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ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर

Lokesh Pal July 29, 2024 05:02 179 0

संदर्भ

भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) प्रोबेशनरी अधिकारी पूजा खेडकर द्वारा ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर आरक्षण प्रावधान (NCL) के दुरुपयोग तथा साथ में कई दिव्यांग प्रमाण-पत्रों के कारण ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर से संबंधित मुद्दे सामने आए हैं।

आरक्षण के बारे में

  • आरक्षण समानता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक नीति है, जिसका उद्देश्य शिक्षा और सरकारी नौकरियों में सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों या ओबीसी, अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) की उन्नति के लिए विशेष प्रावधानों को शामिल करना है।

भारत में आरक्षण का संवैधानिक आधार

  • अनुच्छेद-15 और 16: ये क्रमशः सरकार की किसी भी नीति और सार्वजनिक रोजगार में सभी नागरिकों को समानता की गारंटी देते हैं।
    • केंद्रीय स्तर पर नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में एससी और एसटी के लिए आरक्षण क्रमशः 15% और 7.5% तय किया गया है। 
    • ओबीसी आरक्षण: इसे वर्ष 1990 में तत्कालीन वी.पी. सिंह सरकार ने मंडल आयोग (1980) की सिफारिशों के आधार पर पेश किया था।
      • केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण लागू किया गया।
    • वर्ष 2005: निजी संस्थानों सहित शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी, एससी और एसटी के लिए आरक्षण सक्षम किया गया।
    • 103वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 2019: सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10% आरक्षण सक्षम किया गया।

अन्य पिछड़ा वर्ग और क्रीमी लेयर अवधारणा

  • ओबीसी आरक्षण: इसे वर्ष 1990 में तत्कालीन वी.पी. सिंह सरकार द्वारा द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग (मंडल आयोग) की सिफारिशों के आधार पर पेश किया गया था।
    • केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण लागू किया गया।
  • इंद्रा साहनी मामला (1992): ओबीसी के लिए 27% आरक्षण को सर्वोच्च न्यायालय ने इस राय के साथ बरकरार रखा कि ‘भारतीय संदर्भ में जाति वर्ग का निर्धारक है’, लेकिन यह सशर्त था और क्रीमी लेयर के बहिष्कार के अधीन था।
    • आरक्षण के लिए 50% की सीमा भी तय की गई, जब तक कि समानता के मूल ढाँचे को बनाए रखने के लिए कोई असाधारण परिस्थिति न हो।

क्रीमी लेयर अवधारणा

  • कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कुछ रैंक/स्थिति/आय वाले लोगों की विभिन्न श्रेणियों को सूचीबद्ध किया है, जिनके बच्चे ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकते हैं।
  • सिफारिश: किसी व्यक्ति को क्रीमी लेयर के हिस्से के रूप में पहचानने के लिए न्यायमूर्ति राम नंदन प्रसाद समिति (1993) की सिफारिश को ध्यान में रखा गया।
  • मानदंड
    • पैतृक आय: इसका निर्धारण आवेदक के माता-पिता की स्थिति/आय के आधार पर किया जाता है।
      • गैर-सरकारी: जो लोग सरकार में नहीं हैं, उनके लिए वर्तमान सीमा पिछले तीन लगातार वित्तीय वर्षों में 8 लाख रुपये प्रतिवर्ष (वेतन और कृषि आय को छोड़कर) की आय है।
    • ग्रुप A/B सरकारी सेवा
      • माता-पिता में से किसी एक ने सरकारी सेवा (केंद्र या राज्य) में ग्रुप A क्लास अधिकारी के रूप में प्रवेश किया हो। 
      • माता-पिता दोनों ने ग्रुप B/क्लास II अधिकारी के रूप में प्रवेश किया हो। 
      • पिता, जिन्हें ग्रुप B/क्लास II पद पर भर्ती किया गया था और 40 वर्ष की आयु से पहले ग्रुप A/क्लास I में पदोन्नत किया गया था।
    • माता-पिता में से कोई एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में प्रबंधकीय पद पर कार्यरत हो। 
    • माता-पिता में से कोई एक संवैधानिक पद पर हो। 
    • सेना में कर्नल या उच्च रैंक वाले अधिकारी के बच्चे, तथा नौसेना और वायु सेना में समान रैंक वाले अधिकारियों के बच्चे।

