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आर्थिक सर्वेक्षण 2024: पहली बार आर्थिक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान

Lokesh Pal July 25, 2024 02:41 90 0

संदर्भ

पहली बार संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में मानसिक स्वास्थ्य, इसके महत्त्व और नीतिगत सिफारिशों पर इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।

मानसिक स्वास्थ्य

  • अवधारणा: मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक खुशहाली की वह स्थिति है, जो लोगों को जीवन के तनावों से निपटने, अपनी क्षमताओं को पहचानने, अच्छी तरह सीखने और कार्य करने तथा अपने समुदाय में योगदान करने में सक्षम बनाती है।
    • यह स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग है और एक बुनियादी मानव अधिकार है। मानसिक स्वास्थ्य मानसिक विकारों की अनुपस्थिति से कहीं अधिक है।

  • परस्पर जुड़े पहलू: मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है।
  • मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की श्रेणी: मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में मानसिक विकार, मनोसामाजिक विकलांगताएँ तथा महत्त्वपूर्ण संकट, कार्य करने में बाधा, या आत्म-क्षति के जोखिम से जुड़ी मानसिक स्थितियाँ शामिल हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का प्रभाव: मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ, मामूली तनाव से लेकर गंभीर विकारों तक, किसी व्यक्ति के पूरे जीवनकाल पर प्रभाव डाल सकती हैं।

अर्थशास्त्र के नजरिए से मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे

  • उत्पादकता हानि: आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि समग्र आर्थिक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य विकार उत्पादकता में महत्त्वपूर्ण हानि से जुड़े हैं।
    • अनुपस्थिति (Absenteeism) 
    • उत्पादकता में कमी (Decreased productivity) 
    • विकलांगता (Disability)
    • स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ी हुई लागत (Increased healthcare costs) आदि। 
  • गरीबी और मानसिक स्वास्थ्य: इसके अलावा इस बात के भी प्रमाण हैं कि गरीबी तनावपूर्ण जीवन स्थितियों, वित्तीय अस्थिरता और उन्नति के अवसरों की कमी के कारण मानसिक स्वास्थ्य के जोखिम को प्रभावित करती है, जिससे मनोवैज्ञानिक संकट बढ़ता है।

मानसिक स्वास्थ्य की राष्ट्रीय व्यापकता (National Prevalence of Mental Health)

  • मानसिक स्वास्थ्य को व्यक्तिगत और राष्ट्रीय विकास दोनों का एक महत्त्वपूर्ण चालक माना जाता है।
  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Mental Health Survey- NMHS) 2015-16 के अनुसार,
    • भारत में 10.6% वयस्क मानसिक विकारों से पीड़ित हैं। 
    • मानसिक विकारों के लिए उपचार अंतराल विकार के आधार पर 70% से 92% के बीच है।
  • शहरी बनाम ग्रामीण असमानताएँ: शहरी मेट्रो क्षेत्रों में मानसिक रुग्णता का प्रसार अधिक है (13.5%), जबकि निम्नलिखित में:
    • ग्रामीण क्षेत्र (6.9%) 
    • शहरी गैर-मेट्रो क्षेत्र (4.3%)
  • किशोर मानसिक स्वास्थ्य: NCERT के स्कूली छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण सर्वेक्षण के अनुसार, किशोरों में खराब मानसिक स्वास्थ्य की व्यापकता बढ़ रही है, जो कोविड-19 महामारी के कारण और भी अधिक बढ़ गई है।
    • 11% छात्र चिंतित महसूस करते हैं। 
    • 14% अत्यधिक भावनाओं का अनुभव करते हैं। 
    • 43% मूड स्विंग का अनुभव करते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए सरकार द्वारा की गईं प्रमुख पहल और नीतियाँ

मानसिक स्वास्थ्य को समग्र कल्याण का एक मूलभूत पहलू मानते हुए, सर्वेक्षण में इस संबंध में सरकार द्वारा की गई प्रमुख पहलों और नीतियों को रेखांकित किया गया है:

  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Mental Health Programme): इस कार्यक्रम के तहत, केंद्रीय प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य को एकीकृत करने और मानसिक स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जिलों को धन मुहैया कराता है।
    • इस योजना के जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 1.73 लाख से अधिक उप स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, शहरी PHC तथा शहरी स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने वाले आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में उन्नत किया गया।
  • मनोदर्पण (कोविड-19 के दौरान परामर्श): यह छात्रों के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता प्राप्त करने हेतु एक वेब पेज और राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन है।
  • राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Tele Mental Health Programme): इस कार्यक्रम का उद्देश्य टोल-फ्री नंबर के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य परामर्श तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना है।
  • मानसिक स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में वृद्धि
    • PG छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए 25 उत्कृष्टता केंद्र स्वीकृत किए गए। 
    • 22 एम्स के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान किया गया। 
    • सामान्य स्वास्थ्य सेवा चिकित्सा और पैरामेडिकल पेशेवरों को ऑनलाइन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम प्रदान करने वाली तीन डिजिटल अकादमियाँ स्थापित की गईं।
  • राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (Rashtriya Kishor Swasthya Karyakram): यह कार्यक्रम किशोर जनसंख्या के समग्र विकास के लिए तैयार किया गया था।
    • देश भर में किशोर अनुकूल स्वास्थ्य क्लिनिक (Adolescent Friendly Health Clinics- AFHC) और सहकर्मी शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए गए।
  • आयुष्मान भारत स्कूल स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम: स्वास्थ्य एवं कल्याण राजदूतों (शिक्षकों) को संवेदनशील बनाने और प्रशिक्षण देने के लिए।
  • ICT का उपयोग: हमारे देश के बच्चों को सहायता प्रदान करने के लिए पीएम ईविद्या (PM eVidya) डीटीएच (DTH) चैनलों, योग सत्रों आदि के माध्यम से लाइव इंटरैक्टिव सत्र सहयोग।

