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भारत का डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना

Lokesh Pal September 12, 2024 01:27 107 0

संदर्भ 

भारत ने समावेशी और सतत् विकास के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure- DPI) को प्रौद्योगिकी-सक्षम साधन के रूप में स्थापित किया है।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के बारे में 

  • DPI उन डिजिटल प्लेटफॉर्मों और प्रणालियों को संदर्भित करता है, जो सार्वजनिक सेवाओं, जैसे पहचान, भुगतान, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि की डिलीवरी को सक्षम बनाते हैं।
    • इसे डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में एक मध्यवर्ती परत के रूप में समझा जा सकता है।

  • यह एक भौतिक परत (जिसमें कनेक्टिविटी, डिवाइस, सर्वर, डेटा सेंटर, राउटर आदि शामिल हैं) के ऊपर स्थित है, तथा एक ऐप परत (विभिन्न क्षेत्रों के लिए सूचना समाधान, ई-कॉमर्स, नकद हस्तांतरण, दूरस्थ शिक्षा, टेलीहेल्थ आदि) का समर्थन करता है।
  • DPI सार्वजनिक सेवा वितरण की दक्षता, पारदर्शिता, समावेशन तथा नवाचार में सुधार करके गरीबी उन्मूलन, जलवायु लचीलापन तथा डिजिटल परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों को हल करने में मदद कर सकता है।
  • DPI के तीन स्तंभ- DPI के तीन व्यापक उद्देश्य हैं- पहचान, भुगतान तथा डेटा प्रबंधन।
    • भारत अपने इंडिया स्टैक प्लेटफॉर्म के माध्यम से DPI के सभी तीन आधारभूत स्तंभों को विकसित करने वाला पहला देश बन गया है।

DPI के उद्देश्य

DPI के स्तंभ

भारत के DPI स्तंभों का नाम

पहचान डिजिटल ID सिस्टम आधार (Aadhar)
भुगतान वास्तविक समय में तीव्र भुगतान प्रणाली UPI
डेटा प्रबंधन सहमति-आधारित डेटा साझाकरण प्रणाली डेटा एम्पॉवरमेंट प्रोटेक्शन आर्किटेक (DEPA)

  • DPI की श्रेणियाँ: DPI को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:
    • आधारभूत DPI: आधार, UPI तथा डेटा सशक्तीकरण एवं संरक्षण आर्किटेक्चर (DEPA) को मजबूत डिजिटल रेल बनाने तथा डिजिटल पहचान प्रणालियों और भुगतान अवसंरचना तथा डेटा एक्सचेंज प्लेटफॉर्मों के डोमेन को विस्तारित करने के लिए विकसित किया गया है।
    • क्षेत्रीय DPI: यह विशिष्ट क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुरूप विशेषीकृत सेवाएँ प्रदान करता है।
      • उदाहरणों में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शामिल है, जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के प्रावधान का आधार है।
    • DPI की एक उल्लेखनीय सफलता की कहानी CoWIN प्लेटफॉर्म है, जिसने 2.2 बिलियन से अधिक कोविड-19 टीकों के प्रशासन की सुविधा के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण का उपयोग किया।

इंडिया स्टैक (India Stack) के बारे में 

  • यह API का एक सेट है, जो सरकारों, व्यवसायों, स्टार्टअप्स और डेवलपर्स को उपस्थिति-रहित, कागज रहित तथा नकद रहित सेवा वितरण की दिशा में भारत की कठिन समस्याओं को हल करने के लिए अद्वितीय डिजिटल बुनियादी ढाँचे का उपयोग करने की अनुमति देता है। 
  • इंडिया स्टैक में ओपन API की तीन स्तर शामिल हैं: पहचान, भुगतान तथा डेटा।

भारत तथा डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI)

