हाल ही में केरल उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति हेमा आयोग की रिपोर्ट जारी करने पर रोक लगा दी, जिसे केरल राज्य सूचना आयोग द्वारा जारी किया जाना था।
हेमा आयोग के बारे में
गठन एवं उद्देश्य: जुलाई 2017 में, केरल सरकार ने सेवानिवृत्त केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति के हेमा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति की स्थापना की।
उद्देश्य: मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न एवं लैंगिक असमानता की जाँच करना।
परामर्श और निष्कर्ष: आयोग ने कई महिला पेशेवरों का साक्षात्कार लिया, जिसमें यौन उत्पीड़न, वेतन असमानताओं एवं ब्लैकलिस्टिंग के उदाहरणों का दस्तावेजीकरण किया गया।
रिपोर्ट विवरण: दिसंबर 2019 में प्रस्तुत की गई 300 पेज की रिपोर्ट में दस्तावेज एवं ऑडियो-विजुअल सामग्री जैसे व्यापक साक्ष्य शामिल थे।
हेमा आयोग के निष्कर्ष एवं सिफारिशें
पहचाने गए मुद्दे
कास्टिंग काउच: आयोग ने मलयालम फिल्म उद्योग में कास्टिंग काउच की व्यापकता की सूचना दी।
मादक द्रव्यों का उपयोग: फिल्म सेट पर शराब एवं नशीली दवाओं के उपयोग की व्यापक रिपोर्टें थीं।
सिफारिशें
प्राधिकरण का गठन: आयोग ने रिपोर्ट में विस्तृत आरोपों की आगे की जाँच के लिए एक प्राधिकरण स्थापित करने की सलाह दी।
रिपोर्ट जारी होने में देरी के कारण
कानूनी आधार का अभाव: राज्य सरकार ने रिपोर्ट जारी करने में तीन वर्ष की देरी की, यह दावा करते हुए कि आयोग की स्थापना जाँच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत नहीं की गई थी।
गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: ‘वुमेन इन सिनेमा कलेक्टिव’ (Women in Cinema Collective- WCC) एवं अन्य संगठनों के अनुरोध के बावजूद, सरकार ने उत्तरदाताओं की गोपनीयता के उल्लंघन के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए रिपोर्ट जारी करने से इनकार कर दिया।
भारत में यौन उत्पीड़न के लिए कानूनी ढाँचा
भारतीय दंड संहिता (IPC) प्रावधान
धारा 375: परिभाषित करती है कि बलात्कार क्या है, जिसमें एक महिला के साथ बिना सहमति के यौन संबंध भी शामिल है।
धारा 376: मामले की गंभीरता के आधार पर बलात्कार के लिए जुर्माने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा निर्दिष्ट करती है।
धारा 376B: ऐसे मामलों को कवर करती है जहाँ बलात्कार के परिणामस्वरूप मौत हो जाती है या लगातार विकृत मानसिक स्थिति बनी रहती है, जिसमें सख्त दंड का प्रावधान है।
धारा 376B: वैवाहिक बलात्कार को संबोधित करती है, लेकिन यह धारा सभी प्रकार के वैवाहिक बलात्कार को कवर नहीं करती है।
धारा 354: किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से किए गए हमले या आपराधिक बल से संबंधित है।
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012
दायरा: बच्चों को हमले, उत्पीड़न एवं अश्लील साहित्य जैसे यौन अपराधों से बचाता है।
सजा: अपराधियों के लिए दीर्घ अवधि की जेल की शर्तों एवं जुर्माने सहित गंभीर दंड लगाया जाता है।
आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013
संवर्द्धन: बलात्कार की परिभाषा का विस्तार किया गया एवं दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले के बाद यौन हिंसा से संबंधित नए अपराध प्रस्तुत किए गए।
नए अपराध: विशिष्ट दंडों के साथ पीछा करना, ताक-झाँक करना एवं एसिड हमले जैसे अपराध शामिल हैं।
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
दायरा: कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाता है।
तंत्र: उत्पीड़न की शिकायतों को संभालने के लिए कार्यस्थलों को आंतरिक शिकायत समितियाँ (ICCs) स्थापित करने की आवश्यकता है।
पीड़ित महिला
‘पीड़ित महिला’ में कोई भी महिला शामिल है जो प्रतिवादी द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाती है।
यह परिभाषा नौकरीपेशा महिलाओं एवं निवास स्थानों पर रहने वाली महिलाओं दोनों पर लागू होती है।
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