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Lokesh Pal August 28, 2024 05:45 131 0
अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा काबुल पर फिर से कब्ज़ा करने के बाद से, पाकिस्तान, ख़ास तौर पर बलूचिस्तान और ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में आतंकवादी हमलों में तेज़ी देखी गई है। यदि बात केवल वर्ष 2023 के आतंकवादी हमलों की करें तो 650 से ज़्यादा हमले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 23% बलूचिस्तान में हुए। पाकिस्तान का सबसे बड़ा भू-भाग वाला यह प्रांत अलगाववादी विद्रोह का गढ़ बना हुआ है।
26 अगस्त को, बलूच राष्ट्रवादी नेता नवाब अकबर बुगती की 18वीं पुण्यतिथि पर एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जिनकी 2006 में पाकिस्तानी सेना द्वारा हत्या कर दी गई थी। बलूचिस्तान में समन्वित हमले किए गए, जिसकी जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी ने ली। इन हमलों में बुनियादी ढाँचे और पंजाब से आए प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया गया, जिससे उग्रवाद की बढ़ती पहुंच और क्षमता पर प्रकाश डाला गया।
पाकिस्तान को अपने सबसे बड़े प्रांत में स्थिरता और सुरक्षा हासिल करने के प्रति गंभीरता से विचार करना होगा जिसके लिए उसे, स्थानीय आबादी की विकास संबंधी चिंताओं का समाधान करना होगा, मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकना होगा, तथा बलूच लोगों के साथ विश्वास बहाल करने के लिए शांतिपूर्ण नागरिक अधिकार आंदोलनों में शामिल होना होगा।
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