100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत डिजिटल क्रांति में सबसे आगे

Lokesh Pal July 31, 2024 04:20 111 0

संदर्भ

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2023-24 के लिए ‘मुद्रा एवं वित्त पर रिपोर्ट’ (RCF) जारी की है।

‘मुद्रा और वित्त पर रिपोर्ट’ (RCF) क्या है?

  • RCF, RBI का वार्षिक प्रकाशन है। रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।

डिजिटलीकरण के बारे में

  • डिजिटलीकरण अर्थव्यवस्था तथा समाज के विभिन्न पहलुओं को बदलने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने की प्रक्रिया है।
  • यह नागरिकों तथा व्यवसायों की अधिक दक्षता, नवाचार, समावेशन और सशक्तीकरण को सक्षम कर सकता है।

  • विषय एवं फोकस: रिपोर्ट का प्रत्येक संस्करण एक विशिष्ट विषय पर केंद्रित होता है, जो समकालीन आर्थिक मुद्दों एवं दूरदर्शी रणनीतियों को संबोधित करता है।
    • मुद्रा तथा वित्त पर रिपोर्ट, 2023-24 का विषय ‘भारत की डिजिटल क्रांति’ है।
  • उद्देश्य: रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था का व्यापक विश्लेषण प्रदान करती है, जिसमें विकास प्रवृत्तियाँ, मुद्रास्फीति, राजकोषीय नीति और बाह्य क्षेत्र के विकास शामिल हैं।
    • यह समष्टि आर्थिक परिवेश और घरेलू अर्थव्यवस्था पर वैश्विक घटनाओं के प्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
  • रिपोर्ट में पाँच अध्याय हैं, जिनमें से प्रत्येक भारत की डिजिटल क्रांति के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करता है।
    • अध्याय I: भारत की डिजिटल क्रांति: अवसर एवं चुनौतियाँ।
    • अध्याय II: डिजिटलीकरण और वित्तीय नवाचार।
    • अध्याय III: भारत में डिजिटलीकरण एवं भुगतान क्रांति।
    • अध्याय IV: खुली अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण: चुनौतियाँ और अवसर।
    • अध्याय V: डिजिटलीकरण: उभरते जोखिमों और चुनौतियों से निपटना।

भारत के डिजिटलीकरण का इतिहास

  • चरण I: डिजिटल अवेकनिंग (Digital Awakening) वर्ष  1950-1980
    • प्रारंभिक धारणा: कंप्यूटरों को मुख्यतः श्रम बचाने के उपकरण के रूप में देखा जाता था, क्योंकि बेरोजगारी के भय के कारण उन पर प्रतिबंध लगे हुए थे।
    • 1980 के दशक में बदलाव: बैंकिंग में कंप्यूटरीकरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण बदलाव, विभिन्न समितियों (जैसे, बैंकिंग उद्योग में मशीनीकरण पर समिति, 1984) द्वारा निर्देशित।
    • तकनीकी प्रगति: इलेक्ट्रॉनिक डेटा प्रोसेसिंग, ATM, क्रेडिट कार्ड, BANKNET 3 और MICR-आधारित प्रणालियों की शुरुआत। स्टैंडअलोन कंप्यूटर से LAN और कोर बैंकिंग प्लेटफॉर्म में बदलाव।
  • चरण II: उदारीकरण और इन्फोटेक बूम (Liberalisation and the InfoTech Boom) 1990 का दशक
    • दूरसंचार क्षेत्र में प्रगति: टेलिमेटिक्स विकास केंद्र (Centre for Development of Telematics- C-DOT) और नैसकॉम (NASSCOM) जैसे उद्योग संघों की स्थापना।
    • पूँजी बाजार सुधार: सेबी की मान्यता, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की स्थापना, प्रतिभूतियों के डी-मैटरियलाइजेशन (Dematerialisation) की ओर बदलाव।
    • बैंकिंग आधुनिकीकरण: नरसिम्हम् समिति की सिफारिशों के परिणामस्वरूप भारतीय वित्तीय नेटवर्क (INFINET) की शुरुआत हुई तथा इंटरनेट बैंकिंग को अपनाया गया।
    • प्रतिस्पर्द्धा और IT समाधान: बढ़ती प्रतिस्पर्द्धाऔर ग्राहकों की अपेक्षाओं के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने IT समाधानों को अपनाया।
    • IT तथा दूरसंचार उद्योगों का विकास: केंद्र एवं राज्य सरकारों की सहायक नीतियों द्वारा संचालित।
  • चरण III: संस्थागत और कानूनी ढाँचे का निर्माण (वर्ष 2000-2016) 
    • कानूनी मान्यता: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 ने इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन को कानूनी मान्यता प्रदान की थी।
    • डिजिटल भुगतान प्रणाली: वर्ष 2004 में RTGS की शुरुआत, वर्ष 2005 में NEFT तथा वर्ष 2007 का भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम।
    • NPCI और UPI: वर्ष 2008 में  NPCI  की स्थापना तथा वर्ष 2016 में UPI का शुभारंभ हुआ।
    • सरकारी पहल: आधार परियोजना (वर्ष 2009), राष्ट्रीय दूरसंचार नीति (वर्ष 2012), प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना (वर्ष 2013), एवं प्रधानमंत्री जन-धन योजना (वर्ष 2014)।
    • डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया मिशन: डिजिटल बुनियादी ढाँचे तथा नवाचार को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया।
    • ऋण प्रबंधन: वर्ष 2021 में निगोशिएटेड डीलिंग सिस्टम ऑर्डर मैचिंग (NDS-OM) और रिटेल डायरेक्ट स्कीम जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से सरकारी प्रतिभूति बाजार का विकास हुआ।
  • चरण IV: डिजिटल वित्तीय नवाचार केंद्र स्तर पर (वर्ष 2017 से अब तक)।

डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने के पीछे कारण

  • ग्लोबल कनेक्टिविटी
  • अंतर्दृष्टि के लिए डेटा का लाभ उठाना
  • जोखिम प्रबंधन और अनुपालन राजस्व वृद्धि, लाभप्रदता और व्यापार विस्तार
  • अधिक ग्राहकों तक पहुँच
  • परिचालन दक्षता को बढ़ता है
  • प्रतिस्पर्द्धात्मकता सुनिश्चित करता है
  • उन्नत ग्राहक बैंकिंग अनुभव प्रदान करता है

    • मजबूत डिजिटल अवसंरचना: वर्ष 2017 तक भारत बड़े पैमाने पर भुगतान प्रणालियों में अग्रणी बन गया है।
      • इसने डिजिटल भुगतान के घरेलू उपयोग को बढ़ाने और केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (ई-रुपया) के चरणबद्ध कार्यान्वयन की योजना बनाई है।
    • वित्तीय नवाचार: चौबीसों घंटे भुगतान प्रणाली (RTGS, NEFT), ऑफलाइन भुगतान, फीचर फोन भुगतान, संवादात्मक भुगतान की उपलब्धता।
    • CBDC पायलट और पहल: सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी पायलट, रेगुलेटरी सैंडबॉक्स (वर्ष 2019), रिजर्व बैंक इनोवेशन हब (वर्ष 2021), और फ्रिक्शनलेस क्रेडिट के लिए पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म (वर्ष 2023) का शुभारंभ हुआ।
    • भुगतान प्रणालियों का अंतरराष्ट्रीयकरण: सीमा पार हस्तांतरण को सक्षम बनाना और भारत की सॉफ्ट पॉवर को बढ़ाना। भारत की योजना द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय देशों में भुगतान प्रणाली लिंकेज परियोजनाओं में भाग लेने की है।

