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बजट में एमएसएमई को बढ़ावा दिया गया

Lokesh Pal July 30, 2024 02:17 121 0

संदर्भ

हाल ही में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) मंत्री ने लोकसभा को बताया कि दस लाख पंजीकृत MSMEs में से 49,342 बंद हो गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 317,641 नौकरियाँ समाप्त हो गई हैं।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के बारे में 

  • परिभाषा: MSMEs का मतलब है सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम। MSMEs ऐसे व्यवसाय हैं, जो वस्तुओं और मद का उत्पादन, प्रसंस्करण और संरक्षण करते हैं।
  • इन्हें मोटे तौर पर विनिर्माण के लिए संयंत्र और मशीनरी या सेवा उद्यमों के लिए उपकरणों में उनके निवेश के साथ-साथ उनके वार्षिक कारोबार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
  • प्रभाग: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (Micro, Small, and Medium Enterprises Development- MSMED) अधिनियम 2006 द्वारा, उद्यमों को दो प्रभागों में वर्गीकृत किया गया है:-
    1. विनिर्माण उद्यम: किसी भी उद्योग में वस्तुओं के विनिर्माण या उत्पादन में लगे हुए।
    2. सेवा उद्यम: सेवाएँ प्रदान करने या प्रदान करने में लगे हुए।

  • विनिर्माण उद्यम और सेवाएँ प्रदान करने वाले उद्यमों को निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया गया है:
    1. सूक्ष्म उद्यम (Micro Enterprises): निवेश सीमा 1 करोड़ और टर्नओवर 5 करोड़ हो।
    2. लघु उद्यम (Small Enterprises): निवेश सीमा 10 करोड़ और टर्नओवर 50 करोड़ हो।
    3. मध्यम उद्यम (Medium Enterprise): निवेश सीमा 50 करोड़ और टर्नओवर 250 करोड़ हो।

एमएसएमई क्षेत्र का महत्त्व

  • सकल मूल्य वर्द्धन (Gross Value Added- GVA): अखिल भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में एमएसएमई GVA की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023 में 30.1 प्रतिशत रही, जो वित्त वर्ष 2022 में 29.6 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2021 में 27.3 प्रतिशत से बेहतर है।

सकल मूल्य वर्द्धन (Gross Value Added- GVA)

  • RBI के अनुसार, किसी क्षेत्र के GVA को आउटपुट के मूल्य में से उसके मध्यवर्ती इनपुट के मूल्य को घटाकर प्राप्त किया जाता है।
  • यह ‘मूल्य वर्द्धित’ उत्पादन के प्राथमिक कारकों, श्रम और पूँजी के बीच साझा किया जाता है।
  • GVA वृद्धि को देखकर कोई भी समझ सकता है कि अर्थव्यवस्था का कौन-सा क्षेत्र मजबूत है और कौन-सा संघर्ष कर रहा है।

  • विनिर्माण उत्पादन और निर्यात: वित्त वर्ष 2022 के दौरान अखिल भारतीय विनिर्माण उत्पादन में एमएसएमई की हिस्सेदारी 35.4 प्रतिशत थी।
    • निर्यात: वर्ष 2023-24 में अखिल भारतीय निर्यात में MSMEs-निर्दिष्ट उत्पादों के निर्यात की हिस्सेदारी 45.7 प्रतिशत थी।
  • नियोक्ता: MSMEs भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 27% का योगदान करते हैं और 110 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं, जिससे यह कृषि के बाद देश में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता बन गया है।

विश्वव्यापी एमएसएमई

  • आँकड़ा: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो विश्व भर में 90% व्यवसायों, 60 से 70% रोजगार और 50% सकल घरेलू उत्पाद के लिए जिम्मेदार हैं। 
  • विकास उत्प्रेरक: ये उद्यम प्रत्येक जगह समाज की रीढ़ हैं, जो स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं और विशेष रूप से कामकाजी गरीबों, महिलाओं, युवाओं और कमजोर समूहों के बीच आजीविका को बनाए रखते हैं।

बजट में नए प्रावधानों पर प्रकाश डाला गया

  • MSMEs को बढ़ावा देने के लिए समर्थन: बजट में MSMEs और विनिर्माण, विशेष रूप से श्रम-गहन विनिर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया है।

