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बांग्लादेश में राजनीतिक संकट एवं भारत-बांग्लादेश संबंधों पर इसका प्रभाव

Lokesh Pal August 07, 2024 04:10 392 0

संदर्भ

हाल ही में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने तथा बांग्लादेश छोड़ने से भारत के लिए कई अनिश्चितताएँ उत्पन्न हो गई हैं।

  • बांग्लादेश में शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान भारत-बंग्लादेश संबंध नई ऊँचाइयों पर पहुँचे। 

बांग्लादेश में राजनीतिक संकट: एक संक्षिप्त परिचय

  • बांग्लादेश में राजनीतिक संकट के कई कारक हैं, जैसे चुनाव में धाँधली के आरोप, निरंकुश शासन, कपड़ा उद्योगों पर कोविड-19 का प्रभाव, टका (बांग्लादेश की मुद्रा) का अवमूल्यन, रोजगार में कमी आदि, लेकिन तात्कालिक कारण 30% आरक्षण संबंधी प्रावधान है।
  • राजनीतिक असंतोष: शेख हसीना सरकार के प्रशासन पर विपक्ष के मुद्दों को व्यवस्थित रूप से दबाने का आरोप लगाया गया है। सत्ता में उनके लंबे शासनकाल में विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन जैसी घटनाएँ हुईं।
    • आलोचकों का तर्क है कि हसीना की सरकार ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं तथा संस्थाओं को कमजोर किया है। उनके कार्यकाल के दौरान चुनाव, धाँधली और हिंसा के आरोपों से प्रभावित हुए थे।
  • मानवाधिकार उल्लंघन: शेख हसीना सरकार के तहत मानवाधिकार उल्लंघन की अनेक रिपोर्टें सामने आई हैं, जिनमें लोगों को जबरन कारावास और न्यायेतर हत्याएँ शामिल हैं।
  • मीडिया सेंसरशिप: हसीना प्रशासन को प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों और मीडिया आउटलेट्स को अक्सर उत्पीड़न, कानूनी कार्रवाई या बंद का सामना करना पड़ता है।
  • आर्थिक कारक: बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, हालाँकि बढ़ रही है, लेकिन बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों का सामना कर रही है। युवाओं में असंतोष, विशेष रूप से नौकरी के अवसरों और आर्थिक संभावनाओं के बारे में, अशांति को बढ़ावा देता है।
  • विवादास्पद आरक्षण प्रणाली के बारे में
    • छात्रों द्वारा आंदोलन: जुलाई 2024 में छात्रों द्वारा विवादास्पद आरक्षण प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुआ, जिसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30% नौकरी कोटा बहाल करने के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सरकारी नौकरियों का आवंटन किया गया था।
    • आरक्षण कोटा समाप्त करने की माँग: 170 मिलियन की आबादी वाले बांग्लादेश में करीब 32 मिलियन युवा बेरोजगार हैं या शिक्षा से वंचित हैं। उत्तेजित छात्रों ने स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए 30% आरक्षण कोटा समाप्त करने का आह्वान किया।
    • हिंसक विरोध: 16 जुलाई को छात्र प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा अधिकारियों और सरकार समर्थक कार्यकर्ताओं के साथ झड़प के बाद विरोध हिंसक हो गया। इसके चलते कर्फ्यू लगा दिया गया और देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया। इंटरनेट और मोबाइल डेटा भी बंद कर दिया गया।
    • इस्तीफे की माँग: आरक्षण कम हुआ, लेकिन नाराज छात्रों ने शेख हसीना के इस्तीफे की माँग की, जिसके बाद  विरोध प्रदर्शन तेजी से बढ़ा तथा पूरे देश में नागरिक अशांति फैल गई।
    • न्यायपालिका की कार्रवाई: विरोध को नियंत्रित करने के लिए, बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत ने विवादास्पद कोटा प्रणाली को वापस ले लिया। सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण को 30% से घटाकर 5% कर दिया, जिसमें 93% नौकरियाँ योग्यता के आधार पर आवंटित की जानी थीं।
    • स्थिति और भी बिगड़ गई: विद्रोह को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनकारी छात्रों को ‘आतंकवादी’ करार दिया और प्रशासन को उनके साथ सख्ती से निपटने का आदेश दिया। इसके चलते छात्रों द्वारा सरकार और उनके मंत्रिमंडल के इस्तीफे की माँग की जाने लगी।
    • इस्तीफा और तख्तापलट: 5 अगस्त, 2024 को, शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया। 
      • बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने एक प्रसारण में घोषणा की सेना एक अंतरिम सरकार का गठन करेगी।

