100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारतीय कृषि के लिए वर्ष 2047 : एक वांक्षित उपलब्धि

Lokesh Pal August 24, 2024 05:45 64 0

संदर्भ :

‘2047’ सिर्फ़ एक संख्या नहीं है, बल्कि भारत की आज़ादी का शताब्दी वर्ष है। यह वह वर्ष है जब हमने  अपने देश को विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है। हालाँकि, यह लक्ष्य आसानी से प्राप्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसके लिए प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) में वर्तमान स्तर से लगभग छह गुना वृद्धि की आवश्यकता है। जिसके लिए एक व्यापक विकास दृष्टिकोण की आवश्यकता है, विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में एवं जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु प्रमुख सुझाव

  • सतत कृषि प्रणालियों का विकास : भारतीय कृषि में बदलाव सतत कृषि प्रणालियों के विकास और उनको अपनाने पर निर्भर करता है, जो दीर्घकालिक उत्पादकता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य सुनिश्चित करते हैं; जिससे वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को लाभ मिलता है। 
  • परिशुद्ध खेती : परिशुद्ध खेती (Precision Farming- PA) एक कृषि प्रबंधन अवधारणा है, जो खेत में फसलों की बदलती आवश्यकताओं, स्थितियों, मापन और प्रतिक्रिया के अवलोकन पर आधारित है। उदाहरण के लिए, यदि किसी खेत में नाइट्रोजन की कमी है, तो नाइट्रोजन उर्वरक को उसी के अनुसार डाला जाएगा। 
  • आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें : इन फसलों को अधिक रोग-प्रतिरोधी और अधिक उपज देने के लिए विकसित किया गया है। 
  • उन्नत सिंचाई तकनीकें : ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम जैसी तकनीकें इस परिवर्तन का नेतृत्व कर रही हैं। ये कुशल प्रणालियाँ पानी की बर्बादी को कम करने में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) ने 78 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया है, जो सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से जल-उपयोग दक्षता को बढ़ावा देता है। 2021-26 के लिए इस योजना का ₹93,068 करोड़ का आवंटन स्थायी जल प्रबंधन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

संबंधित चुनौतियाँ 

  • जलवायु परिवर्तन एक चुनौती : जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौती है। यह क्षेत्र अत्यधिक संवेदनशील है, भूमि क्षरण और अनियमित मौसम प्रतिरूप जैसे मुद्दे उत्पादकता संबंधी चिंताओं और खाद्यान्न संकट को बढ़ा रहे हैं।
    • 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) फसल हानि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। अभी तक लगभग 49.5 करोड़ किसानों के नामांकन और ₹1.45 लाख करोड़ से अधिक के मुआवजों के साथ, यह योजना कृषि जोखिम प्रबंधन की आधारशिला है, जो किसानों की विस्तृत रूप से सहायता करती है।
  • बाजार तक पहुँच संबंधी मुद्दे : किसानों को अव्यवस्थित और गैर-विनियमित बाजार संरचनाओं के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उन्हें कम कीमत की प्राप्ति होती है एवं छोटे और सीमांत किसानों के लिए सीमित बाजार अवसर मिलते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए 2016 में इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (eNAM) जैसी पहल शुरू की गई है, ताकि बाजारों को एकीकृत किया जा सके और पहुँच में सुधार किया जा सके। वास्तव में सितंबर 2023 तक 1,361 मंडियों को एकीकृत किया जा चुका है, जिससे 1.76 मिलियन किसानों को लाभ हुआ है और 2.88 लाख करोड़ का व्यापार दर्ज किया गया है।
  • जीडीपी में योगदान में कमी  : कृषि में लगभग 46% कार्यबल शामिल होने के बावजूद, जीडीपी में इसका योगदान लगभग 18% है, जो एक गंभीर असंतुलन को दर्शाता है। यदि वर्तमान विकास प्रवृत्ति जारी रहती है, तो यह असमानता और भी बदतर हो जाएगी। यह दर्शाता है कि केवल वर्तमान विकास प्रक्षेपवक्र को बनाए रखना पर्याप्त नहीं होगा।

नोट : 1991-92 से कुल जीडीपी में वार्षिक रूप से 6.1% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि कृषि जीडीपी 3.3% पर थी। पिछले दशक में, कुल जीडीपी वृद्धि 5.9% थी तथा कृषि 3.6% की दर से बढ़ी। हालाँकि, यह वृद्धि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अपर्याप्त है। 2047 तक जीडीपी में कृषि का भाग 7%-8% तक कम हो सकता है, फिर भी अगर महत्त्वपूर्ण संरचनात्मक परिवर्तन लागू नहीं किए जाते हैं, तो यह अभी भी 30% से अधिक कार्यबल को रोज़गार दे सकता है।

  • जनसंख्या वृद्धि और खाद्य मांग : संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार भारत की जनसंख्या 2030 तक 1.5 बिलियन और 2040 तक 1.59 बिलियन तक पहुँच जाएगी, जिससे खाद्य मांग में वृद्धि होगी। यह इस चुनौती से निपटने के लिए रणनीतिक योजना की आवश्यकता को उजागर करता है।

