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राज्यों को विशेष सहायता

Lokesh Pal August 23, 2024 03:10 54 0

संदर्भ

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने पूँजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना 2024-25 के तहत दिशा-निर्देशों एवं निधियों को अंतिम रूप दे दिया है तथा उन्हें राज्यों को जारी कर दिया है।

संबंधित तथ्य

  • ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में भूमि संबंधी सुधारों को लागू करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये को अंतिम रूप दिया गया है।
  • अतिरिक्त निधि 
    • किसान रजिस्ट्री: वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान छह करोड़ किसानों एवं उनकी भूमि के विवरण के साथ किसान रजिस्ट्री बनाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये को अंतिम रूप दिया गया है।
    • कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल सुविधा:  कामकाजी महिलाओं के हॉस्टल के निर्माण के लिए 5,000 करोड़ रुपये को अंतिम रूप दिया गया है। 
      • राज्य सरकार हॉस्टल के लिए या तो निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराएगी अथवा भूमि अधिग्रहण की लागत स्वयं वहन करेगी।
      • उद्देश्य: उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिला हॉस्टल एवं क्रेच की स्थापना के माध्यम से कार्यबल में महिलाओं की उच्च भागीदारी को सुनिश्चित करना है।
      • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल: इन हॉस्टल का संचालन एवं रखरखाव एक निजी हितधारकों द्वारा प्रबंधित किया जाएगा, जबकि हॉस्टल का स्वामित्व राज्य सरकार के पास रहेगा।
      • राज्यवार आवंटन: उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक 382 करोड़ रुपये मिलेंगे, इसके बाद मध्य प्रदेश (284 करोड़ रुपये) एवं असम (226 करोड़ रुपये) का स्थान आएगा।
    • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये: इसे तीन राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान के बीच समान रूप से विभाजित किया जाएगा।
    • शहरी एवं ग्रामीण बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं सहित केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यों के हिस्से के लिए 15,000 करोड़ रुपये।
    • औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये।
    • केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत समय पर धनराशि जारी करने के लिए ‘SNA स्पर्श मॉडल’ को लागू करने के लिए प्रोत्साहन में 4,000 करोड़ रुपये।
    • वर्ष 2024-25 के लिए पूँजीगत व्यय के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में 25,000 करोड़ रुपये।

पूँजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना 2024-25 के बारे में

  • इस योजना में राज्यों को 50 वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण के रूप में विशेष सहायता प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।
    • वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए: योजना का बजट अनुमान ₹1.30 लाख करोड़ था, जिसे बाद में संशोधित कर ₹1.05 करोड़ कर दिया गया। यह योजना पहली बार वित्तीय वर्ष 2020-21 में COVID-19 महामारी के मद्देनजर शुरू की गई थी।
  • सिद्धांत: यह योजना गुणक प्रभाव के सिद्धांत (Principle of Multiplier Effect) पर आधारित है, जहाँ यह माना जाता है कि पूँजीगत व्यय के रूप में खर्च किए गए प्रत्येक ₹1 के परिणामस्वरूप ₹3 का प्रभाव पड़ेगा। 
  • पूँजी निवेश क्षेत्र: स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई, जलापूर्ति, विद्युत, सड़क, पुल एवं रेलवे में परियोजनाएँ स्वीकृत हैं।
  • वित्तीय वर्ष 2024-25 
    • बजट: वर्ष 2024-25 के लिए ₹1.30 लाख करोड़ आवंटित किए गए हैं।
    • अनिवार्य शर्तें 
      • केंद्र प्रायोजित योजनाओं के नाम एवं विशेषताओं के बारे में स्थानीय भाषा में सही अनुवाद किया जाना चाहिए।
      • ‘SNA स्पर्श मॉडल’ को लागू करना: SNA खातों में अर्जित ब्याज का केंद्रीय हिस्सा 31 मार्च तक भारत की समेकित निधि में जमा करना होगा।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में प्रस्तावित भूमि सुधार: राज्यों को इसमें शामिल करना होगा-

