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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 30, 2024 05:54 116 0

गोलान हाइट्स 

(Golan Heights)

हाल ही में हिजबुल्लाह ने इजरायल नियंत्रित गोलान हाइट्स (Golan Heights) पर रॉकेट से हमला किया। 

गोलान हाइट्स (Golan Heights)

  • परिचय: गोलान हाइट्स 1,800 वर्ग किमी. में फैला एक चट्टानी पठार है, जो इजरायल और दक्षिण-पश्चिमी सीरिया की सीमा पर स्थित है। 
  • भूगोल: यह पश्चिम में जॉर्डन नदी और गैलिली सागर, उत्तर में माउंट हरमोन, पूर्व में मौसमी अल-रुक्काद नदी और दक्षिण में यार्मुक नदी से घिरा है। 
  • इतिहास: वर्ष 1967 के छह दिवसीय युद्ध के अंतिम चरण के दौरान इजरायल ने सीरिया से गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया था। 
    • एक युद्धविराम रेखा स्थापित की गई, जिससे यह क्षेत्र इजरायली सैन्य नियंत्रण में आ गया और इजरायल ने लगभग तुरंत ही इस क्षेत्र में बस्तियाँ बसाना शुरू कर दी। 
    • सीरिया ने वर्ष 1973 के मध्य पूर्व युद्ध के दौरान गोलान हाइट्स पर फिर से कब्जा करने का प्रयास किया, लेकिन इजरायली सेना को अत्यधिक नुकसान पहुँचाने के बावजूद, यह प्रयास असफल रहा। दोनों देशों ने वर्ष 1974 में युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए और तब से संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक बल युद्धविराम रेखा की निगरानी कर रहा है। 
    • वर्ष 1981 में इजरायल ने एकतरफा तरीके से गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया।
  • सामरिक महत्त्व: गोलान पहाड़ियों से सीरिया की राजधानी दमिश्क साफ दिखाई देती है। इस क्षेत्र में वर्षा का जल जॉर्डन नदी में बहता है, जो शुष्क क्षेत्रों को जल की आपूर्ति करती है और माना जाता है कि यह नदी इजरायल के एक-तिहाई जल की आपूर्ति करती है। 
    • इसके अतिरिक्त, गोलान हाइट्स की भूमि अत्यधिक उपजाऊ है, जो इसे खेती के लिए उत्कृष्ट बनाती है।

लीथियम भंडार

 (Lithium Deposits)

कर्नाटक के मांड्या और यादगिरी जिलों में लीथियम के भंडार मिले।

लीथियम (Lithium)

  • परिचय: यह एक मुलायम, चाँदी जैसी सफेद अलौह धातु है, जो मोबाइल फोन, लैपटॉप, डिजिटल कैमरा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रिचार्जेबल बैटरी के लिए आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, इसका उपयोग हृदय पेसमेकर, खिलौने और घड़ियों जैसे उपकरणों के लिए कुछ गैर-रिचार्जेबल बैटरियों में किया जाता है। 
  • भारत में लीथियम भंडार: जम्मू और कश्मीर के रियासी क्षेत्र में सलाल हेमना ब्लॉक में भारत में पहली ज्ञात लीथियम खोज है, जिसे नीलामी के लिए रखा गया था। छत्तीसगढ़ के कटघोरा ब्लॉक से लीथियम और रेअर अर्थ तत्त्व (REE) भी नीलामी के लिए रखे गए हैं। 

अनुमानित भंडार (Estimated Reserves)

  • लीथियम रिजर्व: जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ के लीथियम रिजर्व के बड़े हिस्से को नीलाम किया जा रहा है।  
  • जम्मू और कश्मीर ब्लॉक: इस ब्लॉक में 5.9 मिलियन मीट्रिक टन (MT) बॉक्साइट स्तंभ का अनुमानित संसाधन है, जिसमें 70,000 टन से अधिक टाइटेनियम धातु और 3,400 टन लीथियम धातु शामिल है। 
  • छत्तीसगढ़ ब्लॉक: यद्यपि कुल भंडार का निर्धारण करने के लिए ड्रिलिंग अभी तक नहीं की गई है, लेकिन ब्लॉक में लीथियम और REE मौजूद हैं। 
  • गुजरात, ओडिशा और बिहार में निकल अयस्क के भंडार खोजे जा सकते हैं। 
  • ओडिशा ब्लॉक: 3,908 टन निकल धातु सामग्री, या 2.05 मिलियन टन निकल अयस्क, अनुमानित मूल्य है। 
  • गुजरात और बिहार के ब्लॉक: कोई ड्रिलिंग नहीं की गई है।
  • ताँबे के भंडार वाला एकमात्र ब्लॉक ओडिशा ब्लॉक है।

एशियन डिजास्टर प्रिपयर्डनेस सेंटर 

(Asian Disaster Preparedness Centre)

भारत को वर्ष 2024-25 के लिए एशियन डिजास्टर प्रिपयर्डनेस सेंटर (ADPC) की अध्यक्षता मिली।

एशियन डिजास्टर प्रिपयर्डनेस सेंटर (Asian Disaster Preparedness Centre) 

