भारतीय सेना की एक टुकड़ी ने अभ्यास अल नजाह (AL NAJAH) के 5वें संस्करण में भाग लिया, जो 13 से 26 सितंबर, 2024 तक ओमान के सलालाह में रबकूट प्रशिक्षण क्षेत्र (Rabkoot Training Area) में होगा।
अभ्यास अल नजाह (AL NAJAH) के बारे में
अल नजाह (AL NAJAH) भारत और ओमान के बीच एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है। यह इस अभ्यास का पाँचवाँ संस्करण है।
उद्देश्य: अल नजाह अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत आतंकवाद विरोधी अभियानों को अंजाम देने में दोनों देशों की संयुक्त सैन्य क्षमताओं को मजबूत करना है।
परिचालन: इस वर्ष यह अभ्यास रेगिस्तानी परिदृश्य में संचालित किया जा रहा है।
द्विवार्षिक कार्यक्रम: अभ्यास अल नजाह वर्ष 2015 से द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जा रहा है।
पिछला संस्करण स्थान: पिछला संस्करण महाजन, राजस्थान (भारत) में आयोजित किया गया था।
इस अभ्यास का महत्त्व: यह दोनों पक्षों को संयुक्त अभियानों के लिए रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करेगा।
इससे दोनों सेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता, सद्भावना और सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अतिरिक्त, संयुक्त अभ्यास से दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग मजबूत होगा।
भारत और ओमान के बीच अन्य अभ्यास
नौसेना अभ्यास: नसीम-अल-बहर (Naseem-Al-Bahr)
वायु सेना: इस्टर्न ब्रिज (Eastern Bridge)।
जुलाई 2024 में भारत का औद्योगिक उत्पादन
भारत का औद्योगिक उत्पादन जुलाई 2024 में 4.8% बढ़ा, जो वित्तीय वर्ष 2024-25 में दूसरी सबसे धीमी गति (जून में 4.7% की उन्नत वृद्धि से) है, जबकि खनन और विद्युत की वृद्धि धीमी हो गई और गैर-उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं का उत्पादन 4.4% की तीव्र गिरावट के साथ चार महीनों में तीसरा संकुचन दर्ज किया गया।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के बारे में
IIP एक समग्र संकेतक है, जो किसी निश्चित अवधि में विभिन्न औद्योगिक उत्पादों के उत्पादन मात्रा में अल्पकालिक परिवर्तनों को मापता है।
यह विनिर्माण, खनन और विद्युत उत्पादन सहित विभिन्न उद्योगों के उत्पादन मात्रा में परिवर्तन पर नजर रखता है।
भारत में IIP शृंखला को समय-समय पर वस्तुओं एवं उद्योगों के कवरेज की समीक्षा करके तथा औद्योगिक विकास एवं संरचना को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित करने के लिए सुधार करके संशोधित किया गया है।
जब भारत में इस सूचकांक प्रारंभ किया गया था, तो आधार वर्ष 1937 अपनाया गया था और इसे क्रमशः वर्ष 1946, 1951, 1956, 1960, 1970, 1980-81, 1993-94, 2004-05 और हाल ही में वर्ष 2011-12 में संशोधित किया गया।
वर्तमान में IIP का आधार वर्ष 2011-12 है।
हेडलाइन PMI (0 से 100): समग्र व्यावसायिक गतिविधि का संख्यात्मक प्रतिनिधित्व।
PMI 50 से ऊपर: पिछले महीने की तुलना में विस्तार को दर्शाता है। 50 से ऊपर की संख्या जितनी अधिक होगी, विस्तार उतना ही अधिक महत्त्वपूर्ण होगा।
PMI 50 से कम: संकुचन को दर्शाता है। 50 से नीचे की संख्या जितनी कम होगी, संकुचन उतना ही अधिक महत्त्वपूर्ण होगा।
PMI 50 पर: यह व्यावसायिक गतिविधि में कोई परिवर्तन नहीं दर्शाता है।
विभिन्न क्षेत्रों का भारांक: इसमें 839 वस्तुएँ शामिल हैं, जिनमें विनिर्माण वस्तुओं का सबसे अधिक हिस्सा अर्थात् 809 है।
खनन (29): 14.37 %
विनिर्माण (809): 77.63%
विद्युत (1): 7.99%।
आठ प्रमुख क्षेत्र
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में शामिल वस्तुओं के भारांक का 40.27% हिस्सा शामिल है।
आठ कोर सेक्टर उद्योग, उनके भार के घटते क्रम में: रिफाइनरी उत्पाद > विद्युत > इस्पात > कोयला > कच्चा तेल > प्राकृतिक गैस > सीमेंट > उर्वरक।
ONDC का सारथी रिफरेंस ऐप (Saarthi Reference App)
हाल ही में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) ने सारथी (Saarthi) नामक एक रिफरेंस एप्लिकेशन लॉन्च किया है, जिसे व्यवसायों को अपने स्वयं के अनुकूलित क्रेता-पक्ष ऐप बनाने में सहायता करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसे भाषिणी (Bhashini) के साथ सह-विकसित किया गया है।
