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Lokesh Pal
August 06, 2024 04:04
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हाल ही में केंद्रीय बजट 2024-25 में जनगणना के लिए ₹1,309.46 करोड़ आवंटित किए गए, जो वर्ष 2021-22 से काफी कम है, जब दशकीय प्रक्रिया के लिए ₹3,768 करोड़ आवंटित किए गए थे, जिससे काफी देरी का संकेत मिलता है।
भारत में जनगणना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है। संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन के संदर्भ में संविधान में जनगणना अभ्यास का बार-बार उल्लेख किया गया है।
जनगणना प्राथमिक, प्रामाणिक आँकड़े तैयार करती है, जो प्रत्येक सांख्यिकीय उद्यम की रीढ़ बन जाती है तथा समस्त योजना, प्रशासनिक और आर्थिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को सूचित करती है।
भारतीय जनगणना भारत के लोगों की विभिन्न विशेषताओं पर विविध सांख्यिकीय जानकारी का सबसे बड़ा एकल स्रोत है, जिसका उपयोग शोधकर्ताओं और जनसांख्यिकीविदों द्वारा जनसंख्या की वृद्धि और प्रवृत्तियों का विश्लेषण करने और अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।
वर्ष 2021 की जनगणना में देरी से भारत के राजनीतिक और प्रशासनिक ढाँचे, विशेष रूप से लोकसभा सीटों के संतुलन पर काफी प्रभाव पड़ता है।
कोविड-19 महामारी के कारण हुई देरी के बाद जल्द-से-जल्द जनगणना कराने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
संसद में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व और प्रभावी शासन के लिए जनगणना प्रक्रिया में तेजी लाना बहुत आवश्यक है। निम्नलिखित कुछ सुझाए गए उपाय हैं जिन्हें अपनाने की आवश्यकता है:
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