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Lokesh Pal September 10, 2024 05:15 462 0
18वीं लोकसभा के चुनाव पश्चात, 9 जून को सरकार के प्रमुख शपथ भी ले चुके थे , लेकिन विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियों (डीआरएससी) के गठन में काफी विलंब हो गया है। सदस्यों के चयन को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच चल रही चर्चाओं और गहन बातचीत के बावजूद इन महत्वपूर्ण समितियों का गठन अभी तक नहीं हो पाया है।
लोक लेखा समिति, अनुमान समिति और सार्वजनिक उपक्रम समिति सहित अन्य समितियाँ भारत की संसदीय प्रणाली की वित्तीय निगरानी और प्रभावी कामकाज के लिए अभिन्न अंग हैं। वे भारतीय लोकतंत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विरासत में मिली प्रथाओं के विकास और अनुकूलन को मूर्त रूप देते हैं।
भारतीय समिति प्रणाली में 1990 के दशक के दौरान महत्वपूर्ण विस्तार किया गया, जो संसदीय निगरानी में उल्लेखनीय विकास और वृद्धि का काल था।
जुलाई 2004 में विभाग-संबंधित स्थायी समितियों (डीआरएससी) का पुनर्गठन किया गया, जिससे समितियों की संख्या बढ़कर 24 हो गई। इनमें से 16 लोक सभा के अधीन और 8 राज्य सभा के अधीन बाँट दी गयी थी। आगे चलकर इनमें से प्रत्येक समिति की सदस्यता घटाकर 31 कर दी गई, जिसमें 21 सदस्य लोक सभा से और 10 राज्य सभा से थे।
भारत की संसदीय समिति प्रणाली लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है, जो कानून की गहन जांच और कार्यकारी जवाबदेही सुनिश्चित करती है। वर्तमान चुनौतियों का समाधान करना और अन्य प्रणालियों से सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करना इस प्रणाली को संस्थागत स्तर पर और अधिक मजबूत कर सकता है।
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