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गूगल का ‘मोनोपोली’ एंटीट्रस्ट मामला

Lokesh Pal August 12, 2024 05:20 97 0

संदर्भ

गूगल अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा उसके विरुद्ध दायर किया गया ‘मोनोपोली’ एंटीट्रस्ट मामला हार गया है, जो कंपनी के सर्च इंजन प्रभुत्व और अपने उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए महंगी साझेदारियों पर केंद्रित था।

  • मुकदमे में गूगल पर सर्च इंजन बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का उपयोग प्रतिद्वंद्वियों को दबाने तथा एकाधिकार बनाए रखने के लिए करने का आरोप लगाया गया।

‘एंटीट्रस्ट’ कानून

  • इन कानूनों को प्रतिस्पर्द्धा कानून भी कहा जाता है, ये अमेरिकी सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को लक्षित करने वाली व्यापारिक प्रथाओं से बचाने के लिए विकसित किए गए कानून हैं। 
  • ये सुनिश्चित करते हैं कि खुले बाजार की अर्थव्यवस्था में निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा मौजूद हो। ये कानून बाजार के साथ-साथ विकसित हुए हैं, जो संभावित एकाधिकार और प्रतिस्पर्द्धा के उत्पादक उतार-चढ़ाव में व्यवधानों से सतर्कतापूर्वक रक्षा करते हैं।

गूगल के विरुद्ध अमेरिकी अदालत का निर्णय

गूगल के विरुद्ध: अदालत के कुछ निष्कर्ष इस तकनीकी दिग्गज कंपनी के खिलाफ थे।

  • त्रुटिपूर्ण वितरण: फैसले के अनुसार, गूगल का खोज प्रभुत्व मुख्य रूप से अनन्य वितरण समझौतों या त्रुटिपूर्ण वितरण की रणनीति के माध्यम से हासिल किया गया था।
    • यह उस तरीके को संदर्भित करता है, जिस तरह से गूगल ने “ब्राउजर डेवलपर्स, मोबाइल डिवाइस निर्माताओं और वायरलेस कैरियर्स” के साथ आकर्षक अनुबंध किए ताकि यह पहला या डिफॉल्ट सर्च इंजन हो जो ऐसी सेवाओं या नए फोन के उपयोगकर्ताओं को दिया गया हो। 
    • गूगल इस विशेषाधिकार के लिए भुगतान करता है और वर्ष 2021 में इसके लिए $26 बिलियन से अधिक खर्च कर चुका है।

  • एक अपराध: गूगल एक एकाधिकारवादी है और इसने अपना एकाधिकार बनाए रखने के लिए एकाधिकारवादी की तरह कार्य किया है। इसने शर्मन अधिनियम (Sherman Act) की धारा 2 का उल्लंघन किया है, जो एक अमेरिकी कानून का संदर्भ देता है, जो व्यवसाय के एकाधिकार या इसके प्रयासों को अपराध मानता है।
    • न्यायालय के अनुसार, गूगल ने दो बाजारों में अपनी एकाधिकार शक्ति का इस्तेमाल किया: सामान्य सर्च सेवाएँ और सामान्य खोज टेक्स्ट विज्ञापन।
    • महत्त्वपूर्ण रूप से, न्यायालय ने यह भी पाया कि गूगल ने सामान्य सर्च टेक्स्ट विज्ञापनों के लिए अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धी मूल्य वसूल कर अपनी एकाधिकार शक्ति का इस्तेमाल किया है। इस आचरण ने गूगल को एकाधिकार लाभ कमाने की अनुमति दी है।
    • न्यायालय ने गूगल द्वारा कर्मचारियों के पत्राचार को सुरक्षित रखने में विफल रहने के तरीके की कड़ी आलोचना की, जो सुबूत के तौर पर काम आ सकता था।

गूगल के पक्ष में: न्यायालय के कुछ निष्कर्ष तकनीकी दिग्गज कंपनी के पक्ष में थे।

  • विज्ञापन बाजार पर: यह निर्धारित किया गया कि सर्च विज्ञापन बाजार में गूगल के पास एकाधिकार शक्ति नहीं थी। न्यायालय ने यह भी कहा कि सामान्य सर्च विज्ञापन के लिए कोई उत्पाद बाजार नहीं था और गूगल अपने विज्ञापन प्लेटफॉर्म से जुड़ी कार्रवाइयों के लिए उत्तरदायी नहीं था।
  • कर्मचारी चैट का संरक्षण: गूगल को कर्मचारी चैट संदेशों को संरक्षित करने में विफल रहने के तरीके के लिए दंडित नहीं किया जाएगा, हालाँकि न्यायालय ने भविष्य के मामलों के लिए उसे चेतावनी दी है।
  • गुणवत्तापूर्ण सर्च: गूगल ने उद्योग का उच्चतम गुणवत्ता वाला सर्च इंजन पेश किया था, जिसने गूगल को सैकड़ों मिलियन दैनिक उपयोगकर्ताओं का विश्वास अर्जित किया है।