ऋण जोखिम का एकत्रीकरण

  • यह उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है, जिसमें कई ऋणों या वित्तीय परिसंपत्तियों को एक ही पोर्टफोलियो में संयोजित किया जाता है ताकि उधार देने या निवेश करने से जुड़े जोखिम को विविधतापूर्ण बनाया जा सके और प्रबंधित किया जा सके। 
  • इस तकनीक का उपयोग आमतौर पर वित्त में किसी भी एक ऋण के डिफॉल्ट के समग्र पोर्टफोलियो पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है।

    • विनिर्माण क्षेत्र में MSMEs के लिए ऋण गारंटी योजना: MSMEs को मशीनरी और उपकरण खरीदने के लिए बिना किसी संपार्श्विक के सावधि ऋण के लिए एक नई ऋण गारंटी योजना।
      • स्व-वित्तपोषण गारंटी निधि: MSMEs के ऋण जोखिमों को एकत्रित करने के लिए अलग से गठित ऋण गारंटी योजना (एक स्व-वित्तपोषण गारंटी निधि) प्रत्येक आवेदक को 100 करोड़ रुपये तक की गारंटी कवर प्रदान करेगी, जबकि उधारकर्ता को एक अग्रिम गारंटी शुल्क और घटती हुई ऋण शेष राशि पर एक वार्षिक गारंटी शुल्क प्रदान करना होगा।
  • MSMEs ऋण के लिए नया मूल्यांकन मॉडल
    • परिचय: MSMEs ऋण के लिए एक नया मूल्यांकन मॉडल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बाहरी मूल्यांकन पर निर्भर रहने के बजाय MSMEs के मूल्यांकन के लिए आंतरिक क्षमताएँ विकसित करने में सक्षम बनाएगा।
    • क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल (Credit Assessment Model): वे एक क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल के निर्माण का नेतृत्व करेंगे, जो MSMEs को उनके डिजिटल पदचिह्नों के आधार पर स्कोर करेगा।
    • उद्देश्य: इस दृष्टिकोण का उद्देश्य पारंपरिक क्रेडिट पात्रता मूल्यांकन को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाना है, जो आम तौर पर परिसंपत्ति या टर्नओवर मानदंडों पर निर्भर करता है, और इसमें औपचारिक लेखा प्रणाली की कमी वाले MSMEs भी शामिल होंगे।
  • तनाव के दौरान ऋण सहायता (Credit Support During Stress): तनाव की अवधि के दौरान MSMEs के लिए निरंतर बैंक ऋण सुनिश्चित करने के लिए एक नया तंत्र, विशेष रूप से जब वे अपने नियंत्रण से परे परिस्थितियों के कारण विशेष उल्लेख खातों (SMA) में हों।
    • इस सहायता का उद्देश्य MSMEs को परिचालन बनाए रखने में मदद करना तथा उन्हें गैर-निष्पादित (NP) स्थिति में जाने से बचाना है।
    • ऋण उपलब्धता को सरकार द्वारा प्रवर्तित निधि की गारंटी द्वारा समर्थित किया जाएगा।

गैर निष्पादित परिसंपत्तियाँ (Non Performing Assets- NPAs)

  • यह एक ऐसा ऋण या अग्रिम है, जिसका मूलधन या ब्याज भुगतान 90 दिनों से बकाया है।
  • गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPAs) बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय हैं क्योंकि वे लाभप्रदता, तरलता और समग्र वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं।
  • गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) का प्रबंधन और उन्हें कम करना बैंकिंग क्षेत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने और सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

विशेष ज्ञापन खाता (Special Mention Account- SMA)

  • SMA वे खाते हैं, जो बकाया राशि समाप्त होने के बाद या NPA के रूप में पहचाने जाने से पहले खराब परिसंपत्ति गुणवत्ता के लक्षण प्रदर्शित करते हैं।
  • SMA के तीन प्रकार: विशेष ज्ञापन खातों को आमतौर पर अवधि के आधार पर निम्नानुसार वर्गीकृत किया जाता है:-
  • SMA और NPA वर्गीकरण

SMA वर्गीकरण

वर्गीकरण का आधार

मानक खाते 

(Standard Accounts)

ऋण जिसमें मूलधन और ब्याज का भुगतान समय पर किया जाता है
SMA – NF तनाव के गैर-वित्तीय (NF) संकेत।
SMA 0  ऋण मूलधन या ब्याज का भुगतान उसकी देय तिथि से 0–30 दिनों तक नहीं किया जाता है।
SMA 1  ऋण मूलधन या ब्याज का भुगतान 31 से 60 दिनों तक नहीं किया गया।
SMA 2 61-90 दिनों तक भुगतान न किया गया।
NPA  90 दिनों से अधिक समय से भुगतान न किया गया हो।

