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Lokesh Pal September 11, 2024 05:00 87 0
“ऐसा समय आ सकता है जब हम अन्याय को रोकने में असमर्थ हों, लेकिन ऐसा समय कभी नहीं आना चाहिए जब हम विरोध करने में विफल हो जाएँ।” – एली विज़ेल
एक ऐसी दुनिया जहाँ बहुत से अन्याय किए जाते हैं और उनमें से ज़्यादातर हमारे नियंत्रण से बाहर होते हैं, ऐसी स्थिति में हमें यह याद रखना ज़रूरी है कि चुप रहना कभी भी एक विकल्प नहीं हो सकता है। भले ही हम किए जाने वाले इन अपराधों की हर एक घटना को रोकने विफल ही क्यों न हों, लेकिन हमें हमेशा इसके खिलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए। अन्याय के सामने चुप रहना स्वीकारोक्ति और सहभागिता का संकेत है, जो हमें उस किए गए अपराध का हिस्सा बनाता है।
विरोध केवल भौतिक प्रदर्शनों या रैलियों तक ही सीमित नहीं है; यह कई रूप ले सकता है, जिसमें सोशल मीडिया का उपयोग करना, मतदान के अधिकार का प्रयोग करना और विभिन्न चैनलों के माध्यम से ओगों के मध्य जागरूकता को बढ़ाना इत्यादि शामिल है।
एली विज़ेल, जिन्होंने नाज़ी यातना शिविरों की भयावहता देखी थी, चुप रहने के भयानक परिणामों को समझते थे। इसके बाद उन्होंने अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
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