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भारत-पोलैंड संबंध

Lokesh Pal August 24, 2024 03:07 107 0

संदर्भ

भारतीय प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारत और पोलैंड ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ तक बढ़ाने की बात की, जिससे रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में सहयोग का एक नया युग शुरू हुआ।

यात्रा की मुख्य बिंदु

यह ऐतिहासिक घटना 45 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पोलैंड की पहली यात्रा थी तथा यह दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगाँठ के अवसर पर हुई।

  • रणनीतिक साझेदारी: यह संबंध रक्षा, सुरक्षा और व्यापार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने की उनकी पारस्परिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • रणनीतिक साझेदारी को कार्यान्वित करने के लिए दोनों पक्षों ने वर्ष 2024-2028 के लिए पाँच वर्षीय संयुक्त कार्य योजना पर सहमति व्यक्त की।
  • रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाना
    • रक्षा संबंधों को सुदृढ़ एवं गहन बनाना: रक्षा सहयोग के लिए संयुक्त कार्य समूह सहित मौजूदा द्विपक्षीय तंत्रों का पूर्ण उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की गई।
    • आतंकवाद का विरोध: दोनों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की स्पष्ट निंदा दोहराई।
    • सुरक्षित आश्रय को नष्ट करना: इस बात पर जोर दिया गया कि किसी भी देश को उन लोगों को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध नहीं करानी चाहिए, जो आतंकवादी कृत्यों को वित्तपोषित, योजना, समर्थन या अंजाम देते हैं।
    • अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता: दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रासंगिक प्रस्तावों के दृढ़ कार्यान्वयन के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति के कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया। 
      • उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (Comprehensive Convention on International Terrorism- CCIT) को शीघ्र अपनाने की भी पुष्टि की।
  • व्यापार और आर्थिक संबंधों का विस्तार
    • आर्थिक सहयोग के लिए संयुक्त आयोग का उपयोग: द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना, व्यापार तथा निवेश को प्रोत्साहित करना एवं सहयोग के नए पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों की खोज करना।
    • व्यापार संतुलन: दोनों नेताओं ने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की कि द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करने तथा व्यापार बास्केट का विस्तार करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
    • आर्थिक सहयोग का विस्तार: प्रौद्योगिकी, कृषि, संपर्क, खनन, ऊर्जा और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में।
  • प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और कनेक्टिविटी में सहयोग
    • विकास के लिए डिजिटलीकरण: आर्थिक और सामाजिक विकास में डिजिटलीकरण की महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, उन्होंने स्थिरता तथा  विश्वास बढ़ाने के लिए साइबर सुरक्षा सहित इस क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की।
    • कनेक्टिविटी पर जोर: दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान कनेक्शन की शुरुआत करके और दोनों देशों में नए गंतव्यों के लिए सीधी उड़ान कनेक्शन में और वृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया।
      • दोनों पक्षों ने समुद्री सहयोग को मजबूत करने तथा बुनियादी ढाँचा गलियारों की पारदर्शिता के महत्त्व को रेखांकित किया।
    • जलवायु पहलों में सहयोग: जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न महत्त्वपूर्ण चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, दोनों नेताओं ने जलवायु कार्रवाई पहलों में सहयोग के महत्त्व पर सहमति व्यक्त की।
      • भारत ने पोलैंड को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन की सदस्यता पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • बहुपक्षीय सहयोग और वैश्विक शांति
    • शांति और नियम आधारित विश्व: उन्होंने नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने और वैश्विक शांति, स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया।
    • यूक्रेन पर चिंता: दोनों नेताओं ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध तथा इसके भयानक एवं दुखद मानवीय परिणामों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की।
      • उन्होंने वैश्विक खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, विशेषकर वैश्विक दक्षिण के संबंध में यूक्रेन में युद्ध के नकारात्मक प्रभावों पर भी ध्यान दिलाया।
    • भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी का गहरा होना: इससे न केवल दोनों पक्षों को लाभ होगा बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका दूरगामी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
      • विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के रूप में, यूरोपीय संघ और भारत का बहुध्रुवीय विश्व में सुरक्षा, समृद्धि और सतत विकास सुनिश्चित करने में साझा हित है।
    • भारत-प्रशांत पर: दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून (UNCLOS) के अनुसार एक स्वतंत्र, खुले और नियम आधारित भारत-प्रशांत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया।
  • सहयोग को मजबूत करना: अधिक स्थिर, समृद्ध और टिकाऊ दुनिया के लिए द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को गहरा करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
    • नियमित उच्च-स्तरीय संपर्क: द्विपक्षीय राजनीतिक वार्ता को मजबूत करना और पारस्परिक रूप से लाभकारी पहल विकसित करना।
    • विधायिका के बीच सहयोग: संसदीय संपर्कों की भूमिका की सराहना करते हुए, दोनों देशों के नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि उनकी विधायिका के बीच आदान-प्रदान और सहयोग का विस्तार करने से द्विपक्षीय संबंध और आपसी समझ काफी हद तक गहरी होगी।
    • लोगों के बीच संबंध: उन्होंने लोगों के बीच लंबे समय से चले आ रहे विशेष संबंधों पर ध्यान दिया और इन्हें और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की।
      • आगे विस्तार: संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान, अनुसंधान और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में।
      • शैक्षणिक सहयोग: उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों के बीच भविष्योन्मुखी साझेदारी स्थापित करने के लिए अतिरिक्त कदमों को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने के प्रयासों का स्वागत किया।
    • पर्यटन सहयोग: दोनों ने आर्थिक और व्यावसायिक अवसरों को बढ़ाने और दोनों देशों के लोगों के बीच समझ बढ़ाने में पर्यटन की भूमिका को स्वीकार किया।

