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भारत में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की स्थिति

Lokesh Pal July 19, 2024 03:01 177 0

संदर्भ 

हाल ही में जारी ‘राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office- NSSO) द्वारा जारी वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 सर्वेक्षणों के नतीजों के अनुसार, तीन महत्त्वपूर्ण आर्थिक घटनाओं [नोटबंदी (नवंबर 2016), GST कार्यान्वयन (जुलाई 2017), तथा कोविड-19 महामारी (मार्च 2020 से)] के कारण अनौपचारिक अर्थव्यवस्था सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई।

  • यह सर्वेक्षण तीन क्षेत्रों (विनिर्माण, व्यापार और अन्य सेवाएँ) में अनिगमित गैर-कृषि प्रतिष्ठानों के संदर्भ में किए गए।

अनिगमित उद्यम (Unincorporated Enterprises)

  • ये असंगठित या अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यम हैं, जिनमें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSMEs), किराये पर कार्य करने वाले श्रमिकों सहित घरेलू इकाइयाँ तथा स्वयं के खाते वाले उद्यम शामिल हैं।

भारत के अनौपचारिक क्षेत्र (Informal Sector) का अवलोकन

  • महत्त्वपूर्ण आर्थिक योगदान: लघु तथा मध्यम उद्यम (Small And Medium Enterprises- SMEs) घरेलू स्वामित्व एवं साझेदारी प्रतिष्ठानों के साथ सामूहिक रूप से भारत के आर्थिक उत्पादन में लगभग आधे का योगदान करते हैं। 
  • रोजगार का प्राथमिक स्रोत: यह क्षेत्र रोजगार का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत भी है तथा देश में कुल नौकरियों में से तीन-चौथाई से अधिक इसी क्षेत्र में उपलब्ध हैं।

अनौपचारिक क्षेत्र से संबंधित हालिया सरकारी पहल

  • ई-श्रम पोर्टल: यह पोर्टल वर्ष 2021 में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य देश में असंगठित श्रमिकों का एक व्यापक राष्ट्रीय डेटाबेस (NDUW) तैयार करना है।
    • श्रमिकों को एक ई-श्रम कार्ड जारी किया जाएगा। जिसमें 12 अंकों का अद्वितीय नंबर होगा।
  • श्रम संहिता: हाल ही में संसद ने तीन श्रम संहिताएँ [औद्योगिक संबंधों पर, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य करने की स्थितियाँ तथा अनौपचारिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लाभ के लिए सामाजिक सुरक्षा] पारित कीं।
  • PM स्वनिधि (PM SVANidhi): स्ट्रीट वेंडरों के लिए माइक्रो क्रेडिट योजना
    • सड़क विक्रेताओं को किफायती ऋण प्रदान करने के लिए केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा लॉन्च की गई।
    • इस योजना से विभिन्न क्षेत्रों के विक्रेताओं, फेरीवालों को लाभ मिलता है।
  • PM-किसान (PM-KISAN): प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान) भारत सरकार से 100% वित्त पोषण के साथ एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
    • इसे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • इस योजना के तहत, केंद्र सभी भूमिधारक किसानों के बैंक खातों में सीधे तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये स्थानांतरित करता है, चाहे उनकी भूमि का आकार कुछ भी हो।
  • प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन (PM-SYM):  PM-SYM असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लाभ के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा संचालित एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है। 
  • इसे भारतीय जीवन बीमा निगम एवं सामुदायिक सेवा केंद्रों (CSCs) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।

अनौपचारिक अर्थव्यवस्था (Informal Economy)

