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कॉलर आईडी स्पूफिंग

Lokesh Pal August 01, 2024 05:01 112 0

संदर्भ

हाल के दिनों में फर्जी कॉलों में वृद्धि हुई है।

कॉलर आईडी स्पूफिंग क्या है?

  • कॉलर आईडी स्पूफिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसके द्वारा जिस फोन नंबर से कॉल आती प्रतीत होती है, उसे गलत बताया जा सकता है। 
    • तकनीकी स्तर पर, कॉलर आईडी स्पूफिंग करना मुश्किल नहीं है। स्पूफिंग तकनीक को विशेषज्ञ, टेलीमार्केटर्स और धोखेबाजों द्वारा पिछले कुछ वर्षो में समान रूप से विकसित किया गया है। 
  • कॉलर आईडी स्पूफिंग का कारण
    • पहचान सुरक्षा: दुर्भावनापूर्ण व्यक्ति कॉलर आईडी स्पूफिंग का उपयोग मुख्य रूप से अवैध गतिविधियों में संलग्न होने पर अपनी पहचान को बचाने के लिए करते हैं। 
    • सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering): कभी-कभी, कॉलर आईडी स्पूफिंग का उपयोग इन व्यक्तियों द्वारा सोशल इंजीनियरिंग हमलों को अंजाम देने के लिए किया जाता है, जहाँ स्पूफ किए गए कॉलर आईडी का दुरुपयोग उस अंतर्निहित विश्वास के लिए किया जाता है जो प्राप्तकर्ता पक्ष उससे जोड़ता है। 
    • कॉल ब्लॉकिंग से बचना: (Circumventing Call Blocking): कॉलर आईडी स्पूफिंग का उपयोग मानक कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम से बचने  के लिए भी किया जा सकता है। 
    • IBR प्रणालियों का दोहन: इसका उपयोग असुरक्षित इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स प्रणालियों की कमजोरियों का फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है।  
  • कानूनी स्थिति: कॉलर आईडी स्पूफिंग अपने आप में कई न्यायक्षेत्रों में पूरी तरह से कानूनी है:
    • इसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में विश्व भर में ग्राहकों को कॉलर आईडी स्पूफिंग सेवाएँ प्रदान करने वाली कई कंपनियाँ सामने आई हैं, जिनमें से पहली वाणिज्यिक कॉलर आईडी स्पूफिंग सेवा वर्ष 2004 में शुरू हुई थी। 
  • चिंता: दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को राजस्व की हानि होती है, नकली कॉलर आईडी का दुरुपयोग करके की गई धोखाधड़ी के कारण धोखाधड़ी के शिकार हुए ग्राहकों को धन की हानि होती है तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उन अपराधों की जाँच करने में कठिनाई होती है, जिनमें नकली कॉलर आईडी का उपयोग किया जाता है। 

समस्या को ठीक करने का प्रभाव 

  • कॉलर आईडी स्पूफिंग की तकनीकी और कार्यान्वयन समस्या को ठीक करने से सभी हितधारकों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। 
    • उपभोक्ताओं के लिए: कॉलर आईडी स्पूफिंग को ठीक करने से स्पैम और धोखाधड़ी वाले कॉल कम हो जाएँगे, और फोन नंबर के माध्यम से किसी की पहचान के गलत प्रतिनिधित्व पर निर्भर धोखाधड़ी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
    • दूरसंचार प्रदाताओं के लिए: इससे राजस्व की बचत होगी जो अन्यथा नष्ट हो जाता है।
    • सरकार और जनता के लिए: इसके परिणामस्वरूप राजस्व प्राप्त होगा जो भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान देगा। 

PKI (सार्वजनिक कुंजी अवसंरचना [Public Key Infrastructure]) प्रमाणीकरण

  • यह दो बिंदुओं के बीच स्थानांतरित डेटा को सत्यापित करने के लिए प्रमाण-पत्र का उपयोग करके कार्य करता है।
  • व्यक्तियों के पास एक सार्वजनिक और निजी कुंजी होती है – PKI प्रमाण-पत्र-आधारित प्रमाणीकरण (Certificate-Based Authentication-CBA) में, सार्वजनिक कुंजी को वितरित किया जाता है और प्रेषक की पहचान की पुष्टि करने और डेटा को डिकोड करने के लिए उपयोग किया जाता है।

स्पूफ कॉल से निपटने के उपाय

  • अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunications Union-ITU) रिपोर्ट: वर्ष 2021 में, ITU ने कॉलर आईडी स्पूफिंग का मुकाबला करने पर एक तकनीकी रिपोर्ट प्रकाशित की।  
    • PKI आधारित प्रमाणीकरण: हालाँकि इस रिपोर्ट में कोई अनिवार्य प्रावधान नहीं है, लेकिन इसमें सार्वजनिक कुंजी अवसंरचना (PKI) आधारित प्रमाणीकरण का उपयोग करने का संदर्भ दिया गया है, जिसे भारतीय दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा कॉलर आईडी स्पूफिंग की समस्या को स्थायी रूप से ठीक करने के लिए लागू किया जा सकता है। 

अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunications Union-ITU) 

  • अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunications Union-ITU) एक विशेष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है, जो वैश्विक सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों में सुधार और मानकीकरण पर केंद्रित है। 
  • स्थापना: इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र के अस्तित्व में आने से बहुत पहले, मूलतः अंतरराष्ट्रीय टेलीग्राफ यूनियन के रूप में वर्ष 1865 में हुई थी। 
  • कार्यक्षेत्र
    • संचार नेटवर्क में अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी प्रदान करना,
    • वैश्विक रेडियो स्पेक्ट्रम और उपग्रह कक्षाओं का आवंटन,
    • तकनीकी मानक विकसित करना,
    • डिजिटल प्रौद्योगिकियों तक पहुँच में सुधार
  • सदस्य: 193 सदस्य देश और 1000 से अधिक कंपनियाँ, विश्वविद्यालय और अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठन।
    • भारत वर्ष 1869 से इसका सदस्य है।
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
  • रिपोर्ट: वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक।


  • भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI) की सिफारिशें: इसने पहले दूरसंचार ऑपरेटरों को KYC दस्तावेजों के आधार पर कॉलर के नाम प्रदर्शित करने के लिए कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (Calling Name Presentation-CNAP) नामक प्रणाली को एकीकृत करने की सिफारिश की थी। 
    • दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications-DoT): कथित तौर पर वह CNAP परियोजना का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की प्रक्रिया में है। 
      • CNAP: इसका उद्देश्य कॉल प्राप्त करते समय कॉलर का नाम दिखाना है, जो ट्रूकॉलर (Truecaller) जैसी सेवाओं के समान है। 
      • क्राउड-सोर्स्ड सेवाओं के विपरीत, CNAP ग्राहकों द्वारा भरे गए ग्राहक आवेदन फॉर्म (Customer Application Forms -CAF) से प्राप्त सत्यापित जानकारी पर निर्भर करेगा। 

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) 

  • TRAI का पूरा नाम: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India) 
  • अधिदेश: भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI) की भारत में दूरसंचार क्षेत्र को विनियमित करने की मुख्य भूमिका है। 
    • इसका उद्देश्य देश में दूरसंचार के विकास के लिए परिस्थितियाँ सृजित करना और उनका पोषण करना है।
  • स्थापना: भारत में दूरसंचार सेवाओं और शुल्कों को विनियमित करने के लिए संसद के एक अधिनियम द्वारा वर्ष 1997 में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण की स्थापना की गई थी। इससे पहले, दूरसंचार सेवाओं और शुल्कों का विनियमन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता था। 
  • TRAI की स्थापना का उद्देश्य भारत में दूरसंचार के विकास के लिए एक अग्रदूत के रूप में कार्य करना तथा उभरते वैश्विक सूचना समाज में भारत को अग्रणी भूमिका प्रदान करना था।
  • उद्देश्य: TRAI का लक्ष्य एक निष्पक्ष और पारदर्शी वातावरण प्रदान करना है, जो समान अवसर को बढ़ावा दे और बाजार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को सुविधाजनक बनाए।