बांग्लादेश की राजनीति में सेना की भूमिका

  • बांग्लादेशी लोकतंत्र के उतार-चढ़ाव भरे इतिहास में समय-समय पर सेना द्वारा हस्तक्षेप देखा गया है। सेना ने नवंबर 1975 में मुख्य न्यायाधीश अबू सदात मोहम्मद सईम को राष्ट्रपति नियुक्त किया और देश पर सैन्य जुंटा का शासन था।
  • वर्ष 1977 में जनरल जियाउर रहमान राष्ट्रपति बने; वर्ष 1981 में उनकी हत्या कर दी गई और उनके उत्तराधिकारी अब्दुस सत्तार को वर्ष 1982 में तख्तापलट के जरिए हटा दिया गया। सेना प्रमुख एच. एम. इरशाद ने सत्ता सँभाली, लेकिन व्यापक अशांति के कारण वर्ष 1990 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
  • इसके बाद खालिदा जिया (वर्ष 1991-96 और वर्ष 2001-06) और शेख हसीना (वर्ष 1996- 2001) की नागरिक सरकारें आईं। इस बीच, वर्ष 1996 में तख्तापलट की कोशिश की गई।
  • वर्ष 2006 में खालिदा के कार्यकाल के अंत में व्यापक अशांति के बाद, सेना ने तत्कालीन राष्ट्रपति से आपातकाल घोषित करने को कहा। जनवरी 2007 से दिसंबर 2008 तक एक कार्यवाहक सरकार प्रभारी थी।
  • वर्ष 2008 में शेख हसीना के सत्ता में वापस आने के बाद, उन्होंने सुनिश्चित किया कि सेना बैरकों में वापस लौट आए।
  • वर्ष 2010 में, सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी खामियों के माध्यम से सैन्य हस्तक्षेप की गुंजाइश को कम कर दिया और बांग्लादेश के संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों की पुनः पुष्टि की।

शेख हसीना के कार्यकाल का भारत के लिए महत्त्व

  • प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग (AL) वर्ष 2009 से बांग्लादेश पर शासन कर रही है। बांग्लादेश में सुरक्षित ठिकानों से संचालित भारत विरोधी आतंकवादी समूहों के उन्मूलन से लेकर आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने तक, उनके कार्यकाल ने भारत और बांग्लादेश के बीच स्वस्थ संबंधों को बढ़ावा दिया है।
  • सुरक्षा खतरों के विरुद्ध कार्रवाई: इसने आतंकवादी समूहों और उग्रवाद से निपटने में सक्रिय उपायों के साथ भारत की पूर्वी सीमा पर भारत की सुरक्षा चुनौतियों को कम किया।
    • इसने बांग्लादेश से संचालित होने वाले नृजातीय विद्रोही समूहों के खिलाफ कार्रवाई की ।
    • बांग्लादेश ने वर्ष 2013 में उग्रवादियों को भारत वापस भेजने के लिए प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए।
    • इसने अलगाववादी (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) के प्रमुख नेताओं को भारत को सौंप दिया।
  • महत्त्वपूर्ण रणनीतिक संबंध: पिछले एक दशक में भारत तथा बांग्लादेश के बीच रणनीतिक संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बांग्लादेश भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का प्रमुख लाभार्थी रहा है, जिसे ऊर्जा, वित्तीय तथा कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए अनुदान एवं ऋण प्राप्त हुए हैं।
  • भारत विरोधी उग्रवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई: बांग्लादेश की सीमा भारत के कई पूर्वोत्तर राज्यों से लगती है, जिनमें से कई को उग्रवादी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। बांग्लादेश ने ऐसी गतिविधियों पर नकेल कसी, जो बांग्लादेशी क्षेत्र में प्रशिक्षण शिविर चलाती थीं और हथियारों का आयात-निर्यात करती थीं।
  • भूमि सीमा समझौता: इस ऐतिहासिक समझौते के तहत भारत से बांग्लादेश को 111 परिक्षेत्रों का हस्तांतरण हुआ। इसके विपरीत, भारत को 51 परिक्षेत्र मिले, जो बांग्लादेश में थे।
  • ऋण सहायता: वर्ष 2010 में, हसीना की भारत यात्रा के दौरान, भारत ने अपने विकास सहायता कार्यक्रम के अंतर्गत बांग्लादेश को 1 बिलियन डॉलर का ऋण दिया था।
  • गंगा जल संधि: वर्ष 1996 में दोनों देशों ने गंगा जल संधि पर हस्ताक्षर किए।
  • पूर्वोत्तर राज्यों से कनेक्टिविटी: बांग्लादेश के माध्यम से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र तक पहुँच, सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से पूर्वोत्तर से जुड़ने से जुड़ी भेद्यता को कम करती है, जिसे आमतौर पर ‘चिकन नेक’ क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
    • उन्होंने भारत को पारगमन अधिकार भी प्रदान किए, जिससे भारतीय मुख्य भूमि से पूर्वोत्तर राज्यों तक माल की आवाजाही आसान हो गई है।
    • कनेक्टिविटी में प्रमुख उपलब्धियाँ: इसमें त्रिपुरा में फेनी नदी पर मैत्री सेतु पुल और चिलाहाटी-हल्दीबाड़ी रेल लिंक शामिल हैं।