योजना भाग

उद्देश्य

भाग I 15वें वित्त आयोग के निर्णय के अनुसार, राज्यों को केंद्रीय करों एवं शुल्कों में उनकी हिस्सेदारी के अनुपात में आवंटित किया गया है।

  • इस घटक के तहत ₹55,000 निर्धारित किए गए हैं।
भाग- II राज्यों को प्रोत्साहन प्रदान करके सरकारी वाहनों को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहित करना।

  • इसके लिए ₹5,000 करोड़ आवंटित किए गए हैं।
भाग-III शहरी नियोजन में सुधारों को प्रोत्साहित करना।

  • ‘प्रतिष्ठित पर्यटक केंद्रों के विकास’ के लिए ₹5,000 करोड़ प्रदान किए गए हैं।
भाग-IV शहरी वित्त में सुधारों को बढ़ावा देना।
भाग-V शहरी क्षेत्रों में पुलिस कर्मियों के लिए आवास की संख्या बढ़ना।
भाग-VI प्रत्येक राज्य में यूनिटी मॉल के निर्माण के माध्यम से राष्ट्रीय एकता एवं ‘मेक इन इंडिया’ अवधारणा को बढ़ावा देना।
भाग-VII पंचायत एवं वार्ड स्तर पर डिजिटल बुनियादी ढाँचे के साथ पुस्तकालयों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।

  • सभी प्रकार की भूमि के लिए एक विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (Unique Land Parcel Identification Number- ULPIN) या भू-आधार तैयार किया जाना चाहिए।
  • कैडस्ट्रल मानचित्रों का डिजिटलीकरण।
  • वर्तमान स्वामित्व के अनुसार, मानचित्र उप-विभाजनों का सर्वेक्षण।
  • भूमि रजिस्ट्री की स्थापना।
  • शहरी क्षेत्रों में प्रस्तावित भूमि सुधार 
    • GIS मैपिंग का उपयोग करके भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। 
    • संपत्ति रिकॉर्ड प्रशासन, अद्यतनीकरण एवं कर प्रशासन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणाली की स्थापना।

भारत में पूँजीगत व्यय

  • पूँजीगत व्यय को भवन, मशीनरी, उपकरण, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं, शैक्षणिक संस्थानों आदि जैसी भौतिक संपत्तियों के विकास पर सरकारी (केंद्रीय, राज्य, स्थानीय) खर्च के रूप में परिभाषित किया गया है। 
    • इसमें सरकार द्वारा भूमि एवं निवेश जैसी अचल संपत्ति खरीदने की लागत भी शामिल है, जो भविष्य में कमाई या लाभांश देगी। 
    • पूँजीगत व्यय में निम्नलिखित पर खर्च की गई धनराशि शामिल है:-
      • अचल एवं अमूर्त संपत्तियों की खरीद।
      • किसी मौजूदा संपत्ति को अपग्रेड करना।
      • किसी मौजूदा संपत्ति की मरम्मत करना।
      • ऋणों का पुनर्भुगतान।
  • राज्यों को पूँजीगत व्यय ऋण: इन्हें राज्यों को दो प्रमुख श्रेणियों में वितरित किया जाता है:-
    • अबंधित (Untied): पूँजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना 2024-25 के तहत राज्यों को अबंधित ऋण दो किस्तों में जारी किए जाएँगे। 
      • अनिवार्य शर्तों को पूरा करने पर स्वीकृत राशि की 66% की पहली किस्त एवं पहली किस्त में जारी राशि का कम-से-कम 75% उपयोग होने पर 34% की दूसरी किस्त जारी की जाएगी।
  • बंधित (Tied): यह सामाजिक सुधारों एवं विशिष्ट विकास व्ययों के अधीन है।
    • उदाहरण: विशिष्ट केंद्र प्रायोजित योजनाओं एवं अन्य योजनाओं के तहत प्रदान की गई धनराशि। 
  • वित्तीय वर्ष 2023-24: केंद्र ने 9.5 लाख करोड़ रुपये के संशोधित पूँजीगत व्यय अनुमान का 85 प्रतिशत खर्च किया था।
    • राज्य: 25 राज्यों के अनंतिम खातों के अनुसार, उन्होंने बजटीय पूँजीगत व्यय का 84 प्रतिशत हासिल किया।
      • इन राज्यों ने वित्तीय वर्ष 2024 के लिए 8.37 ट्रिलियन रुपये के पूँजीगत व्यय (Capex) कार्यक्रम का बजट रखा था। खर्च की गई अनंतिम राशि 7.02 ट्रिलियन रुपये थी।
      • सबसे कम पूँजीगत व्यय अवशोषण वाले राज्य: इनमें नागालैंड, छत्तीसगढ़, पंजाब एवं मिजोरम शामिल हैं।
  • अपवाद: उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, बिहार एवं सिक्किम सहित चार राज्यों ने लक्ष्य से अधिक राशि खर्च की।

