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Lokesh Pal August 22, 2024 05:15 69 0
भारतीय संदर्भ में, बंधुत्व को नागरिकता के एक महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में परिभाषित किया गया है, जो व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तथा अखंडता को सुनिश्चित करता है। यह केवल भावना से परे जाकर सभी नागरिकों के बीच सद्भाव और बंधुत्व को बढ़ावा देने हेतु व्यक्तियों के लिए एक कानूनी और नैतिक दायित्व को शामिल करता है।
अंबेडकर द्वारा बताए गए सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। सामाजिक एकता, न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों को बनाए रखने के लिए बंधुत्व अत्यंत आवश्यक है। हर नागरिक का यह मौलिक कर्तव्य है, कि वह समान बंधुत्व की भावना को बढ़ावा दे, मतभेदों को दूर करे और विविधता में एकता को बढ़ावा दे। बंधुत्व का स्थायी महत्त्व राष्ट्र को एक साथ बाँधने तथा सभी व्यक्तियों की गरिमा और सम्मान सुनिश्चित करने की इसकी क्षमता में निहित है, जिससे भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने को मजबूती मिलती है।
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