16वें वित्त आयोग की भूमिका संघीय संबंधों में ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन (Vertical Fiscal Imbalance) को समाप्त करने की होनी चाहिए।
भारत के 16वें वित्त आयोग का गठन 31 दिसंबर, 2023 को किया गया, जिसके अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया है।
ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन के बारे में
परिचय: ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन संघीय प्रणाली में एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है, जहाँ सरकार के विभिन्न स्तरों की राजस्व जुटाने की शक्तियों और व्यय जिम्मेदारियों के बीच असंतुलन होता है।
व्यय संबंधी आँकड़े: 15वें वित्त आयोग के अनुसार, राज्य राजस्व व्यय का 61% वहन करते हैं, लेकिन राजस्व प्राप्तियों का केवल 38% ही एकत्र कर पाते हैं।
निर्भरता: राज्यों की व्यय करने की क्षमता केंद्र सरकार से प्राप्त धन पर निर्भर है।
भारत में ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन (Vertical Fiscal Imbalance- VFI) की गणना
VFI= स्वयं की राजस्व प्राप्तियाँ (ORR)/स्वयं का राजस्व व्यय (ORE)
स्वयं की राजस्व प्राप्तियाँ (Own Revenue Receipts- ORR): स्वयं की राजस्व प्राप्तियों और सभी राज्यों के लिए केंद्र सरकार से कर हस्तांतरण का योग है।
स्वयं का राजस्व व्यय (Own Revenue Expenditure-ORE): सभी राज्यों के लिए स्वयं का राजस्व व्यय है।
यदि यह अनुपात 1 से कम है: इसका तात्पर्य है कि राज्यों की अपनी राजस्व प्राप्तियाँ और कर हस्तांतरण का योग राज्यों की ORE को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
16वें वित्त आयोग का एजेंडा
फोकस क्षेत्र
विवरण
शहरों के लिए वित्त हस्तांतरण
भारतीय शहरों का योगदान: शहर भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 66% और कुल सरकारी राजस्व में लगभग 90% का योगदान करते हैं और इस प्रकार, भारत के समग्र विकास के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्थानिक क्षेत्र हैं।
चिंताएँ
अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: भारत का आर्थिक पैमाना बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
विश्व बैंक का अनुमान है कि अगले दशक में बुनियादी शहरी बुनियादी ढाँचे के लिए 840 बिलियन डॉलर की आवश्यकता है।
अपर्याप्त हस्तांतरण: 11वें वित्त आयोग के बाद से पाँच आयोगों के प्रयासों के बावजूद, शहरों को वित्तीय हस्तांतरण अपर्याप्त बना हुआ है।
विकास पर प्रभाव: उचित वित्तीय कार्रवाई के बिना तेजी से शहरीकरण से विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति खराब है, जिससे शहर की उत्पादकता और जीवन की गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रही है।
कर प्रणाली के बारे में
वस्तु एवं सेवा कर (GST) का प्रभाव: इससे ULB का कर राजस्व (संपत्ति कर को छोड़कर) वर्ष 2012-13 में लगभग 23% से घटकर वर्ष 2017-18 में लगभग 9% हो गया है।
शहरी स्थानीय निकायों (ULB) को अंतर-सरकारी हस्तांतरण (IGT): भारत में, यह सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.5% है, जो अन्य विकासशील देशों के 2-5% से काफी कम है।
उदाहरण: दक्षिण अफ्रीका अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2.6%, मैक्सिको 1.6%, फिलीपींस 2.5% तथा ब्राजील 5.1% अपने शहरों के लिए आवंटित करते हैं।
राज्यों से ULB को मिलने वाला IGT बहुत कम है, राज्य वित्त आयोगों ने वर्ष 2018-19 में राज्यों के स्वयं के राजस्व का केवल 7% ही अनुशंसित किया है।
चिंताएँ
मुद्दों की निरंतरता: यद्यपि IGT शहरी स्थानीय निकायों के कुल राजस्व का लगभग 40% बनाते हैं, फिर भी उनकी पूर्वानुमानितता, कमजोर समूहों के लिए निर्धारित राशि और क्षैतिज इक्विटी के संबंध में मुद्दे बने हुए हैं।
समानांतर एजेंसियाँ: 13वें वित्त आयोग ने पाया कि ‘समानांतर एजेंसियाँ और निकाय स्थानीय सरकारों को वित्तीय तथा परिचालन दोनों रूप से कमजोर कर रहे हैं।’
उदाहरण: सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना और विधान सभा सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना जैसे कार्यक्रम इस मुद्दे को बढ़ाते हैं तथा संघीय ढाँचे को विकृत करते हैं।
आवश्यकता: शहरी स्थानीय निकायों के लिए IGT महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उनकी वित्तीय स्थिति अच्छी है तथा जब तक उनका अपना राजस्व बेहतर नहीं हो जाता, उन्हें स्थिर समर्थन की आवश्यकता है।
सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में IGT की मात्रा बढ़ाना आवश्यक है।
जनगणना और आँकड़े
चिंता
पुराने आँकड़ों पर निर्भरता: वर्ष 2021 की जनगणना के अभाव में, साक्ष्य आधारित राजकोषीय हस्तांतरण के लिए वर्ष 2011 के आँकड़ों पर निर्भरता अपर्याप्त है।
आवश्यकता: 16वें वित्त आयोग द्वारा भारत के नगरों के आँकड़ों को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें टियर-2 और टियर-3 शहरों की ओर होने वाला महत्त्वपूर्ण प्रवास भी शामिल है।
भारत में लगभग 4,000 वैधानिक कस्बे और इतनी ही संख्या में जनगणना कस्बे हैं, जिनमें लगभग 23,000 गाँव हैं, जो सभी प्रभावी रूप से जनगणना नगर हैं।
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