केंद्रीय कानून मंत्री ने संसद में कहा कि देश भर में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के 219 प्रस्ताव विभिन्न चरणों में हैं।
विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के कुल स्वीकृत पदों 1,114 में से 757 कार्यरत हैं तथा 357 पद रिक्त हैं।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कैसे होती है?
संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद-217: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एवं राज्य के राज्यपाल से परामर्श के बाद की जाती है।
मुख्य न्यायाधीश के अलावा किसी अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श किया जाता है।
परामर्श प्रक्रिया
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सिफारिश उच्चतम न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश एवं दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले कॉलेजियम द्वारा की जाती है।
संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दो वरिष्ठ सहयोगियों के परामर्श से प्रस्ताव प्रारंभ करते हैं।
यह सिफारिश मुख्यमंत्री को भेजी जाती है, जो राज्यपाल को इसे केंद्रीय कानून मंत्री को भेजने का परामर्श देते हैं।
उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को सरकार के विचारों के साथ उच्चतम न्यायलय कॉलेजियम (SCC) को सलाह के लिए भेजा जाता है। नियुक्ति के लिए SCC की अनुशंसा अनिवार्य है।
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति
उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधित राज्यों के बाहर से की जाती है।
उनकी पदोन्नति पर फैसला कॉलेजियम करता है।
उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए योग्यताएँ
नागरिकता: उम्मीदवार को भारतीय नागरिक होना चाहिए।
आयु: न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए।
न्यायिक अनुभव: अधीनस्थ न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कम-से-कम 10 वर्ष का अनुभव। या
वकालत का अनुभव: उच्च न्यायालय में आधिवक्ता के रूप में कम-से-कम 10 वर्ष कार्य किया हो।
पद की शपथ: न्यायाधीश राज्य के राज्यपाल या नामित प्रतिनिधि के समक्ष अपनी शपथ लेते हैं।
कार्यकाल एवं सेवा की शर्तें
सेवा की अवधि: उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक सेवा करते हैं।
इस्तीफा: न्यायाधीश राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस्तीफा दे सकते हैं।
निष्कासन: संसद की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा न्यायाधीशों को हटाया जा सकता है।
कार्यालय की रिक्ति: न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति या किसी अन्य उच्च न्यायालय में स्थानांतरण पर अपना पद रिक्त कर देते हैं।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते
वेतन एवं लाभ का निर्धारण
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते, विशेषाधिकार, अवकाश एवं पेंशन संसद द्वारा निर्धारित किए जाते हैं तथा नियमित रूप से अद्यतन किए जाते हैं।
वित्तीय आपातकाल को छोड़कर, उनकी नियुक्ति के बाद इन शर्तों में कोई अलाभकारी परिवर्तन नही किया जा सकता है।
वेतन
वर्ष 2018 में मुख्य न्यायाधीश का वेतन 90,000 रुपये से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये प्रति माह कर दिया गया।
न्यायाधीशों का वेतन 80,000 रुपये से बढ़ाकर 2.25 लाख रुपये प्रति माह कर दिया गया।
अतिरिक्त लाभ: अपने वेतन के अलावा, न्यायाधीशों को सत्कार भत्ता, मुफ्त आवास, एवं चिकित्सा देखभाल, एक कार तथा एक फोन जैसे अन्य लाभ मिलते हैं।
पेंशन: सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों एवं अन्य न्यायाधीशों को उनके अंतिम आहरित वेतन के 50% के बराबर मासिक पेंशन मिलती है।
वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया में मुद्दे
बोझिल प्रक्रिया
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी।
न्यायाधीशों की घटती संख्या न्याय वितरण प्रणाली को प्रभावित करती है।
पारदर्शिता की कमी
सिफारिशों के लिए कोई औपचारिक मानदंड नहीं।
अनुशंसित न्यायाधीशों में हितों के टकराव की जाँच के लिए कोई संरचित प्रक्रिया नहीं।
अनुचित प्रतिनिधित्व
व्यवस्था समाज के कुछ वर्गों का पक्ष लेती है।
यह उस विविध आबादी का प्रतिनिधि नहीं है, जिसकी यह सेवा करता है।
उच्च न्यायालयों में रिक्तियाँ
स्वीकृत पद: 25 उच्च न्यायालयों में 1,098 न्यायाधीश।
कार्य क्षमता: 645 न्यायाधीश, 453 न्यायाधीशों की कमी।
लंबित मामलों की अधिकता
विभिन्न न्यायालयों में कुल लंबित मामले: लगभग 3.7 करोड़ हैं।
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