  • परिचय: वर्ष 1986 में स्थापित यह एक स्वायत्त अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जलवायु लचीलेपन के कार्यान्वयन और सहयोग पर केंद्रित है।
  • विजन: ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण के माध्यम से सुरक्षित समुदाय और सतत् विकास”, एशिया-प्रशांत क्षेत्र को कवर करना। 
  • सदस्य देश: संस्थापक सदस्य भारत, बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, श्रीलंका और थाईलैंड हैं। 
  • अधिदेश: ADPC चार्टर के अनुसार, संगठन कई निकायों [न्यासी बोर्ड, कार्यकारी समिति, सलाहकार परिषद और क्षेत्रीय परामर्शदात्री समिति (RCC)] द्वारा शासित होता है। 
    • ये ADPC की मुख्य शासी और सलाहकार संस्थाएँ हैं। ADPC का अंतरराष्ट्रीय चार्टर, जिस पर 9 संस्थापक सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, सभी संस्थापक सदस्यों द्वारा अनुसमर्थन के बाद वर्ष 2018 में लागू हुआ। 
    • जनवरी 2020 तक, ADPC एक स्वायत्त अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में कार्य करता है जिसकी देखरेख न्यासी बोर्ड करता है।
  • मुख्यालय: बैंकॉक, थाईलैंड।

सांस्कृतिक संपत्ति समझौता (Cultural Property Agreement)

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने पहले ‘सांस्कृतिक संपत्ति समझौते’ पर हस्ताक्षर किए हैं।

सांस्कृतिक संपत्ति समझौता

  • उद्देश्य: भारत से अमेरिका में पुरावशेषों की अवैध तस्करी को रोकना और नियंत्रित करना। 
  • CPA संयुक्त राज्य अमेरिका में विशिष्ट भारतीय पुरातात्त्विक और नृवंशविज्ञान सामग्री के आयात को सीमित करता है। 
    • इससे अमेरिकी सीमा शुल्क पर भारतीय पुरावशेषों को शीघ्र जब्त करने और उन्हें भारत वापस लाने में सुविधा होगी। 
  • महत्त्व: अन्य लाभों के अलावा, इससे सांस्कृतिक कूटनीति में वृद्धि होगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, तथा शिक्षा समृद्ध होगी। 

प्राचीन वस्तुओं की तस्करी रोकने के प्रयास

  • वैश्विक स्तर: वर्ष 1970 के यूनेस्को कन्वेंशन के अनुच्छेद-9 का उद्देश्य सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करना और रोकना है। 
    • इसके अतिरिक्त, काशी कल्चर पाथवे, जो कि G-20 संस्कृति कार्य समूह का एक परिणाम दस्तावेज है, अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए एक मजबूत वैश्विक गठबंधन के निर्माण का समर्थन करता है। 

राष्ट्रीय स्तर

  • पुरावशेष एवं कला संपदा अधिनियम, 1972 की धारा 3 भारत से पुरावशेषों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाती है। 
  • जब कोई पुरावशेष विदेश में स्थित होता है, तो भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) उसे प्राप्त करने के लिए संबंधित देश के साथ समन्वय स्थापित करता है। 
  • वर्ष 1976 से, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने अन्य देशों से 357 पुरावशेषों को सफलतापूर्वक पुनर्प्राप्त किया है। 

महत्त्वपूर्ण खनिज ब्लॉक 

(Critical mineral blocks)

सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लीथियम खदान सहित तीन महत्त्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों की नीलामी रद्द कर दी है।

महत्त्वपूर्ण खनिज

  • परिचय: महत्त्वपूर्ण खनिज आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। कुछ स्थानों पर खनन और प्रसंस्करण की कमी या केंद्रित खनन आपूर्ति शृंखला में कमजोरियाँ उत्पन्न कर सकता है और संभावित रूप से आपूर्ति को बाधित कर सकता है। 
  • महत्त्वपूर्ण खनिजों की घोषणा: महत्त्वपूर्ण खनिजों की घोषणा एक गतिशील प्रक्रिया है, जो प्रौद्योगिकी में प्रगति, बाजार में बदलाव और भू-राजनीतिक कारकों के साथ बदल सकती है। 
    • प्रत्येक देश के पास महत्त्वपूर्ण खनिजों की अपनी सूची हो सकती है, जो उसकी विशिष्ट परिस्थितियों और प्राथमिकताओं के अनुरूप हो। 

एरियल की सतह 

(Ariel’s Surface)

नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने यूरेनस के चंद्रमा एरियल पर एक भूमिगत महासागर के साक्ष्य जुटाए है, जो इसकी सतह पर जमे हुए CO2 की उपस्थिति की पुष्टि कर रहे हैं। 