भारत के लिए अवसर

  • आर्थिक विकास: डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रही हैं, उपभोक्ता कल्याण को बढ़ाने में अहम् भूमिका निभा रही हैं।
    • सकल घरेलू उत्पाद में वर्तमान योगदान: रिपोर्ट का अनुमान है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का दसवाँ हिस्सा है। 
    • सकल घरेलू उत्पाद में संभावित योगदान: पिछले दशक में देखी गई विकास दर के आधार पर, यह वर्ष 2026 तक भारत की सकल घरेलू उत्पाद का पाँचवाँ हिस्सा बनने की ओर अग्रसर है।
  • वित्तीय समावेशन: डिजिटल क्रांति, विशेष रूप से वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) और इंडिया स्टैक के माध्यम से, समय और स्थान के पार वित्तीय समावेशन के दायरे का विस्तार कर रही है।
    • प्रवेश: वर्ष 2023 में इंटरनेट प्रवेश 55% तक पहुँचने के साथ, देश में पिछले तीन वर्षों में 199 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की वृद्धि देखी गई है।
    • सामर्थ्य: भारत में प्रति गीगाबाइट (GB) डेटा की लागत विश्व में सबसे कम है, जो औसतन ₹13.32 (US$ 0.16) प्रति जीबी है।
      • खपत: इस सामर्थ्य ने भारत को वर्ष 2023 में 24.1 GB की औसत प्रति-उपयोगकर्ता, प्रति माह मोबाइल डेटा खपत के साथ दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल डेटा खपत दरों में से एक बनाने में योगदान दिया है।
    • स्मार्टफोन उपयोगकर्ता: देश में लगभग 750 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं, यह संख्या वर्ष 2026 तक लगभग एक बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • अभिगम्यता और DBT: वित्त में डिजिटलीकरण अगली पीढ़ी की बैंकिंग का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, सस्ती लागत पर वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में सुधार कर रहा है, और लागत-कुशल तरीके से लाभार्थियों को प्रभावी रूप से लक्षित करके प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के प्रभाव को बढ़ा रहा है।
  • नवाचार एवं उद्यमिता: डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ लागत प्रभावी और मापनीय होने के कारण नवाचार एवं उद्यमिता को लोकतांत्रिक बनाती हैं।
    • स्मार्टफोन निर्माता: भारत अगले पाँच वर्षों में दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता बनने की राह पर है।
    • स्टार्टअप इकोसिस्टम: इसके अलावा, भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जिसमें 1.4 लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं।
  • डिजिटल धनप्रेषण: धनप्रेषण की लागत को कम करना तथा वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करना।
    • धन प्रेषण को बढ़ावा: अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों में डिजिटलीकरण से धन प्रेषण प्राप्त करने की लागत कम होने की संभावना है, जिससे धन प्रेषण में वृद्धि होगी तथा प्राप्तकर्ताओं की आय या बचत बढ़ेगी।

  • अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणालियाँ: डिजिटल अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों के माध्यम से विदेशी मुद्रा जोखिम को कम करना तथा वैश्विक तरलता का प्रबंधन करना होगा।
    • RBI ने ‘प्रोजेक्ट नेक्सस’ में भाग लिया, जो घरेलू शीघ्र भुगतान प्रणाली (FPS) को आपस में जोड़कर तत्काल सीमा पार खुदरा भुगतान को सक्षम करने के लिए एक बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय पहल है।
      • परियोजना के हिस्से के रूप में, देश के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) तथा मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड के FPS को नेक्सस (Nexus) के माध्यम से आपस में जोड़ा जाएगा।
    • सिंगापुर पेनाउ (Singapore PayNow): देश की रियल टाइम खुदरा भुगतान प्रणाली एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) तथा सिंगापुर पेनाउ में इसके समकक्ष नेटवर्क को एकीकृत किया गया, ताकि दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्द्धी दर पर तेजी से धन प्रेषण संभव हो सके।
    • सेंट्रल बैंक ऑफ सयुक्त अरब अमीरात (CBUAE): RBI और CBUAE ने भारत के UPI को UAE के त्वरित भुगतान प्लेटफॉर्म (Instant Payment Platform- IPP) के साथ जोड़ने के लिए सहयोग हेतु एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर भी हस्ताक्षर किए थे।
  • UPI तथा डिजिटल भुगतान: एकीकृत भुगतान इंटरफेस और अन्य डिजिटल भुगतान प्रणालियाँ भुगतान परिदृश्य में क्रांति ला रही हैं, वित्तीय समावेशन को बढ़ा रही हैं और लेनदेन लागत को कम कर रही हैं।
    • आँकड़े: पिछले चार वर्षों में UPI की मात्रा में दस गुना वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2019-20 में 12.5 बिलियन लेनदेन से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 131 बिलियन लेनदेन हो गई है, जो सभी डिजिटल भुगतान मात्रा का 80 प्रतिशत है।
    • वर्तमान में, UPI प्रति माह लगभग 14 बिलियन लेनदेन दर्ज कर रहा है, जो जून 2024 में 424 मिलियन अद्वितीय उपयोगकर्ताओं द्वारा बढ़ाया गया है।

