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भारत-मलेशिया संबंधों का एक नया अध्याय

Lokesh Pal September 06, 2024 05:15 47 0

संदर्भ :

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की हाल की भारत यात्रा ने भारत-मलेशिया संबंधों में महत्त्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित किया, विशेष रूप से महाथिर मोहम्मद के कार्यकाल के दौरान तनाव के पश्चात्। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग और आर्थिक संबंधों को नया आयाम दिया।

 

2022 से पूर्व भारत-मलेशिया संबंध

  • मलेशिया के प्रधानमंत्री के रूप में महाथिर मोहम्मद के कार्यकाल के दौरान, भारत के साथ संबंध तनावपूर्ण थें|  
  • जिसका मुख्य कारण मलेशिया द्वारा भारत की नीतियों की आलोचना थी| 
  • विशेष रूप से कश्मीर से जुड़े मुद्दों और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के साथ भारत में मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी। 
  • कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ मलेशिया के गठबंधन ने इन तनावों को और बढ़ा दिया। हालाँकि, 2022 में महाथिर के पद छोड़ने और अनवर इब्राहिम के प्रधानमंत्री बनने के पश्चात् भारत-मलेशिया संबंधों में सुधार दृष्टव्य है।

भारत-मलेशिया संबंध : एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी

  • संबंधों की पुनःस्थापना
    • इस यात्रा से पूर्व पंद्रह मंत्रिस्तरीय बैठकों ने इसका आधार तैयार किया, जिससे साझेदारी 2015 में स्थापित ‘बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी’ से बढ़कर ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ बन गई। यह 2022 की भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी (CSP) के अनुरूप है।
    • इसमें आसियान-प्लस व्यवस्था में विकसित होने की संभावना है, जिसमें सभी आसियान देशों के साथ मौजूद नहीं होने वाले अतिरिक्त कारक और शर्तें शामिल होंगी।
    •  2025 में आसियान अध्यक्ष के रूप में मलेशिया की आगामी भूमिका इस रणनीतिक साझेदारी  को विशेष महत्त्व प्रदान करती है।
  • उन्नत आर्थिक सहयोग
    • आर्थिक संबंधों को मजबूत करना : आसियान के आर्थिक नेतृत्व के रूप में मलेशिया के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत किया जा रहा है, जो आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) की समीक्षा में तेजी लाने की मांग कर रहा है।
      • AITIGA, जिस पर 2009 में बैंकॉक में हस्ताक्षर किए गए थे और जो 2010 में प्रभावी हुआ था, वर्तमान आर्थिक स्थिति के अनुकूल होने के लिए समीक्षा के अधीन है, जिसमें यह भी शामिल है कि किन वस्तुओं को मुक्त व्यापार में शामिल किया जाना चाहिए या बाहर रखा जाना चाहिए।
    • व्यापार और निवेश : मलेशिया आसियान के भीतर भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
      •  मलेशिया से निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तु पाम ऑयल की भारत में अत्यधिक मांग है। पाम ऑयल के बड़े निर्यात से मलेशिया को व्यापार अधिशेष प्राप्त होता है।
      • सीईओ फोरम की बैठक के दौरान, वाणिज्य को बढ़ाने और नई मूल्य शृंखलाओं की खोज करने का निर्णय लिया गया। सेमीकंडक्टर, नवीकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोबाइल तथा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे ये नए क्षेत्र पारंपरिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे।
      • हाल ही में, मलेशिया ने भारत में $5 बिलियन का एफडीआई निवेश किया है। सेमीकंडक्टर, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल प्रौद्योगिकी सहित नए क्षेत्र सहयोग के लिए ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, जैसा कि यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों द्वारा उजागर किया गया है।
  • डिजिटल और वित्तीय एकीकरण
    • वित्तीय सेवाओं (फिनटेक, बीमा आदि सहित) पर एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें बढ़ती डिजिटल भागीदारी पर जोर दिया गया।
    • दोनों देशों ने अपनी-अपनी मुद्राओं (मलेशियाई रिंगगिट और भारतीय रुपया) में व्यापार शुरू किया है, जिससे लेन-देन की लागत कम करने में मदद मिलेगी।
    • RuPay व्यवस्था पर भी चर्चा चल रही है, जो गहन वित्तीय एकीकरण का संकेत है।
    • ये व्यवस्थाएँ मलेशिया को सिंगापुर के बाद आसियान के भीतर डिजिटल प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था में सबसे सशक्त भागीदारों में से एक बनाती हैं।
  • प्रवासी और मानव संसाधन सहयोग
    • प्रवासी एवं मानव संसाधन सहयोग पर एक नए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर, इस यात्रा की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी।
    • मलेशिया में लगभग 1,40,000 भारतीय कामगार हैं, इसलिए भारत का लक्ष्य उनका कल्याण और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
    • 2009 के समझौता ज्ञापन की समाप्ति के बाद, नया समझौता कामगारों की भर्ती, रोजगार और प्रत्यावर्तन को संबोधित करता है, जो हाल की यात्रा के दौरान एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
    • एमओयू से जुड़ा मॉडल रोजगार समझौता शर्तों और कार्य स्थितियों के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।

