सेंट हिलारियन (Saint Hilarion) परिसर को गाजा में संघर्ष के कारण खतरे में पड़े विश्व धरोहर स्थलों की यूनेस्को सूची में शामिल कर दिया गया है।
सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में सांस्कृतिक संपत्ति के संरक्षण के लिए यूनेस्को की समिति ने इस स्थल को ‘अनंतिम संवर्द्धित संरक्षण’ (Provisional Enhanced Protection) अर्थात् (वर्ष 1954 के हेग कन्वेंशन द्वारा स्थापित प्रतिरक्षा का उच्चतम स्तर) प्रदान करने का निर्णय लिया।
हेग कन्वेंशन (Hague Convention)
वर्ष1954 हेग कन्वेंशन का उद्देश्य सांस्कृतिक संपत्ति, जैसे वास्तुकला, कला या इतिहास के स्मारक, पुरातात्त्विक स्थल, कलाकृतियाँ, पांडुलिपियाँ आदि की रक्षा करना है।
सेंट हिलारियन परिसर (Saint Hilarion complex)
परिचय: सेंट हिलारियन मठ (Saint Hilarion Monastery), फिलिस्तीन के गाजा पट्टी में देइर अल-बलाह के पास टेल उम्म अल-अम्र (Tell Umm el-‘Amr) के पुरातात्त्विक स्थल पर स्थित है, यह एक प्राचीन ईसाई मठ है, जिसकी स्थापना लगभग 340 ई. में हुई थी।
स्थापना: गाजा क्षेत्र के मूल निवासी और फिलिस्तीनी मठवाद (Palestinian Monasticism) के एक प्रमुख व्यक्ति हिलारियन द्वारा स्थापित, मठ की उत्पत्ति उनके ईसाई धर्म में धर्मांतरण और उसके बाद सेंट एंथोनी (St. Anthony) से प्रेरित होकर उनके एकांतवास से जुड़ी हुई है।
अवशेष: इस स्थल में उत्तर रोमन काल से लेकर उमय्यद काल (Umayyad Period) तक के अवशेष शामिल हैं, जिनमें पाँच क्रमिक चर्च, स्नान और अभयारण्य परिसर, ज्यामितीय मोजैक और एक बड़ा तहखाना शामिल है।
खोजें: प्रारंभिक आश्रम, जो नाशवान सामग्रियों से बनी छोटी-छोटी कोठरियों से बना था, अब नहीं बचा है।
सातवीं शताब्दी के भूकंप के बाद परित्यक्त इस स्थल को स्थानीय पुरातत्त्वविदों ने वर्ष 1999 में पुनः खोजा।
स्थानीय परंपरा और 19वीं सदी के पश्चिमी यात्रियों का सुझाव है कि मठ के प्रार्थना कक्ष में अब अल-खिद्र की मस्जिद है, जिसके कुछ संगमरमर के स्तंभ संभवतः बाइजेंटाइन युग (Byzantine Era) के मठ से लिए गए हैं।
मान्यता: गाजा के पर्यटन मंत्रालय ने बताया कि मठ को तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है, जो कि क्षेत्रीय संघर्ष और सीमित संसाधनों के कारण और भी अधिक चुनौतीपूर्ण है।
इसे वर्ष 2012 के विश्व स्मारक निगरानी सूची में शामिल किया गया था तथा ग्लोबल हेरिटेज नेटवर्क द्वारा इसे ‘बचाव की आवश्यकता’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
परिचय: खतरे में पड़ी विश्व धरोहरों की सूची यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर समिति के माध्यम से तैयार की जाती है।
स्थापना: वर्ष 1972 में बनाए गए विश्व धरोहर सम्मेलन के अनुच्छेद-11.4 के अंतर्गत स्थापित इस सूची में उन विश्व धरोहर स्थलों की पहचान की गई है, जो गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं और जिनके लिए बड़े पैमाने पर संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है।
इसका उद्देश्य इन खतरों के बारे में अंतरराष्ट्रीय जागरूकता बढ़ाना और सुरक्षात्मक उपायों को बढ़ावा देना है।
सूचीबद्ध करने के लिए मानदंड
परिचय: विश्व धरोहर स्थलों को सूची में तब शामिल किया जाता है, जब उन्हें आसन्न या संभावित खतरों का सामना करना पड़ता है, जो उनके संरक्षण को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
प्राकृतिक स्थल: खतरों में लुप्तप्राय प्रजातियों में भारी गिरावट, प्राकृतिक सौंदर्य को नुकसान, या मानवीय गतिविधियों जैसे कि लकड़ी काटना, प्रदूषण, बस्तियाँ बसाना, खनन और कृषि के कारण वैज्ञानिक मूल्य की हानि शामिल हैं।
सांस्कृतिक स्थल (Cultural Sites): खतरों में सामग्रियों, संरचनाओं या वास्तुशिल्पीय समरूपता में महत्त्वपूर्ण गिरावट, साथ ही ऐतिहासिक प्रामाणिकता या सांस्कृतिक महत्त्व की हानि शामिल है।
दोनों प्रकार के स्थलों के लिए संभावित खतरों में विकास परियोजनाएँ, सशस्त्र संघर्ष, अपर्याप्त प्रबंधन या कानूनी संरक्षण में परिवर्तन शामिल हैं।
सांस्कृतिक स्थलों को भू-वैज्ञानिक, जलवायुगत या पर्यावरणीय परिवर्तनों के कारण धीरे-धीरे खतरों का सामना करना पड़ सकता है।
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