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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 18, 2024 02:39 115 0

कश्मीर विलो 

(Kashmir Willow)

हाल के वर्षों में कश्मीर विलो (Kashmir willow) से बने क्रिकेट बल्ले का खिलाड़ियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय खेलों में उपयोग किए जाने के बाद कश्मीर विलो ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है।

कश्मीर विलो (Kashmir willow) 

  • परिचय: भारत के कश्मीर क्षेत्र में मुख्य रूप से उगाया जाने वाला कश्मीरी विलो एक पर्णपाती वृक्ष है, जो 30 मीटर (98 फीट) तक की ऊँचाई तक पहुँच सकता है।
    • इसमें पतले तने और संकीर्ण, शंक्वाकार छत्र होता है, जिसे परिपक्व होने में आमतौर पर 20 से 25 वर्ष लगते हैं।
  • आवास: ये पेड़ इस क्षेत्र की आर्द्र और समशीतोष्ण जलवायु में पनपते हैं, विशेष रूप से नदी के किनारों पर और पर्याप्त मिट्टी की नमी वाले क्षेत्रों में।
  • विलो की विशेषताएँ (Characteristics of Willow): विलो में सौर विकिरण को रासायनिक ऊर्जा में कुशलतापूर्वक परिवर्तित करने की क्षमता के कारण उत्कृष्ट वृद्धि और उत्पादकता प्रदर्शित होती है। 
    • यह प्रजाति पूरे विकास काल में वाष्पोत्सर्जन की उच्च दर दर्शाती है।
    • विलो बाढ़ के प्रति लचीले होते हैं तथा जड़ क्षेत्र में कम ऑक्सीजन स्तर वाली जलभराव वाली मिट्टी में भी पनपते हैं।
    • विलो में विषैली धातुओं, विशेषकर कैडमियम (Cd) का उच्च स्तर कुशलतापूर्वक संचित हो जाता है।
  • अनुप्रयोग: इसमें क्रिकेट बैट उद्योग, पैकेजिंग केस, टोकरी, फर्नीचर आदि शामिल हैं। 
विश्व धरोहर युवा पेशेवर मंच  

(World Heritage Young Professionals Forum) 2024

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के दौरान और यूनेस्को के विश्व धरोहर शिक्षा कार्यक्रम (UNESCO’s World Heritage Education Programme) के तहत वर्ष 2024 के विश्व धरोहर युवा पेशेवर फोरम की मेजबानी कर रहा है।

विश्व धरोहर युवा पेशेवर मंच

  • परिचय: यह अंतर-सांस्कृतिक शिक्षा और आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए युवाओं और विरासत विशेषज्ञों को एक साथ लाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
    • इसके अतिरिक्त, यह युवाओं को एक-दूसरे की विरासत के बारे में जानने और उससे जुड़ने, साझा संरक्षण चुनौतियों का समाधान करने तथा विरासत संरक्षण में नई भूमिकाएँ तलाशने का अवसर प्रदान करता है। 
  • फोकस: प्रत्येक फोरम विश्व धरोहर से संबंधित एक विशिष्ट विषय पर केंद्रित होता है, जिसे मेजबान देश की विश्व धरोहर संपत्तियों के संदर्भ के अनुरूप बनाया जाता है। 
  • सहयोग: स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों विशेषज्ञ भाग लेते हैं तथा युवा पेशेवरों को प्रस्तुतियों, गोलमेज चर्चाओं और साइट दौरों सहित विभिन्न गतिविधियों में शामिल करते हैं। 
  • उद्देश्य: इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण का उद्देश्य कई उप-विषयों को संबोधित करना है, जिनमें शामिल हैं:-
    • विश्व धरोहर सम्मेलन की उपलब्धियों और चुनौतियों का अन्वेषण। 
    • विश्व धरोहर स्थलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन।
    • विश्व धरोहर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों का क्रियान्वयन।
    • युवा उद्यमिता के माध्यम से सतत् पर्यटन और विकास को बढ़ावा देना।
  • विरासत संबंधी शिक्षा (Heritage Learning): चर्चाओं के माध्यम से प्रतिभागियों को विश्व विरासत और सतत् विकास (World Heritage and Sustainable Development) के वैश्विक सिद्धांतों के बारे में गहन जानकारी प्राप्त होगी, साथ ही वे भारत की स्थानीय विरासत के प्रबंधन से भी परिचित होंगे। 
वर्ष 2023 तक शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या घटकर 1.6 मिलियन हो गई 

