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Lokesh Pal
August 19, 2024 05:15
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संघ लोक सेवा आयोग ने हाल ही में, 24 केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों के लिए निजी क्षेत्र, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार और पीएसयू कर्मचारियों से लेटरल एंट्री के लिए आवेदन मांगे हैं। इन सभी 45 पदों को एक अनुबंध के आधार पर भरा जाना है। विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना की है और इसे केंद्र सरकार के वरिष्ठ पदों पर कमजोर वर्गों को प्राप्त आरक्षण को बाहर रखने की एक “सुनियोजित साजिश” बताया है।
पार्श्व प्रवेश (लेटरल एंट्री) : यह निजी क्षेत्र या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के पेशेवरों की भारतीय नौकरशाही में सीधे मध्य और वरिष्ठ स्तर के पदों अर्थात आमतौर पर संयुक्त सचिव, निदेशक या उप सचिव के स्तर पर नियुक्ति को संदर्भित करता है।
उम्मीदवारों के चयन माध्यम : लेटरल एंट्री के माध्यम से उम्मीदवारों का चयन आमतौर पर प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के बजाय उनके अनुभव, योग्यता और साक्षात्कार में प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है।
आरक्षण पर प्रभाव एवं तर्क:आरक्षण कोटे को कमजोर करना: भारत में आरक्षण प्रणाली ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों, जिनमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ-साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) शामिल हैं, को समान अवसर प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। पार्श्व प्रवेश पद, जो अक्सर नियमित सिविल सेवाओं से बाहर के पात्र उम्मीदवारों द्वारा भरे जाते हैं। आरोप है कि यह विज्ञप्ति आरक्षण को दरकिनार कर सकती है। यह संभावित रूप से प्रमुख प्रशासनिक पदों में आरक्षित श्रेणियों के प्रतिनिधित्व को कम कर सकता है, जिससे आरक्षण नीति का उद्देश्य कमज़ोर हो सकता है। |
उदाहरण के लिए, आधार कार्यान्वयन के लिए नंदन नीलेकणी।
लेटरल एंट्री के पूर्व के उदाहरण: नंदन नीलेकणी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, विजय केलकर, अरविंद सुब्रमण्यम और रघुराम राजन।
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