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मानव मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया

Lokesh Pal August 28, 2024 02:48 148 0

संदर्भ

‘नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ’ द्वारा प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि वर्ष 2024 की शुरुआत में मानव मस्तिष्क का विश्लेषण करने से उनमें मस्तिष्क के वजन के हिसाब से औसतन 0.5% माइक्रोप्लास्टिक मौजूद था।

माइक्रोप्लास्टिक्स के बारे में

  • परिभाषा: माइक्रोप्लास्टिक को 1 माइक्रोमीटर से लेकर 5 मिलीमीटर (मिमी.) तक के आकार वाले सिंथेटिक ठोस कणों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो जल में अघुलनशील होते हैं। 
  • वे बड़े प्लास्टिक वस्तुओं के विखंडन और विघटन के साथ-साथ छोटे प्लास्टिक कणों के प्रत्यक्ष उत्सर्जन का परिणाम हैं, जिन्हें अक्सर जानबूझकर सौंदर्य प्रसाधनों एवं सफाई एजेंटों जैसे उपभोक्ता उत्पादों में मिलाया जाता है। 

माइक्रोप्लास्टिक के प्रकार: माइक्रोप्लास्टिक की दो श्रेणियाँ हैं: प्राथमिक और द्वितीयक। 

  • प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक: ये सूक्ष्म कण वाणिज्यिक अनुप्रयोगों के लिए बनाए गए हैं, जैसे सौंदर्य प्रसाधनों में तथा इनमें वे माइक्रोफाइबर भी शामिल हैं, जो कपड़ों एवं मछली पकड़ने के जाल सहित अन्य वस्त्रों से निकलते हैं। 
    • वे विभिन्न माध्यमों से पर्यावरण में प्रवेश करते हैं, जैसे उत्पाद के उपयोग के दौरान, विनिर्माण या परिवहन के दौरान आकस्मिक फैलाव से, या कपड़े धोने के दौरान घर्षण से।
    • उदाहरण के लिए, व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों, प्लास्टिक छर्रों और प्लास्टिक फाइबर में पाए जाने वाले माइक्रोबीड्स।
  • द्वितीयक माइक्रोप्लास्टिक
    • ये कण जल की बोतलों जैसी बड़ी प्लास्टिक वस्तुओं के विखंडन से उत्पन्न होते हैं। 
    • ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब पर्यावरणीय कारकों जैसे तरंग प्रक्रिया, वायु द्वारा क्षरण और सूर्य से आने वाली UV विकिरण के कारण बड़े पैमाने पर प्लास्टिक का विघटन हो जाता है। 
    • पर्यावरणीय कारकों, मुख्यतः सौर विकिरण और समुद्री लहरों के संपर्क में आना, इसके विघटित होने का कारण है। 

माइक्रोप्लास्टिक के अनुप्रयोग

  • सौंदर्य प्रसाधन: एक्सफोलिएटिंग स्क्रब (Exfoliating Scrubs), शैंपू और टूथपेस्ट (जैसे, पॉलीएथिलीन बीड्स) में उपयोग किया जाता है।
  • सफाई उत्पाद: अपघर्षक क्लीनर और डिटर्जेंट में पाए जाते हैं, उदाहरण के लिए, सफाई पाउडर में माइक्रोबीड्स के रूप में।
  • औद्योगिक प्रक्रियाएँ: सैंडब्लास्टिंग और पॉलिशिंग में अपघर्षक के रूप में उपयोग किया जाता है, उदाहरण के लिए, काँच के मोती के रूप में।
  • कृषि: मृदा अनुकूलक और उर्वरकों के सीमित उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, कुछ उर्वरकों में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए जाते हैं।
  • चिकित्सा एवं औषधीय उपयोग: रसायनों को प्रभावी रूप से अवशोषित करने और उत्सर्जित करने की क्षमता के कारण इसका उपयोग लक्षित दवा वितरण में किया जाता है।

