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हितों का टकराव

Lokesh Pal August 16, 2024 03:56 85 0

संदर्भ 

हाल ही में अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट में आरोप लगाया कि शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और उनके पति की अडानी समूह से जुड़ी ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी।

  • ऐसी स्थिति में, सेबी (SEBI) बोर्ड को हितों के टकराव का समाधान करना होगा।

संबंधित तथ्य

बाजार नियामक सेबी ने कहा कि उसने अडानी समूह के खिलाफ हिंडेनबर्ग के आरोपों की ‘विधिवत जाँच’ की है।

  • सेबी ने यह भी कहा कि उसकी अध्यक्ष ने ‘प्रतिभूतियों की होल्डिंग और उनके हस्तांतरण के संदर्भ में’ आवश्यक खुलासे किए थे तथा उन्होंने ‘संभावित हितों के टकराव’ से जुड़े मामलों से खुद को अलग कर लिया था।

सेबी की हितों के टकराव संबंधी संहिता के बारे में

सेबी की ‘हितों के टकराव पर संहिता’ यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि बोर्ड ‘ऐसे तरीके से कार्य करे, जिससे उसके अधिदेश को पूरा करने की क्षमता पर कोई समझौता न करना पड़े।’

  • हितों के टकराव के बारे में: संहिता के अनुसार, इसका तात्पर्य ‘बोर्ड के किसी सदस्य के किसी व्यक्तिगत हित या संबद्धता से है, जो किसी मामले में बोर्ड के निर्णय को प्रभावित करने की संभावना रखता हो, जैसा कि किसी स्वतंत्र तृतीय पक्ष द्वारा देखा गया हो’। 
    • इसमें कई अलग-अलग चीजें शामिल हो सकती हैं, जिन पर या तो पूरी तरह से प्रतिबंध है अथवा संबंधित बोर्ड सदस्य द्वारा उनका खुलासा किया जाना आवश्यक है।
  • इसमें शामिल हैं:-
    • शेयरों में कुछ लेनदेन: संहिता में कहा गया है कि सदस्य को पदभार ग्रहण करने के 15 दिनों के भीतर अपनी और अपने परिवार (जीवनसाथी, 18 वर्ष से कम आयु के आश्रित बच्चे) की संपत्तियों का खुलासा करना होगा तथा वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 15 दिनों के भीतर इस खुलासे को वार्षिक रूप से अद्यतन करना होगा।
      • इसके अलावा, बड़े लेनदेन (5,000 से अधिक शेयर या 1 लाख रुपये से अधिक मूल्य के) का खुलासा ऐसे लेनदेन के 15 दिनों के भीतर करना होगा।
      • इसके अलावा, सदस्यों को ‘अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी, जिस तक उनकी पहुँच हो सकती है’ के आधार पर शेयरों में सौदा करने की अनुमति नहीं है।
    • बाहरी निजी गतिविधियाँ: सेबी बोर्ड के सदस्यों को किसी अन्य लाभ का पद धारण करने की अनुमति नहीं है, अर्थात् ऐसा पद जो उस पद पर आसीन व्यक्ति को कोई वित्तीय लाभ, फायदा या लाभ दिलाता हो अथवा दिलाने की क्षमता रखता हो।
      • उन्हें किसी अन्य व्यावसायिक गतिविधि में शामिल होने की भी अनुमति नहीं है, ‘जिसमें वेतन या पेशेवर शुल्क प्राप्त करना शामिल हो।’
    • उपहार स्वीकार करना: बोर्ड के सदस्यों को ‘किसी भी नाम से पुकारे जाने वाले किसी भी उपहार को, जहाँ तक ​​संभव हो, किसी विनियमित संस्था से स्वीकार करने की अनुमति नहीं है।’
      • यदि उन्हें ऐसा कोई उपहार प्राप्त होता है, जिसका मूल्य 1,000 रुपये से अधिक है, तो उन्हें उसे सेबी के सामान्य सेवा विभाग को सौंपना होगा, तथा उसे रखने की अनुमति नहीं होगी।