  • भारतीय व्यापार को बढ़ावा: डिजिटलीकरण वस्तुओं और सेवाओं में भारत के बाह्य व्यापार को मजबूत बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि आधुनिक सेवाओं के निर्यात में देश को तुलनात्मक लाभ प्राप्त है, जो व्यापारिक साझेदारों की भौगोलिक निकटता पर निर्भर नहीं है।
    • डिजिटल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): ई-भुगतान सेवाओं की उपलब्धता, डिजिटल व्यवसायों के लिए नीति समर्थन, स्थानीय डिजिटल कौशल का विकास और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करके डिजिटल FDI को आकर्षित करना।

  • मौद्रिक नीति: डिजिटलीकरण लागत को कम करके तथा माँग की लोच को बदलकर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मौद्रिक नीति को अधिक प्रभावी बना सकता है।

भारत की डिजिटल क्रांति में चुनौतियाँ

  • साइबर सुरक्षा: साइबर हमलों के बढ़ते खतरे से निपटना और मजबूत साइबर सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना।
    • संख्याएँ: भारत में डेटा उल्लंघन की औसत लागत वर्ष 2023 में बढ़कर 2.18 मिलियन डॉलर हो गई है, जो वर्ष 2020 से 28% की वृद्धि है।
    • वैश्विक स्तर पर, साइबर अपराध की लागत वर्ष 2028 तक 13.82 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है, जो वर्ष 2023 में 8.15 ट्रिलियन डॉलर थी।
    • भारत में सबसे आम साइबर हमलों में फिशिंग (22%) तथा चोरी या समझौता किए गए क्रेडेंशियल (16%) शामिल हैं।
  • आवेगपूर्ण खर्च और समूह व्यवहार: ग्राहकों के लिए वित्तीय सेवाओं की पहुँच और सुविधा में सुधार करते हुए, डिजिटलीकरण आवेगपूर्ण खर्च और समूह व्यवहार से संबंधित चिंताओं को जन्म देता है।
    • वित्तीय प्रवृत्तियों और विकल्पों पर नजर रखना: डिजिटल प्लेटफॉर्म वित्तीय प्रवृत्तियों और विकल्पों के त्वरित प्रसार को सक्षम करते हैं, जिससे निवेश, खर्च करने की आदतों और वित्तीय उत्पादों के बारे में जानकारी सोशल नेटवर्क पर तेजी से फैलती है।
      • वित्तीय प्रवृत्तियों और विकल्पों पर नजर रखना: डिजिटल प्लेटफॉर्म वित्तीय प्रवृत्तियों और विकल्पों के त्वरित प्रसार को सक्षम करते हैं, जिससे निवेश, खर्च करने की आदतों और वित्तीय उत्पादों के बारे में जानकारी सोशल नेटवर्क पर तेजी से फैलती है।
      • ‘डार्क पैटर्न’ (Dark patterns): रिपोर्ट में ‘अदृश्य जोखिम’ या ‘डार्क पैटर्न’ के उदय पर प्रकाश डाला गया है, जहाँ उपभोक्ताओं को उनके हितों के लिए हानिकारक निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाता है।

