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Lokesh Pal
August 26, 2024 01:20
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हाल ही में कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ दुष्कर्म तथा हत्या की घटना ने एक बार फिर 21वीं सदी के भारत में भी महिलाओं के विरुद्ध क्रूर अत्याचारों को उजागर कर दिया है।
‘जिस दिन एक महिला रात में सड़कों पर स्वतंत्र रूप से चल सकेगी, उस दिन हम कह सकते हैं कि भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है’ – महात्मा गांधी।
हमें एक प्रणालीगत परिवर्तन की आवश्यकता है, जो केवल बहुआयामी दृष्टिकोण से ही संभव है।
जनशक्ति ने भारत में महिलाओं की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित किया है। लेकिन अब यह पर्याप्त नहीं है। सार्थक बदलाव के लिए, नीति निर्माताओं को उन संस्थानों में सुधार करने की आवश्यकता है जो आधी आबादी के जीवन को सीधे तौर पर बेहतर बना सकते हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में महिलाएँ इसकी हकदार हैं।
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