ओवरियन कैंसर जागरूकता माह सितंबर में मनाया जाता है, ताकि महिला प्रजनन अंग की इस गंभीर बीमारी के बारे में जागरूकता उत्पन्न की जा सके।
ओवरियन कैंसर
ओवरियन कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसर रोग में सबसे घातक है और यह तब होता है जब अंडाशय, पेरिटोनियम या फैलोपियन ट्यूब में असामान्य कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से वृद्धि करती हैं।
मादा प्रजनन तंत्र: मादा प्रजनन तंत्र में दो अंडाशय होते हैं, यह गर्भाशय के दोनों ओर स्थित होते हैं तथा अंडाशय, अंडाणु (Ova) के साथ-साथ एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का भी स्त्राव करते हैं।
कैंसर जोखिम संबंधी आँकड़े
विश्व स्तर पर: वर्ष 2022 की ग्लोबोकैन रिपोर्ट के अनुमानों के अनुसार,
वर्ष 2050 तक ओवरियन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या 55% बढ़कर 5,03,448 हो जाएगी।
मृत्यु दर: ओवरियन कैंसर से मरने वाली महिलाओं की संख्या वर्ष 2022 में लगभग 70% वृद्धि दर्शाते हुए 3,50,956 तक बढ़ सकती है।
भारत के स्तर पर: ओवरियन कैंसर को शीर्ष तीन हानिकारक कैंसरों में गिना जाता है, जो भारत में सभी महिला कैंसरों में 6.6% पाया जाता है।
वर्ष 2022 में भारत में ओवरियन कैंसर के 47,333 नए मामले सामने आए और 32,978 मौतें हुईं।
लक्षण: वर्ष 2004 के एक अध्ययन के अनुसार ओवरियन कैंसर से पीड़ित महिलाओं को सामान्यत: माह में 20 से 30 बार निम्न लक्षणों का अनुभव होता हैं:-
लगातार पेट फूलना, भूख न लगना, जल्दी पेट भर जाने का अहसास होना, कब्ज
पैल्विक/पेट दर्द, पीठ दर्द, लगातार थकान, वजन घटना।
मूत्र संबंधी लक्षण: पेशाब करने की तत्काल या बार-बार इच्छा होना, तथा रजोनिवृत्ति के बाद योनि से रक्तस्राव होना।
प्रकार: ओवरियन कैंसर एक व्यापक शब्द है, जिसमें 30 से अधिक विभिन्न प्रकार के कैंसर शामिल हैं, जिनका नाम उस कोशिका के प्रकार के आधार पर रखा गया है, जिससे वे उत्पन्न होते हैं।
उपकला ओवरियन कैंसर (Epithelial Ovarian Cancer): यह अंडाशय को ढकने वाले ऊतक में, फैलोपियन ट्यूब (Fallopian Tube) (जो अंडाशय से गर्भाशय तक अंडाणु को पहुँचाती है) और पेरिटोनियम (Peritoneum) (जो पेट की दीवार को रेखाबद्ध करती है और पेट के अंगों को ढकती है) की परत में प्रारंभ होता है।
जर्म सेल ओवरियन कैंसर (Germ Cell Ovarian Cancer): यह अंडाशय की प्रजनन कोशिकाओं से आता है और काफी दुर्लभ है।
स्ट्रोमल कोशिकाएँ ओवरियन कैंसर (Stromal Cells Ovarian Cancer): यह संयोजी ऊतक कोशिका से उत्पन्न होता है।
ओवरियन का लघु कोशिका कार्सिनोमा (Small cell carcinoma of the ovary -SCCO): यह एक अत्यंत दुर्लभ ओवरियन कैंसर है।
कारण: जीवनशैली से जुड़े कुछ कारक ओवरियन कैंसर के लिए उत्तरदायी हैं।
पारिवारिक इतिहास, वंशानुगत जीन उत्परिवर्तन: ओवरियन कैंसर सभी कैंसरों की अपेक्षा सबसे अधिक वंशानुगत है, जिसमें 65-85% वंशानुगत ओवरियन कैंसर के मामलों में BRCA1 या BRCA2 जीन में उत्परिवर्तन शामिल होता है।
जननांग क्षेत्र में एस्बेस्टस युक्त टैल्कम पाउडर का प्रयोग
बालों को सीधा करने वाले (Hair Straighteners), रिलैक्सर या प्रेस करने वाले उत्पादों का बार-बार उपयोग करना, जो फॉर्मेल्डिहाइड गैस छोड़ते हैं।
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT), जिसका आमतौर पर रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है, को ओवरियन के कैंसर के उच्च जोखिम से जोड़ा गया है।
जाँच और निदान: ओवरियन कैंसर के लिए कोई प्रभावी स्क्रीनिंग परीक्षण नहीं है।
हालाँकि, CA125 रक्त परीक्षण केवल निदान के बाद ही ओवरियन कैंसर की निगरानी के लिए उपयोगी है, लेकिन यह लक्षणविहीन महिलाओं की जाँच में कम प्रभावी है, क्योंकि इससे गलत सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं।
जोखिम कारकों और लक्षणों तथा पारिवारिक इतिहास के बारे में जागरूकता एवं स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ नियमित परामर्श से प्रारंभिक पहचान हो सकती है।
उत्तरजीविता दर: पाँच वर्ष की ओवरियन कैंसर से जीवित रहने की दरें विभिन्न देशों में अलग-अलग होती हैं, विकसित देशों में यह दर 36% से 46% तक होती है।
भारत: उन्नत चरण (70-80%) में जाँच के कारण 10 वर्ष की जीवित रहने की दर 15-30% होने का अनुमान है। सामान्य तौर पर, 65 वर्ष की आयु से पहले निदान की गई महिलाओं में वृद्ध महिलाओं की तुलना में बेहतर परिणाम होते हैं।
