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वित्तीय समावेशन में सहायक प्रधानमंत्री जन धन योजना

Lokesh Pal September 02, 2024 05:30 43 0

संदर्भ :

28 अगस्त, 2014 को शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) ने बैंकिंग सुविधा से वंचित हर परिवार को बैंकिंग सुविधाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से समावेशी विकास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया। इस योजना के 10 वर्ष पूर्ण होने पर भारत में वित्तीय समावेशन पर इसका प्रभाव महत्त्वपूर्ण है।

वित्तीय समावेशन

  • वित्तीय समावेशन से तात्पर्य वित्तीय सेवाओं, जैसे- बैंक खाते, बीमा और ऋण आदि, को समाज के सभी व्यक्तियों के लिए सुलभ, किफ़ायती और उपयोग करने योग्य बनाना है| 
  • वित्तीय समावेशन देश की जनता को आवश्यकता के समय ऋण प्राप्त करने, व्यवसाय शुरू करने तथा बीमा सुरक्षित करने की अनुमति देकर असमानताओं को कम करता है, जिससे उन्हें न्यूनतम गरीबी रेखा से ऊपर लाया जा सकता है। इस प्रकार, यह आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता के लिए आवश्यक है।

प्रधानमंत्री जन धन योजना

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) वित्तीय समावेशन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन है, जिसका उद्देश्य बुनियादी बचत और जमा खाते, धन प्रेषण, ऋण, बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक किफायती तरीके से पहुँच सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत, बुनियादी बचत बैंक जमा (BSBD) खाता किसी भी बैंक शाखा या व्यवसाय संवाददाता (बैंक मित्र) आउटलेट में उन व्यक्तियों द्वारा खोला जा सकता है, जिनके पास कोई अन्य खाता नहीं है।

  • PMJDY के मुख्य लाभ  
    • इसने बिना किसी न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता के एक बुनियादी बचत बैंक खाता खोलने, जमा पर ब्याज अर्जित करने और RuPay डेबिट कार्ड प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की। 
    • इसके अतिरिक्त, खाताधारकों को दुर्घटना बीमा कवर का लाभ मिलता है। पात्र खाताधारक ₹10,000 तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा का भी लाभ उठा सकते हैं।
    • PMJDY खाते कई अन्य योजनाओं जैसे- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY), अटल पेंशन योजना (APY) और माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी बैंक (MUDRA) योजना के लिए योग्य हैं।
  • योजना का लक्ष्य : इसकी शुरुआत के समय सरकार का लक्ष्य 7.5 करोड़ बैंकिंग सुविधा से वंचित परिवारों को बैंकिंग प्रणाली के अंतर्गत लाना था। इस पहल को दो चरणों में लागू किया गया- चरण-I और चरण-II।
  • JAM ट्रिनिटी : इस योजना की एक और महत्त्वपूर्ण विशेषता JAM (जन धन-आधार-मोबाइल) ट्रिनिटी का लाभ उठाना था। इस पहल का उद्देश्य लाखों लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में एकीकृत करना था, जिससे जमीनी स्तर पर आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा मिल सके। बैंक खातों (जन धन), बायोमेट्रिक पहचान (आधार) और मोबाइल कनेक्टिविटी (मोबाइल) को जोड़कर, इस योजना ने वित्तीय सेवाओं की दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि की तथा भारत में वित्तीय समावेशन की सुविधा प्रदान की।
    • यूपीआई : इस प्रणाली की प्रभावशीलता यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) द्वारा सुगम और कुशल भुगतान में स्पष्ट है, यह एक ऐसी प्रणाली है जिसने दक्षता का एक ऐसा स्तर हासिल किया है जो कई विकसित देशों में नहीं देखा गया है।

वित्तीय समावेशन पर पीएमजेडीवाई का प्रभाव

  • वित्तीय खाता स्वामित्व में वृद्धि : इस योजना ने शुरुआत से ही भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है। औपचारिक वित्तीय खाते रखने वाले वयस्कों का अनुपात 2011 में लगभग 50% से बढ़कर आज 80% से अधिक हो गया है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिन्होंने 53 करोड़ पीएमजेडीवाई खातों में से 78% में योगदान दिया है, जिसमें अगस्त 2024 तक कुल शेष राशि ₹2.31 लाख करोड़ है। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, निजी बैंकों को शामिल करने से दक्षता में और वृद्धि हो सकती है।
  • लैंगिक अंतराल में कमी : पीएमजेडीवाई आँकड़ों से पता चलता है, कि वर्तमान में लगभग 81.2% खाते चालू हैं। इसके अतिरिक्त इनमें से 55.6% खाते महिलाओं के पास हैं तथा 66.6% ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं, जो इस योजना की व्यापक पहुँच और प्रभाव को दर्शाता है।
  • पिछड़े क्षेत्रों में प्रभाव : उत्तर प्रदेश (9.4 करोड़ खातों के साथ) और बिहार (6 करोड़ खातों) जैसे राज्यों में पर्याप्त भागीदारी देखी गई है|