भारत-पोलैंड संबंधों के बारे में

भारत और पोलैंड के बीच दीर्घकालिक मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, जो उच्च स्तरीय राजनीतिक संपर्कों और जीवंत आर्थिक भागीदारी पर आधारित हैं।

  • ऐतिहासिक संबंध: द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, वर्ष 1942 और 1948 के बीच, 6,000 से अधिक पोलिश महिलाओं एवं बच्चों को भारत की दो रियासतों, जामनगर और कोल्हापुर में शरण मिली।
    • मोंटे कैसिनो का युद्ध (Battle of Monte Cassino): इस युद्ध को ‘रोम की लड़ाई’ के नाम से भी जाना जाता है। इस लड़ाई में 4th इंडियन डिवीजन के भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया था।
      • यह युद्ध द्वितीय विश्वयुद्ध के इतालवी अभियान के दौरान इटली में जर्मन सेना के खिलाफ मित्र राष्ट्रों द्वारा किए गए चार सैन्य हमलों की एक शृंखला थी।
    • स्मारक: नवानगर के जाम साहब स्मारक का अनावरण 31 अक्टूबर, 2014 को वारसा के ओचोटा (Ochota) जिले के गुड महाराजा स्क्वायर (Square of the Good Maharaja) में किया गया।
      • जाम साहब को आज भी पोलैंड में ‘गुड महाराजा’ के नाम से जाना जाता है।
        • उन्हें मरणोपरांत पोलैंड गणराज्य के ऑर्डर ऑफ मेरिट के कमांडर क्रॉस से सम्मानित किया गया। उनकी विरासत करुणा और उदारता का प्रतीक है।
      • वलीवडे-कोल्हापुर कैंप के लिए स्मारक पट्टिका (Memorial plaque for the Valivade-Kolhapur Camp): इसका उद्घाटन नवंबर 2017 में मोंटे कैसिनो युद्ध स्मारक के पास किया गया था। 
      • कोल्हापुर स्मारक: यह कोल्हापुर के महान शाही परिवार को श्रद्धांजलि है, जो द्वितीय विश्वयुद्ध की भयावहता के कारण विस्थापित पोलिश महिलाओं और बच्चों को आश्रय देने में सबसे आगे थे।
  • राजनीतिक संबंध: वर्ष 1954 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1957 में वारसा में भारतीय दूतावास और वर्ष 1954 में नई दिल्ली में पोलिश दूतावास खोला गया।
    • साझा विचारधारा: दोनों देशों ने उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और नस्लवाद के विरोध के आधार पर समान वैचारिक धारणाएँ साझा कीं।
    • नियमित उच्च-स्तरीय यात्राएँ: कम्युनिस्ट युग के दौरान, द्विपक्षीय संबंध घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण थे।
      • वर्ष 1989 में पोलैंड द्वारा लोकतांत्रिक मार्ग चुनने के बाद भी दोनों देशों के बीच संबंध घनिष्ठ बने रहे।
    • समकालीन: विशेष रूप से वर्ष 2004 में पोलैंड के यूरोपीय संघ में शामिल होने और मध्य यूरोप में भारत का प्रमुख आर्थिक साझेदार बनने के बाद दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण राजनीतिक संबंध उभरे हैं।
  • आर्थिक संबंध: भारत अब दुनिया की पाँचवीं और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जबकि पोलैंड यूरोपीय संघ में छठे स्थान पर है।
    • द्विपक्षीय व्यापार: यह काफी बड़ा है और लगभग 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जो पोलैंड को मध्य और पूर्वी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनाता है।
      • भारत से प्रमुख निर्यात वस्तुएँ
        • कपड़ा और निर्मित उत्पाद
        • आधारभूत धातुएँ
        • रसायन
        • मशीनरी और उपकरण
      • भारत के लिए प्रमुख आयात वस्तुएँ
        • मशीनरी और यांत्रिक उपकरण
        • खनिज उत्पाद
        • आधार धातुएँ
        • प्लास्टिक और रबर
