वर्ष 2024 के केंद्रीय बजट में, बिहार के गया में विष्णुपद मंदिर और बोधगया में महाबोधि मंदिर के लिए कॉरिडोर परियोजनाओं की घोषणा की गई है।
यह परियोजना सफल काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के मॉडल पर आधारित होगी, जिसका उद्देश्य उन्हें विश्व स्तरीय तीर्थ और पर्यटन स्थलों में परिवर्तित करना है।
दोनों मंदिर एक दूसरे से लगभग 10 किमी. की दूरी पर स्थित हैं।
गया में विष्णुपद मंदिर
मुख्य देवता (Presiding Deity): भगवान विष्णु (Lord Vishu)।
अवस्थिति: यह भारत, भारत के गया जिले में फाल्गु नदी (Phalgu River) के तट पर स्थित है।
निर्माता: मंदिर वर्ष 1787 में इंदौर होलकर वंश की महारानी अहिल्या बाई होलकर के आदेश पर बनाया गया था।
वास्तुकला (Architecture): मंदिर लगभग 100 फीट लंबा है और इसमें 44 स्तंभ हैं, जो बड़े ग्रे ग्रेनाइट ब्लॉकों (मुंगेर ब्लैक स्टोन) से निर्मित हैं एवं यह अष्टकोणीय मंदिर पूर्व की ओर निर्मित है।
मिथक (Myth): लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, यह वह स्थान है जहाँ भगवान विष्णु ने राक्षस गयासुर के सिर पर अपना दाहिना पैर रखा था और उसे पाताल लोक में दबा दिया था।
धर्मशिला (Dharamshila): ऐसा माना जाता है कि बेसाल्ट के एक ब्लॉक पर उत्कीर्ण 40 सेमी. लंबी एक पैर की छाप, जिसे धर्मशिला के नाम से जाना जाता है, उस स्थान को चिह्नित करती है।
महत्त्वपूर्ण माह: भक्तगण पितृ पक्ष (हिंदू कैलेंडर में वह अवधि जब लोग अपने पूर्वजों को याद करने के लिए अनुष्ठानों में भाग लेते हैं) के दौरान मंदिर में आते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि, भगवान राम अपने पिता दशरथ का पिंडदान करने के लिए ‘गया’ आए थे।
पारंपरिक पुजारी (Traditional Priest): ब्रह्मा काल्पित ब्राह्मण, जिन्हें गायवाल ब्राह्मण के रूप में भी जाना जाता है, वे प्राचीन काल से मंदिर के पारंपरिक पुजारी हैं।
बोध गया में महाबोधि मंदिर
अवस्थिति: बिहार के गया जिले में बोध गया अवस्थित है।
यह मंदिर महाबोधि वृक्ष के पूर्व में स्थित है, जहां माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने निर्वाण प्राप्त किया था।
मान्यता: यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
निर्माता: महाबोधि मंदिर परिसर 3 वीं शताब्दी ई.पू. में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित प्रथम मंदिर है। और वर्तमान मंदिर 5 वीं -6 वीं शताब्दी का है।
वास्तुकला: इस मंदिर का आकार अद्वितीय है तथा इसकी ऊंचाई 170 फीट है। यह पूरी तरह ईंटों से निर्मित सबसे प्रारंभिक बौद्ध मंदिरों में से एक है, जो आज भी अवस्थित है तथा सदियों से ईंट वास्तुकला के विकास में महत्वपूर्ण प्रभाव दर्शाता है।
परिसर
मुख्य मंदिर: यह भव्य मंदिर 50 मीटर ऊंचा है और भारतीय मंदिर वास्तुकला की शास्त्रीय शैली में बनाया गया है। इसमें पूर्व और उत्तर की ओर से प्रवेश द्वार हैं और इसमें एक कम ऊंचाई वाला तहखाना है, जिसमें हनीसकल और गीज डिजाइन से सुसज्जित ढलाई है।
शिखर: मंदिर में दो बड़े सीधे किनारे वाले शिखर हैं, जिनमें सबसे बड़ा शिखर 55 मीटर (180 फीट) ऊंचा है, जो संरचना में पैगोडा शैली के विकास को प्रेरित करता है।
