100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

ला नीना

Lokesh Pal August 02, 2024 06:03 180 0

संदर्भ

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पूर्वानुमान लगाया है कि जुलाई के अंत तक ला नीना की स्थिति बनने की प्रबल संभावना के कारण मानसून सीजन के दूसरे भाग (अगस्त-सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।

ला नीना (La Nina)

ला नीना एक प्राकृतिक जलवायु पैटर्न है, जो भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी भागों में समुद्र की सतह के तापमान के समय-समय पर ठंडा होने से चिह्नित होता है।

  • ला नीना का मतलब स्पेनिश में “छोटी लड़की” होता है, जिसे कभी-कभी एल विएजो, एंटी-एल नीनो या “ठंडी घटना” भी कहा जाता है। 
  • घटना: ला नीना घटनाएँ आमतौर पर हर 3 से 5 वर्ष में होती हैं, हालाँकि वे कभी-कभी लगातार वर्षों में भी हो सकती हैं। 
  • ENSO चक्र: ला नीना एल नीनो/दक्षिणी दोलन (ENSO) चक्र का ठंडा चरण है।
  • अल नीनो के विपरीत: ला नीना का प्रभाव अल नीनो के विपरीत होता है, जिसमें सामान्य से तीव्र व्यापारिक पवनें गर्म जल को एशिया की ओर धकेलती हैं। 
  • उष्णकटिबंधीय वर्षा पर प्रभाव: ला नीना घटना के दौरान, प्रशांत महासागर का ठंडा तापमान इंडोनेशिया से लेकर दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट तक उष्णकटिबंधीय वर्षा पैटर्न में बदलाव लाता है। 
  • वैश्विक मौसम प्रभाव: उष्णकटिबंधीय वर्षा में ये बदलाव दुनिया भर के मौसम पैटर्न को प्रभावित कर सकते हैं।

ला नीना की स्थितियाँ और विशेषताएँ

  • पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में ठंडा जल: ला नीना की घटना तब होती है जब पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में पानी का तापमान सामान्य से अधिक ठंडा हो जाता है, जिससे इस क्षेत्र में उच्च दबाव बन जाता है।
  • कारण: यह उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में सामान्य से अधिक ठंडे जल के निर्माण के कारण होता है, जो कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच का क्षेत्र है।
  • पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में कम दाब: ला नीना पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में सामान्य से कम वायु दबाव द्वारा चिह्नित होता है, जिसके कारण उस क्षेत्र में वर्षा बढ़ जाती है।
  • वैश्विक मौसम प्रभाव
    • दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका और उत्तरी ब्राजील: इन क्षेत्रों में ला नीना घटनाओं के दौरान सामान्य से अधिक बारिश होती है।
    • उत्तरी ऑस्ट्रेलिया: प्रबल ला नीना घटनाएँ भयंकर बाढ़ का कारण बन सकती हैं।
  • मध्य और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में उच्च दाब: ला नीना की विशेषता इन क्षेत्रों में सामान्य से अधिक दाब है, जिसके कारण बादल छाए रहते हैं और वर्षा कम होती है। 
  • शुष्क परिस्थितियाँ: उष्णकटिबंधीय दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट, संयुक्त राज्य अमेरिका के खाड़ी तट और दक्षिणी दक्षिण अमेरिका के पम्पास क्षेत्र में सामान्य से अधिक शुष्क मौसम देखा जाता है।

पिछली ला नीना घटनाएँ

  • वर्ष 2020-23 ला नीना घटना: यह घटना लगातार तीन वर्षों तक चलने के कारण उल्लेखनीय थी।
    • यह एक दुर्लभ घटना है जिसे “ट्रिपल-डिप” ला नीना के रूप में जाना जाता है।
      • यह एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) के सामान्य 9-12 महीने के चक्र की तुलना में असामान्य है।
  • इस घटना में, उष्णकटिबंधीय मध्य और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण-पूर्वी हवाएँ चलती रहीं।
  • ला नीना 2010: यह ला नीना घटना क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में दुनिया की सबसे खराब बाढ़ आपदा से जुड़ी है।
    • इसने लगभग 10,000 घरों को खाली करवा दिया और $2 बिलियन से अधिक का नुकसान हुआ।