जन धन खातों के लाभ

  •  सामाजिक आयाम
    • नशीले पदार्थों की खपत में कमी : पीएमजेडीवाई खातों की अधिक पहुँच वाले राज्यों में शराब और तंबाकू जैसे नशीले पदार्थों की खपत में सांख्यिकीय रूप से महत्त्वपूर्ण कमी आई है। पहले जो लोग बैंकों में बचत नहीं करते थे, उन्हें ऐसी वस्तुओं पर पैसा खर्च करना आसान लगता था, लेकिन बैंक में पैसा होने के कारण खर्च करने का प्रलोभन कम हो गया है।
    • चोरी की दर में कमी : आँकड़ों से पता चलता है कि पीएमजेडीवाई खातों के बढ़ते उपयोग के कारण उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में चोरी में कमी आई है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में लगातार सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं।
  • आर्थिक निहितार्थ
    • डिजिटल लेन-देन में वृद्धि : जुलाई 2024 तक भारत में 55.7 बिलियन यूपीआई लेन-देन दर्ज किए गए। इसने अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण में योगदान दिया है, ई-कॉमर्स और आधुनिक भुगतान प्रणालियों को बढ़ावा दिया है।
    • सब्सिडी को सरल बनाना : पीएमजेडीवाई को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के साथ एकीकृत करने से सरकारी सब्सिडी के वितरण को सुव्यवस्थित किया गया है, लीकेज को रोका गया है तथा भ्रष्टाचार को कम किया गया है। पिछले एक दशक में, डीबीटी के माध्यम से ₹38.49 लाख करोड़ हस्तांतरित किए गए हैं, जिससे लीकेज में ₹3.48 लाख करोड़ की बचत हुई है।

अन्य उपाय

अपनी सफलताओं के बावजूद वित्तीय समावेशन में कई बाधाएँ बनी हुई हैं। इनसे निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है :

  •  वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना
    • निजी क्षेत्र की भागीदारी : बेहतर विकास सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय समावेशन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
    • वित्तीय साक्षरता और क्षमता निर्माण : व्यक्तियों और छोटे उद्यमों की वित्तीय साक्षरता को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है। लोगों को वित्तीय सेवाओं के लाभ और उपयोग को समझने में मदद करने के लिए वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम लागू किए जाने चाहिए।
    • लिंग-समावेशी सेवाएँ : लैंगिक रूप से समावेशी वित्तीय सेवाओं और कार्यक्रमों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • वित्तीय सेवाओं की पहुँच बढ़ाना
    • सूक्ष्म बीमा और ऋण : सूक्ष्म बीमा और ऋण की उपलब्धता बढ़ाना, साथ ही यह सुनिश्चित करना कि अति-ऋणग्रस्तता से बचा जाए।
  • उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ाना
    • डिजिटल उत्पादों में भरोसा : डिजिटल उत्पाद जटिल होते हैं और नए उपयोगकर्त्ताओं के लिए उन्हें समझना मुश्किल होता है। इसलिए इन उत्पादों में भरोसा बनाए रखने हेतु उपभोक्ता संरक्षण ढाँचे को मजबूत किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री जन धन योजना ने भारत में वित्तीय समावेशन को विस्तृत रूप से गति दी है, असमानताओं को कम किया है एवं आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ाया है। सरकार ने जन धन खातों के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली में नए उपयोकर्त्ताओं को लाने हेतु महत्त्वपूर्ण प्रयास किए हैं। अब इन प्रयासों को बनाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से समान प्रतिबद्धता की आवश्यकता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये नए खाताधारक वित्तीय सेवाओं तक पहुँचकर उनका लाभ उठा सकें। योजना को और अधिक कुशल बनाने के लिए साइबर सुरक्षा, ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी तथा एटीएम की कमी जैसी चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिए। इस योजना को अन्य सरकारी योजनाओं के साथ एकीकृत करा भी एक महत्त्वपूर्ण प्रयास हो सकता है | 

 

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

भारत में ‘वितीय समावेशन’ की उपयोगिता बताइए | यह समाज के पिछड़े वर्गों को मुख्य धारा में लाने हेतु किस प्रकार सहायक हो सकता है? 

(10 अंक, 150 शब्द) 

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