    • क्षेत्रों की श्रेणी: पोलैंड में आईटी से लेकर फार्मास्यूटिकल्स, विनिर्माण, कृषि वाहनों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टील, धातु और रसायन तक कई भारतीय कंपनियों की सक्रिय व्यावसायिक उपस्थिति है।
    • व्यापार समझौता: भारत और पोलैंड ने कठोर मुद्रा व्यापार व्यवस्था अपनाई, जो दोनों अर्थव्यवस्थाओं के आकार और क्षमता में वृद्धि के साथ व्यापार के बढ़ते स्तरों द्वारा कायम रही।
      • इसे राज्य व्यापार संगठनों द्वारा योजनाबद्ध व्यापार और आर्थिक वार्ता के साथ जोड़ा गया, जिसे रुपया समाशोधन व्यवस्था द्वारा बल मिला।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध: विभिन्न पोलिश विद्वानों ने 19वीं शताब्दी की शुरुआत में ही संस्कृत का पोलिश भाषा में अनुवाद किया था।
    • इंडोलॉजी (Indology): पोलैंड में इंडोलॉजी अध्ययन की एक मजबूत परंपरा है।
      • वारसा विश्वविद्यालय के ओरिएंटल इंस्टीट्यूट का इंडोलॉजी विभाग (1932 में स्थापित) मध्य यूरोप में भारतीय अध्ययन का सबसे बड़ा केंद्र है।
      • भारतीय भाषाओं, साहित्य, संस्कृति और भारतविद्या का अध्ययन पॉज़्नान (Poznań) स्थित एडम मिकीविक्ज विश्वविद्यालय (Adam Mickiewicz University) और व्रोकला विश्वविद्यालय (Wroclaw University) में भी किया जाता है।
      • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations- ICCR) ने सितंबर 2005 में वारसा विश्वविद्यालय में इंडोलॉजी के पहले मध्य और पूर्वी यूरोपीय क्षेत्रीय सम्मेलन को प्रायोजित किया।
        • जगियेलोनियन विश्वविद्यालय (Jagiellonian University), क्राको (Krakow) में भारतीय अध्ययन पर ICCR पीठ की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर फरवरी 2017 में हस्ताक्षर किए गए थे।
    • भारतीय नेताओं की स्मृति में: महात्मा गांधी की एक प्रतिमा, जिसका मई 2002 में अनावरण किया गया था, वारसा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में रखी गई है।
      • क्राको (Krakow) और लॉड्ज़ (Lodz) शहरों में भी महात्मा गांधी के नाम पर सड़कें हैं।
      • पोलिश मिशन ने वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का आयोजन किया।
        • पोलिश पोस्ट (पोक्ज्टा पोल्स्का) ने उनकी 150वीं जयंती पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
      • गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से पोलैंड के गुरुद्वारा साहिब में समारोह का आयोजन किया।
    • मैत्री समितियाँ: स्थानीय स्तर पर भारतीय संस्कृति और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने वाली कई इंडो-पोलिश मैत्री समितियाँ हैं।
    • भारतीय समुदाय: पोलैंड में भारतीय समुदाय की अनुमानित संख्या लगभग 15,000 है, लगभग 5,000 छात्र वर्तमान में पोलैंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं और पोलैंड में 100 से अधिक भारतीय रेस्तराँ हैं।
    • योग: पोलैंड में योग का 100 वर्ष से अधिक का इतिहास है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (IDY) प्रत्येक वर्ष बहुत उत्साह और भागीदारी के साथ मनाया जाता है।
    • वीजा: पोलैंड को 15 अगस्त, 2015 से ई-वीजा योजना में शामिल किया गया है और अब बढ़ती संख्या में पोलिश लोग ई-वीजा सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।
    • मानद वाणिज्य दूतावास: जनवरी 2018 से, भारत का व्रोकला में एक मानद वाणिज्य दूतावास है और पोलैंड के कोलकाता और बंगलूरू में दो मानद वाणिज्य दूतावास हैं।
      • इसके अलावा, पोलिश दूतावास नई दिल्ली में और महावाणिज्य दूतावास मुंबई में है।

