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रेपो दर 6.5% पर अपरिवर्तित

Lokesh Pal August 08, 2024 04:52 81 0

संदर्भ

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के जोखिम के बीच रेपो दर को नौवीं बार 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।

संबंधित तथ्य

  • छह सदस्यीय MPC ने भी मौद्रिक नीति में समायोजन वापस लेने के अपने रुख को जारी रखा। 
    • MPC के छह में से चार सदस्यों ने दर निर्धारण के पक्ष में मतदान किया।
  • निर्णय की घोषणा करते हुए RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मुद्रास्फीति मोटे तौर पर गिरावट की ओर अग्रसर है।

रेपो रेट

  • रेपो रेट वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में आरबीआई) वाणिज्यिक बैंकों के पास धन की कमी होने पर उन्हें पैसा उधार देता है। यहांँ केंद्रीय बैंक प्रतिभूतियों की खरीद करता है।

रिवर्स रेपो रेट

  • रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई देश के वाणिज्यिक बैंकों से पैसा उधार लेता है।

बैंक दर

  • यह वाणिज्यिक बैंकों को धन उधार देने के लिए आरबीआई द्वारा वसूल की जाने वाली दर है।

सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर

  • सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) अनुसूचित बैंकों के लिए आपातकालीन स्थिति में रिजर्व बैंक से उधार लेने हेतु एक विकल्प है, जब इंटरबैंक तरलता पूरी तरह से समाप्त हो जाती है।


  • पूर्व स्थिति
    • RBI ने आखिरी बार मई 2020 में रेपो दर में 40 आधार अंकों की कटौती करके इसे 4 प्रतिशत कर दिया था, जब कोविड महामारी ने पूरे देश में तबाही मचाई थी और पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया था, जिससे माँग में कमी आई, उत्पादन में कटौती हुई और नौकरियाँ चली गईं। 
    • तब से, RBI ने महामारी के कम होने के बाद उच्च मुद्रास्फीति के स्तर से निपटने के लिए रेपो दर में 250 अंकों की बढ़ोतरी करके इसे 6.50 प्रतिशत कर दिया है।

मौद्रिक नीति समिति (MPC)

  • भारत में, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को देश के लिए मौद्रिक नीति तैयार करने की स्पष्ट रूप से अधिकृत किया गया है। भारत में मौद्रिक नीति तैयार करने की प्रक्रिया में वर्ष 2016 में एक बड़ा परिवर्तन किया गया।
  • वर्ष 2016 से पहले
    • वर्ष 2016 से पहले, भारत में मौद्रिक नीति तैयार करने का दायित्व सिर्फ RBI गवर्नर के पास था। यद्यपि गवर्नर को एक तकनीकी समिति द्वारा सलाह दी जाती थी, लेकिन यह सलाह गवर्नर के लिए बाध्यकारी नहीं थी।
  • वर्ष 2016 के बाद
    • वित्तीय अधिनियम 2016 ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की स्थापना के लिए RBI अधिनियम 1934 में संशोधन किया।
    • वर्तमान में, भारत में मौद्रिक नीति इसी समिति द्वारा तैयार की जाती है।
  • MPC की संरचना
    • RBI गवर्नर – अध्यक्ष
    • मौद्रिक नीति के प्रभारी RBI के डिप्टी गवर्नर
    • RBI बोर्ड द्वारा नामित एक अधिकारी,
    • 3 सदस्यों को केंद्र सरकार द्वारा एक खोज सह चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर नियुक्त किया जाता है, जिसमें शामिल हैं
      • कैबिनेट सचिव
      • आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव
      • RBI गवर्नर, और
      • केंद्र सरकार द्वारा नामित अर्थशास्त्र या बैंकिंग क्षेत्र के तीन विशेषज्ञ।


  • दर अपरिवर्तित रखने के निहितार्थ
    • RBI द्वारा रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने के साथ, रेपो दर से जुड़ी सभी  एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) में वृद्धि नहीं होगी, जिससे उधारकर्ताओं को राहत मिलेगी क्योंकि उनकी समान मासिक किस्तों (EMI) में वृद्धि नहीं होगी।

एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR)

  • पूर्ण पारदर्शिता और मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए RBI ने बैंकों को 1 अक्तूबर, 2019 से प्रभावी ऋण श्रेणी के भीतर एक समान बाहरी बेंचमार्क अपनाने का आदेश दिया।
  • MCLR के विपरीत प्रत्येक बैंक के लिए आंतरिक प्रणाली थी, RBI ने बैंकों को 4 बाहरी बेंचमार्किंग तंत्रों में से चुनने का विकल्प दिया है:
    • RBI रेपो रेट
    • 91 दिवसीय टी-बिल यील्ड
    • 182 दिवसीय टी-बिल यील्ड
    • वित्तीय बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित कोई अन्य बेंचमार्क बाजार ब्याज दर।
      • T-Bill या ट्रेरी बिल भारत सरकार द्वारा बाद की तारीख में गारंटीकृत पुनर्भुगतान के साथ एक वचन-पत्र के रूप में जारी किए गए मुद्रा बाजार के साधन हैं। 
      • वित्तीय बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2 जुलाई, 2015 को एक स्वतंत्र बेंचमार्क प्रशासक के रूप में मान्यता दी गई थी।

  • हालाँकि, ऋणदाता उन ऋणों पर ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं, जो ऋण दर की सीमांत लागत (MCLR) से जुड़े हैं, जहाँ मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच रेपो दर में 250 BPS की बढ़ोतरी का पूरा प्रसारण नहीं हुआ है।

ऋण दर की सीमांत लागत (MCLR) 

  • यह अप्रैल 2016 में प्रभावी हुई। यह फ्लोटिंग-रेट ऋणों के लिए एक बेंचमार्क ऋण दर है। यह न्यूनतम ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक ग्राहकों को उधार दे सकते हैं।
  • यह दर चार घटकों- धन की सीमांत लागत (Marginal Cost Of Funds), नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio), परिचालन लागत (Operating Costs) और परिपक्वता अवधि (Tenor Premium) पर आधारित है।
  • MCLR वास्तविक जमा दरों से जुड़ा हुआ है। इसलिए जब जमा दरों में वृद्धि होती है, तो यह इंगित करता है कि बैंकों की ब्याज दर बढ़ने की संभावना है।

    • मई 2022 से 250 बीपीएस की नीतिगत दर वृद्धि के जवाब में, बैंकों ने अपने रेपो-लिंक्ड EBLR को ऊपर की ओर संशोधित किया है। 
      • बैंकों की  एक वर्षीय औसत सीमांत लागत-आधारित दर (MCLR) मई 2022-जून 2024 के दौरान बढ़कर 168 बीपीएस हो गई।

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