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जनगणना

Lokesh Pal August 23, 2024 03:54 61 0

संदर्भ

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत की जनगणना (एक वार्षिक दशकीय अभ्यास) सितंबर 2024 में शुरू होने की संभावना है।

  • इस बार की जनगणना वर्ष 2021 में होनी थी एवं COVID-19 महामारी के कारण इसमें कम-से-कम तीन वर्ष की देरी हुई।
  • जनगणना को पूरा होने में कम-से-कम 18 महीने लगेंगे एवं केंद्र सरकार मार्च 2026 तक आँकड़े जारी कर सकती है।

जनगणना में नई अपेक्षित विशेषताएँ

  • डिजिटल जनगणना: यह स्व-गणना विकल्पों के साथ मोबाइल फोन एवं एप्लिकेशन का उपयोग करने वाला पहला डिजिटल जनगणना अभ्यास होगा।
  • समावेशी: ट्रांसजेंडर समुदाय के एक सदस्य की अध्यक्षता वाले परिवार के सदस्यों के बारे में भी जानकारी एकत्र की जाएगी। पहले, केवल पुरुषों एवं महिलाओं के लिए रजिस्टर में एक अलग कॉलम था।
  • जाति श्रेणियों को शामिल करना: ‘अनुसूचित जाति’ एवं ‘अनुसूचित जनजाति’ के अलावा ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ श्रेणी को भी शामिल करने की वार्ता चल रही है।

जनगणना के बारे में

  • भारतीय जनगणना दुनिया का सबसे बड़ा प्रशासनिक और सांख्यिकीय अभ्यास है, जो एक विशिष्ट समय पर देश की जनसांख्यिकीय, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रोफाइल पर जानकारी का सबसे विश्वसनीय स्रोत है। 
  • सूचना का स्रोत: जनसांख्यिकी (जनसंख्या विशेषताएँ), आर्थिक गतिविधियाँ, साक्षरता एवं शिक्षा, आवास तथा घरेलू सुविधाएँ, शहरीकरण, प्रजनन क्षमता एवं मृत्यु दर, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति, भाषा, धर्म, प्रवासन, दिव्यांगता आदि।
  • संचालन: दशकीय जनगणना का संचालन गृह मंत्रालय (भारत सरकार) के रजिस्ट्रार जनरल एवं जनगणना आयुक्त के कार्यालय द्वारा किया जाता है।
  • विधिक स्थिति
    • संवैधानिक स्थिति: जनसंख्या जनगणना भारतीय संविधान के अनुच्छेद-246 के तहत संघ सूची का एक विषय है, जो संविधान की सातवीं अनुसूची के क्रम संख्या 69 पर सूचीबद्ध है।
    • भारत का जनगणना अधिनियम, 1948: यह अधिनियम जनगणना करने के लिए विधिक ढाँचा प्रदान करता है।
      • न तो संविधान एवं न ही अधिनियम जनगणना अभ्यास आयोजित करने की आवृत्ति तथा आवधिकता प्रदान करता है। इसलिए, ऐसी कोई संवैधानिक या कानूनी आवश्यकता नहीं है कि प्रत्येक 10 वर्ष में जनगणना की जानी चाहिए। 
  • उत्पत्ति: पहली बार जनगणना अभ्यास वर्ष 1872 में वायसराय लॉर्ड मेयो के तहत एक परीक्षण अभ्यास के बाद वर्ष 1881 में समकालिक तरीके से किया गया था।
    • चूँकि जनगणना प्रक्रिया प्रत्येक 10 वर्ष में आयोजित की जाती है, किंतु कोविड-19 महामारी के मद्देनजर वर्ष 2021 की जनगणना को स्थगित कर दिया गया था, भारत के जनगणना कार्यों के 150 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।
  • चरण: जनगणना अनिवार्य रूप से एक दो-चरणीय प्रक्रिया है, जिसमें घरों की सूची बनाना एवं गणना अभ्यास चरण शामिल है, जिसके बाद वास्तविक जनसंख्या गणना चरण शामिल है। 
    • मकान सूचीकरण एवं आवास जनगणना: यह जनसंख्या गणना के संचालन के लिए एक ठोस ढाँचा तैयार करने के लिए देश भर में सभी संरचनाओं, घरों तथा मकानों को व्यवस्थित रूप से सूचीबद्ध करता है।
      • घर की विशेषताओं पर डेटा एकत्र करने के अलावा, पहले चरण में घरों में कुछ सुविधाओं एवं संपत्तियों की उपलब्धता के बारे में जानकारी भी एकत्र की गई थी। 
    • जनसंख्या गणना: यह दूसरे चरण में आयोजित की जाती है, जिसके तहत भारत के क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की गणना की जाती है एवं उसके व्यक्तिगत विवरण विभिन्न सामाजिक-आर्थिक तथा जनसांख्यिकीय मापदंडों जैसे उम्र, लिंग, साक्षरता, धर्म, SC/ST स्थिति, दिव्यांगता ज्ञात भाषाएँ, आर्थिक गतिविधियों की स्थिति एवं प्रवास आदि पर आँकड़े एकत्र किए जाते हैं। 