उपचार
सर्जरी: ओवरियन कैंसर के लिए यह एक मानक उपचार है, कि जितना संभव हो सके उतना कैंसर को हटा दिया जाए।
कीमोथेरेपी (Chemotherapy): कीमोथेरेपी का इस्तेमाल अक्सर सर्जरी के बाद किया जाता है, खास तौर पर एडवांस ओवरियन कैंसर के लिए। सिस्प्लैटिन या कार्बोप्लाटिन जैसी प्लैटिनम आधारित दवाओं का सामान्यत: इस्तेमाल किया जाता है।
विकिरण चिकित्सा (Radiation therapy): सर्जरी के बाद बची हुई कैंसर कोशिकाओं को हटाने के लिए विकिरण चिकित्सा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल पेट दर्द जैसे उन्नत ओवरियन कैंसर के लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए भी किया जा सकता है।
हार्मोनल उपचार (Hormonal treatment): कुछ महिलाओं को एनास्ट्रोजोल, लेट्रोजोल या टैमोक्सीफेन जैसी दवाओं के साथ हार्मोनल उपचार से लाभ होता है।
रोकथाम: ओवरियन कैंसर के रोगियों के लिए जीवित रहने की दर पहचान के चरण और उचित उपचार तक पहुँच पर निर्भर करती है।
व्यक्तिगत जोखिम प्रबंधन: इसमें आनुवंशिक परीक्षण, अनुकूलित नैदानिक निगरानी, कीमोप्रिवेंशन और रोगनिरोधी सर्जरी शामिल हैं, जो उच्च जोखिम वाली महिलाओं में ओवरियन के कैंसर के विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस का पता लगाना: यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भाशय के बाहर गर्भाशय जैसा ऊतक विकसित होता है, जिसे कुछ प्रकार के ओवरियन कैंसर, विशेष रूप से एंडोमेट्रियोइड और क्लियर-सेल कैंसर के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है।
आनुवंशिक परामर्श: यह प्रक्रिया आनुवंशिक कैंसर के जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान करने में मदद करती है तथा निवारक उपायों और संभावित उपचारों पर मार्गदर्शन प्रदान करती है।
कैंसर देखभाल से संबंधित सरकारी पहल
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY): यह द्वितीयक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है, जिसमें कई कैंसर संबंधी उपचार शामिल हैं।
कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS): इसका उद्देश्य कैंसर सहित दीर्घकालिक गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण करना है।
राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN): यह गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और जानलेवा बीमारियों जैसे कैंसर से पीड़ित मरीजों को सरकारी अस्पतालों में वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
राष्ट्रीय आरोग्य निधि के अंतर्गत स्वास्थ्य मंत्री कैंसर रोगी कोष (HMCPF) जेनेरिक दवाओं की खरीद के माध्यम से कैंसर के उपचार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
फर्स्ट कैंसर केयर (FCC) पहल: इसे वर्ष 2022 में पेश किया गया था और यह गुणवत्ता, समयबद्धता, सटीकता और निष्पक्षता पर ध्यान केंद्रित करते हुए कैंसर की रोकथाम और उपचार को बदलने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करता है।
राज्य बीमारी सहायता निधि (State Illness Assistance Funds): यह विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा स्थापित की जाती है, जो गरीब मरीजों को कैंसर सहित विभिन्न बीमारियों के उपचार की लागत को कवर करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
तृतीयक देखभाल कैंसर केंद्र (TCCC): यह योजना प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) का पूरक है, और इसका उद्देश्य कैंसर के उपचार के लिए सुविधाओं में सुधार के लिए देश भर में राज्य कैंसर संस्थान और तृतीयक देखभाल कैंसर केंद्र स्थापित करना है।
राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (NCG): यह संपूर्ण भारत में कैंसर केंद्रों, अनुसंधान संस्थानों, रोगी समूहों और धर्मार्थ संस्थानों का एक नेटवर्क है, जो कैंसर की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए रोगी देखभाल के समान मानकों को स्थापित करता है और ऑन्कोलॉजी में विशेष प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करता है।
जागरूकता अभियान: तंबाकू नियंत्रण और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने वाले उपाय कैंसर से जुड़े जोखिम कारकों को कम करने में महत्त्वपूर्ण हैं।
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