  • मौद्रिक नीति प्रभाव: यदि डिजिटलीकरण के कारण ऋण आपूर्ति बैंकों से कम विनियमित/अनियमित गैर-बैंकों की ओर स्थानांतरित हो जाती है या बैंक जमा में कमी की भरपाई हो जाती है, तो मौद्रिक नीति प्रभाव कम हो सकता है।
    • वित्तीय सेवाओं का अति-विविधीकरण: इससे ‘बारबेल’ (Barbell) जैसी वित्तीय संरचना उत्पन्न हो सकती है, जहाँ प्रमुख बहु-उत्पाद कंपनियां प्रणालीगत जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं।
  • श्रम बाजारों पर प्रभाव: डिजिटल क्रांति श्रम बाजारों को नया आकार दे रही है, कार्यबल संरचना, नौकरी की गुणवत्ता और कौशल आवश्यकताओं को प्रभावित कर रही है।
    • रिपोर्ट में डिजिटल प्रौद्योगिकियों की माँगों को पूरा करने के लिए श्रम शक्ति को उन्नत बनाने और पुनः कुशल बनाने की चुनौतियों पर जोर दिया गया है।
  • उभरती नियामक चुनौतियाँ: नियामकों को जटिल समझौतों में संतुलन बनाते हुए वित्तीय नवाचार के क्षेत्र में आगे बने रहने की चुनौती का सामना करना पड़ता है।
    • रिपोर्ट में प्रतिभागियों के तर्कहीन उत्साह को रोकने के लिए सीमाएँ निर्धारित करने के लिए विनियमन की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
    • चिंताएँ (Concerns): इसमें प्रवेश बाधाओं को कम करना शामिल है, जिसके कारण अपर्याप्त साइबर अवसंरचना वाले कमजोर व्यावसायिक मॉडल पर फिनटेक ऋण को बढ़ावा दिया जा सकता है।
      • इसके अतिरिक्त, बिगटेक कंपनियों में ‘विफल होने के लिए बहुत बड़ी’ बनने, बाजारों पर हावी होने और प्रणालीगत जोखिम उत्पन्न करने की क्षमता है।
  • नीतिगत समन्वय: डिजिटल व्यापार विनियमों को मानकीकृत करने और वैश्विक डिजिटलीकरण प्रयासों का समर्थन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत समन्वय सुनिश्चित करना।
  • बुनियादी ढाँचा और जागरूकता: मजबूत भुगतान बुनियादी ढाँचे का विकास सुनिश्चित करना तथा उपभोक्ताओं एवं व्यापारियों के बीच जागरूकता बढ़ाना।
    • बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था को समर्थन देने और व्यापक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचा आवश्यक है।

  • विनियमन और नवाचार में संतुलन: एक सुरक्षित पारिस्थितिकी तंत्र में वित्तीय नवाचारों को बढ़ावा देते हुए प्रभावी विनियमन सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।

रिपोर्ट में उल्लिखित डिजिटलीकरण में सरकारी पहल

  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023
    • उद्देश्य: व्यापक डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना।
      • भारत में डेटा सुरक्षा बोर्ड की स्थापना।
      • व्यक्तिगत डेटा उल्लंघनों से निपटने और दंड लगाने के लिए उपाय लागू करना।
  • उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020
    • ई-कॉमर्स में अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए डिजाइन किया गया।
    • मुख्य प्रावधान
      • पारदर्शी रिटर्न, रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी, डिलीवरी तथा शिपमेंट नीतियों को अनिवार्य बनाता है।
      • विक्रेता की जानकारी का खुलासा आवश्यक है तथा उपभोक्ता शिकायतों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जाता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म को उनकी सामग्री और उपयोगकर्ता सुरक्षा के लिए जवाबदेह बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 
    • शिकायतों के समय पर निवारण के लिए तंत्र को अनिवार्य बनाया गया है और सामग्री मॉडरेशन में पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है।
  • उद्यम
    • उद्देश्य: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए सरकारी योजनाओं और लाभों तक पहुँच की प्रक्रिया को सरल बनाना।
    • मुख्य विशेषताएँ
      • ऑनलाइन तथा कागज रहित पंजीकरण प्रक्रिया।
      • MSME को विभिन्न लाभ और सब्सिडी प्राप्त करने के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करता है।
  • ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल अवसंरचना (Digital Infrastructure for Knowledge Sharing- Diksha)
    • उद्देश्य: सहयोगात्मक शिक्षण और शिक्षण को सक्षम बनाना, अनुकूलन योग्य सामग्री तैयार करना।
    • 15 जुलाई, वर्ष 2024 तक, दीक्षा (DIKSHA) पर 1.71 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं।
  • डिजिटल सार्वजनिक वस्तुएँ (DPG)
    • उद्देश्य: डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की सफल तैनाती के लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर कोड एवं दस्तावेजीकरण जैसी परिसंपत्तियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
    • प्रमुख विशेषताएँ
      • वित्तीय समावेशन, पारदर्शिता तथा दक्षता का समर्थन करता है। 
      • उदाहरणों में आधार, UPI तथा डिजिलॉकर शामिल हैं।
  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT)
    • उद्देश्य: सब्सिडी को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित करना
    • मुख्य विशेषताएँ
    • सब्सिडी का लक्षित वितरण सुनिश्चित करता है। 
    • कल्याणकारी योजनाओं में पारदर्शिता एवं दक्षता बढ़ती है। 
    • सरकारी हस्तांतरण में देरी और लीकेज को कम करने के लिए डिजिटल भुगतान प्रणाली का उपयोग करता है।
  • राज्यों के लिए नीति आयोग DPI प्लेटफॉर्म
    • उद्देश्य: बेहतर प्रशासन के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का लाभ उठाने में राज्यों की सहायता करना।
    • मुख्य विशेषताएँ 
      • राज्यों को उनके डिजिटल बुनियादी ढाँचे को विकसित करने के लिए उपकरण और रूपरेखा प्रदान करता है।
      • अंतर-राज्यीय सहयोग और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने को बढ़ावा देता है।