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  • मुद्रा ऋण (Mudra Loans): जिन उद्यमियों ने ‘तरुण’ श्रेणी के अंतर्गत पिछले ऋण लिए हैं और सफलतापूर्वक चुकाए हैं, उनके लिए मुद्रा ऋण की सीमा मौजूदा ₹ 10 लाख से बढ़ाकर ₹ 20 लाख कर दी जाएगी।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (Pradhan Mantri MUDRA Yojana- PMMY) के बारे में

  • मुद्रा (MUDRA), जिसका मतलब है माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड, केंद्र द्वारा स्थापित एक वित्तीय संस्थान है।

  • मुद्रा को शुरू में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में बनाया गया था, जिसकी 100% पूँजी का योगदान बैंक द्वारा किया गया था।
  • लॉन्च वर्ष: वर्ष 2015
  • उद्देश्य: बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies- NBFCs) और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों (Micro Finance Institutions- MFIs) के माध्यम से गैर-कॉरपोरेट, गैर-कृषि लघु और सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख तक का ऋण प्रदान करना।
  • मुद्रा सूक्ष्म उद्यमियों/व्यक्तियों को सीधे ऋण नहीं देती है।
  • इस योजना के तहत ऋण संपार्श्विक-मुक्त ऋण हैं।
  • मंत्रालय: वित्त मंत्रालय (भारत सरकार)।

  • एमएसएमई क्लस्टरों में सिडबी शाखाएँ: सिडबी इस वर्ष 24 नई शाखाएँ खोलेगा, तथा 3 वर्षों के भीतर 242 प्रमुख MSME क्लस्टरों में से 168 तक अपनी शाखाएँ विस्तारित करेगा।
  • खाद्य विकिरण, गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण के लिए MSME इकाइयाँ
    • NABL मान्यता प्राप्त 100 खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी। 
    • गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण को बढ़ाने के लिए MSME क्षेत्र में 50 विकिरण इकाइयों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। 
    • परीक्षण प्रयोगशालाएँ: इसके अतिरिक्त, 100 NAB-मान्यता प्राप्त खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना की सुविधा प्रदान की जाएगी।
    • ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र: इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से बनाया जाएगा ताकि MSME और पारंपरिक कारीगरों को अपने उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचने में मदद मिल सके।
    • ये केंद्र निर्बाध विनियामक एवं तार्किक ढाँचे के तहत कार्य करेंगे तथा एक ही स्थान पर व्यापार और निर्यात संबंधी सेवाएँ प्रदान करेंगे।
    • आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (Emergency Credit Line Guarantee Scheme- ECLGS): यह समर्थन पूँजीगत व्यय (कैपेक्स) और आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) जैसी पहलों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण रहा है।

आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (Emergency Credit Line Guarantee Scheme- ECLGS)

  • लॉन्च: इस योजना को केंद्रीय बजट 2020-21 में कोविड-19 महामारी के कारण आई आर्थिक मंदी के जवाब में लॉन्च किया गया था।
  • परिचय: इस योजना का उद्देश्य MSME को बिना किसी गारंटी के ऋण उपलब्ध कराना है, जिसमें सरकार से बैंकों और NBFC को 100% गारंटी कवरेज मिलेगा।
  • आवंटन: ECLGS के लिए शुरुआती आवंटन ₹3 लाख करोड़ था, जिससे महामारी से प्रभावित लगभग 45 लाख MSME को बहुत जरूरी तरलता मिली।
  • सदस्य ऋण संस्थानों (Member Lending Institutions- MLIs) जैसे बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी (National Credit Guarantee Trustee Company- NCGTC) द्वारा 100% गारंटी प्रदान की जाती है।
  • योजना के अंतर्गत जिस ऋण उत्पाद के लिए गारंटी प्रदान की जाएगी, उसका नाम ‘गारंटीकृत आपातकालीन ऋण लाइन’ (Guaranteed Emergency Credit Line- GECL) होगा।

  • ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (TReDS): TReDS प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य ऑनबोर्डिंग के लिए टर्नओवर सीमा को ₹500 करोड़ से घटाकर ₹250 करोड़ करना।
  • इस परिवर्तन से 22 अतिरिक्त केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSEs) और 7,000 कंपनियाँ इस मंच से जुड़ सकेंगी तथा मध्यम उद्यमों को भी आपूर्तिकर्ताओं के रूप में शामिल किया जाएगा।
    • ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (TReDS) के बारे में: TReDS एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो तरलता एवं कार्यशील पूँजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई फाइनेंसरों- बैंकों और NBFCs के माध्यम से MSMEs के व्यापार प्राप्तियों की छूट की सुविधा प्रदान करता है।

