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Lokesh Pal
July 29, 2024 03:25
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सर्वोच्च न्यायालय इस बात की जाँच करने के लिए सहमत हो गया कि क्या राज्यपाल महत्त्वपूर्ण विधेयकों को अनिश्चित काल तक रोके रखकर अंततः उन्हें राष्ट्रपति के पास भेज देते हैं, जो पूरी तरह से केंद्र की सलाह पर कार्य करते हैं, जिससे राज्यों के विधायी क्षेत्र में संघ के हस्तक्षेप के लिए दरवाजे खुल रहे हैं, जिससे संघवाद का पतन हो रहा है।
हाल ही में पंजाब, तमिलनाडु और दिल्ली ने भी सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर माँग की है कि वह राज्यपालों को निर्देश दे कि वे राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर मंजूरी देने में अनिश्चित काल तक विलंब नहीं कर सकते।
राज्यपालों पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने और विधेयकों को गलत तरीके से मंजूरी न देने के आरोप लगे हैं, जिसके कारण राज्य सरकारों के साथ मतभेद उत्पन्न हो रहे हैं। इस समस्या में योगदान देने वाले प्रमुख कारक इस प्रकार हैं:
उच्चतम न्यायालय को राज्य विधानमंडल और राज्यपालों के बीच शक्ति संतुलन की रक्षा करने की आवश्यकता है। सभी संवैधानिक अधिकारियों को उचित तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है।
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