आगे की राह

  • साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता: जैसे-जैसे डिजिटल लेनदेन बढ़ता है, साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता प्रमुख चिंता का विषय बन जाती है।
    • सीमा पार डिजिटल व्यापार नीतियाँ नए अवसरों का दोहन करने, विश्वास का निर्माण करने तथा डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे नियामक पहलुओं पर समन्वय को सुविधाजनक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी। 
  • वित्तीय नवाचारों को बढ़ावा देते हुए वित्तीय स्थिरता, ग्राहक संरक्षण और प्रतिस्पर्द्धा के बीच संतुलन बनाने के लिए विनियामक और पर्यवेक्षी ढाँचे को और अधिक परिष्कृत बनाया जाना चाहिए।
    • मजबूत नियामक ढाँचा: रिपोर्ट डिजिटल उत्पादों में विश्वास बढ़ाने में मजबूत नियामक ढाँचे की भूमिका का समर्थन करने वाले साक्ष्य प्रदान करती है।
  • मजबूत मॉडल आधारित ऋण देने का आह्वान: RBI की रिपोर्ट में वित्तीय प्रणालियों की अखंडता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) द्वारा मॉडल-आधारित ऋण देने में मजबूत, नियमित रूप से परीक्षण किए गए एल्गोरिदम को नियोजित करने के महत्त्व पर बल दिया गया है।
  • डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना: लक्षित शैक्षिक पहलों के माध्यम से डिजिटल भुगतान प्रणालियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उन्हें अपनाना।
  • सक्रिय जोखिम शमन: वित्तीय क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देते हुए डिजिटल जोखिमों को कम करने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: डिजिटल व्यापार नीतियों और बुनियादी ढाँचे के विकास पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना।
  • स्थानीय कौशल विकसित करना: बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था का समर्थन करने और विदेशी डिजिटल निवेश को आकर्षित करने के लिए स्थानीय डिजिटल कौशल को बढ़ाना।
  • नीतिगत पहल: वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा करते हुए वित्तीय नवाचारों को सुरक्षित और कुशल तरीके से अपनाने की सुविधा के लिए नीतिगत उपायों को लागू करना।
    • डिजिटल भुगतान प्रणालियों के लिए नीतिगत समर्थन को मजबूत करना तथा अपनाने की दर को बढ़ाने के लिए डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

‘मुद्रा एवं वित्त पर रिपोर्ट 2024’ डिजिटलीकरण, वित्तीय परिदृश्य में बदलाव और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में भारत की महत्त्वपूर्ण प्रगति को रेखांकित करता है। बेहतर वित्तीय समावेशन और परिचालन दक्षता जैसे अवसरों के बावजूद, साइबर सुरक्षा, डेटा गोपनीयता और विनियामक जटिलताओं जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। भविष्य में डिजिटल अर्थव्यवस्था के लाभों को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए बुनियादी ढाँचे, विनियामक ढाँचे तथा अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना आवश्यक है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.