(Zero-dose kids fall to 1.6 million in 2023’)

वर्ष 2023 में लगभग 1.6 मिलियन बच्चों को कोई टीका नहीं लगा, इस संदर्भ में भारत दूसरे स्थान पर है।

भारत की रैंकिंग

  • सुधार: हालाँकि, वर्ष 2021 की तुलना में भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है, जब देश में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक 2.73 मिलियन शून्य खुराक वाले बच्चे दर्ज किए गए थे।
  • सर्वाधिक शून्य खुराक: विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) और यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 में नाइजीरिया में शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक 2.1 मिलियन होगी। 
  • अन्य देशों की रैंकिंग: भारत के बाद अन्य देश इथियोपिया, कांगो, सूडान और इंडोनेशिया हैं। शीर्ष 20 शून्य-खुराक वाले देशों की सूची में चीन 18वें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 10वें स्थान पर है।
समग्र शिक्षा अभियान 

(Samagra Shiksha Abhiyan)

हाल ही में सरकार ने विपक्षी शासित राज्यों को समग्र शिक्षा अभियान के लिए धनराशि देना बंद कर दिया है।  

समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan)

  • परिचय: समग्र शिक्षा, स्कूल शिक्षा के लिए एक एकीकृत योजना, वर्ष 2018-19 से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में देश भर में शुरू की गई थी।
  • एकीकरण: यह कार्यक्रम तीन पूर्ववर्ती केंद्र प्रायोजित योजनाओं को एकीकृत करता है: सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan- SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan- RMSA), और शिक्षक शिक्षा (Teacher Education- TE)।
  • उद्देश्य: यह कार्यक्रम प्री-स्कूल से लेकर कक्षा 12 तक के संपूर्ण स्कूली शिक्षा क्षेत्र को शामिल करता है, जिसका लक्ष्य सभी स्तरों पर समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। 
    • यह ‘स्कूल’ की अवधारणा को पूर्व-विद्यालय से लेकर प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक की एक सतत् यात्रा के रूप में देखता है। 
वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल (Global Trade Research Initiative)

 

वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल  (GTRI) ने मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement- FTA) के तहत संयुक्त अरब अमीरात से कीमती धातुओं के आयात में वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त की। 

वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल (Global Trade Research Initiative- GTRI)

  • उद्देश्य: व्यापार, प्रौद्योगिकी और निवेश विषयों पर सरकारों और उद्योगों के लिए स्पष्ट तथा उच्च गुणवत्ता वाली रिपोर्ट तैयार करना।
    • वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल (GTRI) निर्यात और आयात बाजारों के साथ-साथ वैश्विक व्यापार विश्लेषण में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। 
नीति आयोग ने गियरशिफ्ट चैलेंज का अनावरण कियाNITI Aayog Unveils GearShift Challenge

नीति आयोग ने IIM बंगलूरू, स्मार्ट फ्रेट सेंटर इंडिया, कैलस्टार्ट/ड्राइव टू जीरो (CALSTART/Drive to Zero) और WRI इंडिया के सहयोग से ई-फास्ट इंडिया पहल के तहत नीति गियरशिफ्ट चैलेंज (NITI GearShift Challenge) की शुरुआत की है। 

नीति गियरशिफ्ट चैलेंज  (NITI GearShift Challenge)

  • उद्देश्य: भारत में शून्य-उत्सर्जन ट्रकों (Zero-Emission Trucks- ZETs) को अपनाने के उद्देश्य से नवीन व्यवसाय मॉडल को बढ़ावा देना तथा महत्त्वपूर्ण आर्थिक एवं पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करना। 
  • विशेषताएँ: यह चुनौती छात्रों, परिवहन पेशेवरों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को इलेक्ट्रिक ट्रकों को अपनाने में वित्तीय, तकनीकी और परिचालन चुनौतियों का समाधान करने वाले अभिनव व्यवसाय मॉडल विकसित करने के लिए आमंत्रित करती है। 
    • इसमें ई-फास्ट इंडिया के साझेदारों, वित्तीय संस्थानों और उद्योग संघों की रुचि देखी गई है।

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