सारथी (Saarthi) के बारे में
सारथी एक रिफरेंस एप्लिकेशन है, जिसे ONDC द्वारा विकसित किया गया है, जो व्यवसायों को बहुभाषी क्षमताओं के साथ अनुकूलित क्रेता-पक्ष ऐप बनाने में मदद करता है।
सहयोग: AI-संचालित भाषा अनुवाद उपकरण, भाषिणी के सहयोग से विकसित किया गया।
भाषाओं का समर्थन
प्रारंभ में यह 5 भाषाओं का समर्थन करता है:- हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, बांग्ला, तमिल।
भाषिणी द्वारा 22 भाषाओं में सेवा प्रदान करने की योजना है।
ओपन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के बारे में
ओपन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स (ONDC) बेकन प्रोटोकॉल पर आधारित एक अंतर-संचालनीय नेटवर्क है, जिसका कोई भी उपयोग कर सकता है।
ONDC इकाई, जो कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के अंतर्गत निगमित एक गैर-लाभकारी कंपनी है, ONDC नेटवर्क का प्रबंधन और संचालन करती है।
यह अंतर्निहित बुनियादी ढाँचे (सामान्य रजिस्ट्रियाँ एवं प्रोटोकॉल) का निर्माण एवं रखरखाव करने तथा ONDC नेटवर्क नीति और ONDC नेटवर्क प्रतिभागी समझौते के माध्यम से नेटवर्क प्रतिभागियों के लिए कार्य के नियमों और आचार संहिता को परिभाषित करने के लिए जिम्मेदार है।
निर्बाध संचालन: इसका उद्देश्य विभिन्न विन्यासों (बड़े या छोटे) के प्लेटफॉर्मों को जोड़ने और निर्बाध रूप से संचालित करने में सक्षम बनाकर डिजिटल वाणिज्य में अवरोधों को समाप्त करना है।
नेटवर्क प्रतिभागी: इसमें नेटवर्क प्रतिभागी नामक विभिन्न इकाइयाँ शामिल हैं, जिनमें क्रेता अनुप्रयोग, विक्रेता अनुप्रयोग और गेटवे शामिल हैं, जो खोज कार्य करते हैं।
ओपन नेटवर्क मॉडल: सरकार ई-कॉमर्स बाजार की मूलभूत संरचना को वर्तमान प्लेटफॉर्म-केंद्रित मॉडल से बदलकर ओपन नेटवर्क मॉडल बनाना चाहती है।
भाषिणी के बारे में
भाषिणी एक राष्ट्रीय भाषा प्रौद्योगिकी मिशन (NLTM) है, जो सभी भारतीयों को उनकी मूल भाषाओं में डिजिटल सेवाएँ और उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए भाषा प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करता है।
भाषिणी की सेवाओं में शामिल हैं:-
अनुवाद: भाषिणी वास्तविक समय में 22 भारतीय भाषाओं में सेवाओं का अनुवाद करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करती है।
आवाज आधारित पहुँच: भाषिणी डिजिटल सेवाओं एवं इंटरनेट तक मुद्दा आधारित पहुँच प्रदान करती है।
सामग्री निर्माण: भाषिणी भारतीय भाषाओं में सामग्री बनाने में मदद करती है।
शिक्षा और स्वास्थ्य: भाषिणी शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए सेवाएँ प्रदान करती है।
भाषिणी को जुलाई 2022 में प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। भाषिणी नाम का अर्थ है- ‘भारत के लिए भाषा इंटरफेस’ (Bhasha Interface for India)।
ग्रीन हाइड्रोजन पर दूसरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
हाल ही में प्रधानमंत्री ने वीडियो संदेश के माध्यम से ‘ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ को संबोधित किया।
‘ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ के बारे में
भारत सरकार ने 11-13 सितंबर, 2024 को भारत मंडपम्, नई दिल्ली में ग्रीन हाइड्रोजन पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference on Green Hydrogen-ICGH), 2024 का आयोजन किया है।
उद्देश्य: संपूर्ण ग्रीन हाइड्रोजन मूल्य शृंखला में नवीनतम प्रगति एवं आगामी प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करना।
प्रतिभागी: वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय एवं उद्योग विशेषज्ञ।
ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में
इसका उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे- सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा किया जाता है और इसका कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
विद्युत, जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करती है।
उपोत्पाद: जल, जलवाष्प।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनवरी 2023 में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी थी।