  • इंडिया स्टैक के माध्यम से भारत, JAM ट्रिनिटी पहल (JAM का अर्थ है जन धन योजना, आधार और मोबाइल नंबर) के माध्यम से सभी तीन आधारभूत DPI विकसित करने वाला पहला देश बन गया है:
    • जन-धन खाते विभिन्न वित्तीय सेवाओं जैसे बुनियादी बचत बैंक खाते की उपलब्धता, आवश्यकता आधारित ऋण तक पहुँच, धन प्रेषण सुविधा, बीमा और पेंशन से वंचित वर्गों अर्थात् कमजोर वर्गों तथा निम्न आय समूहों तक पहुँच सुनिश्चित करते हैं।
      • वास्तविक समय में तीव्र भुगतान: भारत वर्ष 2022 में 89.5 बिलियन भुगतान लेनदेन (76.8% वार्षिक वृद्धि (2021-2022) के साथ वैश्विक स्तर पर वास्तविक समय में भुगतान के लिए प्रथम स्थान पर है।
  • डिजिटल पहचान (आधार): अब तक 1.3+ अरब आधार कार्ड जारी किए जा चुके हैं और 15 अरब आधार आधारित ई-केवाईसी सत्यापन किया जा चुका है।
  • व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रूप से साझा करने का प्लेटफॉर्म: BHIM-UPI उपयोगकर्ताओं के बीच पसंदीदा भुगतान पद्धति के रूप में उभरा है।
    • UPI ने मई 2023 में 9 बिलियन से अधिक लेनदेन (179 बिलियन डॉलर मूल्य) संसाधित करने का नया रिकॉर्ड बनाया है।
    • भारत में कुल खुदरा डिजिटल भुगतान में UPI  का हिस्सा 75% है।

डिजिटल इंडिया मिशन के बारे में

  • यह भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज तथा ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलना है।
  • मिशन तीन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है – प्रत्येक नागरिक के लिए उपयोगिता के रूप में डिजिटल बुनियादी ढाँचा, माँग पर शासन तथा सेवाएँ, तथा नागरिकों का डिजिटल सशक्तीकरण।

DPI का महत्त्व

  • मापनीयता: DPI बड़े पैमाने पर भागीदारी को सक्षम बनाते हैं, जिसका प्रमाण भारत में 1.3 बिलियन से अधिक आधार नामांकन और मासिक 10 बिलियन से अधिक UPI लेनदेन हैं, जो विशाल संख्या को सँभालने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित करते हैं।
  • प्लेटफॉर्म की भूमिका: DPI आधारभूत प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करते हैं, जो डिजिटल अनुप्रयोगों और सेवाओं के निर्माण के लिए निर्बाध एकीकरण तथा अंतःक्रिया की अनुमति देते हैं एवं समग्र कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं।
  • सार्वजनिक-निजी सहयोग: वे सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं, बुनियादी ढाँचे का लाभ उठाकर तीव्र विकास और मूल्य सृजन को बढ़ावा देते हैं।
  • नेटवर्क प्रभाव: बहुपक्षीय प्लेटफॉर्म के रूप में, DPI को नेटवर्क प्रभावों से लाभ मिलता है, जहाँ एक तरफ का मूल्य (उदाहरण के लिए, उपयोगकर्ता) दूसरी तरफ के प्रतिभागियों (उदाहरण के लिए, सेवाएँ) की वृद्धि के साथ बढ़ता है, जिससे उपयोगिता में तेजी से वृद्धि होती है।

  • नवाचार: DPI डेटा विनिमय, अंतर-संचालन तथा पुनः उपयोग के लिए एक साझा मंच बनाकर, विभिन्न क्षेत्रों तथा देशों में नवाचार एवं सहयोग को बढ़ावा दे सकता है।
    • अकाउंट एग्रीगेटर ढाँचा वित्तीय सेवा प्रदाताओं के बीच सहमति आधारित डेटा साझा करने में सक्षम बनाता है, जिससे उपभोक्ता की पसंद और सुविधा बढ़ जाती है।
  • सतत् विकास लक्ष्य: DPI गरीबी उन्मूलन, जलवायु लचीलापन तथा डिजिटल परिवर्तन जैसी तत्काल चुनौतियों का समाधान करके सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता कर सकता है।
    • राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM) का उद्देश्य सभी के लिए स्वस्थ जीवन और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए SDG-03 का समर्थन करते हुए स्वास्थ्य देखभाल की पहुँच, सामर्थ्य और गुणवत्ता को बढ़ाना है।
  • आर्थिक विकास: नैसकॉम द्वारा प्रस्तुत एक हालिया रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि DPI भारत को वर्ष 2030 तक 8 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर कर सकता है, जो देश के महत्त्वाकांक्षी 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • DPI में वैश्विक नेतृत्व: भारत ने G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ‘वन फ्यूचर अलायंस’ (OFA) पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य वैश्विक डिजिटल विकास के लिए DPI में सहयोग को बढ़ावा देना और इस प्रकार वैश्विक नेतृत्व हासिल करना है।

