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साझा संसाधन और सामुदायिक नेतृत्व की भूमिका

Lokesh Pal September 17, 2024 01:09 19 0

संदर्भ

हाल ही में दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जो वनों, सामुदायिक भूमि और जल निकायों जैसे साझा संसाधनों के संरक्षण, पुनरुद्धार और प्रशासन पर केंद्रित था। 

साझा संसाधन/कॉमन्स (Commons) क्या हैं?

  • साझा संसाधन वे होते हैं, जिनका स्वामित्व किसी व्यक्ति या सरकार के पास नहीं होता बल्कि समुदाय द्वारा साझा किया जाता है। 
  • उदाहरण: वन, तालाब, चरागाह, नदियाँ, पवित्र स्थल और शहरी पार्क आदि। 

    • अमूर्त साझा संसाधन (Intangible Commons): इसमें भाषा, लोक कला, परंपराएँ और ज्ञान शामिल हैं। 
    • वैश्विक साझा अधिकार: ध्रुवीय क्षेत्र, बाह्य अंतरिक्ष और अन्य खगोलीय पिंड सभी के द्वारा साझा किए जाते हैं तथा किसी भी देश के स्वामित्व में नहीं होते हैं। 
    • डिजिटल साझा संसाधन (Digital Commons): इंटरनेट संसाधन और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर को भी साझा संसाधन माना जाता है।
  • भारत में साझा संसाधन
    • भारत की लगभग एक-चौथाई भूमि, यानी लगभग 205 मिलियन एकड़ भूमि को साझा संसाधन माना जाता है।
      • ये साझा संसाधन लगभग 350 मिलियन ग्रामीण लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं तथा अनुमानतः प्रतिवर्ष 6.6 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक उत्पादन करते हैं। 

साझा संसाधन का महत्त्व

  • पारिस्थितिक सेवाएँ: साझा संसाधन स्वच्छ हवा, जल और जैव विविधता जैसी आवश्यक सेवाएँ प्रदान करते हैं। 
  • सामुदायिक कल्याण: वे समुदायों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण में योगदान देते हैं। 
  • सतत् विकास: सतत् विकास और जलवायु लचीलेपन के लिए साझा संसाधन महत्त्वपूर्ण हैं। 
  • सांस्कृतिक विरासत: कई सार्वजनिक संपत्तियों का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व है। 
  • साझा संसाधन: वे मूल्यवान परिसंपत्तियाँ हैं, जो समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति की हैं। 

साझा संसाधन को नियंत्रित करने में चुनौतियाँ

  • अतिदोहन: व्यक्तिगत स्वामित्व के अभाव से संसाधनों का अतिदोहन और क्षति हो सकती है। 
  • रखरखाव: जिम्मेदारी अक्सर समुदाय पर आती है, जिसके पास संसाधनों या कानूनी प्राधिकार का अभाव हो सकता है। 

साझा संसाधन के लिए शासन तंत्र

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर
    • समझौते: ध्रुवीय क्षेत्र, बाह्य अंतरिक्ष और उच्च समुद्रों के प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते मौजूद हैं। 
      • उदाहरण: जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता।
  • राष्ट्रीय स्तर
    • शहरी क्षेत्र
      • स्थानीय शासन: नगर पालिकाएँ या अन्य नगरीय संरचनाएँ सार्वजनिक संपत्ति का प्रबंधन करती हैं। 
    • ग्रामीण स्तर
      • प्रायः अपरिभाषित या अस्तित्वहीन: साझा संसाधन का शासन प्रायः अपर्याप्त रूप से परिभाषित या अनुपस्थित होता है।
      • सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदाय भाग लेते हैं, लेकिन अक्सर उनके पास संसाधनों या कानूनी प्राधिकार का अभाव होता है। 

साझा संसाधन के प्रबंधन में सामुदायिक नेतृत्व की भूमिका

  • अति प्रयोग को रोकता है: साझा संसाधनों के अति प्रयोग से बचने में मदद करता है।
  • सतत् प्रबंधन: स्थानीय समुदायों के पास बेहतर ज्ञान है और वे सतत् प्रथाओं को लागू कर सकते हैं। 

  • सामूहिक उत्तरदायित्व: साझा संसाधन की रक्षा के लिए सभी को एक साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है। 
  • अनुकूलित समाधान: ऐसे समाधान की अनुमति देता है, जो समुदाय की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप हों। 
  • सशक्तीकरण: स्थानीय समुदायों को उन संसाधनों पर नियंत्रण प्रदान करता है, जिन पर वे निर्भर हैं। 

साझा संसाधन के प्रबंधन के पहलू

  • ऐतिहासिक दृश्य
    • एक समय ऐसा माना जाता था कि स्थानीय सार्वजनिक संपत्ति जैसे चरागाह भूमि और जल निकाय का अत्यधिक उपयोग हो जाएगा और वे समाप्त हो जाएँगी।
      • इस अवधारणा को ‘ट्रैजिडी ऑफ कॉमन्स’ (Tragedy of Commons) के नाम से जाना जाता है। 
      • इस तरह के मुद्दे का समाधान सरकार या बाजार द्वारा अति-शोषण को रोकने के लिए विनियमन है।
  • एलिनोर ओस्ट्रोम का शोध (Elinor Ostrom’s research)
    • ओस्ट्रोम के अनुसार, साझा संसाधन का समुदाय-नेतृत्व प्रबंधन, सरकार या बाजार नियंत्रण की तुलना में अधिक सतत् है। 
    • उनके कार्य ने साझा संसाधन शासन की समझ में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया।

आगे की राह

  • स्थानीय अधिकारों को मान्यता: सार्वजनिक संपत्तियों के प्रबंधन में स्थानीय समुदायों के अधिकारों को मान्यता देंना  और उनका समर्थन करना। 
  • प्रभावी योजनाओं का क्रियान्वयन: सामान्य संसाधनों को अधिक प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए NREGA, प्रतिपूरक वनरोपण और हरित ऋण जैसे कार्यक्रमों का उपयोग करना।
  • एक आदर्श साझा संसाधन विधेयक बनाना: राज्य स्तर पर साझा संसाधन के शासन के लिए एक व्यापक कानूनी ढाँचा तैयार करना। 
  • समुदाय नेतृत्व वाली पहल को प्रोत्साहित करना: सार्वजनिक संसाधनों के प्रबंधन में जमीनी स्तर के संगठनों और उनके प्रयासों को समर्थन और बढ़ावा देंना। 

वन अधिकार अधिनियम (FRA) एक मॉडल के रूप में 

  • वन अधिकार अधिनियम, 2006 वनवासियों को स्वामित्व अधिकार देता है, जिससे वे वनों में रह सकें और कार्य कर सकें। 
  • FRA ने वन संसाधनों के संरक्षण में स्वदेशी समुदायों की भूमिका को मान्यता प्रदान की है। 

NREGA

  • NREGA, जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के नाम से भी जाना जाता है। 
  • इसका उद्देश्य प्रत्येक वर्ष ग्रामीण परिवारों को 100 दिन का गारंटीकृत रोजगार उपलब्ध कराना है। 
  • जल निकायों के जीर्णोद्धार, पुनर्वनीकरण और भूमि संरक्षण जैसी गतिविधियों में ग्रामीण श्रमिकों को शामिल करके, NREGA वनों, सामुदायिक भूमि और जल निकायों जैसे सार्वजनिक संसाधनों को संरक्षित और बनाए रखने में मदद करता है। 

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