अल-नीनो और ला-नीना के बीच अंतर

अल नीनो ला नीना
प्रशांत महासागर में व्यापारिक पवनें कमजोर हो जाती हैं। व्यापारिक हवाएँ सामान्य से अधिक तेज हो जाती हैं।
प्रशांत महासागर के पूर्वी भाग में गर्म जल जमा हो जाता है। प्रशांत महासागर के पश्चिमी भाग में ठंडा जल जमा हो जाता है।
पोषक तत्त्वों से भरपूर जल के ऊपर उठने में कमी के कारण मछलियाँ कम हो जाती हैं। पोषक तत्त्वों से भरपूर जल के ऊपर उठने से अधिक मछलियों की संख्या बढ़ जाती हैं।
भारतीय मानसून कमजोर होता है और उत्तरी अमेरिका में वर्षा बढ़ जाती है। भारत में सामान्य से बेहतर मानसून रहता है।
अल-नीनो की घटना अधिक बार होती है। ला-नीना की घटना कम बार होती है।

मानसून ऋतु के दौरान भारत में वर्षा वितरण पर ला नीना का प्रभाव

ला नीना, जिसकी विशेषता मध्य और पूर्व-मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह के तापमान में कमी है, भारत के मानसून वर्षा पैटर्न को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। ला नीना घटनाओं के दौरान

  • मध्य और उत्तरी भारत में बारिश में वृद्धि: ला नीना आमतौर पर मानसूनी पवनें को मजबूत करता है, जिससे मध्य, उत्तरी और पश्चिमी भारत में वर्षा बढ़ जाती है।
    • इससे अक्सर मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा होती है।
    • बाढ़ और भूस्खलन का खतरा: फसलों के लिए फायदेमंद होने के बावजूद, भारी वर्षा से शहरों और निचले इलाकों में बाढ़ आ सकती है, साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन भी हो सकता है।

  • कुछ क्षेत्रों में कम वर्षा: जबकि ला नीना आम तौर पर अच्छी मानसूनी वर्षा लाता है, पूर्वोत्तर राज्यों, पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों और दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र जैसे कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है। 
    • इस असमान वितरण के कारण मजबूत मानसून वर्ष के दौरान भी स्थानीय सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है।
    • तापमान में उतार-चढ़ाव: भारत के दक्षिणी भाग में अल नीनो वर्षों की तुलना में कम हीटवेब अनुभव की जा सकती हैं।

अल नीनो

  • अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है, जिसकी विशेषता पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतही जल का असामान्य रूप से गर्म होना है। 
  • इसे अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) के “गर्म चरण” के रूप में जाना जाता है और यह ला नीना की तुलना में अधिक बार होता है।
  • महासागरों पर प्रभाव
    • अल नीनो समुद्र के तापमान, समुद्री धाराओं की गति और ताकत तथा तटीय मत्स्यपालन के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह ऑस्ट्रेलिया से लेकर दक्षिण अमेरिका और उससे आगे तक स्थानीय मौसम पैटर्न को प्रभावित करता है।
  • वर्षा में वृद्धि
    • सतही जल के गर्म होने से संवहन और वर्षा में वृद्धि होती है।
    • दक्षिण अमेरिका में वर्षा में उल्लेखनीय वृद्धि होती है, जिससे तटीय बाढ़ और कटाव होता है।
  • स्वास्थ्य प्रभाव
    • अल नीनो से संबंधित बाढ़ के कारण हैजा, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैल सकती हैं।
    • अल नीनो से जुड़े सूखे के कारण जंगल में आग लग सकती है, जिससे श्वसन संबंधी स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकता है।
  • सकारात्मक प्रभाव
    • अल नीनो अटलांटिक में तूफानों की आवृत्ति को कम कर सकता है।
  • दक्षिण अमेरिका और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव
    • जबकि अल नीनो दक्षिण अमेरिका में बारिश लाता है, यह इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में सूखे का कारण बनता है, जिससे जल आपूर्ति और कृषि को खतरा होता है। 
    • पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में, गर्म व्यापारिक पवनें सतह के जल को एशिया और ऑस्ट्रेलिया की ओर धकेलती हैं, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ता है और तापमान बढ़ता है। 
    • गर्म जल के पश्चिम की ओर बढ़ने से इक्वाडोर, पेरू और चिली के तटों पर पानी ऊपर उठता है, जिससे समुद्र की सतह पर ठंडा, पोषक तत्त्वों से भरपूर जल आता है।
  • अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO)
    • ENSO, ला नीना और अल नीनो के संयुक्त चरणों को संदर्भित करता है, जो दुनिया भर में वर्षा पैटर्न, वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण और वायुमंडलीय दबाव को प्रभावित करता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.