‘वन फ्यूचर अलायंस’ (OFA) 

  • भारत ने ‘वन फ्यूचर अलायंस’ की अवधारणा शुरू की, जो एक स्वैच्छिक पहल है, जिसका उद्देश्य सभी देशों और हितधारकों को DPI के भविष्य को तालमेल, आकार, वास्तुकार और डिजाइन करने के लिए एक साथ लाना है, जिसका उपयोग सभी द्वारा किया जा सकता है।
  • प्रस्तावित गठबंधन के तहत, भारत साइबर सुरक्षा सिद्धांतों और कानूनों के लिए वैश्विक ढाँचा तैयार करने हेतु अन्य देशों के साथ काम करेगा।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) से जुड़ी चुनौतियाँ इस प्रकार हैं

  • बाजार संकेंद्रण: DPI एकाधिकार या अल्पाधिकार को बढ़ावा दे सकते हैं, जहाँ कुछ प्रमुख खिलाड़ी बाजार के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लेते हैं।
    • उदाहरण के लिए, UPI भुगतान प्रणाली के कारण द्वि-अधिकारिता पैदा हो गई है, जिससे प्रतिस्पर्द्धा सीमित हो गई है और छोटे खिलाड़ियों के लिए बाजार में प्रवेश करना संभवत: मुश्किल हो गया है।
  • डेटा शोषण: DPI के अंतर्गत काम करने वाली कंपनियाँ संबंधित क्षेत्रों, जैसे खुदरा ऋण, में विस्तार करने के लिए बड़ी मात्रा में उपयोगकर्ता डेटा एकत्र कर सकती हैं और उसका लाभ उठा सकती हैं।
    • डेटा तक इस अनियंत्रित पहुँच से अनुचित प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ पैदा होता है, जिससे नवाचार और प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं के बीच संतुलन को लेकर चिंताएँ पैदा होती हैं।
  • विनियामक अंतराल: DPI के इर्द-गिर्द व्यापक विनियामक ढाँचे की अनुपस्थिति डेटा गोपनीयता, सुरक्षा और सिस्टम इंटरऑपरेबिलिटी के लिए महत्त्वपूर्ण जोखिम पैदा करती है। स्पष्ट नियमों और शासन के बिना, DPI का निजी फर्मों द्वारा शोषण किया जा सकता है।
  • नवप्रवर्तन संबंधी चिंताएँ: सरकार समर्थित DPI पर्याप्त विनियामक निगरानी के बिना अनजाने में निजी संस्थाओं को अपने प्रभाव में ले सकती हैं।
  • निजीकरण जोखिम: DPI में निजी फर्मों की भागीदारी से सार्वजनिक डेटा के निजीकरण और जोखिम-लाभ साझाकरण के लिए स्पष्ट ढाँचे की अनुपस्थिति के बारे में चिंताएँ पैदा होती हैं।
    • संविदात्मक या नियामक निगरानी के अभाव के परिणामस्वरूप सार्वजनिक डेटा का निजी लाभ के लिए शोषण किया जा सकता है।
  • साइबर-हमले: DPI साइबर हमलों और डेटा उल्लंघनों के प्रति संवेदनशील है, जो संवेदनशील डेटा और लेनदेन से समझौता करते हैं।
    • जून, 2018 और मार्च, 2022 के बीच, भारत के बैंकों में हैकर्स और अपराधियों द्वारा 248 सफल डेटा उल्लंघन दर्ज किए गए।
  • डिजिटल असमानता: भारत में डिजिटल विभाजन है, जहांँ अनेक लोगों के पास, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी डिजिटल अवसंरचना तक पहुँच नहीं है।
  • बुनियादी ढाँचा: सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक उचित बुनियादी ढाँचे की कमी है, जिसमें इंटरनेट कनेक्टिविटी, बिजली और हार्डवेयर शामिल हैं।

प्रमुख वैश्विक प्रथाएँ जिनसे भारत सीख सकता है-

इथियोपिया (Ethiopia)

