हाल ही में, खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने वैश्विक वन स्थिति रिपोर्ट, 2024 जारी की है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें
वनोन्मूलन दरों में कमी: रिपोर्ट वैश्विक वनोन्मूलन दरों में उल्लेखनीय गिरावट दर्शाती है। वर्ष 1990 और 2002 के बीच वार्षिक वनोन्मूलन दर 15.8 मिलियन हेक्टेयर से घटकर वर्ष 2015 और 2020 के बीच 10.2 मिलियन हेक्टेयर हो गई, जिसमें वर्ष 1990 से 2020 तक कुल 420 मिलियन हेक्टेयर वनों की कटाई हुई।
यह प्रवृत्ति बेहतर वन संरक्षण प्रयासों को दर्शाती है।
वन क्षेत्र वितरण: वर्ष 2020 तक, वन लगभग 4.1 बिलियन हेक्टेयर या पृथ्वी के भूमि क्षेत्र का 31% हिस्सा थे। रूसी संघ, ब्राजील, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन मिलकर वैश्विक वन क्षेत्र के 54% भाग का निर्माण करते हैं।
इसके अतिरिक्त, ऑस्ट्रेलिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इंडोनेशिया, पेरू और भारत विश्व के लगभग दो-तिहाई वन क्षेत्र में योगदान करते हैं।
क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रगति: वर्ष 2020 में, चीन, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अन्य देशों में वार्षिक वन लाभ देखा गया।
इंडोनेशिया ने वर्ष 2021-22 के लिए वनों की कटाई में 8.4% की गिरावट दर्ज की, जो वर्ष 1990 के बाद से सबसे कम है। ब्राजील में अमेजन वनों की कटाई वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में 50% कम हो गई। अफ्रीका में भी वर्ष 2016-19 और 2020-22 के बीच वनों की कटाई की दर में कमी देखी गई।
वनाग्नि और कीटों से खतरा: वर्ष 2023 में वनाग्नि से 383 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र जल गया, जिससे 6,687 मेगाटन CO2 उत्सर्जित हुई, जो यूरोपीय संघ के वार्षिक जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन से दोगुना से भी अधिक है।
वर्ष 2021 में बोरियल वनों में लगी आग ने वैश्विक CO2 उत्सर्जन में 10% का योगदान दिया। कीटों से भी जंगलों को खतरा है।
एशिया में ‘पाइन वुड नेमाटोड’ ने काफी नुकसान पहुँचाया है, वर्ष 1988 से 2022 तक 12 मिलियन पाइन के वृक्ष समाप्त हो गए हैं। अमेरिका में, कीटों और बीमारियों से वर्ष 2027 तक 25 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र प्रभावित होने की उम्मीद है।
मैंग्रोव क्षेत्रों में परिवर्तन: वैश्विक मैंग्रोव क्षेत्र 14.8 मिलियन हेक्टेयर है, जिसमें दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया लगभग 44% क्षेत्र को कवर करता है।
वर्ष 2000-2010 से 2010-2020 तक मैंग्रोव के नुकसान की दर में 23% की कमी आई, लेकिन लाभ में भी कमी आई। प्रमुख जीवों में जलीय कृषि, प्राकृतिक वापसी और कृषि रूपांतरण शामिल हैं।
मैंग्रोव का अनुकूलन: मैंग्रोव का अनुकूलन देखा गया है, इनका प्राकृतिक विस्तार नुकसान से आगे निकल गया है। वर्ष 2000 से 2020 तक वैश्विक मैंग्रोव क्षेत्र में शुद्ध कमी के बावजूद, प्राकृतिक वृद्धि नुकसान से अधिक रही।
जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम: जलवायु परिवर्तन चरम मौसम की घटनाओं और बढ़ते समुद्र के स्तर के माध्यम से जंगलों के लिए एक महत्त्वपूर्ण खतरा पैदा करता है, जो विशेष रूप से मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।
इन परिवर्तनों से स्थानीय समुदायों की आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है तथा वन क्षेत्रों का पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ जाता है।
वन क्षेत्र में नवाचार की आवश्यकता
जलवायु परिवर्तन तनाव: वनाग्नि और कीटों के विरुद्ध लचीलेपन के लिए अभिनव वन और भूमि प्रबंधन आवश्यक है।
जैव-अर्थव्यवस्था में बदलाव: शून्य-कार्बन जैव-अर्थव्यवस्था के लिए विविध, कुशल लकड़ी-आधारित उत्पादों के लिए अभिनव उपयोग की आवश्यकता होती है।
गैर-लकड़ी वन उत्पाद: मत्स्य सहित जंगली वन खाद्य पदार्थ सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से भरपूर होते हैं और उच्च पोषण मूल्य प्रदान करते हैं।
आगे की राह
तकनीकी: रिमोट सेंसिंग और क्लाउड कंप्यूटिंग उच्च गुणवत्ता वाले वन डेटा प्रदान करते हैं, जिससे प्रबंधन प्रक्रियाओं में सुधार होता है। उदाहरण के लिए, नासा और ESA के लैंडसैट और कॉपरनिकस कार्यक्रम।
सामाजिक, नीतिगत और संस्थागत: गतिशील नवाचारों का उद्देश्य महिलाओं, युवाओं और स्वदेशी लोगों को बेहतर तरीके से शामिल करना है। उदाहरण के लिए, भारत के संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम में समितियों में एक तिहाई महिला प्रतिनिधित्व अनिवार्य है।
वित्तीय: नवाचार, वनों के मूल्य को बढ़ाने और बहाली के प्रयासों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इसका एक उदाहरण सॉफ्ट कमोडिटी रिस्क प्लेटफॉर्म (SCRIPT) है।
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO)
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO): खाद्य एवं कृषि संगठन एक विशेष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है, जो भुखमरी से लड़ने और पोषण एवं खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए समर्पित है।
स्थापना: वर्ष 1945।
सदस्य: FAO के 195 सदस्य हैं, जिनमें 194 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। इसका मुख्यालय रोम, इटली में है, और इसके स्थानीय और क्षेत्रीय कार्यालय 130 से अधिक देशों में हैं।
कार्य: FAO कृषि, वानिकी, मत्स्यपालन और भूमि एवं जल संसाधनों को बेहतर बनाने में सरकारों और विकास एजेंसियों की सहायता करता है।
यह अनुसंधान करता है, तकनीकी सहायता प्रदान करता है, शैक्षिक कार्यक्रम का संचालन करता है तथा कृषि उत्पादन और विकास पर आँकड़े एकत्र करता है।
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