  • अनौपचारिक श्रमिकों के बारे में: आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) के अनुसार, अनौपचारिक नौकरियों वाले श्रमिकों को तब वर्गीकृत किया जाता है, जब उनका रोजगार संबंध, विधिक परिभाषा या व्यवहार में, राष्ट्रीय श्रम कानूनों, आयकर, सामाजिक सुरक्षा कवरेज आदि के अनुरूप नहीं होता है। 
  • सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) द्वारा ASUSE रिपोर्ट: असंगठित उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण (Annual Survey of Unincorporated Enterprises- ASUSE) के आँकड़ों से पता चलता है कि पिछले सात वर्षों में, अनौपचारिक क्षेत्र के भीतर बड़ी संख्या में उद्यमों ने परिचालन बंद कर दिया है एवं लगभग 16.45 लाख नौकरियाँ खत्म हो गई हैं। 
  • अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों का हिस्सा: वर्ष 2022-23 में, अनौपचारिक क्षेत्र में 16.45 लाख श्रमिकों (-1.5%) की गिरावट देखी गई, जो वर्ष 2015-16 में 11.13 करोड़ की तुलना में कुल 10.96 करोड़ हो गई। 
    • समवर्ती रूप से, अनिगमित उद्यमों की संख्या वर्ष 2015-16 में 6.33 करोड़ से 16.56 लाख बढ़कर हाल के वर्षों में 6.50 करोड़ तक पहुँच गई।
  • नौकरियाँ उत्पन्न करने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण: अनौपचारिक क्षेत्र नौकरियाँ उत्पन्न करने एवं विशेष रूप से अर्द्ध-कुशल तथा अकुशल श्रम को अवशोषित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • यह रोजगार के रुझानों पर बारीकी से नजर रखता है, विशेषकर तब जब औपचारिक क्षेत्र में मंदी हो।
  • राज्यों में अनौपचारिक रोजगार का पैटर्न
    • अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों में गिरावट 
      • 34 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में से 16 में वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2022-23 में अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या में कमी दर्ज की गई।

    • महामारी के बाद अनौपचारिक रोजगार में वृद्धि
      • महामारी के तुरंत बाद अधिकांश राज्यों में अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की हिस्सेदारी बढ़ गई।
      • यह वृद्धि आर्थिक संकट एवं औपचारिक क्षेत्र से दूर जाने का संकेत देती है।

सर्वेक्षण कवरेज का दायरा

  • फैक्टरी अधिनियम एवं ASI के अतिरिक्त विनिर्माण इकाइयाँ
    • सर्वेक्षण में फैक्टरी अधिनियम, 1948 के तहत शामिल नहीं की गई विनिर्माण इकाइयाँ एवं उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण (ASI) से बाहर रखी गई इकाइयाँ शामिल हैं।
    • विशेष रूप से, इसमें कपास ओटना, सफाई, बेलिंग एवं बीड़ी तथा सिगार के निर्माण जैसी गतिविधियों में संलग्न अनौपचारिक प्रतिष्ठान शामिल हैं।
  • ‘डिस-कैप्टिव’ विद्युत उत्पादन
    • गैर-कैप्टिव विद्युत उत्पादन, पारेषण एवं वितरण में शामिल इकाइयाँ, जो केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority- CEA) के साथ पंजीकृत नहीं हैं, भी सर्वेक्षण का हिस्सा हैं।
  • व्यापार एवं अन्य सेवाएँ
    • यह सर्वेक्षण व्यापार एवं अन्य सेवा क्षेत्रों के तहत विभिन्न संस्थाओं तक विस्तृत है, जिसमें मालिकाना तथा साझेदारी प्रतिष्ठान (LLPs को छोड़कर), सोसायटी, ट्रस्ट, संघ, सहकारी समितियाँ, स्वयं सहायता समूह एवं गैर-लाभकारी संस्थान शामिल हैं।

NSSO सर्वेक्षण परिणामों के मुख्य निष्कर्ष

  • डेटा उपलब्धता में लंबे अंतराल को संबोधित किया गया: वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 के सर्वेक्षण परिणामों का जारी होना वर्ष 2015-16 में उपलब्ध अंतिम डेटा के बाद से एक महत्त्वपूर्ण अंतर को कम करता है। हाल के रुझानों को समझने के लिए यह वर्तमान डेटा महत्त्वपूर्ण है।
  • रोजगार की गतिशीलता में बदलाव 
    • समग्र रोजगार में गिरावट: वर्ष 2015-16 और 2022-23 के बीच उद्यमों की संख्या में वृद्धि के बावजूद अनौपचारिक क्षेत्र में समग्र रोजगार में गिरावट का अनुभव किया गया है।
    • स्वयं-स्वामित्व वाली इकाइयों की ओर बदलाव: स्वयं-खाते वाले उद्यमों में लगभग 4% की वृद्धि हुई, जबकि किराए पर कार्य करने वाले उद्यमों में 3.2% की गिरावट आई, जो किराए पर कार्य करने वाली इकाइयों की तुलना में स्व-स्वामित्व वाली इकाइयों की ओर बदलाव का संकेत देता है।
  • विनिर्माण रोजगार में बदलाव: जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था अधिक पूँजी-सघन विनिर्माण की ओर बढ़ी है यह डेटा असंगठित क्षेत्र में श्रम-सघन विनिर्माण में रोजगार में कमी का संकेत देता है।