  • मॉड्यूलर इन्फ्रास्ट्रक्चर (फार्मस्टैक): इथियोपिया का फार्मस्टैक कृषि के लिए खुले, अंतर-संचालन योग्य DPI का उपयोग करता है, जो डिजिटल इथियोपिया और SDG जैसी राष्ट्रीय रणनीतियों के साथ संरेखित है।
  • रणनीतिक रोडमैप: इथियोपिया का स्पष्ट फार्मस्टैक रोडमैप DPI को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करता है, जो रणनीतिक DPI नियोजन के लिए एक मॉडल पेश करता है।

एस्टोनिया (Estonia)

  • संस्थागत स्वामित्व (एक्स-टी- X-tee): एस्टोनिया का एक्स-टी DPI को नियंत्रित करने और संचालित करने के लिए मजबूत संस्थागत ढाँचे पर प्रकाश डालता है।
  • गोपनीयता और डेटा सुरक्षा: एस्टोनिया के कानून डेटा गोपनीयता और सुरक्षा पर जोर देते हैं, जिससे डिजिटल सिस्टम में भरोसा सुनिश्चित होता है।
  • बहु-हितधारक सहयोग: एस्टोनिया का DPI सरकार, निजी क्षेत्र और नियामकों को एकीकृत करता है, जो DPI को बढ़ाने के लिए साझेदारी के मूल्य को प्रदर्शित करता है।

आगे की राह

  • स्पष्ट भूमिका परिसीमन: डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) में शामिल सार्वजनिक और निजी दोनों संस्थाओं की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता है। इससे जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है, विशेषकर इन प्रणालियों के पैमाने और जटिलता को देखते हुए।
  • शासन ढाँचा: शासन मॉडल को राजमार्गों और बंदरगाहों जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में प्रयुक्त मॉडल रियायत समझौतों के समान संचालित करने की आवश्यकता है।
    • ये ढाँचे DPI में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए संरचित निगरानी प्रदान कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सार्वजनिक हित सुरक्षित रहें।
  • तकनीकी-कानूनी संतुलन: ऐसी मजबूत जाँच और संतुलन प्रणाली लागू करने की आवश्यकता है, जो निजी नवाचार को बाधित किए बिना सार्वजनिक हितों की रक्षा करना।
  • ‘सॉफ्ट लॉ इंस्ट्रूमेंट्स’ (Soft Law Instruments): ‘सॉफ्ट लॉ इंस्ट्रूमेंट्स’ को नियोजित किया जाना चाहिए, जो कठोर नियमों को लागू करने के बजाय उद्योग की सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इनमें डेटा एन्क्रिप्शन, एक्सेस कंट्रोल और डेटा उपयोग के लिए अनिवार्य उपयोगकर्ता सहमति जैसे सिद्धांत शामिल हो सकते हैं।
  • विकेंद्रित शासन: DPI तत्त्वों को अलग करके एक अनुरूप शासन दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जिसके लिए वैधानिक या संविदात्मक विनियमन की आवश्यकता होती है, जो सॉफ्ट लॉ के माध्यम से शासित होते हैं।
  • साइबर सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करना: डिजिटल संपत्तियों की सुरक्षा और आधार और बैंकिंग डेटा जैसी महत्त्वपूर्ण सूचनाओं पर साइबर हमलों को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करना।
  • डिजिटल साक्षरता में सुधार: नागरिकों को डिजिटल सेवाओं और प्लेटफॉर्मों का पूरी तरह से उपयोग करने में सक्षम बनाना, क्योंकि बहुत से लोग उनके लाभों से अनजान हैं या उन्हें एक्सेस करने और उनका उपयोग करने के लिए आवश्यक कौशल की कमी है।

निष्कर्ष 

डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) ने आधार, UPI और CoWIN जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से सेवा वितरण में क्रांति ला दी है। जबकि DPI पहुँच और दक्षता को बढ़ाता है, बाजार संकेंद्रण और डेटा गोपनीयता जैसी चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिए। स्पष्ट भूमिकाओं एवं लचीले विनियमन के साथ एक संतुलित दृष्टिकोण यह सुनिश्चित कर सकता है कि DPI सार्वजनिक हितों की रक्षा करते हुए नवाचार को आगे बढ़ाते रहें।

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