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100 वर्ष पूर्व, जब एक ट्रेन डकैती ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख दिया था

Lokesh Pal August 13, 2024 05:15 52 0

संदर्भ :

9 अगस्त, 1925 को लखनऊ से लगभग 20 किलोमीटर दूर एक रेलवे स्टेशन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सबसे साहसिक घटनाओं में से एक का गवाह बना।

प्रारंभिक परीक्षा हेतु विषय : काकोरी ट्रेन एक्शन, हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) आदि।

मुख्य परीक्षा हेतु विषय : अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी, चन्द्रशेखर आज़ाद आदि व्यक्तियों की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका और योगदान, राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम, क्रांतिकारी आंदोलन आदि।

काकोरी ट्रेन एक्शन : प्रमुख बिंदु

  • 9 अगस्त, 1925 को काकोरी स्टेशन पर 10 लोग सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन में चढ़े और यात्रा शुरू होने के कुछ ही मिनटों बाद उन्होंने चेन खींच दी। ट्रेन काकोरी से लगभग 2 किलोमीटर दूर बाजनगर नामक गाँव में रुकी।
  • क्रांतिकारियों ने अपनी योजनानुसार रेल द्वारा ले जाए जा रहे ब्रिटिश खजाने को लूट लिया।
  • काकोरी एक्शन या काकोरी ट्रेन एक्शन के नाम से प्रसिद्ध इस दुस्साहसिक कृत्य ने ब्रिटिश सरकार को हिलाकर रख दिया तथा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को तीव्र गति प्रदान की। 
  • 2024 में इस घटना को 100 वर्ष पूरे हो गए हैं – शुक्रवार, 9 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शताब्दी समारोह का शुभारंभ किया।
  • काकोरी एक्शन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) द्वारा की गई पहली बड़ी कार्रवाई थी। यह एक क्रांतिकारी संगठन था, जिसकी स्थापना 1924 में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां और सचिंद्र नाथ बख्शी सहित अन्य लोगों ने की थी।
  • डकैती की योजना बनाने वाले बिस्मिल के साथ इसके क्रियान्वयन में अशफाकउल्ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी, चन्द्रशेखर आज़ाद, सचिन्द्र नाथ बख्शी, केशब चक्रवर्ती, मन्मथनाथ गुप्ता, मुरारी शर्मा, मुकुंदी लाल और बनवारी लाल शामिल थे।
  • यद्यपि क्रांतिकारियों का उद्देश्य केवल ब्रिटिश सरकार को आगाह करना था, किन्तु अहमद अली नामक एक यात्री की दुर्घटनावश गोली चल जाने से मृत्यु हो गई, जिससे उनके उद्देश्य को क्षति पहुँची।
  • विशेष सत्र न्यायालय (न्यायमूर्ति आर्चीबाल्ड हैमिल्टन) में जिन अभियुक्तों पर मुकदमा चलाया गया , उनमें से 19 को दोषी करार दिया गया।
  • रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी तथा अशफाकउल्ला खां को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि अन्य को अलग-अलग कारावास की सजा दी गई; जिनमें से पाँच को काला पानी (पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल) में निर्वासन की सजा भी शामिल थी।
  • 17 दिसंबर, 1927 को लाहिड़ी को गोंडा जेल में फाँसी दे दी गई।
  • दो दिन बाद 19 दिसंबर, 1927 को अशफाकउल्ला, रोशन और बिस्मिल को भी मौत की सजा दे दी गई | अशफाकउल्ला को फैजाबाद जेल में, रोशन सिंह को नैनी (इलाहाबाद) जेल में और बिस्मिल को गोरखपुर जेल में फाँसी दी गई |
  • चंद्रशेखर आज़ाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) से जुड़े एकमात्र प्रमुख क्रांतिकारी थे, जो गिरफ्तारी से बच निकले (27 फरवरी, 1931 को तत्कालीन इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में पुलिस द्वारा घेर लिये जाने पर उन्होंने खुद को गोली मार ली थी)। 
  • अब इस पार्क का नाम ‘चंद्रशेखर आज़ाद पार्क’ है।

अन्य पहलू

  • काकोरी ट्रेन एक्शन का प्रभाव स्वतंत्रता के बाद के दिनों में  पूरे देश पर पड़ा।
  • उत्तर प्रदेश के प्रथम और तीसरे मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत और चंद्रभानु गुप्ता मामले में बचाव पक्ष के वकील थे; जबकि कांग्रेस सदस्य जगत नारायण मुल्ला, जिन्हें 1921 में आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत में मंत्री नियुक्त किया गया था, ने अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया।
  • जगत नारायण मुल्ला, जो कांग्रेस छोड़कर लिबरल पार्टी में शामिल हो गए थे, की 1938 में मृत्यु हो गई । 

निष्कर्ष

काकोरी ट्रेन एक्शन प्रतिरोध का प्रतीक थी, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया आकार दिया। इसकी शताब्दी स्थायी विरासत और जटिल ऐतिहासिक आख्यानों पर प्रकाश डालती है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न

प्रश्न : काकोरी ट्रेन एक्शन की विशेषताओं को बताते हुए उसमें शामिल प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का मूल्यांकन कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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