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34 नए जायंट रेडियो सोर्स की खोज

Lokesh Pal August 05, 2024 02:50 77 0

संदर्भ

भारतीय खगोलविदों ने 34 नए जायंट रेडियो सोर्स (Giant Radio Sources-GRS) की खोज के लिए जायंट मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप (Giant Metrewave Radio Telescope-GMRT) का उपयोग किया है। 

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • पूर्व खोज: 20 वर्ष पहले केवल लगभग 100 जायंट रेडियो सोर्स  ही ज्ञात थे। 
  • सीमित खोज का कारण: अवलोकन संबंधी सीमाओं के कारण यह संख्या वास्तविक संख्या का एक सूक्ष्म अंश ही थी। 
  • खोज में प्रगति: कम आवृत्तियों पर संचालित नई दूरबीनों, जैसे कि GMRT  [जायंट मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप (Giant Metrewave Radio Telescope)] और LOFAR [लो फ्रीक्वेंसी एरे- Low-Frequency Array] के परिचालन से ज्ञात विशाल रेडियो सोर्स की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो अब कुछ हजार तक पहुँच गई है। 

मुख्य बिंदु

  • जायंट रेडियो सोर्स की खोज: भारतीय रेडियो खगोलविदों की एक टीम ने 34 नए जायंट रेडियो सोर्स (GRS) की पहचान की है। 
    • ये निष्कर्ष अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के एस्ट्रोफिजिकल जर्नल सप्लीमेंट सीरीज (Astrophysical Journal Supplement Series-ApJS) में प्रकाशित हुए हैं। 
  • पारंपरिक दृष्टिकोण को चुनौती: नए खोजे गए दो GRS, J0843+0513 और J1138+4540, इस पारंपरिक धारणा को चुनौती देते हैं कि GRS केवल कम घनत्व वाले वातावरण में ही विकसित होते हैं। 
    • शोधकर्ताओं के अनुसार, पर्यावरणीय घनत्व के अतिरिक्त अन्य कारक भी जायंट रेडियो आकाशगंगाओं (GRG) के असाधारण रूप से बड़े आकार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • प्रयुक्त दूरबीन: यह खोज पुणे से लगभग 90 किमी. उत्तर में खोदाद गाँव के पास स्थित जायंट मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप (GMRT) का उपयोग करके की गई। 
    • GMRT का संचालन टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (Tata Institute of Fundamental Research-TIFR) के राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र (National Centre for Radio Astrophysics-NCRA) द्वारा किया जाता है। 
    • यह दूरबीन कम आवृत्ति पर रेडियो आकाश का सर्वेक्षण करती थी, जिससे यह इन धुँधली, दूरस्थ वस्तुओं का पता लगाने के लिए आदर्श थी। 
  • सर्वेक्षण का उपयोग: वर्ष 2010 से वर्ष 2012 तक, 150 मेगाहर्ट्ज पर संबंधित अंतरिक्ष क्षेत्र का मानचित्रण करने के लिए GMRT का उपयोग करके एक सर्वेक्षण किया गया, जिसे TIFR GMRT स्काई सर्वे (TIFR GMRT Sky Survey-TGSS) के रूप में जाना जाता है, जो लगभग 90% आकाश को कवर करता है। 
    • खगोलविदों की टीम ने अपने शोध के लिए TIFR GMRT स्काई सर्वे (TGSS) का उपयोग किया, क्योंकि इसकी आवृत्तियाँ कम थीं और GMRT अधिक संवेदनशील थी। 
  • निम्न-आवृत्ति रेडियो सर्वेक्षण का  लाभ
    • पहचान के लिए उपयुक्तता: उच्च आवृत्ति सर्वेक्षणों की तुलना में कम आवृत्ति रेडियो सर्वेक्षण GRS की पहचान के लिए अधिक प्रभावी हैं। 

 जायंट रेडियो सोर्स (Giant Radio Sources-GRS)

  • जायंट रेडियो सोर्स ब्रह्मांड की सबसे बड़ी संरचनाओं में से एक हैं।  
    • वे अपने केंद्र में स्थित अतिविशाल ब्लैक होल्स द्वारा संचालित होते हैं, जो सूर्य से लाखों से अरबों गुना भारी होते हैं।
    • ये ब्लैक होल गर्म प्लाज्मा के शक्तिशाली जेट उत्सर्जित करते हैं, जो विशाल रेडियो उत्सर्जक लोब बनाते हैं, जो आकाशगंगा के दृश्य भागों से भी आगे तक फैले होते हैं। 
  • महत्त्व
    • रेडियो आकाशगंगाओं का अंतिम चरण: माना जाता है कि GRS अपने विशाल आकार के कारण रेडियो आकाशगंगा के जीवन के अंतिम चरण का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
    • रेडियो आकाशगंगा विकास में अंतर्दृष्टि: GRS का आकार और संरचना रेडियो आकाशगंगाओं के विकास में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। 
      • GRS के अध्ययन से वैज्ञानिकों को ब्लैक होल की गतिविधियों और रेडियो आकाशगंगाओं के विकास के बीच संबंध को समझने में मदद मिलती है। 
    • इंटरस्टिशियल स्पेस को समझना: GRS  रेडियो आकाशगंगाओं के खंडों के बीच इंटरस्टिशियल स्पेस के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। 
    • ब्रह्मांडीय पदार्थ वितरण और व्यवहार (Cosmic Matter Distribution and Behavior): जायंट रेडियो आकाशगंगाओं पर शोध से ब्रह्मांड में पदार्थ के वितरण और व्यवहार को समझने में सहायता मिलती है। 
  • जायंट रेडियो स्रोतों के अवलोकन और खोज में चुनौतियाँ
    • पृथक्करण समस्या: जैसे-जैसे रेडियो स्रोत आकार में बढ़ते हैं, उनके सिरे अधिक दूर-दूर होते जाते हैं। 
    • कनेक्शन की कठिनाई: बढ़ी हुई दूरी के कारण एक ही स्रोत के भाग के रूप में सिरों को अवलोकन द्वारा जोड़ना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। 

राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र (National Centre for Radio Astrophysics-NCRA)

  • स्थान: पुणे विश्वविद्यालय परिसर, भारत।
    • यह टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई का एक हिस्सा है। 
  • अनुसंधान फोकस: टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (NCRA-TIFR) का राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र भारत में रेडियो खगोल विज्ञान के लिए एक संस्थान है। 
    • संस्थान का मुख्य फोकस: रेडियो खगोल विज्ञान और उपकरण, जिसमें सूर्य, पल्सर, अंतरतारकीय माध्यम, सक्रिय आकाशगंगाओं, ब्रह्माण्ड विज्ञान आदि का अध्ययन शामिल है। 
  • प्रमुख दूरबीनें
    • जायंट मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप (Giant Metrewave Radio Telescope-GMRT): दुनिया की सबसे बड़ी मीटर-तरंगदैर्ध्य दूरबीन, पुणे से 80 किमी. दूर खोडद में स्थित है। 
    • ऊटी रेडियो टेलिस्कोप (Ooty Radio Telescope-ORT): भारत के उटकमंडलम् के पास स्थित एक बड़ा बेलनाकार दूरबीन। 

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