर वर्गों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए।
  • शिष्टाचार और अच्छा व्यवहार: अधिकारियों को जनता के प्रति शिष्टता और अच्छा व्यवहार प्रदर्शित करना चाहिए।
  • निर्णय लेने संबंधी दिशा-निर्देश भी जोड़े गए
    • सार्वजनिक हित: निर्णय केवल सार्वजनिक हित में लिए जाने चाहिए।
    • निजी हितों की घोषणा, यदि कोई हो: अधिकारियों को अपने सार्वजनिक कर्तव्यों से संबंधित किसी भी निजी हित की घोषणा करनी चाहिए।
    • दायित्वों से बचें: अधिकारियों को स्वयं को किसी ऐसे व्यक्ति या संगठन के प्रति वित्तीय या अन्य दायित्वों के अधीन नहीं रखना चाहिए, जो उन्हें प्रभावित कर सकता है।
    • पद का दुरुपयोग: अधिकारियों को सिविल सेवक के रूप में अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए या अपने, अपने परिवार अथवा दोस्तों के लिए वित्तीय या भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए निर्णय नहीं लेना चाहिए।

भारतीय प्रशासनिक सेवा (परिवीक्षा) नियम

अधिकारियों के परिवीक्षा काल के दौरान उनके आचरण को नियंत्रित करने के लिए कुछ अतिरिक्त नियम हैं, जो सेवाओं में चयन के बाद कम-से-कम दो वर्ष तक लागू रहते हैं।

  • परिवीक्षा अवधि तथा परीक्षा (Probation Duration and Examination): अपनी परिवीक्षा अवधि के दौरान, जिसमें मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (Lal Bahadur Shastri National Academy of Administration- LBSNAA) में प्रशिक्षण भी शामिल है, अधिकारियों को अपनी संबंधित सेवाओं में स्थायीकरण के लिए दो वर्ष के अंत में एक परीक्षा से गुजरना पड़ता है।
  • वित्तीय अधिकार: परिवीक्षार्थियों को एक निश्चित वेतन और यात्रा भत्ता मिलता है।
  • वे लाभ जिनके हकदार नहीं हैं: वे पुष्टिकृत IAS अधिकारियों द्वारा प्राप्त कई लाभों के हकदार नहीं हैं, जैसे VIP नंबर प्लेट के साथ एक आधिकारिक कार, आधिकारिक आवास, सहायक कर्मचारियों के साथ एक नामित कार्यालय तथा एक कांस्टेबल की सेवाएँ।
  • परिवीक्षाधीनों की सेवामुक्ति: नियम 12 के अंतर्गत, परिवीक्षाधीनों को निम्नलिखित परिस्थितियों में सेवा से मुक्त किया जा सकता है:
    • भर्ती के लिए अयोग्यता: यदि केंद्र सरकार परिवीक्षार्थी को भर्ती के लिए अयोग्य या सेवा का सदस्य बनने के लिए अनुपयुक्त पाती है।
    • जानबूझकर उपेक्षा: यदि परिवीक्षार्थी जानबूझकर परिवीक्षाधीन अध्ययन या कर्तव्यों की उपेक्षा करता है।
    • आवश्यक गुणों की कमी: यदि परिवीक्षार्थी में सेवा के लिए आवश्यक मानसिक और चरित्र के आवश्यक गुणों का अभाव है।
    • सारांश जाँच प्रक्रिया: इन नियमों के तहत आदेश पारित करने से पहले DoPT द्वारा खेडकर के खिलाफ शुरू की गई संक्षिप्त जाँच की गई है।
      • जाँच का कार्य सौंपी गई समिति जाँच शुरू होने के दो सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

सेवाओं में आरक्षण नीतियाँ

  • OBC आरक्षण: वर्ष 1995 बैच से, सेवाओं में 27% सीटें OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी के लिए आरक्षित हैं।
    • नॉन-क्रीमी लेयर: जिनके माता-पिता निजी क्षेत्र में कार्य करते हैं, उनके लिए नॉन-क्रीमी लेयर का दर्जा पाने की वर्तमान सीमा वार्षिक 8 लाख रुपये से कम आय है।
  • शारीरिक रूप से दिव्यांगता (PH) आरक्षण: वर्ष 2006 के बैच से शुरू किया गया, प्रत्येक श्रेणी (सामान्य, OBC, SC, और ST) में 3% सीटें अलग-अलग विकलांगों (शारीरिक रूप से विकलांग) के लिए आरक्षित हैं।
  • दोषी साबित होने पर सेवा से बर्खास्त कर दिया जाता है: यदि यह साबित हो जाता है कि प्रमाण-पत्र फर्जी हैं तो प्रोबेशनर्स को सेवा से ‘मुक्त’ कर दिया जाता है। (परिवीक्षाधीन अधिकारियों को ‘मुक्त’ कर दिया जाता है, जबकि पुष्टि किए गए अधिकारियों को ‘बर्खास्त’ कर दिया जाता है)।