बजट परिव्यय: विभिन्न घटकों के लिए 19,744 करोड़ रुपये।
उद्देश्य: भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके व्युत्पन्नों के उत्पादन, उपयोग एवं निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना।
इसके लिए वर्ष 2027 से आगे के निर्यात लक्ष्य भी निर्धारित किए गए हैं।
NTPC लिमिटेड, NLC इंडिया लिमिटेड आदि केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा वाणिज्यिक स्तर पर हरित हाइड्रोजन उत्पादन की क्षमता स्थापित करने की उम्मीद है।
हरित हाइड्रोजन भंडारण, ईंधन सेल प्रौद्योगिकी, गतिशीलता में अनुप्रयोगों आदि में पायलट परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण, ऋण, अनुदान आदि का प्रस्ताव भी किया गया है।
हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, परिवहन से संबंधित मानकों, विनियमों, परीक्षण प्रोटोकॉल के लिए ढाँचे को नियंत्रित करने वाली संस्थाएँ भी इस मिशन में शामिल हैं।
कार्यान्वयन: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (भारत सरकार)
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत उप-योजनाएँ
हरित हाइड्रोजन संक्रमण कार्यक्रम के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप (SIGHT): यह इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू विनिर्माण को वित्तपोषित करेगा और हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा।
इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक 4GW घरेलू इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण क्षमता को समर्थन देना और 1 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में सहायता करना है।
हरित हाइड्रोजन हब: हाइड्रोजन के बड़े पैमाने पर उत्पादन और/या उपयोग में सक्षम राज्यों एवं क्षेत्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें हरित हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
साल्ट पैन
(Salt Pans)
केंद्र सरकार ने झुग्गीवासियों के लिए किराये के घर बनाने के लिए मुंबई की 256 एकड़ लवणीय भूमि को धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड (DRPPL) को हस्तांतरित करने को मंजूरी दी।
साल्ट पैन लैंड्स (Salt Pan Lands) के बारे में
ये निचली भूमि के भाग हैं, जहाँ कभी-कभी समुद्री जल प्रवेश करता है और जिससे इस भूमि पर लवण एवं अन्य खनिजों का संस्तर विकसित हो जाता है।
निर्माण: लवण और खनिजों से ढकी हुई भूमि के ये प्राकृतिक रूप से फैले हुए संस्तर हजारों वर्षों में बड़े जल निकायों के वाष्पित होने से बने हैं।
पारिस्थितिकीय संवेदनशीलता: तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) अधिसूचना, 2011 के अनुसार, लवण क्षेत्र CRZ-1B श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, जहाँ लवण निष्कर्षण और प्राकृतिक गैस अन्वेषण के अपवाद के साथ किसी भी आर्थिक गतिविधि की अनुमति नहीं है।
पैमाना: कुल मिलाकर, मुंबई में 5,378 एकड़ भूमि को लवणीय भूमि के रूप में नामित किया गया है।
उपयोग: इनका उपयोग जल संग्रहण और नमक उत्पादन के लिए किया जा सकता है। वे विशाल जैव विविधता का भी समर्थन कर सकती हैं।
साल्ट पैन लैंड्स (Salt Pan Lands) का महत्त्व
बाढ़ की रोकथाम: लवण का संस्तर वर्षा जल और ज्वारीय प्रवाह को संकेंद्रित करके प्राकृतिक बाढ़ अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं, जिससे विक्रोली, कांजुरमार्ग और भांडुप जैसे क्षेत्रों में बाढ़ को रोका जा सकता है।
जलवायु लचीलापन: इन संस्तरों ने वर्ष 2005 में मुंबई जल प्रलय के प्रभाव को तथा पूर्वी उपनगरों में क्षति को कम करने में सहायता की।
पर्यावरण संरक्षण: लवण के भंडार, मैंग्रोव के साथ मिलकर, शहरी बाढ़ को रोकते हैं और जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं तथा विभिन्न पक्षी एवं कीट प्रजातियों को आश्रय देते हैं।
स्थायित्व संबंधी चिंताएँ: लवण क्षेत्रों में विकास से बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है और शहर के पारिस्थितिकी संतुलन एवं संरक्षण आवश्यकताओं की उपेक्षा होती है।
अगस्त 2024 में मुद्रास्फीति RBI के 4% के औसत लक्ष्य से नीचे रही