भारत में आरक्षण प्रणाली से संबंधित मुद्दे

  • व्यवस्था को दरकिनार करना: आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ अभ्यर्थियों द्वारा जाति (NCL और EWS) और विकलांगता (4% आरक्षण) प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए संदिग्ध तरीके अपनाए जाते हैं।
    • उदाहरण: आवेदकों और उनके माता-पिता द्वारा क्रीमी लेयर के बहिष्कार से बचने के लिए परिसंपत्तियों को उपहार में देना, समय से पहले सेवानिवृत्ति लेना आदि जैसी रणनीतियाँ अपनाई जाती हैं, क्योंकि आवेदक या उसके/उसकी पति/पत्नी की आय को ऐसे बहिष्कार के लिए नहीं माना जाता है।
  • आरक्षण लाभों का संकेंद्रण: रोहिणी आयोग (ओबीसी जातियों के बीच उप-वर्गीकरण पर सिफारिश प्रदान करने के लिए स्थापित) के अनुसार, केंद्रीय स्तर पर 97% आरक्षित नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सीटों पर ओबीसी जातियों/उप-जातियों के केवल 25% लोगों का ही अधिकार है।
    • ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आने वाले लगभग 2,600 समुदायों में से लगभग 1,000 का नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
  • एससी/एसटी के लिए क्रीमी लेयर: आरक्षण लाभों का संकेंद्रण एससी और एसटी श्रेणी में भी बना हुआ है, जिसके लिए कोई बहिष्करण आधारित या ‘क्रीमी लेयर’ मानदंड नहीं है।
  • अपूर्ण रिक्तियाँ: संसद में सरकार के उत्तरों के अनुसार, केंद्र सरकार में ओबीसी, एससी और एसटी के लिए आरक्षित 40-50% सीटें खाली रह गई है।
  • धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण: केवल धर्म पर आधारित आरक्षण बनाम विभिन्न धर्मों के भीतर सामाजिक/शैक्षणिक रूप से पिछड़े समूहों को दिए गए आरक्षण पर बहस।
    • अनुसूचित जाति आरक्षण का विस्तार: न्यायमूर्ति के.जी.बालकृष्णन की अध्यक्षता वाले आयोग ने बौद्ध और सिख धर्म के अलावा अन्य धर्मों को अपनाने वाले दलितों के लिए आरक्षण पर विचार किया।
  • निजी क्षेत्र में आरक्षण: निजी क्षेत्र में आरक्षण की माँग राजनीतिक हलकों में लोकप्रिय हो रही है। 
    • उदाहरण: दलित सांसद चंद्रशेखर आजाद ने संसद में निजी क्षेत्र में आरक्षण को सक्षम करने के लिए एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया।

आगे की राह

  • विस्तृत जाँच: NCL/EWS और विकलांगता प्रमाण-पत्र जारी करने में खामियों को दूर करने के लिए इन प्रमाण-पत्रों को जारी करने की प्रक्रिया और विस्तृत पृष्ठभूमि की जाँच की जानी चाहिए।
  • आरक्षित समुदायों के लिए मिशन मोड पर बैकलॉग रिक्तियों को भरना।
  • विभिन्न समुदायों के कम प्रतिनिधित्व या गैर-प्रतिनिधित्व को संबोधित करने के लिए आरक्षण का उप-वर्गीकरण।
  • एससी और एसटी श्रेणी में क्रीमी लेयर बहिष्कार को कम-से-कम ग्रुप-I/क्लास A सरकारी अधिकारियों के बच्चों के लिए पेश किया जाना चाहिए।

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