प्रशिक्षु IAS अधिकारी पूजा खेडकर के मामले में नैतिक मुद्दे

  • संदिग्ध विकलांगता दावे: इस मामले में मुख्य नैतिक मुद्दों में से एक विकलांगता और OBC आरक्षण से संबंधित व्यक्तिगत जानकारी को गलत तरीके से प्रस्तुत करना कथित रूप से कदाचार है। सिविल सेवकों से ईमानदारी के उच्चतम मानकों को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है।
  • आधिकारिक पद का दुरुपयोग: निजी वाहन पर लाल-नीली बत्ती जैसे अनधिकृत विशेषाधिकारों का उपयोग करने और प्राधिकरण की अनुमति के बिना सरकारी स्थान पर अधिकार जताने संबंधी आरोप लगे हैं।
  • सत्ता और विशेषाधिकार का दुरुपयोग
    • खेडकर ने कथित तौर पर एक अलग कार्यालय और आधिकारिक कार जैसे विशेष सुविधाओं की माँग की जो आमतौर पर प्रशिक्षु अधिकारियों को नहीं दिया जाता।
  • विश्वास का उल्लंघन
    • सरकारी संस्थानों में विश्वास समाप्त हो जाता है: दस्तावेजों को गलत सिद्ध करने से सरकारी संस्थानों में जनता का भरोसा और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में ईमानदारी एवं निष्पक्षता सुनिश्चित करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
    • प्रशासनिक सेवाओं के प्रति जन विश्वास में गिरावट: यह कानूनी और नैतिक मानकों का पालन करने के लिए सिविल सेवकों के प्रति जन विश्वास को कम करता है।
    • UPSC पर उठे सवाल: यह मामला संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission- UPSC) की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न उठाता है।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में निष्पक्षता: यदि विकलांगता और OBC कोटा के दुरुपयोग के आरोप सही हैं, तो इससे UPSC परीक्षा प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।

अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी 

  • क्रीमी और नॉन-क्रीमी लेयर
    • OBC वर्ग को क्रीमी और नॉन-क्रीमी लेयर में बाँटा गया है।
    • केवल नॉन-क्रीमी लेयर OBC सदस्यों को सरकारी सेवाओं एवं संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलता है।
  • आरक्षण का उद्देश्य: इसका उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से वंचित OBC सदस्यों का समर्थन करना है।

आगे की राह

  • संस्थागत निरीक्षण एवं सुधार
    • UPSC और अन्य संबंधित संस्थानों को उम्मीदवारों की योग्यता के लिए अखिल भारतीय सेवा परीक्षा में सत्यापन प्रक्रियाओं को मजबूत करना चाहिए, जिसमें विकलांगता दावों और आयु प्रमाण-पत्रों की गहन जाँच भी शामिल है।
    • उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए तीसरे पक्ष के सत्यापन की आवश्यकता है।
    • जारी करने वाले प्राधिकारियों के साथ दस्तावेजों को क्रॉस-रेफरेंस करना और जालसाजी का पता लगाने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करना।
  • स्पष्ट दिशा-निर्देश: शारीरिक रूप से अक्षम श्रेणी सहित विभिन्न श्रेणियों के लिए आवश्यक पात्रता मानदंड और दस्तावेजीकरण के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित किए जाने चाहिए।
  • सत्यापन प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण: सत्यापन प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे विसंगतियों की पहचान करने और संवेदनशील जानकारी को उचित रूप से सँभालने में सक्षम हैं।
  • सुधारात्मक उपाय: यदि समिति को झूठे दस्तावेजों का कोई सुबूत मिलता है, तो परिवीक्षाधीन व्यक्ति को कर्तव्य से मुक्त कर दिया जाना चाहिए।
  • गहन जाँच शुरू की जानी चाहिए: UPSC के उच्च सुरक्षा उपायों के बावजूद कथित धोखाधड़ी कैसे की गई, यह समझने के लिए बहुआयामी विश्लेषण किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष 

इन नैतिक चिंताओं का समाधान करना न केवल सार्वजनिक सेवा में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है, बल्कि सिविल सेवकों से अपेक्षित ईमानदारी और विश्वसनीयता के सिद्धांतों को कायम रखने के लिए भी आवश्यक है।

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