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त 2024 में लगातार दूसरे महीने RBI के 4% के औसत लक्ष्य से नीचे रही है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)- खुदरा मुद्रास्फीति
यह आधार वर्ष के संदर्भ में वस्तुओं एवं सेवाओं दोनों की कीमतों में खुदरा मूल्य में परिवर्तन को मापता है।
मापनकर्ता: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (भारत सरकार)।
प्रकार
औद्योगिक श्रमिकों के लिए CPI (CPI-IW): श्रम ब्यूरो द्वारा
आधार वर्ष: 2016
ग्रामीण मजदूरों और कृषि मजदूरों के लिए CPI (CPI-AL&RL): श्रम ब्यूरो द्वारा
आधार वर्ष: 1986-87
शहरी श्रमिकेतर कर्मचारियों के लिए CPI (CPI-UNME): इसे अब बंद कर दिया गया है।
नया CPI: CPI (ग्रामीण), CPI (शहरी) और CPI (संयुक्त)
आधार वर्ष: 2012
संकलित और सार्वजनिक: केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) द्वारा
थोक मूल्य सूचकांक (WPI)
यहखुदरा स्तर से पहले थोक बिक्री के लिए औसत परिवर्तन को मापता है।
इसमें केवल वस्तुएँ शामिल हैं।
आधार वर्ष: 2011-12
संकलित एवं प्रकाशित: आर्थिक सलाहकार कार्यालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार)।
इसे मासिक आधार पर जारी किया जाता है।
भारांक: WPI बास्केट में शामिल प्रत्येक वस्तु को इसमें शामिल किया गया है।
शुद्ध आयात के लिए समायोजित उत्पादन के मूल्य के आधार पर इसे मापा जाता है।
आधार प्रभाव (Base Effect) के बारे में
पिछले वर्ष की सामान अवधि में मूल्य स्तर में वृद्धि के प्रभाव की तुलना करना आधार प्रभाव कहलाता है।
प्रभाव → मूल्य सूचकांक में छोटी वृद्धि → वर्तमान मुद्रास्फीति की उच्च दर या मुद्रास्फीति की निम्न दर
ओजोन प्रदूषण और उष्णकटिबंधीय वनों की वृद्धि
नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि ओजोन प्रदूषण कार्बन अवशोषण को रोककर उष्णकटिबंधीय वनों की वृद्धि को बाधित कर देता है।
ओजोन प्रदूषण और उष्णकटिबंधीय वनों पर अध्ययन के बारे में
प्रभाव: ओजोन के कारण उष्णकटिबंधीय वन प्रत्येक वर्ष लगभग 300 मिलियन टन कार्बन अवशोषण खो देते हैं।
ओजोन प्रभाव: जमीनी स्तर पर ओजोन के कारण प्रतिवर्ष नए उष्णकटिबंधीय वनों की वृद्धि में 5.1% की कमी आती है।
कारण: ओजोन का निर्माण शहरीकरण, औद्योगीकरण, जीवाश्म ईंधन के जलने और अग्नि से उत्पन्न प्रदूषकों से होता है।
परिणाम: ओजोन स्तर में वृद्धि से वनों के पुनर्स्थापन और जलवायु परिवर्तन शमन पर प्रभाव और भी नकारात्मक हो जाएगा।
निष्कर्ष: ओजोन प्रदूषण ने वर्ष 2000 से अब तक प्रतिवर्ष 290 मिलियन टन कार्बन अवशोषण को रोका है।
कार्रवाई: पर्यावरण संरक्षण से भू-स्तरीय ओजोन परत के प्रभाव को कम किया जा सकता है, वायु गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है, तथा वनों में कार्बन अवशोषण क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिलेगी।
ओजोन के बारे में
ओजोन ऑक्सीजन का एक प्रकार है, जो तीन ऑक्सीजन परमाणुओं से मिलकर बनती है।
स्थान: यह पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल एवं भूतल दोनों पर पाई जाती है।
समतापमंडलीय ओजोन: समतापमंडल में, इस परत का निर्माण होता है, जो हमें सूर्य की पराबैंगनी किरणों से बचाती है।
भू-स्तरीय ओजोन (Ground Level Ozone)
परिभाषा: भू-स्तरीय ओजोन एक रंगहीन और अत्यधिक प्रभावित करने वाली गैस है, जिसका निर्माण पृथ्वी की सतह के पास होता है, आमतौर पर भूमि से दो मील ऊपर।
इसे सतही स्तर ओजोन या क्षोभमंडलीय ओजोन के नाम से भी जाना जाता है।
यह एक द्वितीयक, अल्पकालिक प्रदूषक है।
निर्माण प्रक्रिया: इसके निर्माण में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) और वाहनों, विद्युत संयंत्रों तथा कारखानों जैसे स्रोतों से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैसें शामिल होती हैं।
अभिक्रिया तंत्र: भू-स्तरीय या क्षोभमंडलीय ओजोन का निर्माण NOx गैसों (दहन से उत्पन्न नाइट्रोजन के ऑक्साइड) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) के बीच रासायनिक अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप होता है।
सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में इन रसायनों के संयोजन से ओजोन का निर्माण होता है।
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