वज्रासन (हीरक- सिंहासन): इसे मूल रूप से सम्राट अशोक द्वारा उस स्थान को चिह्नित करने के लिए स्थापित किया गया था, जहां भगवान बुद्ध बैठते थे और ध्यान करते थे
पवित्र बोधि वृक्ष और बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के अन्य छह पवित्र स्थल, जो कई प्राचीन स्तूपों से घिरे हैं।
सातवाँ पवित्र स्थल, लोटस तालाब , जो परिसर के बाहर दक्षिण की ओर स्थित है
भारत में हाल के धार्मिक कॉरिडोर परियोजनाएँ
धार्मिक कॉरिडोर के विकास का उद्देश्य संबंधित क्षेत्रों के लिए आर्थिक और सामाजिक लाभों को बढ़ावा देते हुए, भक्तों की आध्यात्मिक यात्रा को समृद्ध करना है।
उदाहरण
राम मंदिर कॉम्प्लेक्स, अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा कार्यान्वित सबसे भव्य धार्मिक गलियारा परियोजना के भव्य उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा जनवरी 2024 में प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया था।
करतारपुर कॉरिडोर: नवंबर 2019 में इसका उद्घाटन किया गया, करतारपुर कॉरिडोर जो पाकिस्तान के नारोवाल जिले में गुरुद्वारा दरबार साहिब (गुरु नानक देव का अंतिम स्थल) को पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक मंदिर से जोड़ता है।
सोमनाथ प्रोमेनेड कॉरिडोर: अगस्त 2021 में सोमनाथ, गुजरात में कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया, जिसमें श्री पार्वती मंदिर के विकास की आधारशिला रखी गई और इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर निर्माण, गर्भ गृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है।
यह सैर-सपाटा मंदिर के बगल में स्थित अतिथि गृह सागर दर्शन से शुरू होता है और त्रिवेणी संगम (हिरण, कपिला और पौराणिक सरस्वती नदियों का संगम) पर समाप्त होता है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर: दिसंबर 2021 में प्रधानमंत्री द्वारा वाराणसी में उद्घाटन किए गए इस मंदिर में भगवान शिव को समर्पित प्राचीन काशी मंदिर शामिल है।
महाकाल कॉरिडोर: प्रधानमंत्री मोदी ने अक्टूबर 2022 में महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन किया था, जो मध्य-भारत में मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान शिव के मंदिर श्रीमहाकालेश्वर मंदिर (12 ज्योतिर्लिंगों में से 1) को समर्पित है।
उज्जैन विशाल धार्मिक समागम, सिंहस्थ (कुंभ) का भी स्थल है, जो प्रत्येक 12 वर्ष में आयोजित होता है।
मथुरा-वृंदावन कॉरिडोर: यह बाँके बिहारी मंदिर परिसर के क्षेत्र को कवर करेगा और इसे काशी-विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर बनाया जाएगा, जिससे भक्तों को कृष्ण मंदिर तक पहुँचने के लिए तीन सुविधाजनक मार्ग मिलेंगे और इसका वित्तपोषण उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाएगा।
आगामी गलियारे
श्री मंदिर परिक्रमा परियोजना (SMPP), पुरी जगन्नाथ मंदिर का पुनर्विकास कर रही है।
श्री चैतन्य चंद्रोदय मंदिर, मायापुर: इसे ISKCON (कृष्ण चेतना के लिए अंतरराष्ट्रीय सोसायटी) द्वारा विकसित किया जा रहा है और यह पूजनीय पंच-तत्त्व देवताओं (राधा माधव, नृसिंहदेव और चैतन्य महाप्रभु) को श्रद्धांजलि के रूप में कार्य करेगा।
यह नादिया जिले में गंगा और जलंगी नदियों के संगम पर स्थित है।
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