अपनाई गई प्रक्रिया 

  • प्रश्न एवं प्रपत्र: प्रत्येक घर का दौरा करके एवं प्रश्न पूछकर एवं जनगणना प्रपत्र भरकर विवरण एकत्र करके जनगणना डेटा लिया जाता है।
  • गोपनीय जानकारी: प्रक्रिया के दौरान एकत्र की गई जानकारी गोपनीय होती है। वास्तव में, यह जानकारी न्यायालयों तक भी पहुँच योग्य नहीं है।
  • डेटा प्रोसेसिंग केंद्रों तक परिवहन: फॉर्म को देश भर के 15 शहरों में स्थित डेटा प्रोसेसिंग केंद्रों तक पहुँचाया जाता है।
  • इंटेलिजेंट कैरेक्टर रिकग्निशन सॉफ्टवेयर (ICR): यह तकनीक भारत में जनगणना 2001 में आई एवं दुनिया भर की जनगणनाओं के लिए मानक बन गई।
  • डेटा की स्कैनिंग एवं निष्कर्षण: इसमें जनगणना प्रपत्रों को तेज गति से स्कैन करना एवं कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का उपयोग करके स्वचालित रूप से डेटा निकालना शामिल है।

समय पर जनगणना की आवश्यकता

  • विश्वसनीयता: एक व्यापक एवं विस्तृत सरकारी डेटा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि डेटा के वैकल्पिक स्रोत या तो अनुपलब्ध हैं अथवा अविश्वसनीय हैं।
  • व्यापक उपयोग: जनगणना डेटा का उपयोग गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला के लिए किया जा रहा है, इसका उपयोग सरकारों द्वारा शहरी नियोजन एवं संघीय पुनर्वितरण तय करने के लिए किया जाता है, जबकि व्यवसाय उपभोक्ता विशेषताओं की जानकारी तथा माँग पूर्वानुमान के लिए डेटा का उपयोग करते हैं।
  • जनसंख्या में बदलते रुझानों का आकलन करना: जनगणना डेटा का उपयोग शोधकर्ताओं एवं जनसांख्यिकीविदों द्वारा जनसंख्या वृद्धि तथा अनुमान विकसित करने के रुझानों का आकलन करने के लिए किया जाता है।
  • सार्वजनिक प्रशासन के लिए: केंद्र/राज्य सरकारें इसका उपयोग प्रशासन, योजना एवं कानून के साथ-साथ कई कार्यक्रमों के प्रबंधन तथा मूल्यांकन के लिए करती हैं।
  • निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन/आरक्षण संबंधी अभ्यास: संसदीय/विधानसभा/पंचायतों एवं अन्य स्थानीय निकायों का परिसीमन जनगणना के दौरान एकत्रित जनसंख्या आँकड़ों पर आधारित है।

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