शेख हसीना सरकार का पतन तथा भारत पर प्रभाव

  • अंतरिम सरकार की प्रकृति अस्पष्ट: बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने कार्यभार सँभाल लिया है और अब तक उन्होंने अंतरिम सरकार का प्रस्ताव देकर सही संकेत दिए हैं। लेकिन इस अंतरिम सरकार की प्रकृति अभी भी अस्पष्ट बनी हुई है।
    • न ही नए चुनावों के लिए कोई समय-सारिणी है। अंतरिम सरकार का स्वाभाविक रूप से बांग्लादेश की भविष्य की राजनीतिक दिशा पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा, जिसका असर भारत के साथ संबंधों पर भी पड़ेगा।
    • इसके अलावा, बांग्लादेश में आने वाली सरकार द्वारा बांग्लादेश के साथ पारगमन तथा ट्रांस-शिपमेंट व्यवस्था में संशोधन किया जा सकता है। भारत को अपने पूर्वोत्तर में बेहतर रसद आपूर्ति के लिए इनकी आवश्यकता है।

  • कूटनीतिक चुनौती: पिछले दशक में शेख हसीना के प्रति भारत के प्रबल समर्थन के कारण बांग्लादेशी विपक्षी समूहों के साथ भारत का संपर्क बहुत कम हो गया, जिससे भारत अब चुनौतीपूर्ण स्थिति में है।
    • बांग्लादेश में मौजूदा भारत विरोधी भावना को संबोधित करना मुश्किल होगा।
  • सीमा सुरक्षा पर प्रभाव
    • जमात-ए-इस्लामी: यह संभावना है कि जमात-ए-इस्लामी का बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर कुछ प्रभाव हो सकता है। जमात के साथ भारत का समीकरण असहज रहा है और यह बांग्लादेशी राजनीति में पाकिस्तान की वापसी का द्वार खोल सकता है। इसका बांग्लादेश के साथ भारत की सीमा सुरक्षा पर भी असर पड़ेगा।
    • चीन की चुनौती: चीन बांग्लादेश में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए आक्रामक तरीके से प्रयास कर रहा है और उसके पास शेख हसीना के बाद की सरकार को समर्थन देने के लिए वित्तीय संसाधन हैं। बांग्लादेश में चीन की मजबूत उपस्थिति भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिससे उसे निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है:
      • रणनीतिक रूप से अमित्र या उदासीन पड़ोसियों द्वारा घिरा हुआ: पश्चिम और उत्तर में चीन और पाकिस्तान।
      • नेपाल में साम्यवादी नेतृत्व वाली सरकार।
      • सुदूर पश्चिम में तालिबान द्वारा नियंत्रित अफगानिस्तान।
      • हिंद महासागर में भारत विरोधी मालदीव।
      • बांग्लादेश में संभावित रूप से द्विपक्षीय शासन।
        • यह भारत की रणनीतिक और सुरक्षा संबंधी दृष्टि से हानिकारक होगा।
  • व्यापार और मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) पर चिंता: यह स्पष्ट नहीं है कि अंतरिम बांग्लादेशी सरकार या उसके बाद आने वाली सरकार के तहत FTA योजना आगे बढ़ेगी या नहीं और कैसे आगे बढ़ेगी। सीमा पार व्यापार, पारगमन व्यवस्था, सुरक्षा सहयोग तथा लोगों-से-लोगों के बीच आदान-प्रदान में प्रगति के साथ द्विपक्षीय संबंध विकसित हुए है।
    • हालाँकि, हसीना के सत्ता से बाहर होने से इन उपलब्धियों पर संदेह उत्पन्न होता है।
    • द्विपक्षीय व्यापार: केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, व्यापार के मामले में बांग्लादेश उपमहाद्वीप में भारत का सबसे बड़ा साझेदार है एवं भारत एशिया में चीन के बाद बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा साझेदार है। वित्त वर्ष 2023- 2024 में उनका कुल द्विपक्षीय व्यापार 13 बिलियन डॉलर था
      • भारत से निर्यात: बांग्लादेश भारत के कपास का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जो भारत के कुल कपास निर्यात का 34.9% (वित्त वर्ष 2024 में लगभग 2.4 बिलियन डॉलर) है।