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) से संबंधित रोजगार के रुझान

  • कृषि की ओर परिवर्तन
    • PLFS 2022-23 पिछले वर्ष के दौरान कृषि श्रमिकों में वृद्धि के साथ-साथ विनिर्माण रोजगार में कमी का संकेत देता है।
    • कृषि में कार्यरत व्यक्तियों की हिस्सेदारी वर्ष 2017-18 में 42.5% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 45.8% हो गई।
  • कृषि में लैंगिक गतिशीलता
    • कृषि में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, उनकी हिस्सेदारी वर्ष 2018-19 में 55.3% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 64.3% हो गई है।
    • इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा कृषि क्षेत्र में अवैतनिक घरेलू कार्य से संबंधित है।

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS)

  • PLFS के बारे में
    • यह भारत में रोजगार और बेरोजगारी के मापन हेतु सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा आयोजित एक सर्वेक्षण है।
    • इसे अप्रैल 2017 में लॉन्च किया गया था।
  • उद्देश्य
    • शहरी क्षेत्र (वर्तमान साप्ताहिक स्थिति – CWS): प्रत्येक तीन महीने में श्रमिक जनसंख्या अनुपात, श्रम बल भागीदारी दर एवं बेरोजगारी दर जैसे प्रमुख संकेतकों का अनुमान लगाना।
    • ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र (सामान्य स्थिति तथा CWS): वार्षिक रूप से रोजगार एवं बेरोजगारी संकेतकों का अनुमान लगाना।

अनौपचारिक क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ

  • सामाजिक सुरक्षा का अभाव: अनौपचारिक श्रमिकों को प्रायः स्वास्थ्य देखभाल, पेंशन एवं बेरोजगारी बीमा जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुँच की कमी होती है, जिससे वे बीमारी, बुढ़ापे या आर्थिक मंदी के समय में असुरक्षित हो जाते हैं।
  • असंगत आय एवं रोजगार सुरक्षा: अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार अक्सर अस्थिर होता है तथा अनियमित आय की विशेषता होती है, जिससे श्रमिकों के लिए वित्तीय स्थिरता हासिल करना एवं भविष्य के लिए योजना बनाना मुश्किल हो जाता है।
  • ऋण एवं संसाधनों तक सीमित पहुँच: अनौपचारिक उद्यम अक्सर औपचारिक ऋण तथा वित्तीय संसाधनों तक पहुँचने के लिए संघर्ष करते हैं, जिससे उनके विकास एवं बेहतर प्रौद्योगिकी या बुनियादी ढाँचे में निवेश करने की क्षमता में बाधा आती है।
  • सटीक डेटा का अभाव: ऐसे कोई आधिकारिक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, जो अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को दर्शाते हों, जो इसे ‘अदृश्य कार्यबल’ वाला क्षेत्र बनाता हो।

कार्यबल को औपचारिक बनाने के लिए सुझाव

  • अदृश्य श्रम को पहचानना: घरेलू कामगारों के अधिकारों को पहचानने एवं अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए बेहतर कामकाजी परिस्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति लागू करना आवश्यक है।
    • अदृश्य श्रम से तात्पर्य उस अवैतनिक कार्य से है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता, उसे स्वीकार नहीं किया जाता एवं इस प्रकार वह अनियमित हो जाता है।
  • उन्नत सामाजिक सुरक्षा एवं लाभ: अनौपचारिक श्रमिकों के लिए औपचारिक रोजगार में परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू करने की आवश्यकता है जो स्वास्थ्य बीमा, पेंशन तथा बेरोजगारी लाभ को कवर करती हैं।
  • कौशल विकास एवं प्रशिक्षण: रोजगार बाजार की माँगों के अनुरूप कौशल विकास तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना समय की माँग है।
    • इससे उनकी रोजगार क्षमता में सुधार करने एवं औपचारिक क्षेत्र में उनके संक्रमण को आसान बनाने में मदद मिल सकती है।
  • डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करना: वित्तीय पारदर्शिता एवं पता लगाने की क्षमता बढ़ाने के लिए डिजिटल भुगतान प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा देने से अनौपचारिक व्यवसायों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने में मदद मिल सकती है।

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