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Lokesh Pal
August 17, 2024 02:54
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वर्ष 2021 के बाद से भारत के पड़ोसी देशों में महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक चुनौतियों के अनुभव के साथ, अपनी राजनयिक रणनीतियों और पड़ोसी देशों के साथ क्षेत्रीय जुड़ाव का पुनर्मूल्यांकन करने का समय आ गया है।
दक्षिण एशिया में विश्व की सबसे पुरानी ज्ञात सभ्यताएँ जैसे- सिंधु सभ्यता विकसित हुई और आज यह क्षेत्र पृथ्वी पर सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। दक्षिण एशिया के लोग इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण संपत्ति हैं, लेकिन उनका बहुत कम उपयोग किया जाता है।
भारत को वर्तमान परिदृश्य से निम्नलिखित सबक सीखने की जरूरत है और तदनुसार कार्य करने की आवश्यक है।
उपनिवेशवाद से मुक्ति की प्रक्रिया के बाद दक्षिण एशिया में राष्ट्रों के गठन की प्रकृति और संदर्भ और क्षेत्र पर शीतयुद्ध के प्रभाव ने क्षेत्रवाद के विचार को बढ़ने नहीं देने में प्रमुख भूमिका निभाई।
भारत के सामने निम्नलिखित विभिन्न चुनौतियाँ हैं, जिन पर विचार करने और उनसे निपटने की आवश्यकता है।
दक्षिण एशिया के देशों के बीच सहयोग बनाए रखने तथा आगे एकीकरण के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं।
दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत की दुविधाओं के लिए रणनीतिक बदलाव की आवश्यकता है, जिसमें यथार्थवादी दृष्टिकोण, पड़ोसी देशों के साथ सहयोग, अनुकूलनीय कूटनीति, बढ़े हुए कूटनीतिक प्रयास और चीन के बढ़ते प्रभाव से उत्पन्न जटिलताओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए नवीन समाधान शामिल हों।
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