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हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट (2.0) : सेबी की अखंडता पर प्रश्नचिन्ह

Lokesh Pal August 14, 2024 05:00 302 0

संदर्भ: 

हाल ही में अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) पर निष्पक्षता सम्बन्धी आरोप लगाए हैं, जो 1992 के हर्षद मेहता घोटाले के बाद का सबसे बड़ा आरोप है जिससे यह प्राधिकरण जांच के दायरे में है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, हिंडनबर्ग रिसर्च, आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का महत्व एवं चुनौतियाँ , भारत का वित्तीय बाजार आदि।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी एवं हालिया आरोप 

  • भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) : इसकी स्थापना भारत सरकार के एक प्रस्ताव के माध्यम से अप्रैल 1988 में एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में की गयी थी परंतु इसने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अधिनियम 1992 के प्रावधानों के तहत 12 अप्रैल 1992 को एक स्वायत्त निकाय के रूप में शक्तियां प्राप्त की।
  • वर्तमान समय में अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद यह शीर्ष स्तर पर ही पक्षपात और हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रहा है।
  • वर्तमान समय में, भारतीय शेयर बाजार 5.3 ट्रिलियन डॉलर की वित्तीय महाशक्ति बन चुका है। 
  • पिछले कुछ वर्षों में, सेबी ने जांच और संतुलन की मजबूत प्रणालियां स्थापित की हैं, जो लगातार विकसित होती रही हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत के प्रतिभूति बाजार और वित्तीय प्रणाली को वैश्विक स्तर पर सबसे विश्वसनीय प्रतिष्ठान में से एक होने की प्रतिष्ठा प्राप्त हो।
  • हालांकि, अहमदाबाद स्थित वैश्विक बुनियादी ढांचे से लेकर FMCG प्रमुख अदानी समूह के खिलाफ चल रही जांच के संचालन में सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ न्यूयॉर्क स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने हितों के टकराव और कथित स्टॉक मूल्य हेरफेर और कॉर्पोरेट दुर्भावनाओं के लिए वैधानिक नियामक निकाय पर एक के बाद एक अनेक आरोप लगाए हैं।

सेबी की सत्यनिष्ठा को कायम रखना:

  • जनवरी 2023: हिंडनबर्ग रिसर्च, एक अमेरिकी कंपनी है, जो कामकाज में हेर-फेर व आदि से संबंधित प्रक्रिया के लिए कंपनियों की जांच करती है। उसके द्वारा एक भारतीय व्यापार समूह के प्रमुख अडानी समूह की गतिविधियों के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें अनेक आरोप लगाए गये हैं जैसे: 
    • हिंडनबर्ग ने अडानी पर वित्तीय कदाचार का आरोप लगाया, जिसमें शेयर की कीमतें बढ़ाना और कर्ज छिपाना शामिल है।
    • यह रिपोर्ट उस समय आई जब अडानी शेयर बिक्री के जरिए बहुत सारा पैसा (20,000 करोड़ रुपये) जुटाने की योजना बना रहे थे।
  • तात्कालिक परिणाम:
    • अडानी समूह के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आने लगी।
    • हालांकि अडानी ने आरोपों से इनकार किया और अपनी नियोजित स्टॉक बिक्री को रद्द कर दिया।
  • मार्च 2023: भारतीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप
    • न्यायालय ने इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई है, जो यह जांच करेगी कि क्या विनियामक किसी भी अनैतिक गतिविधि को पकड़ने में विफल रहे हैं।
    • उन्होंने सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, जो शेयर बाजार की देखरेख कर निष्पक्ष व पारदर्शी प्रथाओं को बढ़ावा देता है) से अडानी समूह से संबंधित विशिष्ट मुद्दों की जांच हेतु निर्देश दिया।
  • मई 2023: इस विशेषज्ञ समिति ने रिपोर्ट दी कि सेबी को अब तक अपनी जांच में कोई अनैतिकता या हेर-फेर आदि नहीं मिली है।
  • नवंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे सेबी की जांच पर भरोसा है और उसे नहीं लगता कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अंतिम सच है।
  • जनवरी 2024: कोर्ट ने फिर से सेबी की जांच का समर्थन किया और उसे इसे पूरा करने के लिए और समय दिया।
  • जुलाई 2024: सेबी ने हिंडनबर्ग पर अपनी अडानी रिपोर्ट से संबंधित अनुचित व्यापार का आरोप लगाया।
  • अगस्त 2024 (वर्तमान): हिंडनबर्ग द्वारा अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, अदानी समूह के खिलाफ चल रही जांच के संचालन में सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ हितों के टकराव और कथित स्टॉक मूल्य हेरफेर और कॉर्पोरेट दुर्भावनाओं के लिए वैधानिक नियामक निकाय पर एक के बाद एक अनेक आरोप लगाए हैं।
    • उन्होंने दावा किया कि बुच और उनके पति ने उन्हीं ऑफशोर फंडों में निवेश किया था, जिनका कथित तौर पर अडानी ने कदाचार के लिए इस्तेमाल किया था।
    • हिंडेनबर्ग ने इस बात को भी स्पष्ट कर दिया कि शायद यही वजह है कि सेबी ने अडानी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की है।
  • वर्तमान आरोपों पर प्रतिक्रिया:
    • सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति ने कहा कि उन्होंने ये निवेश 2015 में किए थे, जब वे सिंगापुर में निजी नागरिक के रूप में रह रहे थे अर्थात तब श्रीमती बुच सेबी में शामिल भी नहीं हुई थी।
    • उन्होंने बताया कि यह निवेश फंड मैनेजर से व्यक्तिगत संबंध के कारण किया गया था।
    • सेबी ने बुच का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा अपने निवेश का सही तरीके से खुलासा किया है और जहां भी हितों का टकराव होने की संभावना है, ऐसे मामलों से खुद को अलग रखा है।