अगला कदम: गूगल इस फैसले के विरुद्ध अपील करेगा और इस मुक़दमे के अलावा, न्याय विभाग गूगल के खिलाफ एक और एंटीट्रस्ट मुकदमे में जाने वाला है, जो इंटरनेट कंपनी की विज्ञापन तकनीक से संबंधित है। 

फैसले के निहितार्थ: यह फैसला महत्त्वपूर्ण है और इसके निम्नलिखित निहितार्थ होंगे:

  • बड़ी टेक फर्म अपने व्यवसाय के संचालन के तरीके पर एक नई मिसाल कायम करना।
  • डिजिटल व्यवसायों की संरचना और प्रकृति को मौलिक रूप से बदलें क्योंकि गूगल कई तरह की डिजिटल सेवाओं से जुड़ा हुआ है।
  • अगर गूगल को iPhone निर्माता के साथ अपने विशेष सौदे को समाप्त करने का आदेश दिया जाता है, तो हैंडसेट निर्माताओं, विशेष रूप से Apple के लिए राजस्व का स्रोत तुरंत समाप्त हो जाएगा।
  • Apple और Samsung जैसी फर्मों को अपने प्रतिद्वंद्वी सर्च इंजन बनाने के लिए प्रोत्साहित करें।

एकाधिकारवादी प्रथाएँ उपभोक्ता अनुभव को किस प्रकार नुकसान पहुँचाती हैं?

नियामक बाजार क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के लिए एकाधिकार को रोकने हेतु निगरानी करते हैं।

  • जब एकाधिकार अस्तित्व में आता है, तो प्रतिद्वंद्वी बाजार से बाहर हो सकते हैं, जबकि सबसे अधिक शक्ति वाली कंपनी ग्राहकों का दुरुपयोग करने में सक्षम होती है क्योंकि उनके पास बहुत कम अन्य विकल्प होते हैं। 
  • ऐसी कंपनियाँ अपने उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार जारी रखने का प्रोत्साहन भी खो देती हैं।

भारत में गूगल के खिलाफ मामला

भारत में भी गूगल पर प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी गतिविधियों के आरोप लगे हैं। हाल ही में, अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (ADIF) ने शिकायत दर्ज कराई है कि गूगल ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी गतिविधियों में लिप्त है।

  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) द्वारा कार्रवाई: वर्ष 2022 में, CCI ने एंड्रॉइड मोबाइल डिवाइस इकोसिस्टम में कई बाजारों में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए  गूगल पर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है, इसके अलावा उसने कार्रवाई रोकने का आदेश भी जारी किया है।
    • CCI के फैसले के बाद, गूगल ने भारत में अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव किया, जिससे उपयोगकर्ताओं को अपना डिफॉल्ट सर्च इंजन चुनने की अनुमति मिल गई।
  • अमेरिका और भारत के बीच बाजार की स्थितियों में अंतर: अमेरिका में, गूगल कई डिवाइस पर डिफॉल्ट सर्च इंजन के रूप में हावी है। भारत में, 19.3% बाजार हिस्सेदारी रखने वाली Xiaomi अपने फोन पर डिफॉल्ट रूप से गूगल नहीं, बल्कि ओपेरा ब्राउजर का उपयोग करती है।
  • बड़ी तकनीक पर भारतीय प्रतिस्पर्द्धा विधेयक: मसौदा प्रतिस्पर्द्धा विधेयक, 2024 का उद्देश्य भारत में बड़ी तकनीकी कंपनियों को विनियमित करना है, जिन्हें ‘सिस्टमिकली सिग्निफिकेंट डिजिटल एंटरप्राइजेज’ (SSDE) कहा जाता है।
    • विधेयक के प्रमुख प्रावधान
      • यह प्रतिस्पर्द्धा विरोधी प्रथाओं को रोकने के लिए SSDE पर प्रतिबंध लगाता है। 
      • इसमें इन SSDE को दूसरों के मुकाबले अपने उत्पादों और सेवाओं को तरजीह देने से रोकना शामिल है। 
      • यह SSDE को स्पष्ट सहमति के बिना उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डेटा का उपयोग या साझा करने से रोकता है।

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