    • विविध परिस्थितियाँ: सदस्य किसी भी विनियमित इकाई के संबंध में ‘किसी भी पद, अन्य रोजगार या प्रत्ययी स्थिति’ का खुलासा करने के लिए बाध्य हैं, जो उन्होंने पिछले पाँच वर्षों में धारण की है।
      • इसमें किसी कंपनी का बोर्ड सदस्य होना या किसी कंपनी द्वारा सलाहकार के रूप में नियोजित होना शामिल है।
      • उन्हें ‘किसी विनियमित इकाई के साथ व्यावसायिक, व्यक्तिगत, वित्तीय या पारिवारिक संबंध सहित किसी भी अन्य महत्त्वपूर्ण संबंध’ और ‘किसी भी संगठन में किसी भी मानद पद, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए’ का खुलासा करना होगा।
  • हितों के टकराव को प्रबंधित करने की प्रक्रिया: सेबी बोर्ड के सदस्यों को ‘यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे कि हितों के किसी भी टकराव से बोर्ड के किसी भी निर्णय पर असर न पड़े’ और ‘विनियमित संस्थाओं या ऐसी संस्थाओं के किसी भी कर्मचारी के साथ किसी भी व्यक्तिगत अथवा व्यावसायिक संबंध का अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग न करें’।
  • प्रकटीकरण और अस्वीकृति: खुलासे ‘जितनी जल्दी संभव हो सके’ किए जाने चाहिए। अगर किसी सदस्य को यह पक्का नहीं है कि हितों का टकराव है या नहीं, तो उस संबंध में ‘अध्यक्ष द्वारा इस बारे में निर्णय लिया जाना चाहिए।”
    • यदि अध्यक्ष को अपने हितों के टकराव के बारे में संदेह है, तो ‘संपूर्ण बोर्ड’ द्वारा  निर्णय लेना होगा।’
  • कोई अपवाद नहीं: यदि अध्यक्ष या बोर्ड यह निर्धारित करता है कि वास्तव में हितों का टकराव है, तो संबंधित सदस्य ‘उस विशेष मामले से निपटने से परहेज करेगा’। कोई भी सदस्य ऐसे किसी मामले की सुनवाई या निर्णय नहीं करेगा, जिसमें उसके हितों का टकराव हो और इसमें अपवाद की कोई गुंजाइश नहीं है।
  • गोपनीयता: संहिता के अनुसार, इस संहिता के तहत प्रकट की गई जानकारी को निम्नलिखित परिस्थितियों को छोड़कर गोपनीय रखा जाएगा। इन परिस्थितियों में शामिल हैं:-
    • जहाँ संभावित या वास्तविक संघर्षों के प्रबंधन के प्रयोजनों के लिए प्रकटीकरण की आवश्यकता हो।
    • जहाँ किसी सदस्य के उत्तरदायित्व में परिवर्तन के बाद प्रकटीकरण की आवश्यकता हो।
    • जहाँ अनुशासनात्मक कार्यवाही के प्रयोजन हेतु आवश्यकता हो।
    • जहाँ सूचना का खुलासा करने के लिए कोई कानूनी या नियामक दायित्व हो।
  • दस्तावेजों/रिकॉर्डों की देखरेख: बोर्ड के सदस्यों के खुलासे से संबंधित सभी दस्तावेजों/रिकॉर्डों की देखरेख बोर्ड के सचिव द्वारा की जाती है।
    • आम जनता इस सचिव के समक्ष महत्त्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत कर सकती है, यदि उन्हें लगता है कि ‘किसी सदस्य का किसी विशेष मामले में हित है’। सचिव का दायित्व है कि वह ऐसे मामले को विवरण बोर्ड के समक्ष रखे।

हितों के टकराव के बारे में

हितों का टकराव एक ऐसी स्थिति है, जहाँ किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत हित या वित्तीय हित उसकी व्यावसायिक क्षमता में निष्पक्ष निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।

