आठवाँ धर्म धम्म सम्मेलन (8th Dharma Dhamma Conference)
हाल ही में इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित आठवाँ धर्म धम्म सम्मेलन पहली बार गुजरात विश्वविद्यालय के सहयोग से अहमदाबाद में आयोजित किया गया था।
8वें धर्म धम्म सम्मेलन का अवलोकन
थीम: ‘धर्म एवं धम्म में ब्रह्मांड विज्ञान’ (Cosmology in Dharma and Dhamma)।
उद्देश्य: उभरती हुई नई विश्व व्यवस्था के लिए एक दार्शनिक ढाँचा बनाने पर ध्यान केंद्रित करना।
मुख्य प्रतिभागी:धर्म-धम्म परंपराओं के धार्मिक, राजनीतिक एवं विचारक नेता।
पिछला सम्मेलन: बिहार में साँची विश्वविद्यालय एवं नालंदा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया है।
धर्म धम्म सम्मेलन के बारे में
फोकस: धर्म-धम्म दृष्टिकोण के बीच आवश्यक पहचान।
सभ्यतागत संबंध: हिंदू एवं बौद्ध सभ्यताओं की निरंतरता का उदाहरण।
उद्देश्य
हिंदू एवं बौद्ध परंपराओं के बीच विचारों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना।
दो प्राचीन सभ्यताओं के बीच एकता एवं समझ को बढ़ावा देना।
धर्म-धम्म स्वतंत्रता के उत्सव के रूप में।
‘योलो’ पीढ़ी (YOLO’ Generation)
जनसांख्यिकीय संबंधी संकट को कम करने में वर्षों के प्रोत्साहन विफल होने के बाद दक्षिण कोरिया ने जनसांख्यिकीय चुनौतियों के लिए समर्पित एक नया सरकारी मंत्रालय शुरू करने की योजना बनाई है।
‘यू ओनली लिव वन्स’ (You Only Live Once-YOLO) पीढ़ी के बारे में
YOLO पीढ़ी: उन व्यक्तियों द्वारा अपनाई गई मानसिकता या जीवनशैली को संदर्भित करती है,
जो वर्तमान में जीने को प्राथमिकता देते हैं, अक्सर सहज एवं साहसिक निर्णय लेते हैं।
विशेषताएँ
जोखिम लेना: दीर्घकालिक परिणामों के डर के बिना जोखिम लेने की इच्छा।
अनुभवों पर ध्यान देना: भौतिक संपत्ति के बजाय अनुभव एकत्र करने पर जोर देना।
सहजता: सहज कार्यों एवं निर्णयों को प्राथमिकता, जो अक्सर अवसरों का तुरंत लाभ उठाने की इच्छा से प्रेरित होती है।
सोशल मीडिया का प्रभाव: सोशल मीडिया से अत्यधिक प्रभावित, जहाँ YOLO दर्शन को अक्सर लोकप्रिय बनाया जाता है एवं मनाया जाता है।
आलोचना
अल्पकालिक फोकस: अल्पकालिक सोच एवं भविष्य के परिणामों के लिए विचार की कमी को प्रोत्साहित करना।
वित्तीय निहितार्थ: आवेगपूर्ण खर्च एवं दीर्घकालिक योजना की कमी के कारण वित्तीय अस्थिरता की संभावना।
भारत में तरल ईंधन की बढ़ती खपत एवं OPEC+ द्वारा उत्पादन में कटौती
अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (Energy Information Administration- EIA) के अनुसार, भारत में तरल ईंधन की बढ़ती खपत एवं OPEC+ द्वारा उत्पादन में कटौती भारत को अमेरिका से ईंधन खरीदने को मजबूर कर सकती है।
पेट्रोलियम निर्यातक देशों एवं सहयोगियों के संगठन (OPEC+) के बारे में
OPEC+: यह गैर-OPEC देशों को संदर्भित करता है जो ओपेक सदस्य देशों के अलावा कच्चे तेल का निर्यात करते हैं।
OPEC+ की उत्पत्ति: वर्ष 2016 में, बड़े पैमाने पर अमेरिकी शेल तेल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि के जवाब में, OPEC ने 10 अन्य तेल उत्पादक देशों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे अब OPEC+ के रूप में जाना जाता है।
OPEC देश: अल्जीरिया, इक्वेटोरियल गिनी, गैबन, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात एवं वेनेजुएला।
पूर्व OPEC सदस्य: अंगोला, इक्वाडोर, इंडोनेशिया एवं कतर।