भारत और पोलैंड संबंधों का महत्त्व

  • आर्थिक: पोलैंड मध्य यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वर्ष 2024 में पोलैंड का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 844.6 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
    • वर्ष 2013-2023 की अवधि में पोलैंड के साथ कुल द्विपक्षीय व्यापार में 192% की वृद्धि देखी गई है, अर्थात् वर्ष 2013 में 1.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023 में 5.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
    • निवेश: पोलैंड में भारतीय निवेश लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर और भारत में पोलैंड का निवेश लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
      • एशिया में पोलिश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। नेशनल बैंक ऑफ पोलैंड के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में भारत में पोलिश निवेश का मूल्य लगभग PLN 380 मिलियन था।
  • रणनीतिक हित: मध्य यूरोप में पोलैंड का स्थान इसे यूरोपीय संघ में एक प्रमुख हितधारक बनाता है। भारत के लिए, पोलैंड के साथ जुड़ना व्यापक यूरोपीय बाजार के लिए दरवाजे खोलता है।
    • जनवरी 2025 में पोलैंड की यूरोपीय संघ की अध्यक्षता भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को मजबूत करने में मदद करेगी।
    • पोलैंड, यूक्रेन में पश्चिमी देशों की कार्रवाइयों के केंद्र के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, नाटो के पूर्वी हिस्से का नेतृत्व करता है तथा रूस के विरुद्ध यूरोप में एक नई सुरक्षा संरचना के निर्माण में योगदान देता है।
  • शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: कई भारतीय छात्र उच्च गुणवत्ता वाले संस्थानों और सस्ती लागत के कारण उच्च शिक्षा के लिए पोलैंड को चुनते हैं।
    • वर्ष 2023 में वारसा में एक सांस्कृतिक महोत्सव में भारतीय कला, संगीत और व्यंजनों का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसका उद्देश्य लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करना है।
  • पर्यटन: अपने सुरम्य परिदृश्य और समृद्ध इतिहास के साथ, पोलैंड भारतीय पर्यटकों के लिए तेजी से लोकप्रिय गंतव्य बनता जा रहा है।
    • पोलिश पर्यटन संगठन भारत के लिए यात्रा पैकेजों को बढ़ावा दे रहा है, जिसमें राजस्थान, केरल और गोवा जैसे स्थलों पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