MSMEs के लिए अन्य सरकारी पहल

भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था में MSME क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देते हुए इसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई मजबूत पहलों को क्रियान्वित किया है:

  • पीएम विश्वकर्मा
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता और पहुँच को बढ़ाना तथा उन्हें घरेलू और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत करना है।
    • वर्ष 2023-24 के बजट में घोषित: इस योजना का उद्देश्य विश्वकर्मा समुदाय को व्यापक सहायता प्रदान करना, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
    • केंद्रीय क्षेत्रक योजना: यह पूर्णतः भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है।
    • संपार्श्विक मुक्त ऋण: पंजीकृत आवेदकों को 5 दिवसीय ‘बेसिक ट्रेनिंग’ कार्यक्रम से गुजरना होगा और ऋण सहायता का विकल्प चुनने वालों को बिना किसी संपार्श्विक के ऋण मिलेगा।
  • औपचारिकीकरण के माध्यम से MSMEs को बैंक ऋण का प्रवाह बढ़ाना
    • प्राथमिकता क्षेत्र ऋण दिशा-निर्देश: MSMEs को दिए गए सभी बैंक ऋण, निर्धारित शर्तों के अनुरूप, प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए अर्ह हैं।
    • उद्यम पोर्टल पर MSMEs का पंजीकरण
      • उद्देश्य: देश भर में मौजूदा उद्यमों के पंजीकरण की सुविधा के लिए वर्ष 2020 में उद्यम पंजीकरण पोर्टल (Udyam Registration Portal- URP) लॉन्च किया गया था। 
      • पूर्ववर्ती उद्योग आधार ज्ञापन और उद्यमिता ज्ञापन-II के अंतर्गत पंजीकृत उद्यमों को भी नई उद्यम पंजीकरण प्रणाली में स्थानांतरित होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
      • बिना किसी मूल्य के: यह ऑनलाइन पोर्टल निःशुल्क, कागज रहित तथा स्व-घोषणा पर आधारित है, जिससे दस्तावेज अपलोड करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
      • URP के साथ चुनौती: यह अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों (Informal Micro Enterprises- IMEs) का पंजीकरण था, जिनकी संख्या काफी अधिक है।
      • कोई PAN/GST नहीं: चूँकि IMEs के पास पैन/जीएसटी नहीं है, इसलिए वे URP पर पंजीकरण नहीं करा सकते और सरकारी कार्यक्रमों का लाभ नहीं उठा सकते।
      • UAP का शुभारंभ: ऐसे उद्यमों को औपचारिक रूप देने के लिए एमएसएमई मंत्रालय ने भारतीय लघु उद्योग एवं विकास बैंक (सिडबी) के सहयोग से उद्यम सहायता प्लेटफॉर्म (UAP) का शुभारंभ किया।
      • उद्यम सहायता मंच (Udyam Assist Platform): वर्ष 2023 में, सरकार ने अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों को औपचारिक क्षेत्र में एकीकृत करने के लिए उद्यम सहायता मंच की शुरुआत की।
        • उद्देश्य: इस पहल का उद्देश्य इन उद्यमों को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के तहत लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाना है, जिससे उनकी वृद्धि और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
    • परिचय: यह गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए ऋण से जुड़ी सब्सिडी योजना है। 
    • इस योजना के अंतर्गत, नए उद्यम स्थापित करने के लिए बैंकों से ऋण लेने वाले लाभार्थियों को मार्जिन मनी (सब्सिडी) प्रदान की जाती है।
    • PMEGP के अंतर्गत सब्सिडी श्रेणी के अनुसार अलग-अलग होती है:
      • विशेष श्रेणियाँ: इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, महिलाएँ, पूर्व सैनिक, ट्रांसजेंडर, दिव्यांग व्यक्ति, पूर्वोत्तर, आकांक्षी जिले तथा पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्र शामिल हैं, जो शहरी क्षेत्रों में 25% और ग्रामीण क्षेत्रों में 35% सब्सिडी के लिए पात्र हैं।
      • सामान्य श्रेणी के आवेदक शहरी क्षेत्रों में 15% और ग्रामीण क्षेत्रों में 25% सब्सिडी के लिए पात्र हैं।
  • पारंपरिक उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए निधि योजना (SFURTI)
    • शुरुआत: यह योजना वर्ष 2005-06 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों को सामूहिक/क्लस्टरों में संगठित करना है ताकि मूल्य संवर्द्धन के माध्यम से उत्पाद विकास एवं विविधीकरण किया जा सके और पारंपरिक क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जा सके तथा स्थायी तरीके से कारीगरों की आय बढ़ाई जा सके। इस योजना को वर्ष 2014-15 में नया रूप दिया गया।
    • उद्देश्य: इस योजना का मुख्य उद्देश्य कारीगरों और पारंपरिक उद्योगों को बेहतर प्रतिस्पर्द्धात्मकता के लिए क्लस्टरों में संगठित करना, रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना और ऐसे क्लस्टरों के उत्पादों की विपणन क्षमता में बढ़ोतरी करना है।
  • सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए सार्वजनिक खरीद नीति
    • परिचय: MSME मंत्रालय, भारत सरकार ने सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (MSE) के लिए सार्वजनिक खरीद नीति, आदेश, 2012 को अधिसूचित किया है, जिसके अनुसार 25% खरीद अनिवार्य है, जिसमें SC/ST के स्वामित्व वाले MSE से 4% और महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाले MSE से 3% खरीद शामिल है। MSE से विशेष खरीद के लिए कुल 358 वस्तुएँ आरक्षित हैं।
  • भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF), 2023
    • शुरुआत: 42वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF), 2023 में ‘पीएम विश्वकर्मा’ थीम के अंतर्गत ‘एमएसएमई मंडप’ का उद्घाटन किया गया।
    • सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (MSEs) को 195 स्टॉल आवंटित किए गए, जिनमें 29 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की भागीदारी रही।
    • पहली बार भाग लेने वाले: 85% से अधिक स्टॉल पहली बार भाग लेने वाले प्रतिभागियों को आवंटित किए गए।
    • निःशुल्क: महिलाओं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, पूर्वोत्तर, आकांक्षी जिला लाभार्थियों को निःशुल्क स्टॉल आवंटित किए गए।