  • वित्तीय वर्ष 2024-25: अंतरिम बजट में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र के पूँजीगत व्यय लक्ष्य को 16.9 प्रतिशत बढ़ाकर वित्तवर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान से 11.1 ट्रिलियन रुपये कर दिया गया।

भारत के राज्यों के पूँजीगत व्यय को प्रभावित करने वाले कारक

  • सार्वजनिक क्षेत्र का नेतृत्व: सार्वजनिक क्षेत्र पूँजीगत व्यय में अग्रणी है, राष्ट्रीय एवं राज्य सरकार दोहरे अंकों में तथा कई क्षेत्रों में खर्च करती है।
  • खराब प्रदर्शन करने वाला निजी क्षेत्र: निजी निवेश धीरे-धीरे एकल अंकों में बढ़ा है एवं वह भी बुनियादी ढाँचे, आतिथ्य तथा खुदरा जैसे केंद्रित क्षेत्रों में एवं अभी भी अन्य क्षेत्रों में बढ़ना बाकी है।
  • चुनाव: भारतीय राज्य पूँजीगत व्यय पर सबसे अधिक खर्च तब करते हैं, जब चुनाव नजदीक आते हैं।
    • उदाहरण: तेलंगाना ने अपने वित्त वर्ष 2024 पूँजीगत व्यय लक्ष्य का 90 प्रतिशत पूरा कर लिया है। राज्य में पिछले साल नवंबर में विधानसभा चुनाव हुए थे।

पूँजीगत व्यय की आवश्यकता 

  • योजना एवं विकास: यह दर्शाता है कि व्यय योजना एवं विकास से जुड़ा व्यय है, जिसका श्रम सहभागिता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, बुनियादी ढाँचे का निर्माण या उन्नयन हो सकता है तथा परिसंपत्ति निर्माण के माध्यम से अधिक राजस्व उत्पन्न करने की क्षमता में सुधार हो सकता है।
  • निवेश संबंधी वातावरण: अच्छे पूँजीगत व्यय रिपोर्ट कार्ड वाले राज्य अक्सर निजी क्षेत्र के लिए सकारात्मक निवेश वातावरण की मेजबानी करते हैं।
  • दीर्घकालिक विकास: पूँजीगत व्यय गुणक प्रभाव उत्पन्न करता है एवं इस प्रकार राजस्व व्यय की तुलना में दीर्घकालिक विकास तथा उत्पादकता पर अधिक प्रभाव डालता है।
  • उत्पादकता बढ़ाना: नई परियोजनाओं के लिए पूँजी आवंटित करना, उद्यमों का विस्तार करना, या प्रौद्योगिकी एवं बुनियादी ढाँचे में सुधार करना उत्पादकता, संबंधित उद्योगों की माँग तथा नौकरी के अवसर उत्पन्न करके आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

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