भारत और पोलैंड के बीच चुनौतियाँ

भारत और पोलैंड के बीच सहयोग के विकास में बाधा डालने वाले निम्नलिखित कारकों की पहचान की जा सकती है।

  • भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका को कम आँकना: पोलैंड ने अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में भारत की शक्ति के विकास और पश्चिम के लिए इसके महत्त्व को कम करके आँका है। इसके परिणामस्वरूप भारत के कद को समझने में कमी आई है।
    • अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के विपरीत, पोलैंड में भारत के बारे में पुरानी धारणाएँ होने के कारण मीडिया के साथ-साथ राजनीतिक और व्यापारिक अभिजात वर्ग में भी देश के प्रति बहुत कम रुचि है।
  • आकर्षक सहयोग प्रस्ताव का अभाव: पोलिश रक्षा उद्योग, रक्षा सहयोग के पुनर्गठन के साथ, पारंपरिक रूप से रणनीतिक पोलिश-भारतीय संबंधों का महत्त्व कम हो गया है।
    • कोई महत्त्वपूर्ण परिणाम नहीं: पिछले कुछ वर्षों में खनन या ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा दिया गया है, लेकिन इससे कोई महत्त्वपूर्ण परिणाम नहीं मिले हैं।
    • कार्यक्रमों को समर्थन देने की कोई पेशकश नहीं: पश्चिमी यूरोपीय देशों के विपरीत, पोलैंड ने भारत के आधुनिकीकरण कार्यक्रमों या प्रमुख पहलों को समर्थन देने के लिए कोई नई पेशकश नहीं की है।
    • कोई छात्रवृत्ति और संयुक्त निधि नहीं: पोलैंड ने कोई विशेष छात्रवृत्ति कार्यक्रम या संयुक्त प्रौद्योगिकी निधि प्रस्तावित करने का निर्णय नहीं लिया है, जिससे भारतीय पक्ष को रुचि हो और लोगों के बीच सहयोग विकसित हो सके।
  • उद्देश्य संबंधी बाधाएँ: पोलैंड के पास वे रणनीतिक संसाधन नहीं हैं, जिनकी भारत को आवश्यकता है, जैसे- ऊर्जा संसाधन, परमाणु ईंधन, दुर्लभ मृदा धातुएँ, उन्नत हथियार या हरित प्रौद्योगिकियाँ।
    • प्रतिस्पर्द्धी: वास्तव में, पोलैंड और भारत अक्सर प्रतिस्पर्द्धी होते हैं, उदाहरण के लिए विदेशी निवेश को आकर्षित करने या वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में अपनी स्थिति में सुधार करने में।
  • रिश्तों में कम निवेश: बढ़े हुए संसाधनों और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण रिश्ते विकसित नहीं हो सकते।
    • कार्मिक और वित्तीय बाधाएँ: नई दिल्ली में पोलिश दूतावास को एक महाद्वीप के आकार वाले देश और 1.4 बिलियन से अधिक की आबादी के साथ कार्य करना पड़ता है। इसमें केवल एक दर्जन कर्मचारी हैं, जो चीन में पोलैंड के कर्मचारियों की तुलना में बहुत कम है।
      • इनके कारण पोलिश संस्थान और PAIH कार्यालय भी अधिक सक्रिय नहीं हो पाए, जिससे पोलिश व्यवसायों का भारतीय बाजार में प्रवेश प्रभावित हुआ।
      • निर्यात सहायता कार्यक्रमों (भारत में) में लंबे समय तक कम निवेश किया गया और अंततः उन्हें छोड़ दिया गया।