  • संक्षेप में: हितों के टकराव का अर्थ है ‘कोई भी हित जो निर्णय लेने की प्रक्रिया में किसी व्यक्ति की निष्पक्षता को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे उस व्यक्ति या उस संगठन, जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है, के लिए अनुचित प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ हो सकता है’।
    • इसमें ऐसी परिस्थितियाँ भी शामिल हैं, जहाँ कोई व्यक्ति स्वीकृत मानदंडों और नैतिकता के विपरीत, अपने अनिवार्य कर्तव्यों का निजी लाभ के लिए दुरुपयोग कर सकता है।
  • वास्तविक हितों का टकराव: वास्तविक हितों का टकराव तब उत्पन्न होता है, जब किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत हित सीधे तौर पर उसके व्यावसायिक कर्तव्यों से टकराते हैं।
    • उदाहरण
      • एक सरकारी अधिकारी जो किसी ऐसी कंपनी में शेयर रखता है जो सरकारी अनुबंध के लिए बोली लगा रही है।
      • एक डॉक्टर जो दवा कंपनी से दवा लिखने के बदले कमीशन प्राप्त करता है।
      • एक न्यायाधीश जो किसी ऐसी कंपनी में शेयर का स्वामी है, जो उसके समक्ष किसी मामले में शामिल है।
      • एक पुलिस अधिकारी जो किसी संदिग्ध व्यक्ति से उपहार या अनुग्रह प्राप्त करता है, जिसकी वह जाँच कर रहे हैं।
      • एक लेखा परीक्षक जिसे किसी कंपनी द्वारा अपने वित्तीय विवरणों का लेखा परीक्षण करने के लिए नियुक्त किया जाता है, लेकिन वह उसी कंपनी को परामर्श सेवाएँ भी प्रदान करता है।
  • संभावित हितों का टकराव: संभावित हितों का टकराव तब उत्पन्न होता है, जब किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत हित संभावित रूप से उसके व्यावसायिक कर्तव्यों को प्रभावित कर सकते हैं।
    • उदाहरण
      • एक वित्तीय सलाहकार जो ग्राहकों को कुछ निवेश उत्पादों की सिफारिश करने के लिए कमीशन प्राप्त करता है।
      • एक पत्रकार जो उस कंपनी के शेयरों का मालिक है, जिसके बारे में वह रिपोर्टिंग कर रहा है।
      • एक वकील जो ऐसे मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके हित उसकी व्यक्तिगत मान्यताओं के साथ टकराव में हों।
      • एक अकादमिक शोधकर्ता जो उस कंपनी से वित्त पोषण प्राप्त करता है, जो उस उत्पाद का उत्पादन करती है, जिस पर वे शोध कर रहे हैं।
      • ऐसा सार्वजनिक अधिकारी जिसका किसी ऐसी कंपनी से घनिष्ठ व्यक्तिगत या वित्तीय संबंध हो, जो सरकारी अनुबंध चाहती हो।

हितों के टकराव के प्रकार

हितों के टकराव के विभिन्न प्रकार नीचे उल्लिखित हैं:

  • वित्तीय हितों का टकराव: यह तब होता है जब कोई व्यक्ति या संगठन अपनी व्यावसायिक क्षमता में लिए गए निर्णयों या कार्यों से वित्तीय रूप से लाभान्वित होता है।
    • यह टकराव तब उत्पन्न हो सकता है, जब एक वित्तीय सलाहकार को कुछ वित्तीय उत्पादों की सिफारिश करने या बेचने के लिए संस्थाओं से रिश्वत मिलती है।
  • संबंधपरक हितों का टकराव: यह तब उत्पन्न होता है, जब व्यक्तिगत संबंध पेशेवर निर्णयों को प्रभावित करते हैं। इनमें पारिवारिक संबंध, दोस्ती आदि शामिल हो सकते हैं।
    • उदाहरण: कोई प्रबंधक किसी मित्र या रिश्तेदार को पदोन्नति देने का पक्ष ले सकता है, या कोई बोर्ड सदस्य किसी पारिवारिक सदस्य के स्वामित्व वाली कंपनी के साथ अनुबंध के लिए वकालत कर सकता है।
  • व्यावसायिक हितों का टकराव: यह तब होता है जब प्रतिस्पर्द्धी व्यावसायिक कर्तव्य या निष्ठाएँ निष्पक्षता में बाधा डालती हैं।
    • उदाहरण: विपरीत हितों वाले दो मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील को व्यावसायिक संघर्ष का सामना करना पड़ता है।
  • वैचारिक हितों का टकराव: यह तब उत्पन्न होता है, जब व्यक्तिगत विश्वास या मूल्य व्यावसायिक जिम्मेदारियों से टकराते हैं।
    • उदाहरण: पर्यावरण के प्रति दृढ़ दृष्टिकोण रखने वाले किसी शोधकर्ता को तेल एवं गैस निगम द्वारा वित्तपोषित अध्ययन करते समय वस्तुनिष्ठ बने रहने में कठिनाई हो सकती है।
  • समय-आधारित हितों का टकराव: यह तब होता है, जब एक व्यक्ति की कई भूमिकाओं या परियोजनाओं के प्रति प्रतिबद्धता के कारण ध्यान बँट जाता है और प्रभावशीलता कम हो जाती है।
    • उदाहरण: एक साथ दो कंपनियों के लिए काम करने वाला कर्मचारी किसी भी भूमिका के प्रति स्वयं को पूरी तरह समर्पित नहीं कर पाएगा।
  • संगठनात्मक हितों का टकराव: यह तब होता है, जब किसी संस्था के हित उसके हितधारकों या जनता के हितों के साथ टकराव में आते हैं।
    • उदाहरण: एक गैर-लाभकारी संगठन जो किसी निगम से धन प्राप्त करता है, उसे अपनी गतिविधियों को दाता के हितों के साथ संरेखित करने के लिए दबाव का सामना करना पड़ सकता है, भले ही यह उसके मिशन के साथ संघर्ष करता हो।

हितों के टकराव के सकारात्मक पहलू

सामान्य तौर पर, हितों का टकराव बुरा होता है। हालाँकि, इसके होने के कुछ कारण होते हैं, और ये कारण वास्तव में किसी कंपनी को टकराव उत्पन्न करने के लिए अच्छे कारण दे सकते हैं।

  • सुधार लाना: कुछ मामलों में, हितों के टकराव वाले व्यक्ति किसी स्थिति में मूल्यवान विशेषज्ञता और ज्ञान ला सकते हैं।
    • उदाहरण: किसी प्रासंगिक उद्योग से वित्तीय संबंध रखने वाला बोर्ड सदस्य ऐसी अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया को बेहतर बनाती है। यदि यह विशेषज्ञ समुदाय या उद्योग से बहुत अधिक जुड़ा हुआ है, तो उनके विशेषज्ञता के साथ संघर्ष होना तय है।
  • सहयोग को मजबूत करना: हितों का टकराव अक्सर मौजूदा रिश्तों और नेटवर्क से उत्पन्न होता है। इन संबंधों का लाभ उठाने से लाभकारी सहयोग और साझेदारी हो सकती है।
    • उदाहरण: उद्योग में व्यक्तिगत संबंधों वाले एक व्यावसायिक कार्यकारी रणनीतिक गठबंधनों को सुगम बना सकते हैं जो संगठनात्मक विकास को बढ़ाते हैं। इस कारण से, एक कंपनी किसी ऐसे व्यक्ति को आगे बढ़ा सकती है, जो जानबूझकर अपने बड़े नेटवर्क या रिश्तों के कारण हितों के टकराव का सामना कर सकता है।
  • नवाचार: वित्तीय हितों के टकराव को यदि सही ढंग से प्रबंधित किया जाए तो यह वास्तव में नवाचार और निवेश को प्रोत्साहित कर सकता है।
    • उदाहरण: स्टार्टअप में वित्तीय हित रखने वाला शोधकर्ता नवाचार की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए अधिक प्रेरित हो सकता है क्योंकि कंपनी की सफलता में उनका व्यक्तिगत हित अधिक होता है। इसलिए, वित्तीय संबंध एक सकारात्मक प्रोत्साहन उत्पन्न कर सकते हैं। (जो कुछ जोखिम के साथ भी आता है।)