        • भारत के मुख्य निर्यातों में सब्जियाँ, कॉफी, चाय, मसाले, चीनी, कन्फेक्शनरी, परिष्कृत पेट्रोलियम तेल, रसायन, कपास, लोहा और इस्पात तथा वाहन शामिल हैं।
      • भारत में आयात: बांग्लादेश से भारत का सबसे बड़ा आयात रेडीमेड गारमेंट्स है, जिसकी कीमत वित्त वर्ष 2024 में 391 मिलियन डॉलर थी। हाल के वर्षों में, बांग्लादेश वस्त्रों के लिए एक प्रमुख वैश्विक केंद्र के रूप में उभरा है।
        • मुख्य आयात वस्तुएँ मछली, प्लास्टिक, चमड़ा और परिधान आदि हैं।
      • मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) पर: अक्टूबर 2023 में, ढाका में व्यापार पर संयुक्त कार्य समूह की बैठक के दौरान भारत और बांग्लादेश के मध्य FTA पर चर्चा शुरू की गई थी।
        • सफल FTA से बांग्लादेश की बाजार पहुँच में काफी विस्तार होगा और भारतीयों को अधिक निर्मित वस्तुओं तक पहुँच मिलेगी।
        • FTA से व्यापार किए जाने वाले सामानों पर सीमा शुल्क में कमी आएगी या उसे समाप्त किया जा सकेगा और आगे व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को आसान बनाया जा सकेगा।
        • विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित वर्ष 2012 के एक कार्य पत्र में अनुमान लगाया गया था कि वस्तुओं के लिए पूर्ण FTA से भारत को बांग्लादेश के निर्यात में 182% की वृद्धि होगी, जबकि आंशिक FTA से 134% की वृद्धि हो सकती है।
        • बेहतर परिवहन बुनियादी ढाँचे और बेहतर कनेक्टिविटी के साथ एक FTA से बांग्लादेश के निर्यात में 297% की वृद्धि हो सकती है। इस परिदृश्य में भारत के निर्यात में भी 172% तक की वृद्धि होगी।
  • बुनियादी ढाँचे और संपर्क पर प्रभाव: भारत-बांग्लादेश संबंधों में व्यवधान से भारत की पूर्वोत्तर तक पहुँच सीमित हो सकती है, जो मुख्य भूमि भारत से केवल पश्चिम बंगाल और असम के बीच संकीर्ण ‘चिकन नेक’ (जो कि सबसे संकीर्ण स्थान पर केवल 22 किमी. है) के माध्यम से जुड़ा होगा।
    • विदेश मंत्री के अनुसार, बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी भारत-बांग्लादेश संबंधों का एक प्रगतिशील खंड रहा है। भारत ने सड़क, रेल, शिपिंग और बंदरगाह बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए वर्ष 2016 से बांग्लादेश को 8 बिलियन डॉलर की तीन क्रेडिट लाइनें जारी की हैं।
    • नवंबर 2023 में दो संयुक्त परियोजनाओं (अखौरा-अगरतला सीमा पार रेल लिंक तथा खुलना-मोंगला पोर्ट रेल लाइन) का उद्घाटन किया गया।
      • अखौरा-अगरतला लिंक भारत की मुख्य भूमि से पूर्वोत्तर तक एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है, यह दोनों देशों के बीच छठी सीमा पार रेल लाइन थी। इससे अगरतला और कोलकाता के बीच यात्रा का समय (ट्रेन से) 31 घंटे से घटकर 10 घंटे रह गया है और इससे दोनों देशों के बीच पर्यटन, व्यापार और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
      • रेल के अलावा, भारत और बांग्लादेश के बीच वर्तमान में पाँच बस मार्ग भी संचालित हैं, जिनमें कोलकाता, अगरतला और गुवाहाटी से ढाका तक की बसें शामिल हैं।
      • दोनों देशों ने वर्ष 2023 में मुख्य भूमि भारत और पूर्वोत्तर के बीच माल की आवाजाही को आसान बनाने के लिए चटगाँव और मोंगला बंदरगाहों के उपयोग के लिए समझौते को क्रियान्वित करने पर सहमति व्यक्त की थी।
  • इस्लामी चरमपंथ की वापसी: अपदस्थ प्रधानमंत्री ने बांग्ला राष्ट्रवाद के धर्मनिरपेक्ष और आधुनिकीकरण संस्करण का प्रतिनिधित्व किया तथा उनकी राजनीति लंबे समय तक कट्टरपंथी चरमपंथ के खिलाफ एक अवरोध की तरह थी। हालाँकि, वर्तमान परिदृश्य ने बांग्लादेश में इस्लामवादी, हिंदू अल्पसंख्यक विरोधी तथा पाकिस्तान समर्थक राजनीति के पुनरुत्थान का रास्ता साफ कर दिया है।