अन्य महत्त्वपूर्ण अनुमान

  • खाद्य पदार्थों की व्यय लोच, खाद्य मांग में 2.85% वार्षिक वृद्धि दर्शाती है, जो 0.85% की जनसंख्या वृद्धि दर से प्रेरित है।
  • भारत की वास्तविक प्रति व्यक्ति आय 2011-12 से 2021-22 तक 41% बढ़ी है और इसमें और तेज़ी आने का अनुमान है। हालाँकि, 2023 के बाद व्यय लोच कम होने का अनुमान है, जो प्रति व्यक्ति व्यय में 5% की वृद्धि को मांग में 2% की वृद्धि से जोड़ता है।
  • वस्तुओं के बीच प्रत्याशित खाद्य मांग अलग-अलग होगी, जिसमें मांस की मांग में 5.42% और चावल की मांग में मात्र 0.34% की वृद्धि होगी। बढ़ती मांग और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के कारण खाद्य उत्पादन और वितरण में महत्त्वपूर्ण समायोजन आवश्यक है।

सरकार द्वारा की गई प्रमुख पहलें

  • किसान सहायता कार्यक्रम : किसानों की समृद्धि और टिकाऊ कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए कई पहलें शुरू की गई हैं, जिनमें प्रमुख हैं –
    • 2019 में शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत किसानों को तीन किस्तों में वार्षिक रूप से 6,000 दिए जाते हैं। इस योजना से अब तक 11.8 करोड़ से ज़्यादा किसानों को फ़ायदा मिल चुका है, जिससे उन्हें आवश्यक वित्तीय सहायता मिली है। 
    • एक और महत्त्वपूर्ण पहल मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) योजना है, जिसका उद्देश्य मृदा में पोषक तत्त्वों को अनुकूलित करना है, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि हो सके। 23 करोड़ से ज़्यादा एसएचसी वितरित किए जा चुके हैं, जिससे किसानों को मृदा स्वास्थ्य और पोषक तत्त्व प्रबंधन के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (2023) : सरकार ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पौष्टिक मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए इस पहल को आगे बढ़ाया।
  • कृषि अवसंरचना कोष : ₹1 लाख करोड़ की वित्तपोषण सुविधा वाला यह कोष फसल कटाई के बाद के प्रबंधन अवसंरचना के विकास और आधुनिकीकरण का समर्थन करता है। तीन वर्षों के भीतर 38,326 से अधिक परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिससे कृषि अवसंरचना क्षेत्र में ₹30,030 करोड़ एकत्रित किए गए हैं। इन परियोजनाओं ने 5.8 लाख से अधिक व्यक्तियों के लिए रोज़गार सृजित किया है तथा बेहतर मूल्य प्राप्ति के माध्यम से किसानों की आय में 20%-25% की वृद्धि की है।
  • स्वामित्व योजना : इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पारदर्शी संपत्ति स्वामित्व सुनिश्चित करना है। सितंबर 2023 तक 1.6 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड बनाए गए हैं, जिससे भूमि सुरक्षा में वृद्धि हुई है और किसानों के लिए ऋण पहुँच में सुविधा हुई है। यह पहल भूमि स्वामित्व को लेकर विवादों को कम करने में मदद करती है।

सरकार की आगामी योजनाएँ

  • सरकार के मौजूदा अनुमानों से संकेत मिलता है कि 2047-48 में खाद्यान्न की कुल मांग 402 मिलियन टन से 437 मिलियन टन तक होगी तथा उत्पादन मांग 10%-13% अधिक होने का अनुमान है।
  • हालाँकि, इसे स्थायी रूप से प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण वृद्धि आवश्यक है। कृषि अनुसंधान, बुनियादी ढाँचे और नीति समर्थन में पर्याप्त निवेश जैसे कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • यह लक्षित कृषि ऋण के लिए ₹20 लाख करोड़ के आवंटन और कृषि त्वरक निधि के शुभारंभ के साथ 2024-25 का बजट कृषि नवाचार तथा विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण को उजागर करता है।

निष्कर्ष 

वर्ष 2047 तक का मार्ग भारतीय कृषि के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौतियों और अवसरों को प्रस्तुत करता है। विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने के लिए भारत को संधारणीय प्रथाओं, तकनीकी प्रगति तथा मजबूत नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा । इन क्षेत्रों को संबोधित करके भारत किसानों की आय बढ़ा सकता है, बढ़ती खाद्यान्न मांगों को पूरा कर सकता है एवं समावेशी और संधारणीय विकास को सुनिश्चित कर सकता है; जिससे इसके शताब्दी वर्ष तक एक समृद्ध कृषि क्षेत्र और राष्ट्रीय विकास के लिए एक मंच तैयार हो सके।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

वर्ष 2047 तक भारतीय कृषि के समक्ष आने वाली चुनौतियों का परीक्षण कीजिए । साथ ही इन चुनौतियों से निपटने में वर्तमान सरकारी पहलों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करते हुए, सतत कृषि विकास के लिए आवश्यक उपाय सुझाइए ।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.