चुनौतियाँ

  • स्पष्टता का अभाव: मई 2024 की समाचार रिपोर्टों के अनुसार, दूरसंचार विभाग ने, हेरफेर की गई कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी (Calling Line Identity-CLI)) के साथ अंतरराष्ट्रीय कॉलों को ‘पहचानने और ब्लॉक करने’ के लिए एक प्रणाली तैयार की है और दूरसंचार ऑपरेटरों को ऐसे कॉलों को ग्राहकों तक पहुँचने से रोकने के निर्देश जारी किए हैं।
    • हालाँकि, यह देखते हुए कि समस्या अभी भी ठीक नहीं हुई है, यह स्पष्ट नहीं है कि प्रणाली (जिसका तकनीकी विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है) प्रभावी है या नहीं, या इसे लागू भी किया गया है या नहीं। 
    • CNAP: हालाँकि यह ज्ञात नहीं है कि, CNAP को क्रियान्वित किया जाएगा (या किया जाना चाहिए), लेकिन यह कहा जा सकता है कि कॉलर आईडी स्पूफिंग के लिए तकनीकी समाधान लागू किए बिना ऐसी प्रणाली शुरू करना एक गलती होगी। 
  • परियोजना पर TRAI-2022 परामर्श-पत्र: इसमें कॉलर आईडी स्पूफिंग का केवल कुछ उल्लेख किया गया है तथा इस समस्या से निपटने के लिए कोई योजना या तकनीकी उपाय प्रदान नहीं किया गया है। 
    • इसमें केवल एक वाक्य में स्वीकार किया गया है कि, कॉलर आईडी स्पूफिंग एक समस्या है, जो वर्तमान में विद्यमान है।
  • सरकारी निष्क्रियता (Government inaction) – दूरसंचार अधिनियम, 2023 आंशिक रूप से अधिसूचित किया गया था, जो केंद्र सरकार को ‘आपातकाल’ के समय किसी भी दूरसंचार सेवा या नेटवर्क का नियंत्रण और संचालन अपने हाथ में लेने की अनुमति देता है। 
    • अधिनियम की धारा-20: यह सरकार को ‘आपदा प्रबंधन सहित किसी भी सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में’ किसी अधिकृत इकाई से ‘किसी भी दूरसंचार सेवा या दूरसंचार नेटवर्क का अस्थायी कब्ज़ा’ लेने का अधिकार देती है। 
    • इस अधिनियम की आलोचना इस आधार पर की गई है कि यह आक्रामक है तथा निगरानी शक्तियों को संभावित रूप से बढ़ाता है। 
    • कॉलर आईडी स्पूफिंग को ठीक करना ‘सार्वजनिक सुरक्षा के हित में’ होगा लेकिन फिर भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

आगे की राह

भारत में कॉल स्पूफिंग चुनौतियों से निपटने के लिए वर्तमान उपायों में मौजूद कमियों को दूर करने तथा एक मजबूत और प्रभावी समाधान सुनिश्चित करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। 

  • बढ़ी हुई स्पष्टता और पारदर्शिता (Enhanced Clarity and Transparency)
    • तकनीकी विवरण प्रकटीकरण: दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications-DoT) को हेरफेर की गई कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी (Calling Line Identity-CLI) कॉलों की पहचान करने और उन्हें ब्लॉक करने के लिए डिजाइन की गई प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करनी चाहिए। 
      • यह पारदर्शिता प्रणाली की प्रभावशीलता और सुधार के क्षेत्रों का आकलन करने में मदद करेगी।
    • नियमित अपडेट और ऑडिट (Regular Updates and Audits): कॉल ब्लॉकिंग प्रौद्योगिकी के नियमित अपडेट और स्वतंत्र ऑडिट के लिए एक प्रणाली लागू करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह अपेक्षित रूप से कार्य कर रही है और नई स्पूफिंग तकनीकों से निपटने के लिए विकसित हो रही है।
  • CNAP (कॉलर नाम प्रस्तुति[Caller Name Presentation-CNAP]) का कार्यान्वयन: भारत में CNAP के कार्यान्वयन के संभावित लाभों और चुनौतियों का मूल्यांकन करने के लिए व्यवहार्यता अध्ययन और पायलट परियोजनाएँ संचालित करना। 
    • कॉलर आईडी स्पूफिंग से संबंधित तकनीकी मुद्दों को हल करने के बाद ही CNAP शुरू किया जाना चाहिए।
  • विधायी कार्रवाई और सरकार की भागीदारी
    • दूरसंचार अधिनियम, 2023 की स्पष्टता: दूरसंचार अधिनियम के तहत सरकारी शक्तियों के दायरे और सीमाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करके निगरानी और गोपनीयता से संबंधित चिंताओं का समाधान करना। 
    • कॉल स्पूफिंग के लिए आपातकालीन उपाय (Emergency Measures for Call Spoofing): यदि आवश्यक समझा जाए, तो कॉल स्पूफिंग के गंभीर मामलों से निपटने के लिए अधिनियम की धारा 20 के तहत आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करना। 
      • जनता का विश्वास और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए यह कार्य पारदर्शी तरीके से तथा स्पष्ट दिशा-निर्देशों के साथ किया जाना चाहिए।
  • जन जागरूकता और शिक्षा (Public Awareness and Education): कॉल स्पूफिंग के जोखिमों के बारे में जनता को शिक्षित करने तथा ऐसी घटनाओं को पहचानने और रिपोर्ट करने के तरीके के बारे में राष्ट्रीय जागरूकता अभियान शुरू करना। 
  • सहयोग: कॉल स्पूफिंग से निपटने के लिए ज्ञान, उपकरण और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए दूरसंचार ऑपरेटरों, प्रौद्योगिकी डेवलपर्स और नियामक निकायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना। 
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग (International Cooperation): कॉल स्पूफिंग से निपटने के लिए अंतर्दृष्टि और रणनीतियों को साझा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय निकायों और अन्य देशों के साथ जुड़ना।

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