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156 ‘फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन’ (FDC) दवाओं पर प्रतिबंध

Lokesh Pal August 28, 2024 03:06 173 0

संदर्भ

केंद्र सरकार ने 156 ‘फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन’ (FDC) दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनमें ‘चेस्टन कोल्ड’ और ‘फोरासेट’ जैसी लोकप्रिय दवाएँ भी शामिल हैं, जिनका उपयोग क्रमशः सर्दी, बुखार और दर्द के लिए किया जाता है।

संबंधित तथ्य

  • केंद्र सरकार ने अपनी अधिसूचना में इन FDCs को तर्कहीन करार दिया और कहा कि इनका कोई चिकित्सीय लाभ नहीं है।
  • पूर्व उदाहरण
    • वर्ष 2012 में, एक संसदीय पैनल ने पहली बार FDCs को इस तरह की मंजूरी मिलने की समस्या को उजागर किया था। 
    • सरकार ने वर्ष 1988 के बाद देश में विनिर्माण और बिक्री के लिए स्वीकृत 3,450  FDCs की जाँच के लिए वर्ष 2014 में एक समिति गठित की थी। 
    • समिति ने 963 दवाओं को तर्कहीन पाया और तत्काल प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया। 
    • इसने FDCs के एक समूह की भी पहचान की, जिसका आगे अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है। 
    • यह वर्ष 2018 के बाद FDCs पर सबसे व्यापक कार्रवाई है, जब 328 FDCs पर प्रतिबंध लगाया गया था।
    • वर्ष 2014 से अब तक कुल 499 FDCs पर प्रतिबंध लगाया गया है। 

‘फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन’ (FDC) दवाएँ

  • परिचय:
    • FDCs ऐसी दवाइयाँ होती हैं, जिनमें एक से अधिक सक्रिय तत्त्व होते हैं, इन दवाओं में ऐसे रासायनिक यौगिक होते हैं, जो शरीर पर प्रभाव डालते हैं तथा एक ही गोली, कैप्सूल या खुराक के माध्यम से ग्रहण किए जाते हैं। 
    • FDCs टीबी और मधुमेह जैसी बीमारियों वाले रोगियों के लिए होती हैं, जिसके लिए उन्हें नियमित रूप से कई दवाइयाँ लेने की आवश्यकता होती है। 
    •  FDCs रोगी को प्रतिदिन लेने वाली गोलियों की संख्या कम करते हैं और उपचार को बेहतर बनाने में सहायता करते हैं।
  • FDCs संबंधी चिंताएँ
    • अनावश्यक दवा: 
      • कभी-कभी FDC के माध्यम से मरीज ऐसी दवा ले लेता है, जिसकी उसे जरूरत नहीं होती। 
      • इनमें ऐसे तत्त्व होते हैं, जो या तो एक साथ अच्छे से काम नहीं करते अथवा इनमें ऐसे तत्त्व होते हैं, जिन्हें रोगियों को एक साथ लेने की जरूरत नहीं होती।
        • उदाहरण के लिए, चेस्टन कोल्ड में बुखार के लिए पैरासिटामॉल, एलर्जी से राहत के लिए सेट्रिजिन और नाक बंद संबंधी समस्या को कम करने के लिए फिनाइलेफ्राइन होता है। जो कि एक ही समस्या से ग्रसित रोगी के लिए आवश्यक नहीं है।
  • FDCs पर प्रतिबंध के कारण
    • एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन को प्रचलन से बाहर करना
      • एक प्रमुख कारण एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन को प्रचलन से बाहर करना है, क्योंकि एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक सेवन से एंटीबायोटिक प्रतिरोध में वृद्धि हो सकती है।
        • इसका अर्थ है कि साधारण संक्रमणों के उपचार के लिए भी अधिक मात्रा में या अधिक शक्तिशाली एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता होगी।
    • FDCs में बढ़ोतरी
      • पूर्व प्रतिबंधों के बावजूद, वर्ष 2023 के एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में बिकने वाले कुल एंटीबायोटिक दवाओं के अनुपात के रूप में FDCs वास्तव में वर्ष 2008 में 32.9% से बढ़कर वर्ष 2020 में 37.3% हो गए थे।
    • वैश्विक रूप से सर्वाधिक FDCs
      • भारत में दुनिया के किसी भी बाजार में सबसे अधिक FDCs हैं, जिनमें से कई संभावित रूप से अनुपयुक्त थे। 
      • वर्ष 2020 में भारत में बेची गई एंटीबायोटिक FDCs की 4.5 बिलियन मानक इकाइयों में से 41.5% को WHO द्वारा ‘अनुशंसित नहीं‘ के रूप में सूचीबद्ध संयोजनों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
    • आवश्यक दवाओं पर मूल्य नियंत्रण
      • प्रतिबंध का एक अन्य कारण आवश्यक दवाओं पर मूल्य नियंत्रण है। 
      • सरकार औसत बाजार कीमतों के आधार पर इन दवाओं के लिए अधिकतम मूल्य तय करती है। 
      • कंपनियाँ मूल्य नियंत्रण तंत्र से बचने के लिए FDCs का निर्माण करती हैं।
  • प्रतिबंधित FDCs 
    • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं के उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले एंजाइमों के कई संयोजन।
    • एंटी-एलर्जिक दवाएँ, जैसे- लेवोसेट्रिरिजिन
    • त्वचा उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले संयोजन
    • मतली को रोकने के लिए एक माइग्रेन की दवा का संयोजन, आदि।
  • सरकार द्वारा कार्रवाई
    • यह कार्रवाई सरकार के उन तर्कहीन दवा संयोजनों को हटाने के प्रयास के अनुरूप है, जो पिछले कुछ वर्षों में बाजार में प्रवेश कर चुके हैं। 
    • इन प्रतिबंधित दवाओं को शुरू में विभिन्न राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों द्वारा संयोजनों के लिए किसी भी परीक्षण के बिना मंजूरी दी गई थी क्योंकि यह सामग्री व्यक्तिगत रूप से अनुमोदित थी।
    • वर्ष 2019 के नए औषधि और नैदानिक ​​परीक्षण नियम यह स्पष्ट करते हैं कि निश्चित खुराक संयोजनों को नई दवाओं के रूप में माना जाना चाहिए और इस तरह उन्हें केंद्रीय औषधि नियामक द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।

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