OPEC+ देश: अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कजाकिस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान एवं सूडान।
सुई-मुक्त COVID-19 वैक्सीन
इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड ने ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय के सहयोग से सुई-मुक्त COVID-19 इंट्रानैसल बूस्टर वैक्सीन विकसित की है।
सुई-मुक्त कोविड-19 वैक्सीन के बारे में
वैक्सीन:लाइव-एटेन्यूएटेड बूस्टर को कोडन डी-ऑप्टिमाइजेशन तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है।
कोडन डी-ऑप्टिमाइजेशन तकनीक: इसमें अमीनो एसिड अनुक्रमों को बदले बिना कम प्रतिनिधित्व वाले कोडन जोड़े (अमीनो एसिड के लिएआनुवंशिकनिर्धारक) की आवृत्ति को कम करना शामिल है।
महत्त्व
यह विधि एक प्रभावी वायरस एटेनुएशन स्ट्रेटेजी (Virus Attenuation Strategy) है, जहाँ एटेनुएशन की डिग्री को आवश्यकतानुसार नियंत्रित किया जा सकता है।
यह बेहद सुरक्षित है एवं वायरस को कमजोर करने के पारंपरिक तरीके की तुलना में कम समय लगता है, जिसमें आमतौर पर कई वर्ष लग जाते हैं।
नॉर्दर्न बाल्ड आइबिस
(Northern Bald
Ibis)
विशिष्ट नॉर्दर्न बाल्ड आइबिस (Northern Bald Ibis), जो 17वीं सदी में शिकार के कारण विलुप्त होने की कगार पर था, पिछले दो दशकों में प्रजनन एवं पुनरुद्धार प्रयासों द्वारा पुनर्जीवित किया गया था।
नॉर्दर्न बाल्ड आइबिस के बारे में
वैज्ञानिक नाम: गेरोनटिकस एरेमिटा (Geronticus Eremita)।
पर्यावास: नॉर्दर्न बाल्ड आइबिस अर्द्ध-शुष्क रेगिस्तान, स्टेपी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
विशिष्टता:काले एवं हरे पंखों की विशिष्ट परत तथा लंबी घुमावदार चोंच।
संरक्षण स्थिति: ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ (Critically Endangered) वर्गीकरण से ‘लुप्तप्राय’ (Endangered) में स्थानांतरित किया गया।
लद्दाख के लिए पाँच नए जिले
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में पाँच नए जिले बनाएगी।
पाँच नए जिलों के बारे में
पाँच नए जिले: जास्कर, द्रास, शाम, नुब्रा एवं चांगथांग।
समिति का गठन: गृह मंत्रालय ने लद्दाख प्रशासन से नए जिलों के गठन से संबंधित विभिन्न पहलुओं का आकलन करने के लिए एक समिति बनाने को कहा है। जो मुख्य पहलुओं पर ध्यान देगी:- मुख्यालय, सीमाएँ, संरचना, पदों का निर्माण एवं जिलों के गठन से संबंधित कोई अन्य पहलू।
समय अवधि: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख प्रशासन से तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
उद्देश्य: बेहतर प्रशासन एवं समृद्धि की दिशा में एक कदम के रूप में लद्दाख में पाँच नए जिलों का निर्माण।
नए जिले बनाने के पीछे कारण
बड़ा आकार: क्षेत्रफल की दृष्टि से लद्दाख एक बहुत बड़ा केंद्रशासित प्रदेश है। वर्तमान में, लद्दाख में दो जिले हैं- लेह एवं कारगिल। यह भारत के सबसे कम आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।
दुर्गम क्षेत्र: अत्यंत कठिन एवं दुर्गम होने के कारण वर्तमान में जिला प्रशासन को जमीनी स्तर तक पहुँचने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।
कल्याणकारी योजनाएँ: नए जिलों के गठन के बाद केंद्र सरकार एवं लद्दाख प्रशासन की सभी जनकल्याणकारी योजनाएँ लोगों तक आसानी से पहुँच सकेंगी तथा अधिक-से-अधिक लोग उनका लाभ उठा सकेंगे।
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