पोलैंड-भारत संबंधों के लिए सिफारिशें

पिछले 45 वर्षों में भारत और पोलैंड की राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय संदर्भ बदल गया और दुनिया वैश्वीकरण के युग में प्रवेश कर गई। इससे एशिया और यूरोप पहले से कहीं अधिक आर्थिक रूप से एकीकृत हुए हैं।

  • अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर ध्यान: विशेष रूप से इलेक्ट्रोमोबिलिटी, हाइड्रोजन से संबंधित प्रौद्योगिकियों, हरित प्रौद्योगिकियों, अंतरिक्ष क्षेत्र, जलवायु के अनुकूल खनन और कृषि-खाद्य क्षेत्र आदि में अनुसंधान एवं विकास को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
  • व्यवसाय और स्टार्टअप सहयोग को बढ़ाना: स्टार्टअप सहित व्यावसायिक संबंधों के संयुक्त विकास को बढ़ाने की आवश्यकता है, जो दोनों देशों में नवाचार और विकास के लिए आवश्यक है।
    • व्यापारिक सहयोग को मजबूत करना: भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और निवेश समझौते पर हस्ताक्षर करके दोनों देशों के बीच व्यापारिक सहयोग को काफी मजबूत किया जाएगा, जिससे उपमहाद्वीप में पोलैंड की प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।
  • सुरक्षा और आईटी सहयोग का विस्तार: सुरक्षा बुनियादी ढांचे, रक्षा और आईटी क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने की आवश्यकता है।
  • विमानन संपर्क और समुद्री अवसरों का लाभ उठाना
    • वर्ष 2019 में शुरू हुए व्यापार, वैज्ञानिक और पर्यटन संबंधों को मजबूत करने के लिए नई दिल्ली, मुंबई और वारसा के बीच सीधे हवाई संपर्क का लाभ उठाया जाना चाहिए। 
    • भारत का सागरमाला बुनियादी ढाँचा विस्तार कार्यक्रम पारिस्थितिकी बंदरगाहों और शिपयार्ड के लिए 30% सब्सिडी प्रदान करता है, जो पोलैंड के साथ सहयोग के लिए एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है।
      • पोलैंड, यूरोप में सबसे बड़ा जहाज डिजाइन कार्यालय और आधुनिक जहाज निर्माण में सक्षम उन्नत शिपयार्ड के साथ।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान: भारत को संयुक्त राष्ट्र और कूटनीतिक क्षेत्र में अधिक प्रभावी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से युद्ध के वैश्विक प्रभावों के संबंध में, जो भारत को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं, जैसे ऊर्जा की बढ़ती कीमतें, खाद्य पदार्थों की कमी और आपूर्ति शृंखलाओं में व्यवधान।
  • चीन-रूस संबंधों को संतुलित करना: यूक्रेन में चल रहे युद्ध ने रूस को चीन के करीब ला दिया है। पोलैंड को रूस और चीन के बीच घनिष्ठ संबंधों को रोकने के महत्त्व पर जोर देना चाहिए, क्योंकि इससे भारत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
    • पोलैंड को एशिया में हो रहे बदलावों और वैश्विक जगत में भारत के बढ़ते महत्त्व को ध्यान में रखना चाहिए, विशेष रूप से आक्रामक चीन के संदर्भ में।
  • नया दृष्टिकोण अपनाएँ: पोलैंड को भारत को एक उभरते वैश्विक हितधारक के रूप में मान्यता देनी चाहिए और ऋण या अनुदान के साथ-साथ सैन्य उपकरण, खाद्य और दुर्लभ उत्पादों की आपूर्ति सहित व्यापक, पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग की पेशकश करनी चाहिए।
    • पोलैंड को “लोकतांत्रिक विश्व” के लिए सभी प्रकार के नव-साम्राज्यवाद और सैन्य आक्रमण के खिलाफ भारत के संघर्ष का समर्थन करने की आवश्यकता है।
      • यह समर्थन विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट हासिल करने की भारत की महत्त्वाकांक्षा के संदर्भ में सार्थक है, जिसका पोलैंड समर्थन करता है।

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