आगे की राह :

  • विनियामक अखंडता: अतः सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) जैसी विनियामक संस्थाओं की अखंडता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए इसके व्यापक महत्व पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • हितों के मध्य टकराव से बचना: वर्तमान आरोपों के अनुसार, एक मुख्य मुद्दा सेबी अध्यक्ष के व्यक्तिगत निवेश और उनके विनियामक कर्तव्यों के बीच संभावित हितों का टकराव है, जिससे निकाय की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। निकाय के कार्यों में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। 
  • वित्तीय बाजार की निगरानी: भारत के प्रतिभूति बाजार को विनियमित करने और उसकी देखरेख करने में सेबी की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है, बाजार की अखंडता को बनाए रखने में इसके महत्व पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • कॉर्पोरेट प्रशासन: अडानी समूह के खिलाफ आरोप कॉर्पोरेट प्रशासन के मुद्दों से संबंधित हैं, जिसमें स्टॉक मूल्य हेरफेर और कॉर्पोरेट दुराचार शामिल हैं, भविष्य में ऐसे आरोपों से बचने के लिए उचित कॉर्पोरेट प्रशासनिक नियमों की आवश्यकता है। 
  • सार्वजनिक कार्यालय में पारदर्शिता: सार्वजनिक अधिकारियों, विशेष रूप से विनियामक पदों पर बैठे लोगों के वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता की आवश्यकता है।
  • नैतिक नेतृत्व: सेबी के अध्यक्ष को इस्तीफा देने का सुझाव नैतिक नेतृत्व की अवधारणा और सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने की जिम्मेदारी हेतु उचित प्रतीत होता है।

निष्कर्ष :

सेबी के अध्यक्ष के खिलाफ आरोपों के बीच शीर्ष निकाय को विश्वसनीय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। भारत के वित्तीय बाजारों में विश्वास बनाए रखने के लिए पारदर्शिता, नैतिक नेतृत्व और मजबूत निगरानी तंत्र आवश्यक है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

 प्रश्न : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के गठन के बाद से इसके ऐतिहासिक विकास का विश्लेषण करें। भारत के वित्तीय बाजारों की अखंडता सुनिश्चित करने में सेबी ने क्या भूमिका निभाई है। चर्चा करें।                                                                                          

(15 अंक, 250 शब्द)

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