हितों के टकराव से जुड़ी चुनौतियाँ

हितों के टकराव से जुड़ी चिंताजनक चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:

  • पक्षपातपूर्ण निर्णय लेना: हितों के टकराव की स्थिति में व्यक्तिगत हितों या किसी विशेष चीज के हितों को अन्य हितों से ऊपर प्राथमिकता दी जा सकती है।
    • इससे ऐसे निर्णय लिए जा सकते हैं, जिनसे व्यापक उद्देश्य के बजाय स्वयं उन्हें या उनके सहयोगियों को लाभ हो।
  • वस्तुनिष्ठता की हानि (Loss of Objectivity): हितों का टकराव निर्णय को प्रभावित कर सकता है और वस्तुनिष्ठता को कमजोर कर सकता है, जिसके कारण जब व्यक्तिगत हित दाँव पर लगे हों तो निष्पक्ष निर्णय लेना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • पक्षपात: हितों के टकराव वाले व्यक्ति उन व्यक्तियों या संगठनों के प्रति पक्षपात दिखा सकते हैं जिनके साथ उनका व्यक्तिगत संबंध या वित्तीय हित है, जिसके परिणामस्वरूप दूसरों के साथ अनुचित व्यवहार होता है।
  • समझौतापूर्ण ईमानदारी: हितों के टकराव के दौरान निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होने से निष्ठा से समझौता हो सकता है तथा विश्वास कम हो सकता है।

हितों के टकराव का प्रबंधन

विश्वास और अखंडता बनाए रखने के लिए हितों के टकरावों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना महत्त्वपूर्ण है। संघर्ष से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में छह आर का पालन करने की आवश्यकता है, जो हैं पहचानना, रिकॉर्ड करना, प्रकट करना, अलग होना या भागीदारी को प्रतिबंधित करना, और नियमित रूप से समीक्षा करना।

  • संघर्षों का पता लगाना: सबसे पहले, हितों के टकराव की पहचान करने की आवश्यकता है। प्रकटीकरण के साथ, कोई भी टकराव बढ़ने से पहले उसका तुरंत आकलन और समाधान कर सकता है।
  • प्रभाव को समझना: हितों के टकराव के परिणामों को समझना बहुत जरूरी है। इससे कानूनी परेशानियाँ, वित्तीय नुकसान और विश्वास में कमी हो सकती है।
  • पारदर्शिता बनाए रखना: सत्ता के दुरुपयोग का मुकाबला करने के लिए सभी परिदृश्यों में पारदर्शिता को शामिल किया जाना चाहिए।
  • वस्तुनिष्ठता पर ध्यान देना: यह कौशल निष्पक्ष निर्णय लेने और ईमानदारी स्थापित करने में मदद करता है।
  • व्यवहारिक ईमानदारी: व्यवहारिक ईमानदारी के उच्च मानकों को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • कानून की आवश्यकता: संघर्ष को संबोधित करने के लिए स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करने की आवश्यकता है, जिससे पूरे मामले में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
    • हितों के टकराव की बात का खुलासा न करने को दंडनीय बनाने के लिए कानून की आवश्यकता है।
  • निगरानी और समीक्षा: नियमित समीक्षा और मूल्यांकन से किसी भी नए संघर्ष या बदलाव की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हितों के टकराव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाता है, स्थिति की निरंतर निगरानी करना।
  • जागरूकता उत्पन्न करना: हितों के टकराव और इसके संभावित प्रभाव तथा ऐसी स्थितियों से बचने के महत्त्व के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने की आवश्यकता है।
  • मूल्यवान प्रशिक्षण: शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है। प्रशिक्षण सत्रों में, शर्तों से परिचित होने, संघर्षों से निपटने का तरीका सीखने और कुछ परिदृश्यों से गुजरने का अवसर मिलता है।