जाकिर नाइक के विषय पर भारत और मलेशिया में टकराव

इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक ने 2016 में भारत छोड़ दिया, जिस पर मनी लॉन्ड्रिंग तथा हिंसा फैलाने वाले भाषण देने के आरोप हैं। वह मलेशिया भाग गया तथा भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया। हालाँकि, मलेशिया ने यह कहते हुए इसका अनुपालन नहीं किया कि उन्हें पर्याप्त सबूत चाहिए और वे अनुरोध पर विचार करेंगे, क्योंकि वे आतंकवाद का समर्थन नहीं करते हैं। 

  • विकास गुणक के रूप में पर्यटन:
    • दोनों देशों के बीच पर्यटन में वृद्धि हो रही है, जिसमें 2024 तक दस लाख भारतीय पर्यटकों के मलेशिया आने की उम्मीद है।
    • बेहतर वीज़ा सुविधा और देशों के बीच उड़ानों में वृद्धि (लगभग 220 साप्ताहिक), जिसमें टियर II शहर भी शामिल हैं, इस वृद्धि का समर्थन करते हैं। भारत में मलेशियाई पर्यटन भी बढ़ रहा है, जो कि अधिकांश आसियान देशों की तुलना में बेहतर है|
    • दोनों देश पर्यटन में और वृद्धि के लिए वार्ता कर रहे हैं, जैसे कि वीज़ा की सुविधा देना। इस प्रकार, पर्यटन आर्थिक और लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ाने का कार्य करता है, जिससे बढ़ते प्रचार के माध्यम से बेहतर संबंध निर्मित होते हैं।
  • वैश्विक शिक्षा में एक नया अध्याय
    • आईआईटी खड़गपुर मलेशिया में अपने नए परिसर के उद्घाटन के साथ अपने वैश्विक पदचिह्न का विस्तार करने के लिए तैयार है। यह विकास संस्थान की अंतर्राष्ट्रीय विस्तार रणनीति में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसमें सात विदेशी केंद्र स्थापित करने की योजना शामिल है।
    • मलेशिया केंद्र से भारत और मलेशिया के बीच शैक्षिक सहयोग को बढ़ाने और गहरे संबंधों को बढ़ावा देने की उम्मीद है, जो वैश्विक शिक्षा और अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए आईआईटी खड़गपुर की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • दक्षिण चीन सागर गतिशीलता
    • मलेशिया उन देशों में से एक है, जिसका दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन के साथ विवादास्पद संबंध है।
    • फिलीपींस के विपरीत, जो अधिक आक्रामक रुख अपनाता है, मलेशिया शांत कूटनीति को प्राथमिकता देता है | यहाँ तक कि इसने​ अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के भीतर चीनी समुद्री गतिविधि को भी स्वीकार कर लिया है, जो चीनी आर्थिक भागीदारी के लिए प्राथमिकता दर्शाता है।
    • मलेशिया दक्षिण चीन सागर में चीन की भूमिका पर चर्चा करने के लिए अनिच्छुक था, यात्रा के दौरान चर्चा मुक्त और खुले समुद्री संचार, नेविगेशन, वाणिज्यिक शिपिंग और ओवरफ्लाइट पर केंद्रित थी।
    • भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कुछ आसियान देशों की कार्रवाइयों के बावजूद, वह दक्षिण चीन सागर को चीनी झील बनने को स्वीकार नहीं कर सकता है और उसने फिलीपींस के दावों के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त किया है।
  • रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग
    • दोनों देश सोवियत युग के उपकरणों का प्रयोग करते हैं, अतः रक्षा सहयोग चर्चाएँ इन उपकारणों की अनुकूलता, विशेष रूप से रखरखाव पर केंद्रित रही हैं।
    • भारत नव विकसित रक्षा उपकरणों का निर्यात करने का इच्छुक है, जिसमें विमानन और ब्रह्मोस जैसी मिसाइल प्रणालियों में संभावित अनुबंधों की खोज की जा रही है।
  • बहुपक्षीय सहभागिता और वैश्विक स्थिति
    • मलेशिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत का समर्थन किया तथा ब्रिक्स सदस्यता आवेदन के लिए भारत का समर्थन मांगा। दोनों देश एक अधिक न्यायपूर्ण और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसका उद्देश्य शक्ति संतुलन को बनाए रखना है।

निष्कर्ष

दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की आपसी समझ भारत-मलेशिया रणनीतिक साझेदारी को तेजी से बढ़ा रही है, जो महत्त्वपूर्ण ‘आसियान-प्लस’ विशेषताओं के साथ भारत-आसियान संबंधों पर आधारित है। यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक नए अध्याय का प्रतीक है, जो गहरे आर्थिक संबंधों, रणनीतिक सहयोग और बहुपक्षीय एकीकरण द्वारा चिह्नित है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित आभ्यास प्रश्न 

2025 में मलेशिया की आसियान सम्मलेन की अध्यक्षता भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है| भारत आसियान क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को बढ़ावा देने हेतु इस स्थिति का लाभ कैसे उठा सकता है?

(10 अंक, 150 शब्द)

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