चुनौतियाँ 

  • सकल घरेलू उत्पाद में MSME जीवीए का हिस्सा अभी महामारी से पहले के स्तर पर नहीं पहुँचा है: अखिल भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में MSME जीवीए का हिस्सा वित्त वर्ष 2023 में 30.1 प्रतिशत रहा, जो वित्त वर्ष 2022 में 29.6 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2021 में 27.3 प्रतिशत से बेहतर है।
    • भारत के सकल घरेलू उत्पाद में MSME सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) का हिस्सा वर्ष 2017-18 में 29.7% था, जो वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 दोनों में बढ़कर 30.5% हो गया।
  • निर्यात में गिरावट: अखिल भारतीय निर्यात में MSME से संबंधित उत्पादों के निर्यात का प्रतिशत हिस्सा वित्त वर्ष 2020 में 49.73 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2021 में 49.35 प्रतिशत, वित्त वर्ष 2022 में 45.03 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2023 में 43.59 प्रतिशत रह गया। मई 2024 तक यह हिस्सा 45.79 प्रतिशत था।
  • बेरोजगारी: पिछले 10 वर्षों में लगभग 50,000 छोटे व्यवसायों के बंद होने के कारण 3,00,000 से अधिक लोग बेरोजगार हो गए। 
    • महाराष्ट्र में सबसे अधिक व्यवसाय बंद हुए, जहाँ 12,233 MSMEs बंद हो गए। 
    • पंजीकृत दस लाख MSMEs में से 49,342 बंद हो गए, जिसके परिणामस्वरूप 3,17,641 नौकरियाँ चली गईं। 
    • 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए अनुमानित बेरोजगारी दर वर्ष 2020-21 में 4.2%, वर्ष 2021-22 में 4.1% और वर्ष 2022-23 में 3.2% थी।
  • निर्यात में कमी: MSMEs देश के कुल निर्यात में लगभग 45% का योगदान देते हैं। लेकिन निर्यात अभी भी MSMEs के लिए एक कम-उपयोगी अवसर बना हुआ है, भले ही उन्हें ‘भारतीय अर्थव्यवस्था का पॉवरहाउस’ कहा जाता है और वे रोजगार सृजन, निर्यात और समग्र आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
    • नीति आयोग की रिपोर्ट: उद्यम पोर्टल के आँकड़ों का हवाला देते हुए नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि MSME के लिए निर्यात का अवसर होने के बावजूद केवल 0.95% MSME ही इसमें लगे हुए हैं।
      • उद्यम पर पंजीकृत 15.8 मिलियन MSME में से केवल 1,50,000 से अधिक इकाइयों ने अपने माल और सेवाओं का निर्यात करने का दावा किया।
    • ई-कॉमर्स मार्ग के माध्यम से MSME निर्यात: भारत चीन जैसी तुलनीय अर्थव्यवस्था से काफी पीछे है।
      • वर्ष 2022 में चीन में MSME ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से 200 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के सामान का निर्यात किया, जबकि उस वर्ष भारत का ई-कॉमर्स निर्यात मुश्किल से 2 बिलियन डॉलर रहा।