आगे की राह

बांग्लादेश वर्ष 1971 में स्वतंत्रता के बाद से अपने सबसे खराब राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है, बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के जल्द समाधान की उम्मीद जताते हुए भारत ने कहा कि जब तक कानून और व्यवस्था पुनर्स्थापित नहीं हो जाती, तब तक वह अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चिंतित है।

  • मानवीय सहायता की पेशकश: भारत इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान बांग्लादेश को चिकित्सा सहायता तथा आपूर्ति सहित मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।
  • अंतरिम सरकार के साथ कूटनीतिक संबंध सुनिश्चित करना: भारत को आने वाली सरकार के साथ संबंध बनाने के लिए तेजी से आगे बढ़ने की आवश्यकता है। भारत-बांग्लादेश संबंधों को पुनः स्थापित करने के लिए पर्याप्त कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता होगी।
    • बांग्लादेश में आने वाली सरकार द्वारा पारगमन तथा ट्रांस-शिपमेंट व्यवस्था में संशोधन किया जा सकता है और भारत को अपने पूर्वोत्तर में बेहतर रसद आपूर्ति के लिए इनकी आवश्यकता है। इसलिए, भारत को उनकी निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए अंतरिम सरकार के साथ कार्य करना चाहिए।
  • व्यापार समायोजन: भारतीय निर्यातक और व्यवसाय संकट के प्रभाव को कम करने के लिए आकस्मिक योजनाएँ बना रहे हैं क्योंकि अगले कुछ दिन व्यापार तथा आर्थिक स्थिरता में व्यवधान की सीमा निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण होंगे। 
  • सहयोगात्मक दृष्टिकोण: भारत को वर्तमान समय में हिंसा को सीमित करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप जैसे अपने मित्रों और भागीदारों के साथ कार्य करने की आवश्यकता होगी तथा बांग्लादेश के भीतर एक नई व्यवस्था के लिए शांतिपूर्ण संक्रमण सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेशी सेना के साथ कार्य करना होगा।
    • बांग्लादेश के आर्थिक स्थिरीकरण और उग्रवाद के खतरों को सीमित करने के लिए रास्ते विकसित करने हेतु भारत खाड़ी में अपने सहयोगियों, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के साथ कार्य करना चाहेगा।

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