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Lokesh Pal September 12, 2024 01:18 111 0
हाल ही में चीन ने चीन-अफ्रीका सहयोग मंच (Forum on China-Africa Cooperation- FOCAC) के 9वें शिखर सम्मेलन की मेजबानी की।
यह दस्तावेज, जो मुख्यतः चीनी प्रारूपण (Chinese Drafting) से प्रभावित है, छह खंडों में संरचित है।
चीन और अफ्रीका के बीच बढ़ते सहयोग से अवसर एवं चिंताएँ दोनों उत्पन्न हुई हैं। यहाँ कुछ प्रमुख चिंताएँ दी गई हैं:-
चीन और अफ्रीका के बीच बढ़ते सहयोग के वैश्विक निहितार्थ हैं, जो भारत सहित विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित कर रहे हैं।
आधार |
भारत के लिए चिंताएँ |
संपूर्ण विश्व के लिए चिंताएँ |
सामरिक और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा | चीन के साथ बढ़ते संबंधों को भारत अपनी व्यापक ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ रणनीति का हिस्सा मानता है। | चीन की बढ़ती उपस्थिति से अन्य वैश्विक शक्तियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा बढ़ सकती है, जिससे प्रमुख क्षेत्रों में भू-राजनीतिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। |
आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा और व्यापार असंतुलन | अफ्रीका प्राकृतिक संसाधनों का एक महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है, चीनी निवेश इन सामग्रियों तक भारत की पहुँच को सीमित कर सकता है। | चीन का प्रभुत्व वैश्विक बाजारों को प्रभावित कर सकता है, महत्त्वपूर्ण वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि कर सकता है तथा विश्व भर के उद्योगों पर प्रभाव डाल सकता है। |
ऋण कूटनीति | चीन के विशाल निवेश ने विकास सहायता और शैक्षिक पहल के माध्यम से भारत के प्रयासों को कम महत्त्वपूर्ण बना दिया है, जिससे भारत को अफ्रीका में अपनी विकास रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। | कई अफ्रीकी देश पहले से ही बढ़ते ऋण स्तर का सामना कर रहे हैं, अफ्रीका में वित्तीय पतन का वैश्विक बाजारों पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है। |
सैन्य विस्तार और सुरक्षा जोखिम | जिबूती में चीन का सैन्य अड्डा, जिसका सामरिक दृष्टि से महत्त्व अधिक है क्योंकि यह समुद्री संचार मार्गों के निकट स्थित है, जो भारत के ऊर्जा आयात के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। | चीन का बढ़ता प्रभाव उसे स्वेज नहर और बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य सहित महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों में नौसैनिक शक्ति प्रदर्शित करने की अनुमति देता है। |
वैश्विक शासन और संस्थाओं पर प्रभाव | भारत ने पारंपरिक रूप से स्वयं को ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में स्थापित किया है। हालाँकि, चीन का बढ़ता प्रभाव भारत की भूमिका और नेतृत्व को चुनौती देता है। | चीन का प्रभाव समानांतर वैश्विक संस्थाओं के निर्माण की उसकी क्षमता को मजबूत कर सकता है, जो पश्चिमी प्रभुत्व वाले ढाँचे, जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) या विश्व बैंक को चुनौती दे सकें। |
भारत ने अफ्रीका महाद्वीप के सामरिक महत्त्व को समझते हुए उसके साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए कई प्रमुख कदम उठाए हैं।
भारत को अफ्रीका में चीन के बढ़ते प्रभाव का प्रभावी ढंग से प्रतिकार करने तथा अपनी भूमिका को सुदृढ़ करने के लिए रणनीतिक साझेदारी को तीव्र करना होगा, सहायता बढ़ानी होगी तथा क्षेत्रीय एकीकरण को समर्थन देना होगा।
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