 मानसिक स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल (Global Initiatives on Mental Health)

  • मानसिक स्वास्थ्य एक मानव अधिकार: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने मानसिक स्वास्थ्य को एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी है।
  • विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day): यह दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य के समर्थन में प्रयासों और संसाधनों को जुटाने के लिए प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को मनाया जाता है।
  • WHO की व्यापक मानसिक कार्य योजना वर्ष 2013-2020: इस योजना को 66वीं विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा अपनाया गया था।
    • कार्य योजना सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य प्राप्त करने में मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यक भूमिका को पहचानती है। 
    • यह जीवन-क्रम दृष्टिकोण पर आधारित है, इसका उद्देश्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के माध्यम से समानता हासिल करना है तथा रोकथाम के महत्त्व पर जोर देता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य एटलस: मानसिक स्वास्थ्य एटलस को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया था तथा इसे हर तीन वर्ष में जारी किया जाता है।
    • यह मानसिक स्वास्थ्य नीतियों, कानून, वित्तपोषण, मानव संसाधन, सेवाओं की उपलब्धता और उपयोगिता तथा डेटा संग्रहण प्रणालियों पर दुनिया भर के देशों द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों का संकलन है।
  • सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goal-SDG): आत्महत्या की रोकथाम सतत् विकास लक्ष्य 3 में शामिल है।

मानसिक स्वास्थ्य पर नीति अनुशंसाएँ (Policy Recommendations on Mental Health)

वर्ष 2024 के आर्थिक सर्वेक्षण में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में जमीनी स्तर पर किए गए सुधारों में तेजी लाने तथा मौजूदा कार्यक्रमों की कमियों को दूर कर उनकी प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिए कार्यक्रमों के उचित कार्यान्वयन पर जोर दिया गया है।

नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण में शामिल कुछ महत्त्वपूर्ण नीतिगत सिफारिशें इस प्रकार हैं

  • मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की संख्या में वृद्धि: मनोचिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयासों को दोगुना करना, वर्ष 2021 में प्रति लाख जनसंख्या पर 0.75 मनोचिकित्सकों से बढ़ाकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) के प्रति लाख जनसंख्या पर 3 मनोचिकित्सकों की संख्या तक पहुँचाना।
  • उत्कृष्टता केंद्रों की सेवाओं के लिए व्यापक दिशा-निर्देश विकसित करना: मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों और उपयोगकर्ताओं के साथ मिलकर उनकी आवश्यकताओं को समझना।
  • कार्यक्रम मूल्यांकन तथा फीडबैक: उपयोगकर्ताओं, पेशेवरों और हितधारकों से फीडबैक एकत्र करके कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का आकलन करना ताकि आवश्यक परिवर्तन किए जा सकें और व्यापक जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
  • सामुदायिक समर्थन और कलंक-मुक्ति: सहकर्मी समर्थन नेटवर्क, स्वयं सहायता समूह और समुदाय-आधारित पुनर्वास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने से मानसिक विकारों के कलंक-मुक्ति और अपनेपन की भावना विकसित करने में मदद मिल सकती है।
  • सहयोग और साझेदारी: प्रयासों को बढ़ाने, ज्ञान साझा करने तथा भविष्य की नीतियों को बेहतर बनाने के लिए संसाधनों का लाभ उठाने, सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने में सहायता के लिए गैर-सरकारी संगठनों (Non- Profit organization- NGO) के साथ साझेदारी करना।
  • व्यक्ति-केंद्रित और पुनर्प्राप्ति-उन्मुख सेवाएँ: निर्णय लेने, सेवा नियोजन और वकालत प्रयासों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के साथ व्यक्तिगत अनुभव वाले व्यक्तियों को शामिल करने से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की व्यक्ति-केंद्रितता और पुनर्प्राप्ति अभिविन्यास में वृद्धि हो सकती है।
  • प्रारंभिक पहचान और स्कूल आधारित हस्तक्षेप: प्रीस्कूल या आंगनवाड़ी स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना, ताकि विकारों की प्रारंभिक पहचान की जा सके।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण
    • सरकारी एवं निजी क्षेत्र में मानसिक-स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दिशा-निर्देशों का मानकीकरण।
    • मानसिक स्वास्थ्य के विषय को संबोधित करने और उपेक्षा को समाप्त करने के लिए एक नीचे से ऊपर, पूरे समुदाय का दृष्टिकोण।

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