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Lokesh Pal September 11, 2024 05:30 111 0
सैन्य क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभावी उपयोग (REAIM) संबंधी मुद्दे पर दूसरा शिखर सम्मेलन 9 सितंबर, 2024 को सियोल में शुरू होगा, जिसका उद्देश्य युद्ध में AI के उपयोग के लिए वैश्विक मानदंड स्थापित करना है। जैसे-जैसे विश्व स्तर की सेनाएँ AI तकनीक को तेज़ी से अपना रही हैं, वैसे ही युद्ध के क्षेत्र में इसके उपयोग को विनियमित करने के लिए राजनीतिक प्रयास बढ़ रहे हैं। रूस और यूक्रेन तथा इज़राइल और हमास के मध्य चल रहे युद्ध “AI की प्रयोगशाला” बनते जा रहे हैं, जो युद्ध में AI के व्यापक स्तर पर उपयोग को प्रदर्शित करते हैं। स्वचालित हथियारों या “किलर रोबोट (Killer Robot)” का संभावित विकास, जो मानव नियंत्रण से स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकते हैं और हथियार चला सकते हैं, युद्ध के भविष्य और मानव सभ्यता के लिए खतरे के बारे में चिंताएँ पैदा करता है। परिणामस्वरूप, संभावित वैश्विक विनाश को रोकने के लिए युद्ध में AI की भूमिका को नियंत्रित करने के लिए मानदंड और दिशानिर्देश स्थापित करने के उद्देश्य से देश एक साथ आ रहे हैं।
फरवरी 2023 में हेग शिखर सम्मेलन, जिसने बहस और चर्चाओं को व्यापक बनाया, लेकिन इससे कोई महत्वपूर्ण परिणाम नहीं निकला। जबकि पहले शिखर सम्मेलन में कोई निर्णायक खाका नहीं तैयार किया जा सका, उम्मीद है कि इस बार शिखर सम्मेलन में कार्रवाई के लिए एक सार्थक स्तर के आह्वान और दिशा-निर्देशों का एक स्पष्ट सेट प्रदर्षित किया जा सके । ऐसा केन्या, नीदरलैंड, सिंगापुर और यूनाइटेड किंगडम द्वारा इस पर मेजबानी से स्पष्ट होगा।
ये घटनाएँ स्वचालित प्रणालियों की भायवहता को उजागर करती हैं जब उन्हें मानवीय हस्तक्षेप के बिना संचालित किया जाता है, जिससे निर्दोष लोगों की जान चली जाती है। चूँकि भविष्य के युद्ध एल्गोरिदम और कम्प्यूटेशनल प्रणाली का उपयोग करके लड़े जाने की संभावना बढ़ रही है, इसलिए इसके विनियमन की आवश्यकता है। यह आवश्यकता ठीक यही है कि सैन्य क्षेत्र में एआई के जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग पर शिखर सम्मेलन जैसे सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। यह सुनिश्चित करना कि युद्ध में एआई का जिम्मेदारीपूर्वक से और नैतिक रूप से उपयोग किया जाए, संभावित आपदाओं को रोकने के लिए आवश्यक हैं।
निष्कर्षतः युद्ध में एआई का जिम्मेदारीपूर्ण इस्तेमाल सभी देशों के लिए ज़रूरी है ताकि इन स्वचालित हथियारों के विकास को रोका जा सके, जिन्हें यदि अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो ये मानवता के लिए एक भयावह ख़तरा बन सकते हैं। सैन्य अनुप्रयोगों में एआई का नैतिक और सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक सहयोग आवश्यक है।
मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्नप्रश्न: “सैन्य मामलों में एआई को अपनाना भारत के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है।” इस कथन के प्रकाश में, विश्लेषण करें कि भारत रक्षा के क्षेत्र में जिम्मेदारीपूर्ण एआई के उपयोग की वैश्विक माँग के साथ अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यताओं को कैसे संतुलित कर सकता है? (15 अंक, 250 शब्द) |
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