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संगमेश्वर मंदिर

Lokesh Pal July 29, 2024 02:46 68 0

संदर्भ

संगमेश्वर मंदिर (Sangameshwara Temple) पुनः कृष्णा नदी बेसिन के जल में डूब गया।

संगमेश्वर मंदिर का जलमग्न होना

  • जलमग्नता: वर्ष 1981 में श्रीशैलम् बाँध (Srisailam Dam) के निर्माण के बाद मंदिर पहली बार जलमग्न हुआ था तथा वर्ष 2003 में पहली बार जल स्तर घटने के कारण मंदिर पुनः सतह पर आया था। 
    • इसके बाद प्रत्येक वर्ष श्रीशैलम् में जल स्तर 842 फीट तक पहुँचने पर मंदिर आठ महीने तक जल के नीचे रहता है।

 

संगमेश्वर मंदिर के बारे में 

  • संगमेश्वर को श्रीशैलम् का ‘वायुव्य द्वारम्’ (vayuvya Dwaram) माना जाता है। 
  • मुख्य देवता: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसमें नीम की लकड़ी से बना ‘लिंगम्’ है। 
    • क्षेत्र: इसमें सूर्य (Surya), मृत्युंजय (Mrityunjaya), सरस्वती (Saraswathi), सुब्रह्मण्य स्वामी (Subrahmanya Swamy), अंजनेय स्वामी (Anjaneya Swamy) और नरसिम्हा स्वामी (Narasimha Swamy) के मंदिर भी हैं। 
  • स्थान: यह मंदिर कोथापल्ली मंडल (Kothapalli mandal), नांदयाल जिला (Nandyal District), आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh), भारत में अवस्थित है।  
    • यह श्रीशैलम् जलाशय के तट पर कृष्णा और भवानसी नदियों के संगम पर मुचुमार्री (Muchumarri) गाँव के पास अवस्थित है। 
  • किंवदंती: माना जाता है कि मंदिर के लकड़ी के लिंगम, संगमेश्वरम् (Sangameswaram) को पांडवों में सबसे बड़े धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीशैलम् मल्लिकार्जुन मंदिर की यात्रा के बाद स्थापित किया था। 
    • सात नदियों का संगम (Confluence of Seven Rivers): मंदिर का एक विशेष धार्मिक महत्त्व है और इसका नाम ‘संगमेश्वर’ है क्योंकि यह सात नदियों के संगम पर स्थित है, 
      • भवनासी, कृष्णा नदी और इसकी पाँच सहायक नदियाँ, वेनी, तुंगा, भद्रा, भीमरथी और मालापहारिणी। 
  • निर्माणकर्ता: वर्तमान मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश के पुलकेशिन द्वितीय ने 740 ई. में करवाया था। 
  • विशेषताएँ
    • मंदिर की छत पर एक बड़े नागराज की नक्काशी की गई है।  
    • स्थापत्य शैली (Architectural Style): मंदिर नागर शैली में एक ऊँचे आधार पर बना है, इसकी दीवारें किलेबंद हैं और इसमें 12 बड़े स्तंभ हैं। 

श्रीशैलम् बाँध (Srisailam Dam) 

  • नदी: इसका निर्माण कृष्णा नदी पर किया गया है। 
  • यह श्रीशैलम् मंदिर शहर के पास अवस्थित है और भारत में दूसरा सबसे बड़ा कार्यशील जलविद्युत स्टेशन है। 
  • स्थान: बाँध का निर्माण आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले और तेलंगाना के नागरकुरनूल (Nagarkurnool) जिले के बीच नल्लामाला पहाड़ियों (Nallamala Hills) में समुद्र तल से 300 मीटर (980 फीट) ऊपर एक गहरी खाई में किया गया था। 
  • जल धारण क्षमता (Water holding Capacity): परियोजना की अनुमानित जल धारण क्षमता पूर्ण जलाशय स्तर पर 178.74 Tmcft है। 

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