माइक्रोप्लास्टिक के उपयोग से उत्पन्न जोखिम

  • पर्यावरणीय प्रभाव
    • पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान: समुद्री और स्थलीय जीवों द्वारा अंतर्ग्रहण से शारीरिक क्षति हो सकती है और खाद्य शृंखला में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। 
    • प्रदूषण: जल निकायों, मिट्टी और तलछट में संचय से दीर्घकालिक पर्यावरण प्रदूषण होता है। 
    • जैवसंचय जोखिम: सूक्ष्मप्लास्टिक के क्रमिक संचय के माध्यम से अब फेफड़ों, प्लेसेंटा और अन्य महत्त्वपूर्ण अंगों में सूक्ष्मप्लास्टिक पाया गया है। 
  • स्वास्थ्य जोखिम
    • मानव जोखिम: माइक्रोप्लास्टिक्स के साँस के द्वारा अंतर्ग्रहण से संभावित स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं, जिनमें श्वसन संबंधी समस्याएँ और जठराँत्र संबंधी समस्याएँ शामिल हैं। 
    • विषाक्तता: माइक्रोप्लास्टिक में हानिकारक रसायन और प्रदूषक हो सकते हैं, जो खाद्य शृंखला में स्थानांतरित हो सकते हैं। 
    • गैर-जैवनिम्नीकरणीय: माइक्रोप्लास्टिक विशेष रूप से महासागरों के लिए हानिकारक हैं, क्योंकि वे हानिरहित अणुओं में विघटित नहीं होते हैं और समुद्री जीवों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, जो प्लास्टिक को भोजन समझ लेते हैं। 
  • आर्थिक लागत
    • समुद्री जीवन का ह्रास: मछली भंडार और समुद्री जैव विविधता पर प्रभाव के कारण मछली पकड़ने के उद्योग पर असर पड़ता है। 
    • सफाई और प्रबंधन: पर्यावरणीय सफाई और अपशिष्ट प्रबंधन प्रयासों की लागत में वृद्धि हो सकती है। 
  • सौंदर्यपरक और मनोरंजक प्रभाव (Aesthetic and Recreational Impact): प्रदूषित समुद्र तट और जलमार्ग, प्रदूषण और दूषित जल के कारण पर्यटन और मनोरंजक गतिविधियों को प्रभावित करते हैं। 
  • सामग्रियों का क्षरण: मिट्टी में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक निर्माण सामग्री की गुणवत्ता और कृषि उत्पादकता को प्रभावित कर सकते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक से निपटने के लिए उठाए गए कदम

  • वैश्विक पहल:
    • समुद्री कूड़े पर वैश्विक भागीदारी (Global Partnership on Marine Litter- GPML): एक वैश्विक पहल जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी के माध्यम से समुद्री अपशिष्ट एवं माइक्रोप्लास्टिक्स को कम करना है। 
    • ग्लोलिटर पार्टनरशिप परियोजना: यह परियोजना ज्ञान में सुधार और वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देकर समुद्री अपशिष्ट और माइक्रोप्लास्टिक्स को कम करने पर केंद्रित है। 
    • लंदन कन्वेंशन, 1972: एक अंतरराष्ट्रीय समझौता, जो प्रदूषण को रोकने के लिए समुद्री पर्यावरण में प्लास्टिक सहित अपशिष्टों के निपटान को नियंत्रित करता है। 
  • भारत-विशिष्ट पहल
    • एकल उपयोग प्लास्टिक का उन्मूलन: प्लास्टिक अपशिष्ट और माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने और इसे कम करने का एक राष्ट्रीय प्रयास है।
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016: इन विनियमों का उद्देश्य विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व के माध्यम से प्लास्टिक अपशिष्ट का प्रबंधन करना और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना है। 
    • अन-प्लास्टिक कलेक्टिव (Un-Plastic Collective): सामुदायिक सहभागिता, शिक्षा और नीतिगत सिफारिश के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए एक सहयोगात्मक पहल है।

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