निष्कर्ष

किसी भी स्थिति में, व्यक्ति के व्यक्तिगत हित संभावित रूप से उनके पेशेवर कर्तव्यों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे हितों का टकराव उत्पन्न हो सकता है। पेशेवरों के लिए इन संभावित टकरावों के बारे में जागरूक होना और उन्हें प्रबंधित करने के लिए कदम उठाना महत्त्वपूर्ण है, जैसे कि निर्णय लेने की प्रक्रियाओं से खुद को अलग करना, संबंधित पक्षों को संभावित टकरावों का खुलासा करना या नैतिकता समिति से मार्गदर्शन प्राप्त करना।

हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा उठाए गए हालिया दावों के बारे में

हाल ही में अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट में आरोप लगाया कि शेयर बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति की अडानी समूह से जुड़ी ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने दावों का वर्णन करने के लिए निम्नलिखित कई बाजार शब्दों का प्रयोग किया था।

  • ऑफशोर संस्थाओं (Offshore Entities): हिंडनबर्ग रिसर्च के अनुसार, व्हिसलब्लोअर के दस्तावेजों से पता चला है कि सेबी अध्यक्ष की अडानी समूह की ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी है, जिन्होंने कथित तौर पर धन की हेराफेरी की है।
    • ऑफशोर शब्द का अर्थ किसी कंपनी के गृह देश से बाहर का स्थान है, जहाँ वित्तीय और बैंकिंग नियम आम तौर पर गृह देश से भिन्न होते हैं।
    • ऑफशोर लोकेशन: ये आमतौर पर द्वीपीय राष्ट्र होते हैं, जहाँ कंपनियाँ निगम, निवेश और जमा स्थापित करती हैं।
    • चुनने का कारण: कंपनियाँ और उच्च-नेटवर्थ वाले व्यक्ति कर से बचने, नियमों में ढील देने या संपत्ति की सुरक्षा के लिए ऑफशोर लोकेशन को प्राथमिकता दे सकते हैं। ऑफशोर कंपनियाँ वैध हैं, लेकिन उनका उपयोग अवैध उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
  • शैल इकाइयाँ (Shell Entities): हिंडेनबर्ग रिपोर्ट में मॉरीशस स्थित मुखौटा इकाइयों का उल्लेख किया गया है, जिनका उपयोग कथित रूप से अरबों डॉलर के अघोषित संबंधित पक्ष लेनदेन, अघोषित निवेश और स्टॉक हेरफेर के लिए किया जाता है।
    • आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (Organisation for Economic Cooperation and Development-OECD) के अनुसार, मुखौटा इकाई से तात्पर्य ऐसी कंपनी से है, जो किसी अर्थव्यवस्था में औपचारिक रूप से पंजीकृत, निगमित या अन्यथा कानूनी रूप से संगठित है, लेकिन जो उस अर्थव्यवस्था में निकासी क्षमता के अलावा कोई अन्य परिचालन नहीं करती है।
    • उपयोग: ऐसी कंपनियाँ अनिवार्यतः अवैध नहीं होतीं, लेकिन कभी-कभी उनका उपयोग कानून प्रवर्तन एजेंसियों या सार्वजनिक डोमेन से अपने व्यवसाय के स्वामित्व को छिपाने के लिए अवैध रूप से किया जाता है। 
      • वे वैध व्यवसायों के लिए कर बचाव तंत्र के रूप में भी कार्य कर सकती हैं।

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