हाल ही में भारत को IPEF की आपूर्ति शृंखला परिषद का उपाध्यक्ष चुना गया, जिससे आपूर्ति शृंखला लचीलेपन के लिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) आपूर्ति शृंखला समझौते के अनुरूप, भारत और 13 अन्य इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क भागीदारों ने तीन आपूर्ति शृंखला निकाय स्थापित किए हैं।
निकाय
आपूर्ति शृंखला परिषद (Supply Chain Council): राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य आदि के लिए महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों और वस्तुओं के लिए आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करने के लिए लक्षित, कार्रवाई-उन्मुख प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करती है।
संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क (Crisis Response Network): तत्काल या आसन्न व्यवधानों के लिए सामूहिक आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के लिए एक मंच प्रदान करता है।
श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड (Labor Rights Advisory Board): क्षेत्रीय आपूर्ति शृंखलाओं में श्रम अधिकारों और कार्यबल विकास को मजबूत करने के लिए श्रमिकों, नियोक्ताओं और सरकारों को एक साथ लाता है।
SCR आपूर्ति शृंखला नेटवर्क की व्यवधानों को सहन करने तथा राजस्व, लागत और ग्राहकों पर उनके प्रभाव को न्यूनतम करने की क्षमता है।
कच्चे माल या उत्पादों की संयोजन से लेकर अंतिम बिक्री तक की परस्पर सम्बद्ध प्रक्रिया ।
आपूर्ति शृंखला लचीलापन को खतरे
भू-राजनीतिक: रूस-यूक्रेन जैसे संघर्षों के कारण ऊर्जा आपूर्ति में व्यवधान।
आर्थिक: COVID-19 से प्रेरित माँग और आपूर्ति समस्याएँ।
SCR के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम
वैश्विक पहल: आपूर्ति शृंखला लचीलापन पहल (ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ), क्वाड आपूर्ति शृंखला पहल।
घरेलू पहल: PM गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, विभिन्न क्षेत्रों के लिए PLI योजना।
वर्तमान नियुक्तियाँ
आपूर्ति शृंखला परिषद: अमेरिका (अध्यक्ष) और भारत (उपाध्यक्ष)
संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क: कोरिया गणराज्य (अध्यक्ष) और जापान (उपाध्यक्ष)
श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड: संयुक्त राज्य अमेरिका (अध्यक्ष) और फिजी (उपाध्यक्ष)।
हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा (IPEF)
इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) मई 2022 में टोक्यो, जापान में लॉन्च किया गया था, जिसमें 14 देश शामिल हैं।
इसका उद्देश्य विकास, आर्थिक स्थिरता और क्षेत्रीय समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए भागीदार देशों के मध्य आर्थिक जुड़ाव और सहयोग को बढ़ाना है।
सदस्य (14): ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और संयुक्त राज्य अमेरिका।
IPEF स्तंभ
निष्पक्ष एवं लचीला व्यापार: क्षेत्रीय आर्थिक विकास, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देता है।
आपूर्ति शृंखला लचीलापन: आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत और एकीकृत करता है।
स्वच्छ अर्थव्यवस्था (Clean Economy): नवीकरणीय ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
निष्पक्ष अर्थव्यवस्था: प्रभावी भ्रष्टाचार विरोधी और कर नीतियों को लागू करती है।
भारत स्तंभ II से IV में भाग लेता है तथा स्तंभ I में पर्यवेक्षक का दर्जा रखता है।
भारत की स्थिति
सदस्य देशों को होने वाले लाभ तथा संभावित भेदभावपूर्ण शर्तों, विशेषकर पर्यावरणीय मुद्दों के संबंध में चिंताओं के कारण भारत ने वार्ता में शामिल होने के बारे में कोई निश्चित रुख नहीं अपनाया है।
IPEF की चिंताएँ: IPEF में प्रस्तावित कुछ क्षेत्र भारत के हितों के अनुरूप नहीं हैं। उदाहरण के लिए, IPEFके डिजिटल गवर्नेंस पहलू भारत की मौजूदा स्थिति के साथ टकराव में हैं।
डिजिटल फ्रेमवर्क विकास: भारत गोपनीयता और डेटा संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपना स्वयं का डिजिटल फ्रेमवर्क और कानून विकसित कर रहा है।
डेटा संरक्षण विधेयक को वापस लेना: अगस्त 2022 में, भारत ने इंटरनेट पारिस्थितिकी तंत्र और साइबर सुरक्षा को विनियमित करने के लिए एक ‘व्यापक कानूनी ढाँचे’ पर विचार करने का विकल्प चुनते हुए, संसद से व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक को वापस ले लिया।
डेटा स्थानीयकरण पर अमेरिकी चिंताएँ: अमेरिका ने पहले भी भारत के लिए संभावित रूप से डेटा स्थानीयकरण की आवश्यकता के बारे में चिंता व्यक्त की है, जिसके तहत यह अनिवार्य होगा कि अमेरिकी कंपनियों के डेटा सहित भारतीय उपयोगकर्ताओं का डेटा भारत में ही संगृहीत और संसाधित किया जाएगा।
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