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Lokesh Pal
August 17, 2024 05:30
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29 जुलाई, 2024 को संसद में अपने संबोधन के दौरान, राहुल गांधी (विपक्ष के नेता) ने बजट प्रस्ताव (वर्ष 2024) को तैयार करने में एससी/एसटी अधिकारियों की अनुपस्थिति पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि इसमें शामिल 20 अधिकारियों में अल्पसंख्यकों की आबादी में से केवल एक और ओबीसी श्रेणी की आबादी में से भी केवल एक अधिकारी शामिल था। उन्होंने प्रमुख नीति-निर्माण भूमिकाओं में हाशिए के समुदायों के प्रतिनिधित्व की कमी पर जोर दिया।
महत्वपूर्ण आँकड़ेआंकड़ों से पता चलता है कि केंद्रीय स्टाफिंग योजना के तहत संयुक्त सचिवों और सचिवों के पदों पर आसीन 322 अधिकारियों में से केवल 16 एससी श्रेणी के, 13 एसटी श्रेणी के, 39 ओबीसी श्रेणी के और 254 सामान्य श्रेणी के हैं। |
इन असमानताओं और आयु सीमाओं के कारण, एससी/एसटी और पीडब्ल्यूबीडी उम्मीदवार अक्सर बाद में सिविल सेवा में शामिल होते हैं और वरिष्ठ पदों पर पहुंचने से पहले ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं, जिससे उनके करियर की प्रगति प्रभावित होती है। आयु कारक एक असमानता पैदा करता है, क्योंकि जो लोग कम उम्र में शामिल होते हैं, उनके पास प्रदर्शन की परवाह किए बिना आगे बढ़ने के लिए अधिक समय होता है।
नौकरशाही और अन्य शीर्ष सरकारी संस्थानों में समावेशिता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना न्यायसंगत नीति-निर्माण और शासन के लिए महत्वपूर्ण है। वरिष्ठ स्तरों पर विविध वर्गों व श्रेणियों का समान प्रतिनिधित्व यह सुनिश्चित करता है विविध दृष्टिकोणों के व्यापक स्पेक्ट्रम पर विचार करने से पारदर्शी वातावरण निर्मित होगा, जिससे अधिक निष्पक्ष और अधिक व्यापक नीतिगत परिणाम सामने आएंगे। अतः सभी के लिए सामाजिक न्याय के साथ विकसित भारत के सपने को पूरा करना और सभी समुदायों के लिए राष्ट्रीय शासन में प्रभावी रूप से योगदान करने के अवसर पैदा करना आवश्यक है।
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