आगे की राह

  • पृथक माइक्रो-एमएसएमई प्रभाग की शुरुआत: यह सूक्ष्म उद्यमों को विकसित करने और लघु एवं मध्यम उद्यमों में परिवर्तित होने में सहायता करने के लिए लक्षित समर्थन और नीतियाँ प्रदान करेगा।
  • एकीकृत और गैर-एकीकृत फर्मों (ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म) के बीच के अंतर को पाटना: इसके लिए प्रौद्योगिकी, डिजिटल कौशल, सूचना, MSME की क्षमताओं और उत्पादकता को बढ़ाने में निवेश की आवश्यकता होगी।
    • यह उन्हें बुनियादी ढाँचा सेवाएँ, वित्तीय सेवाएँ, प्रबंधकीय और व्यावसायिक कौशल तथा उद्यम समर्थन तथा प्रशिक्षण प्रदान करके हासिल किया जा सकता है।
    • इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस, पॉलिसीज एंड पॉलिटिक्स द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि MSME द्वारा आयातित डिजिटल सेवा उत्पादन इनपुट में 1 प्रतिशत की वृद्धि से MSME रोजगार में 0.4-0.8 प्रतिशत की वृद्धि, MSME मूल्य संवर्द्धन में 0.1-0.2 प्रतिशत की वृद्धि और श्रम उत्पादकता में 0.04-0.08 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है।
  • महिला स्वामित्व वाले MSME के लिए सहायता आरंभ करना: महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली नीतियों को लागू करना।
    • पूँजी, प्रशिक्षण और नेटवर्किंग के अवसरों तक पहुँच जैसे समर्पित समर्थन प्रदान करने से महिलाओं के नेतृत्व वाले सूक्ष्म MSME को सशक्त बनाया जाएगा और समावेशी आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा।
  • ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में सुधार: सूक्ष्म MSME के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई सरलीकृत और सुव्यवस्थित विनियामक प्रक्रियाएँ उनके अनुपालन बोझ को कम करने में मदद कर सकती हैं, जिससे उन्हें अपनी मुख्य व्यावसायिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।
  • निर्यात के लिए वित्तीय विनियमन के नियमों को सरल बनाना: MSME पर बोझ कम करना और उन्हें अपने उत्पादों की कीमत गतिशील रूप से तय करने की सुविधा देना।
    • एक एकल व्यापार पोर्टल का क्रियान्वयन करना, जो निर्यात से संबंधित सभी सूचनाओं और प्रक्रियाओं को एक साथ लाता है तथा उसे एकल, सुव्यवस्थित कार्यप्रवाह में रखता है।
  • डिजिटलीकरण: MSME के लिए अनुकूलित डिजिटल समाधानों की आवश्यकता है, जिसमें वर्तमान में उपयोग में आने वाली मशीनरी और उपकरणों के लिए डिजिटल संवर्द्धन भी शामिल है।
    • डिजिटल सक्षम और उद्यम, आत्मनिर्भर कुशल कर्मचारी-नियोक्ता मानचित्रण (Atmanirbhar Skilled Employee-Employer Mapping- ASEEM) पोर्टलों को आपस में जोड़ने जैसी पहलों ने सराहनीय परिणाम दिखाए हैं।

निष्कर्ष

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) भारत में आर्थिक वृद्धि और विकास के महत्त्वपूर्ण इंजन हैं।
  • रोजगार, उत्पादन और नवाचार में अपने अपार योगदान के साथ, MSME समावेशी और सतत् विकास को प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  • जैसा कि सरकार सहायक नीतियों और पहलों को लागू करना जारी रखती है, उद्यमिता को बढ़ावा देने, औद्योगीकरण को बढ़ावा देने और भारत की आर्थिक क्षमता को साकार करने के लिए MSME क्षेत्र का पोषण करना अनिवार्य बना रहेगा।

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