मुख्य परिणाम

  • निष्कर्ष: एरियल पर कार्बन मोनोऑक्साइड की उपस्थिति या तो सतह के निम्न तापमान अथवा कार्बन ऑक्साइड उत्पन्न करने वाले भूमिगत महासागर का संकेत देती है। 
  • निहितार्थ: एरियल की सतह पर दरारें एवं खाँचे बर्फीले पदार्थों और कार्बन यौगिकों के विस्फोट का संकेत हो सकते हैं। 
    • इसके अतिरिक्त, कार्बोनेट खनिजों के संकेत जल और चट्टान के परस्पर संपर्क की ओर इशारा करते हैं, जिससे एरियल को संभवतः जल वाले एक अन्य चंद्रमा के रूप में पहचाना जा सकता है। 

यूरेनस मिशन के बारे में

  • प्रक्षेपण: स्पेसएक्स फाल्कन हेवी द्वारा वर्ष 2031-32 में निर्धारित।
  • उद्देश्य: यूरेनस के आंतरिक भाग की जाँच करना तथा एक ऑर्बिटर द्वारा इसके वायुमंडल, चुंबकीय क्षेत्र और चंद्रमाओं का अध्ययन करना। 
  • वैज्ञानिक अभिरुचि: महासागरीय दुनिया के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए पाँच बड़े चंद्रमाओं का अन्वेषण करना। 

यूरेनस के बारे में

  • स्थिति: सूर्य से सातवाँ ग्रह, 1781 ईसवी में विलियम हर्शेल द्वारा खोजा गया।
  • वर्गीकरण: 98° के असामान्य अक्षीय झुकाव वाला एक गैसीय ग्रह, जिसका निर्माण अत्यधिक मौसमी परिवर्तनों के कारण हुआ है। 

भौतिक विशेषताएँ

  • आकार एवं द्रव्यमान: इसका व्यास लगभग 50,724 किमी. है और व्यास के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा और द्रव्यमान के हिसाब से चौथा सबसे बड़ा है।
  • संरचना: यहाँ मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम की मौजूदगी है तथा इसके नीले-हरे रंग का मुख्य कारण मेथेन है।
  • वातावरण: इसमें बादलों की पट्टी, तेज गति वाली हवाएँ तथा -224°C तक का न्यूनतम तापमान होता है।

अन्य विशेषताएँ

  • झुका हुआ अक्ष: अपने अत्यधिक अक्षीय झुकाव के कारण अपनी कक्षा में घूमता है। 
  • वलय: वर्ष 1977 में 13 धुँधले वलय खोजे गए।
  • चंद्रमा: टाइटेनिया, ओबेरोन, एरियल और मिरांडा सहित 27 चंद्रमा। 

जलवायु परिवर्तन पर दक्षिण अफ्रीका का नया कानून

 (South Africa’s new law on climate change)

अक्टूबर 2023 में, दक्षिण अफ्रीका ने एक महत्त्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन कानून लागू किया। 

जलवायु परिवर्तन अधिनियम (Climate Change Act)

  • जलवायु परिवर्तन अधिनियम के उद्देश्य: दक्षिण अफ्रीका में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना, जहाँ कोयला मुख्य ऊर्जा स्रोत है। 
    • कार्बन डाइऑक्साइड के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने के कारण, देश को अपने प्रदूषण न्यूनीकरण लक्ष्यों को पूरा करने में संघर्ष करना पड़ रहा है। 
  • कानूनी ढाँचा और जिम्मेदारियाँ: पहली बार, दक्षिण अफ्रीका ने जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी प्रतिक्रिया को घरेलू कानून में शामिल किया है। 

21वाँ खान क्वेस्ट अभ्यास

(21st Khaan Quest Exercise)

हाल ही में भारतीय सेना की एक टुकड़ी अभ्यास खान क्वेस्ट (KHAAN QUEST) के लिए रवाना हुई। 

अभ्यास खान क्वेस्ट (Exercise KHAAN QUEST)

  • परिचय: यह अभ्यास मंगोलिया के उलानबटार में एक बहुराष्ट्रीय सैन्य कार्यक्रम है। 
    • यह अभ्यास प्रारंभ में वर्ष 2003 में अमेरिका और मंगोलियाई सशस्त्र बलों के बीच एक द्विपक्षीय अभ्यास था, जो वर्ष 2006 में बहुराष्ट्रीय शांति स्थापना अभ्यास के रूप में विस्तारित हो गया।
    • वर्तमान संस्करण इस अभ्यास का 21वाँ संस्करण है।
  • उद्देश्य: विश्व भर के सैन्य बलों को एकजुट करना ताकि वे आपस में सहयोग कर सकें और उनकी शांति स्थापना क्षमताओं में सुधार कर सकें।
  • प्रतिभागी: इस दल में 40 कार्मिक शामिल हैं, जिनमें मुख्य रूप से मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन शामिल है तथा अन्य सेनाओं और सेवाओं के अतिरिक्त सदस्य भी शामिल हैं, जिनमें एक महिला अधिकारी और दो महिला सैनिक शामिल हैं।
  • उद्देश्य: भारतीय सशस्त्र बलों को बहुराष्ट्रीय परिवेश में शांति मिशनों के लिए तैयार करना।
    • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के अंतर्गत शांति समर्थन अभियानों के लिए अंतर-संचालनशीलता और सैन्य तत्परता को बढ़ाना।

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